Consultation in Corona Period-162

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"मैंने वैद्य जी के फार्मूले की जांच कर ली है। उसमें किसी भी प्रकार का दोष नहीं है। आपको जो किडनी की समस्या अचानक से बढ़ गई है और डॉक्टर कह रहे हैं कि अब ट्रांसप्लांट कराना ही एक अंतिम विकल्प है उसके लिए है मुझे नहीं लगता है कि वैद्य जी का फार्मूला किसी भी प्रकार से जिम्मेदार हैं। 

इसमें मुख्यतया उन्होंने गोखरू का प्रयोग किया है जिसका प्रयोग ज्यादातर किडनी रोगों की चिकित्सा में किया जाता है और इसके अलावा इस फार्मूले में 18 से अधिक घटक हैं जिनका अक्सर प्रयोग किया जाता है। यह तो मैं कह रहा हूं कि इससे आपकी किडनी की बढ़ी हुई समस्या का कोई संबंध नहीं है पर मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि आप की रिपोर्ट देखने के बाद मुझे ऐसा नहीं लगता है कि उनका यह फार्मूला आपको किसी भी प्रकार से लाभ पहुंचा रहा होगा। 

आप कह रहे हैं कि आप पिछले 3 वर्षों से इस फार्मूले का उपयोग कर रहे हैं पर आपको किसी भी तरह से लाभ नहीं हो रहा है बल्कि अभी-अभी आपकी किडनी की समस्या बहुत अधिक बढ़ गई है।"

मैं पूर्वी भारत के एक सज्जन से बात कर रहा था जिन्होंने मुझसे संपर्क किया था यह जानने के लिए कि उनकी किडनी की बढ़ी हुई समस्या के लिए कहीं उनके वैद्य द्वारा दी जा रही दवा तो जिम्मेदार नहीं है। 

मैंने उनके वैद्य से बात की और फिर उसके बाद उनके द्वारा उपयोग किए गए फार्मूले की जांच की। 

वह एक पारंपरिक फार्मूला था जिसे कि किडनी के आम रोगों की चिकित्सा के लिए लंबे समय से प्रयोग किया जाता रहा है। यह फार्मूला बाजार में भी उपलब्ध है और अलग-अलग कंपनियां इसे बनाकर बेचती हैं। 

मेरी बातों से संतुष्ट होकर उन सज्जन ने धन्यवाद किया और फिर उनसे काफी समय तक किसी प्रकार का संपर्क नहीं हुआ। 

कुछ समय बाद उनकी पत्नी ने फोन किया और बताया कि उनकी हालत और बिगड़ गई है। आधुनिक चिकित्सक कह रहे हैं कि अब किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन वैद्य की दवा अभी भी चल रही है। इसके अलावा और कोई दवा वे नहीं ले रहे हैं।

 किडनी की समस्या के लिए उन्होंने उम्मीद जताई कि मैं उन्हें उनके लक्षणों के आधार पर कुछ पारंपरिक नुस्खे बताऊंगा जिससे उनके पति की हालत में सुधार हो सके और किडनी ट्रांसप्लांट को टाला जा सके।

मैंने उन्हें कहा कि मैं चिकित्सक नहीं हूं इसलिए आपको किसी प्रकार की दवा नहीं दे सकता हूं। आप चाहे तो पारंपरिक चिकित्सा में कई प्रकार के फंक्शनल फूड का उपयोग होता है। मैं इन्हें आपको दे सकता हूं पर मुझे नहीं लगता कि इस स्थिति में फंक्शनल फूड इतनी जल्दी प्रभावी रूप से काम करेंगे और इस अवस्था को टाल सकेंगे।

 उन्होंने कहा कि आप हमें फंक्शनल फूड ही बता दीजिए तब मैंने उनसे कहा कि इसके लिए आपको रायपुर आना होगा ताकि मैं आपके पति के पैरों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर यह जान सकूं कि उनकी जीवनी शक्ति कितनी तगड़ी है और उनके शरीर के विभिन्न स्रोत कितने खुले हुए हैं। 

उस आधार पर ही में उन्हें फंक्शनल फूड के बारे में जानकारी दे पाऊंगा। उन्होंने मजबूरी बताई कि उन्हें ठंड बिल्कुल भी सहन नहीं होती है और इस ठंड के मौसम में वे बिल्कुल भी यात्रा नहीं करते हैं। इससे उनकी तकलीफ बढ़ जाती है। 

मैंने पूछा कि क्या ठंड से किडनी की समस्या बढ़ जाती है तो उन्होंने कहा कि नहीं, किडनी की नहीं बल्कि सोरायसिस की समस्या बढ़ जाती है।

 मैंने कहा कि इसके बारे में न तो आपके पति ने न ही आपने फोन पर कुछ बताया। यह नहीं बताया कि वे सोरायसिस जैसे रोग से प्रभावित हैं। जरूर वे इसके लिए किसी दवा का प्रयोग कर रहे होंगे। यही मैं उनसे जानना चाहता था। 

इस पर उनकी पत्नी ने कहा कि मैं आपको उनके द्वारा ली जा रही आधुनिक दवा की पर्ची व्हाट्सएप के माध्यम से भेजती हूं। इससे आपको पता चल जाएगा कि वे कौन सी दवा ले रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप चाहें तो सोरायसिस की चिकित्सा कर रहे डॉक्टर से भी बात हो सकती है क्योंकि वे पड़ोस में ही रहते हैं और आपने हमें भेजे गए संदेश में साफ-साफ लिखा है कि हम जब भी आपसे परामर्श लें तो बेहतर यही होगा कि हमारे डॉक्टर हमारे साथ हो ताकि चर्चा के आधार पर वही उचित निर्णय ले सके। 

मैंने उनकी पत्नी को धन्यवाद दिया और जब मैंने पर्ची देखी तो समस्या का समाधान दिखना शुरू हो गया। मेरे अनुरोध पर जब सोरायसिस की चिकित्सा कर रहे डॉक्टर फोन पर आए तो उन्होंने बताया कि वे Tacrolimus नामक एक दवा का प्रयोग इन सज्जन के ऊपर कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 15 सालों से वे सोरायसिस की समस्या से बुरी तरह से परेशान थे और किसी भी तरह से उन्हें लाभ नहीं हो रहा था तब मैंने उनके लक्षणों के आधार पर इस दवा का चुनाव किया और इस दवा की एक खुराक लेते ही उनकी बरसों पुरानी समस्या पूरी तरह से ठीक हो गई। मैंने उन डॉक्टर महोदय से पूछा कि क्या आपको मालूम है कि इन सज्जन को किडनी की भी किसी तरह की समस्या है तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। न ही मुझसे इस समस्या के लिए किसी प्रकार का परामर्श लिया गया है। 

मैंने उनसे पूछा कि क्या आपके पास ऐसा मरीज आता है जो कि सोरायसिस की समस्या से ग्रस्त होता है साथ ही उसे किडनी की समस्या भी होती है तो भी आप इसी दवा का प्रयोग करते हैं तो उन्होंने कहा कि आप कैसी बात करते हैं? 

किडनी के रोगियों को यह दवा नहीं दी जाती है और जब अगर बहुत जरूरी हो तो इस दवा को देते समय लगातार किडनी की जांच की जाती है ताकि उस पर किसी भी प्रकार से नेफ्रोटॉक्सिक प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, इस पर नजर रखी जा सके।

 उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या इन सज्जन को किडनी की किसी तरह की समस्या है तब मैंने उन्हें विस्तार से पूरी बात बताई तो उनका माथा ठनक गया। 

उन्होंने कहा कि मैं तुरंत ही इस दवा का प्रयोग बंद कर देता हूं। इन सज्जन ने मुझे अंधेरे में रखा। मैंने उन चिकित्सक को विस्तार से बताया कि सज्जन एक वैद्य से गोखरू पर आधारित एक नुस्खा ले रहे हैं। किडनी की समस्या के लिए वैसे तो यह नुस्खा पूरी तरह से सुरक्षित है पर गोखरू की आपके द्वारा दी जा रही दवा से विपरीत प्रतिक्रिया होती है और इसके विषय में बहुत सारे संदर्भ साहित्य उपलब्ध है।

 जैसा कि आपने बताया कि आपकी दवा वैसे ही किडनी के रोगियों को नहीं दी जाती है पर जब इस दवा को गोखरू के साथ में किडनी के रोगियों को दिया जाता है तो किडनी तेजी से काम करना बंद करती जाती है और एक तरह से किडनियों की मृत्यु होने लग जाती है।

 हमारी बातें वे दोनों भी सुन रहे थे। उन्हें अब इस बात की जानकारी हो गई थी कि अचानक से कैसे उनकी किडनी की समस्या बढ़ गई और देखते ही देखते चिकित्सक उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देने लगे। जब Tacrolimus दवा को बंद किया गया तो उनकी किडनी ने सुचारू रूप से फिर से काम करने के लिए 15 दिनों का समय लिया। इस बीच जब वैद्य जी का फार्मूला भी बंद कर दिया गया तो 40 दिनों में उनकी किडनी सामान्य अवस्था में आ गई अर्थात उन्हें ट्रांसप्लांट की किसी भी प्रकार की जरूरत नहीं रही।

 सोरायसिस की चिकित्सा कर रहे डॉक्टर साहब ने फिर से मुझसे बात की और मुझे धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि हमारी दवाएं नुकसान कम करती हैं पर जब इनकी दूसरी दवाओं से प्रतिक्रिया होती है तब नुकसान अधिक होता है और अधिकतर मरीज पारंपरिक दवाओं को सुरक्षित मानते हुए उसके बारे में हमसे चर्चा नहीं करते हैं जिसके कारण ऐसे भयानक परिणाम आ जाते हैं।

 इस तरह एक और जटिल मामले का समाधान हुआ और वे सज्जन किडनी ट्रांसप्लांट और उसके बाद होने वाली विकट समस्याओं से पूरी तरह से बच गए।

 यह सब भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की वजह से संभव हुआ। 


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