Consultation in Corona Period-164

 Consultation in Corona Period-164

Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"दोनों ही समस्या जनवरी से शुरू हुई जब हम भारत से वापस लौटे। उस समय चीन में एक रहस्यमय बीमारी फैली हुई थी इसलिए हमें तुरंत ही भारत से वापस आना पड़ा। हम एक अध्यात्मिक संगठन के बुलावे पर भारत गए थे पर हमें आधे में ही अपना दौरा रद्द करके वापस यूक्रेन आना पड़ा।

 यहां पहुंच कर जब दांतों में दर्द हुआ तो मैं तुरंत ही दंत चिकित्सक के पास गया जिन्होंने बताया कि बहुत अधिक ठंड होने की वजह से यह समस्या हो सकती है। उन्होंने पेन किलर दिये और साथ में सूजन कम करने वाली बहुत सारी दवाईयाँ भी पर इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ। 

जिस दांत में दर्द था वह टुकड़ों में टूट गया और धीरे-धीरे उसे उखाड़ने की नौबत आ गई। इस तकलीफ को हुए कुछ ही दिन हुए थे कि दो और दाँतों में इसी तरह की तकलीफ होने लगी। दांतों में ऐसे निशान पड़ गए थे जैसे कि आकाश में बिजली कड़कती है तब दिखाई पड़ते हैं। अर्थात दांत बीच से क्रेक होने लगे थे। 30 वर्ष की उम्र में ही ऐसी समस्या से जूझना एक कठिन काम था क्योंकि मैं स्कूल के समय से ही अपनी मुस्कान के लिए अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध था। अब मेरे सामने के दांत टूटते जा रहे थे और सबसे मुश्किल की बात यह थी कि इस समस्या का कारण नहीं पता चल रहा था। 

उसके बाद मुझे घुटनों में दर्द होना शुरू हुआ। पहले बाएं घुटने में दर्द हुआ और उसके बाद दाहिने घुटने में। धीरे-धीरे यह दर्द बढ़ता गया और रातों की नींद हराम हो गई। चिकित्सकों ने ऐसी दवा दी जिससे कि दांत और घुटने दोनों का दर्द एक ही दवा से ठीक हो जाए पर उन्होंने चेताया कि इसका लंबे समय तक प्रयोग करना किडनियों के लिए बहुत नुकसानदायक होगा इसलिए उसे समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए न कि पेन किलर पर निर्भर रहना चाहिए।

 रात में होने वाला घुटनों का दर्द अब दिन में भी होने लगा। दोनों घुटने फुटबॉल की तरह सूज गए और जब मैंने घुटनों के विशेषज्ञ से सलाह ली तो उन्होंने बताया कि घुटनों की स्थिति बहुत तेजी से खराब होती जा रही है। उनमें प्राकृतिक तरल अब कम होता जा रहा है और उन्होंने यह भी चेताया कि यदि इसका सही समय पर उपचार नहीं हुआ तो आने वाले कुछ महीनों में उसे दोनों घुटनों को बदलवाना पड़ सकता है।

 वे भी इस समस्या का कारण नहीं खोज पाए। बस उन्होंने कुछ दवाएं लिख दी और कुछ कैल्शियम की गोलियां। मेरी इस बिगड़ती हालत को देखकर मेरे घर वाले बहुत परेशान हुए और उन्होंने बिना किसी देरी के मुझे लंदन भेज दिया जहां मैंने अपने पूरे शरीर की जांच करवाई। जांच रिपोर्ट एकदम सही आई। 

जब मैंने चिकित्सकों से परामर्श लिया तो उन्होंने कहा कि यह स्थिति समझ से परे है। उन्होंने यह भी कहा कि दांतों का नकली सेट लगाया जा सकता है और यदि वह चाहे तो दांतो के लिए दूसरे उपाय भी है जो कि अधिक खर्चीले है। यही बात उन्होंने घुटनों के लिए भी कही। लंदन के एक प्रोफेसर ने मेरे पिताजी के साथ कॉलेज की शिक्षा ग्रहण की थी और वे फार्मास्यूटिकल साइंस के प्रोफ़ेसर है। लंदन में मैं उन्हीं के घर रुका हुआ था। यहां के चिकित्सकों की राय सुनने के बाद उन्होंने कहा कि यह ड्रग इंटरेक्शन का मामला हो सकता है और इसके लिए उन्होंने आपका पता दिया और कहा कि आपसे परामर्श लेने से आप बता सकते हैं कि यह किसी प्रकार का ड्रग इंटरेक्शन तो नहीं है इसलिए मैंने आपसे परामर्श का समय लिया है।

 मैंने आपको सारी रिपोर्ट पहले ही व्हाट्सएप कर दी है। अब और कोई जानकारी आप मुझसे चाहते हैं तो मैं वह देने को तैयार हूं। मैंने अपने द्वारा प्रयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों की जानकारी आपको भेज दी है और अपना एक छोटा सा वीडियो भी बना कर भेज दिया है। इन वीडियो के साथ में लंदन के उन डॉक्टरों का भी वीडियो है जो कि दांतों का नया सेट लगवाने और घुटनों को बदलवाने की सलाह दे रहे हैं।"

 यूक्रेन से जब एक युवक ने यह संदेश भेजा तो मैंने उसकी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद कहा कि मैं उसकी मदद करूंगा। 

30 वर्ष की उम्र में ऐसी समस्याएं होना जो कि 60 वर्ष की उम्र में भी नहीं होती है और वह भी इतने कम समय में ड्रग इंटरेक्शन की ओर ही इशारा कर रही थी पर जिन आधुनिक दवाओं के बारे में उसने मुझे जानकारी भेजी थी उनमें किसी भी प्रकार का ऐसा इंटरेक्शन नहीं हो रहा था। 

जब मैंने उसके खानपान के बारे में अध्ययन करना शुरू किया तो मुझे एक देसी नुस्खे के बारे में जानकारी मिली जिसका उल्लेख उसने खानपान वाली सूची में किया था। दवाओं की सूची में नहीं किया था। 

जब मैंने इस देसी नुस्खे के बारे में उससे पूछा तो उसने बताया कि भारत में वह वाराणसी के एक वैद्य से मिला था जिन्होंने इम्युनिटी बढ़ाने के लिए एक नुस्खा उसे दिया था और कहा था कि इसका लगातार बिना रुके 1 साल तक प्रयोग करना है। इससे शरीर किसी भी तरह से तकलीफों का सामना नहीं करेगा और जो भी तकलीफ आएगी वह तुरंत ही ठीक हो जाएगी।

 मैंने उससे पूछा कि क्या वह लगातार इस फार्मूले का उपयोग कर रहा है तो उसने कहा कि वह बिना रुके इस फार्मूले का उपयोग कर रहा है और इससे उसे बहुत अधिक लाभ हो रहा है। 

इस पर मैंने उससे पूछा कि क्या उसे इस बात की जानकारी है कि इस फार्मूले में कौन-कौन सी जड़ी बूटियां डाली गई है तो उसने कहा कि इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है पर अगर मैं चाहूं तो उन वैद्य से सीधी बात कर सकता हूं जो कि वाराणसी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

 जब मैंने वैद्य से बात की तो उन्होंने मुझे पहचाना और बताया कि वे पीढ़ियों पुराने इस फार्मूले का उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस फार्मूले में 28 से अधिक घटक है और केवल जड़ी बूटियों का प्रयोग ही नहीं किया गया है। इस फार्मूले में कई प्रकार के कीड़ों और मकोड़ों का उपयोग भी किया गया है पर उनका उपयोग पूरी तरह से शोधन करने के बाद किया गया है।

 उन्होंने इस बात पर कोई आपत्ति नहीं की जब मैंने उनसे पूछा कि क्या आप मुझे इस फॉर्मूलेशन के बारे में विस्तार से बता सकते हैं। उन्होंने पूरी जानकारी दे दी और यह भी पूछा कि आप मुझसे इस फार्मूलेशन के बारे में इतनी पूछताछ क्यों कर रहे हैं? मैंने उन्हें बताया कि यूक्रेन में एक युवक को कुछ गंभीर समस्याएं हो रही है जिससे उसका जीवन खतरे में पड़ गया है। बस उसी सिलसिले में मैं इस फार्मूले के घटकों के बारे में जानना चाहता हूं ताकि यह जान सकूं कि उसकी समस्या का कारण यह फार्मूला तो नहीं है जिसका प्रयोग वह लगातार बिना रुके कई महीनों से कर रहा है।

 जब मैंने उनके फार्मूले का अध्ययन किया तो मुझे उसमें दोष नजर आया। उसमें ऊंटकटारा का प्रयोग किया गया था और साथ ही बीरबहूटी का भी जबकि भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में जब इन दोनो घटकों का प्रयोग किया जाता है तो बहुत अधिक सावधानी बरती जाती है और अधिकतर पारंपरिक चिकित्सक यह कोशिश करते हैं कि इन दोनों घटकों को किसी फार्मूले में एक साथ उपयोग न किया जाए। बहुत जरूरी मामलों में इन दोनों घटकों को अगर उपयोग करना हो तो उसके साथ एक तीसरे घटक का उपयोग किया जाता है जिसका काम यही होता है कि वह उन दोनों घटकों के हानिकारक प्रभाव को खत्म कर देता है। वह तीसरा घटक इस फार्मूले में नहीं था।

 जब मैंने वैद्य जी से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे दादा-परदादा इसी फार्मूले का उपयोग करते रहे हैं और उन्हें किसी भी प्रकार का कोई दोष इसमें नजर नहीं आया। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप फार्मूले को उसी रूप में उपयोग कर रहे हैं या हाल ही में या कुछ वर्षों पहले आपने इस फार्मूले में फेरबदल किया है? इस पर उन्होंने कहा कि ऊंटकटारा और बीरबहूटी को द्वितीयक और चतुर्थक घटक के रूप में उनके पूर्वज उपयोग करते आ रहे हैं पर हाल ही के वर्षों में मैंने ऊंटकटारा को सप्तम और बीरबहूटी को नवम घटक के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया है। इससे इसका प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया है और रोगियों को खासकर विषाणु रोग से ग्रसित रोगियों को इससे बहुत अधिक लाभ हो रहा है। 

अब समस्या की जड़ का पता लग गया था। मैंने उनसे कहा कि यहीं आपसे चूक हो गई। आपको पूर्वजों का नुस्खा वैसे ही उपयोग करना था। उसमें किसी भी तरह का फेरबदल नहीं करना था।

 मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि इसी फेरबदल के कारण उस युवक को इस तरह की समस्या हो रही है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक भी इस बारे में विस्तार से जानकारी रखते हैं और वे इन घटकों को इस तरह कभी भी इस्तेमाल नहीं करते हैं। 

वैद्य जी थोड़ी देर चुप रहे फिर उन्होंने स्वीकार किया कि हाल के दिनों में उनके पास दांतों के रोग और घुटनों के खराब हो जाने पर ऑपरेशन से बचने के लिए संपर्क करने वाले मरीजों की संख्या में बहुत अधिक इजाफा हुआ है। 

फिर वे बोले कि भोले बाबा की नगरी में मुझसे बड़ा पाप हो गया। अब मुझे समझ में आ रहा है कि जितने नए रोगी मेरे पास आ रहे हैं वे मेरी ही दवा के नुकसानों के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं की चिकित्सा के लिए मेरे पास आ रहे हैं। इस विश्वास में कि मैं उनकी समस्या का समाधान कर दूंगा। उन्हें यह नहीं मालूम कि मेरे द्वारा दी जा रही दवा के कारण ही उनकी ऐसी हालत हुई है। यह तो मुझसे एक घोर पाप हो गया। अब पता नहीं इसका प्रायश्चित कैसे होगा? 

मैंने पहले उन वैद्य को और उसके बाद उस युवक को यह भी बताया है कि इस फार्मूले का इस तरह उपयोग करने से किडनी और लीवर पर भी बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है और उस युवक को इन दोनों अंगों की जांच भी करानी चाहिए। मुझे लगता है कि इन दोनों अंगों पर भी विशेष प्रभाव पड़ा होगा और जल्दी ही वे लक्षण प्रकट करने लगेंगे। 

मैंने उस युवक से कहा कि वह इस नुस्खे का प्रयोग तुरंत रोक दे और प्रतीक्षा करे। मुझे उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में धीरे-धीरे उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा। जितने दांत झड़ गए वे तो दोबारा वापस नहीं आएंगे पर बचे हुए दांत अब नहीं टूटेंगे। 

इसी तरह यदि वह घुटने की पीड़ा को कुछ समय तक सहन कर सकता है और घर में आराम कर सकता है तो धीरे-धीरे घुटने अपनी सामान्य स्थिति में आ जाएंगे और ऑपरेशन की नौबत नहीं आएगी।

 उस युवक ने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि वह मेरी बातों को शत प्रतिशत मानेगा। 

मैंने उससे कहा कि वह धन्यवाद तो अपने प्रोफेसर अंकल को भी दे जिन्होंने इसे ड्रग इंटरेक्शन का मामला माना और उसे मेरे पास भेजा। इससे समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया। 

मैंने उसे शुभकामनाएं दी। 


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