Consultation in Corona Period-166
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"My experiences with Hemophagocytic lymphohistiocytosis (HLH) आपकी इस बुक से मैं आपको जानता हूँ पिछले कई सालों से। मैंने यह बुक मैंने अपने एक मित्र की टेबल पर देखी थी। फिर जब मैंने इसे पढ़ना शुरू किया तब मुझे आपके बारे में जानकारी हुई कि आप भारत के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं पिछले 30 सालों से।
आपने इस बुक में 10,000 उन केसों के बारे में लिखा है जिनकी चिकित्सा भारत के पारंपरिक चिकित्सकों ने की और मरीजों को कितना फायदा हुआ इसका आपने विस्तार से वर्णन किया है। आपने इस पुस्तक में 25000 फॉर्मूलेशंस के बारे में प्रारंभिक जानकारी देकर यह बताने की कोशिश की है कि कैसे युवा शोधकर्ताओं को इस बीमारी से निपटने के लिए इन फॉर्मूलेशंस पर क्लिनिकल ट्रायल्स करने चाहिए ताकि यह लाइलाज समझा जाने वाला कष्टप्रद रोग जड़ से पूरी दुनिया से खत्म हो सके।
मैं पिछले 20 वर्षों से इस विषय पर काम कर रहा हूं। हमारा वैज्ञानिक संस्थान आपके इन फॉर्मूलेशंस को आजमाने के लिए तैयार है। हम जल्दी ही भारत सरकार से संपर्क करेंगे और उनके गाइडलाइन के हिसाब से इस पर कार्य शुरू करेंगे आपके तकनीकी मार्गदर्शन में।" जर्मनी के एक वैज्ञानिक ने जब मुझे यह संदेश भेजा तो मैंने उनका धन्यवाद किया और उन्हें बताया कि आपने जिस बुक को पढ़ा है वह 10 साल पुरानी है और अब इसका रिवाइज्ड एडिशन भी आ गया है।
उन्होंने अपने संदेश में कहा कि उन्होंने अपनी बिटिया की एक समस्या के लिए मुझसे संपर्क किया है। उन्होंने बकायदा फीस जमा की और परामर्श के लिए मुझसे समय मांगा। जब उन्होंने अपनी बात शुरू की तो उन्होंने बताया कि उनकी बिटिया को दो बार से गर्भपात की समस्या हो रही है इसलिए वह बहुत अधिक डिप्रेशन में है।
एक बार फिर से वह गर्भवती हैं और हम चाहते हैं कि दो बार से जो चूक हुई है जिसके कारण उसे गर्भपात हो गया था वह गलती अब फिर से न हो इसलिए हम फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि बिटिया को टीनिया का इंफेक्शन हो जाता है जब वह गर्भावस्था में होती है। यह इंफेक्शन पूरी तरह से शरीर में फैल जाता है और एंटीबायोटिक की जरूरत होती है।
पिछले 2 सालों से हम यह गलती कर रहे हैं कि हम एंटीबायोटिक का प्रयोग करते हैं और हमें लगता है कि इसी के कारण गर्भपात हो जाता है। हमारे चिकित्सक इस बात से इनकार करते हैं और कहते हैं कि गर्भपात का कारण एंटीबायोटिक नहीं है बल्कि कुछ और है। उसके बारे में कोई विशेषज्ञ ही बता सकते हैं। पहले वर्ष हमने तेज एंटीबायोटिक का प्रयोग किया था पर दूसरे वर्ष हमने माइल्ड एंटीबायोटिक का उपयोग किया था जिसे गर्भावस्था में दिया जा सकता है पर उसके बाद भी गर्भपात का हो जाना बहुत आश्चर्य पैदा करता है। मेरी बिटिया Home remedies पर अधिक विश्वास करती है और उसने दोनों बार ही घरेलू औषधीयों का प्रयोग किया और उन्हें ही प्राथमिकता दी पर जब इससे बात नहीं बनी तो उसे मजबूरीवश एंटीबायोटिक का प्रयोग करना पड़ा।
जैसा कि मैंने आपको बताया कि इस बार हम फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं इसलिए हम आपकी राय लेना चाहते हैं। क्या किसी तरह के ड्रग इंटरेक्शन के कारण या और दूसरे कारणों से यह गर्भपात हो रहा है। मेरी बिटिया अब इसके बाद प्रयास करने को बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है-ऐसा कहकर वैज्ञानिक महोदय ने अपनी बात पूरी की।
मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उनकी बिटिया की सारी रिपोर्ट का अध्ययन किया फिर उसके खानपान के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र की और यह पूछा कि अभी उसकी हालत कैसी है?
उसने बताया कि यह गर्भावस्था का तीसरा महीना है और उसे एक बार फिर से टीनिया का इन्फेक्शन शुरू हो गया है। इस बार उसने ठान लिया है कि वह किसी भी प्रकार के एंटीबायोटिक का प्रयोग नहीं करेगी। पिछले 2 वर्षों से वह जिन घरेलू औषधीयों का उपयोग कर रही है उसे जारी रखेगी और इस इंफेक्शन से अपने को बचा कर रखेगी।
बार-बार घरेलू औषधीयों का जिक्र आने पर मैंने उससे उन घरेलू औषधीयों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और यह भी पूछा कि वह एक छोटा सा वीडियो बनाकर मुझे भेजें कि वह इन घरेलू औषधीयों को कहां से खरीदती हैं और अगर घर में बनाती है तो किस तरह उपयोग करती है। जल्दी ही वह वीडियो मेरे पास आ। गया।
जब अगली बार वैज्ञानिक महोदय ने फोन किया तो मैंने उनसे कहा कि आपकी बिटिया जिंजर टी का उपयोग कर रही है यानी अदरक से बनी हुई चाय का। मुझे लगता है कि समस्या का मूल कारण यही है। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में गर्भावस्था के दौरान अदरक का प्रयोग बहुत संभलकर किया जाता है और जहां तक संभव हो इसके प्रयोग से बचा जाता है। इस पर वैज्ञानिक महोदय ने कहा कि अदरक का प्रयोग तो गर्भावस्था में करने से उबकाई और उल्टी से राहत मिलती है और इंटरनेट इस तरह की जानकारियों से भरा पड़ा है।
मैंने उनसे कहा कि आपकी बात सही है कि अदरक के प्रयोग से उबकाई और उल्टी से राहत मिलती है पर यह कई मामलों में गर्भपात के लिए भी उत्तरदाई होता है विशेषकर जब इसे अधिक मात्रा में लिया जाता है। इसकी अनुमोदित मात्रा के बारे में जानकारी केवल दक्ष चिकित्सक ही दे सकते हैं। थोड़ी भी मात्रा अधिक होने पर गर्भपात जैसी समस्या हो सकती है। उबकाई और उल्टी के लिए ढेरों विकल्प मौजूद है जो कि न केवल सुरक्षित है बल्कि अदरक से अधिक प्रभावकारी है। वैज्ञानिक महोदय ने आश्चर्य प्रकट किया और जब उन्होंने यह बात अपनी बिटिया को बताई तो उनकी बिटिया ने झट से मुझे फोन लगाया और कहा कि इसी चाय के कारण उसका टीनिया इनफेक्शन पूरी तरह से नियंत्रित रहता है और इसलिए वह दिन में 3 बार इस चाय का उपयोग कर रही है पिछले 2 सालों से। उसने इंटरनेट की एक साइट के बारे में जानकारी दी। इसमें अलग-अलग विशेषज्ञों ने कहा था कि जिंजर टी का उपयोग करने से टीनिया का इन्फेक्शन कम होता है और इसका उपयोग गर्भावस्था में किया जा सकता है। मैंने उनकी बिटिया से कहा कि वे सही हो सकते हैं पर यदि वह मेरी बात माने तो इस बार जिंजर टी का उपयोग बिल्कुल भी न करें। मुझे लगता है कि इस बार उसे गर्भपात की समस्या नहीं होगी।
उसने अनमने ढंग से इस बात को मान लिया और मुझे वचन दिया कि वह इस बार जिंजर टी का उपयोग बिलकुल नहीं करेगी। हालांकि उसे अभी भी मेरी बातों पर विश्वास नहीं था। लंबे समय तक वैज्ञानिक महोदय का किसी तरह का फोन नहीं आया।
हां, उन्होंने भारत सरकार को HLH पर काम करने के लिए एक प्रस्ताव जरूर भेजा। इसमें उन्होंने मुझे प्रिंसिपल साइंटिस्ट के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव किया था।
अभी 1 महीने पहले उनका फोन आया और उन्होंने बताया कि वे नाना बन गए हैं। उनकी बिटिया ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया है। जच्चा और बच्चा दोनों अच्छी स्थिति में है।
उन्होंने बताया कि टीनिया के इंफेक्शन के कारण बिटिया को आधुनिक दवाओं का प्रयोग करना पड़ा पर उसे गर्भपात नहीं हुआ। उसने जिंजर टी का प्रयोग पूरी तरह से बंद रखा।
उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। फिर उसके बाद उनकी बिटिया का फोन आया और उसने भी धन्यवाद दिया। इस तरह भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की सहायता से एक और पेचीदे मामले का हल निकल गया।
सब ने राहत की सांस ली।
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