Consultation in Corona Period-160
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"जब युवक की शादी हुई तो वह बहुत खुश था। वह देश का जाना-माना बाईकर है जो कि देश-विदेश की यात्रा अपनी बाइक से किया करता था। उसका अपना यूट्यूब चैनल भी था। शादी से वह इसलिए खुश था क्योंकि उसकी पत्नी भी घूमने की शौकीन थी और उसने कहा था कि वह आगे की हर यात्रा में उसके साथ होगी पर भाग्य को कुछ और मंजूर था।
एक बार वे घने जंगल से जा रहे थे तब वहाँ जंगली हाथियों के एक समूह ने उन पर आक्रमण कर दिया और उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी को कुचल दिया। इस युवक ने भागकर अपनी जान बचाई और जब वह हाथियों के जाने के बाद उस स्थान पर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी बुरी तरह कुचल जाने के कारण मारी जा चुकी है। उसके बाद वह गहरे सदमे में पहुंच गया और उसने बोलना बिलकुल भी बंद कर दिया।
उसके परिवार वालों ने उसकी नियमित चिकित्सा शुरू की। उसे देश-विदेश लेकर गए और जो भी उपाय उनकी समझ में आया उन्होंने किया पर उसे जो मानसिक आघात लगा था उससे उबरने में वह बिल्कुल भी सक्षम नहीं हुआ। लंबे समय तक उसकी दवायें चलती रही। उसके परिवार वालों ने झाड़-फूंक का सहारा भी लिया। यहां तक कि वे राजस्थान के बुलेट बाबा के दरबार में भी गए पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
किसी ने उन्हें मेरा पता दिया और वे लंबी यात्रा करके मेरे पास पहुंच गए। मैंने उसी वक्त युवक से बात करने की बहुत कोशिश की पर उसने किसी भी तरह के प्रश्न का जवाब नहीं दिया तब मैंने जड़ी बूटियों का लेप उसके पैरों में लगाकर कई तरह के परीक्षण किए।
आप तो जानते ही हैं कि हम और हमारा परिवार पीढ़ियों से मानसिक रोगियों की चिकित्सा में लगा हुआ है और इस कारण दुनिया भर में हमारे परिवार का नाम है। हमें इस कार्य में ईश्वर की कृपा से बहुत अधिक सफलता भी मिली है।
इसी तरह के बहुत से मामले मेरे पास पहले आ चुके थे और हमने इनकी अच्छे से चिकित्सा भी की थी। जड़ी-बूटियों का लेप लगाने के बाद जिस तरह से उसके शरीर ने प्रतिक्रिया दिखायी उसके आधार पर मैंने अपना नुस्खा उसे दिया और उसके परिवार से कहा कि वे 8 से 10 घंटे तक मेरे पास रुक जाए। इस नुस्खे की प्रतिक्रिया देखने के बाद ही फिर मैं लंबे समय के लिए दवा दूंगा। फिर इसे लेकर वापस जा सकते हैं और बीच-बीच में फिर आ सकते हैं।
दवा लेने के आधे घंटे के अंदर ही उसने जो बोलना शुरू किया तो वह लगातार 8 घंटे तक बोलता रहा। परिवार वाले इस चमत्कार से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने ढेर सारे रुपए मुझे देने की पेशकश की पर मैंने कहा कि मैं केवल दवा का खर्च ही लूंगा और कुछ मुझे नहीं चाहिए।
भले ही परिवार वाले इस चमत्कार से खुश थे पर मुझे मालूम था कि उसे जिस तरह के लक्षण आ रहे थे वह मेरी दवाओं से नहीं आते हैं। कोई भी मरीज मेरी दवा से इतनी जल्दी बोलने नहीं लग जाता है और इतना अधिक नहीं बोलता है।
मुझे लगा कि मेरे नुस्खे में ही किसी प्रकार का खोट है इसलिए मैं मन ही मन घबराता रहा और 6 महीने की दवा देने की बजाय उसे 15 दिन की दवा दी और कहा कि वह फिर से मेरे पास आये ताकि मैं उसकी जांच करके नई दवा दे सकूं।
उसके परिवार वाले तैयार हो गए और जब 15 दिनों के बाद उन्होंने फिर से मुझसे संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि जैसे ही आप की दवा दी जाती है वह बोलना शुरू हो जाता है और लंबे समय तक इधर-उधर की बातें करने लग जाता है और 8 से 10 घंटे के बाद फिर वैसे ही गुमसुम स्थिति में चला जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जब वह बोलता है तो उसके शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलता है जैसे कि शरीर से पानी की धार बह रही हो। बहुत अधिक पसीना निकलने के कारण वह निढ़ाल हो जाता है और बार-बार उसकी चादर बदलनी पड़ती है। यह सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि ऐसा मेरी दवाओं से नहीं होता है। मैंने उनके परिवार से कहा कि मैं इसी वक्त से युवक की चिकित्सा करने के लिए तैयार नहीं हूं क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दवा से इसे कुछ विपरीत प्रभाव हो रहे हैं। इससे परिवार वाले बहुत नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि केवल इसी दवा से उनके बेटे को फायदा हुआ है इसलिए दवा किसी भी हालत में बंद नहीं होनी चाहिए। मैंने अपने घर के सदस्यों से इस बारे में गहन विचार विमर्श किया। उन सबने कहा कि मुझे इस फार्मूले का उपयोग नहीं करना चाहिए।
काफी मशक्कत के बाद मैंने सोचा कि क्यों न आपसे एक बार इस केस के बारे में मिला जाए और आपकी प्रतिक्रिया ली जाए क्योंकि आप वैज्ञानिक है और जड़ी-बूटियों की आपस में होने वाली सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं पर शोध कर रहे हैं इसलिए समय माँगकर उस युवक को साथ लेकर मैं आपके पास आ गया हूं। अब आप आगे के लिए मार्गदर्शन करें।" मध्य भारत के पारंपरिक चिकित्सक जो कि मानसिक रोगियों की चिकित्सा में दक्ष थे मेरे सामने बैठे थे और अपनी समस्या बता रहे थे। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैं इन पारंपरिक चिकित्सक को 30 वर्षों से जानता हूं और मैंने उनके परिवार के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का विस्तार से डॉक्यूमेंटेशन किया है।
मैंने उस युवक के परिवार वालों से पूछा कि क्या अभी भी उसकी आधुनिक दवाई चल रही है तो उन्होंने एक पर्ची आगे बढ़ा दी और बताया कि एक मनोचिकित्सक द्वारा उसे ये दवाएं दी जा रही है। उन दवाओं को देखने में उनमें किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया और अधिकतर ऐसी स्थिति में ऐसी दवाओं का प्रयोग किया जाता है। जब मैंने अपना डेटाबेस चेक किया तो मुझे पता चला कि पारंपरिक चिकित्सक का परिवार पीढ़ियों से दो तरह के नुस्खों का प्रयोग कर रहा है।
मैंने पारंपरिक चिकित्सक से पूछा कि क्या आपने अटायन पर आधारित नुस्खे का प्रयोग किया तो उन्होंने कहा कि हां, आजकल इसी नुस्खे का प्रयोग हो रहा है। अब सारी स्थिति स्पष्ट होने लगी थी। मैंने उन्हें कहा कि आपके नुस्खे में किसी भी प्रकार का दोष नहीं है और अच्छे से यह कार्य कर रहा है। यह मामला ड्रग इंटरेक्शन का है।
इस युवक को जो आधुनिक दवा Sertraline दी जा रही है उसकी अटायन के नुस्खे से नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है और जब प्रतिक्रिया उग्र हो जाती है तो वैसे ही लक्षण आते हैं जैसे कि इस युवक को आ रहे हैं।
यह प्रतिक्रिया विज्ञान के लिए भले ही नई जानकारी हो पर मेरे डेटाबेस में ऐसे 300 से अधिक मामलों के बारे में विस्तार से जानकारी है जिसमें आधुनिक दवाएं ले रहे मानसिक रोगी जब पारंपरिक चिकित्सकों से मिलते हैं और अटायन पर आधारित नुस्खों का प्रयोग करते हैं तो वे अचानक से बहुत अधिक बोलने लग जाते हैं और उनके शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलने लग जाता है।
मैंने पारंपरिक चिकित्सक से कहा कि आप अटायन का नुस्खा न प्रयोग करें बल्कि उसके स्थान पर तेजराज का नुस्खा प्रयोग करें। इस नुस्खे की आधुनिक दवा के साथ किसी भी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं होती है पारम्परिक चिकित्सक ने कहा कि आपका कहना सही है और मैं आपकी बात मानूंगा पर मुश्किल इस बात की है कि तेजराज अब हमारे क्षेत्र में नहीं मिलता है इसलिए उस फार्मूले का उपयोग हम नहीं करते हैं। जड़ी बूटी विक्रेता से जो तेजराज मिलता है उसमें कई तरह की मिलावट की जाती है इसलिए हम उसका प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करते हैं।
मैंने उनसे कहा कि इसका समाधान भी मेरे पास में है। मैंने उन्हें बंगाल के पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया जो कि तेजराज के प्राकृतिक स्रोत के बारे में विस्तार से जानकारी रखते हैं और उनसे अनुरोध किया कि आप उन पारंपरिक चिकित्सक से मिलकर तेजराज एकत्र कर लें और यदि आप चाहें तो वे नियमित रूप से आपको इसकी आपूर्ति कर सकते हैं। पारंपरिक चिकित्सक ने धन्यवाद दिया और फिर वे सब वापस लौट गए।
करीब 3 महीने बाद फिर से पारंपरिक चिकित्सक ने मिलने के लिए समय लिया। इस बार वे आए तो प्रसन्न मुद्रा में थे।
उन्होंने कहा कि उसी युवक की समस्या का समाधान तेजराज के नुस्खे से हो गया। जब इस नुस्खे से लाभ होने लगा तो युवक ने आधुनिक दवाओं का प्रयोग भी पूरी तरह से रोक दिया। अब उसकी स्थिति में काफी सुधार है।
उसने अपना यूट्यूब चैनल फिर से शुरू कर दिया है। उसने अपनी पत्नी को समर्पित एक वेबसाइट बनाई है और अब फिर से यात्रा करने की तैयारी कर रहा है।
यह हम सब के लिए राहत भरी खबर थी। इस तरह भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की मदद से एक और जटिल मामले का सरल समाधान हो गया।
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