Consultation in Corona Period-97

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"माफ करें। हम आपके पास बिगड़े हुए केस ही भेज पाते हैं। यह केस भी हमने सिर्फ इसीलिए ले लिया है क्योंकि हमें आप पर भरोसा है कि आप हमारा मार्गदर्शन करेंगे और इस व्यक्ति को भयानक रोग से मुक्त कराएंगे।" 


कोलकाता के एक प्रसिद्ध अस्पताल से जब यह संदेश मेरे पास आया तब मुझे बताया गया कि यह एक 40 वर्षीय व्यक्ति का केस है जो कि पिछले कई सालों से बहुत बीमार है। 


देशभर में घूम कर उनके परिजनों ने जो हो सकता था वह किया पर स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। अभी तो उनकी मुख्य समस्या किडनियों की है जो कि अपना काम करना लगभग बंद कर चुकी है। 


वे डायलिसिस पर है। इतनी पुरानी समस्या का मूल कारण क्या है यह जानना बहुत जरूरी है और हम आप के सिद्धांत पर यकीन करते हैं कि बिना रोग की जड़ को जाने रोग का उपचार करना सही नहीं है।


 हम आपको इन सज्जन की सारी रिपोर्ट भेज रहे हैं। उनके सभी अंग लगभग काम करना बंद कर रहे हैं। वे अर्ध बेहोशी की हालत में है। 


मैंने उनसे कहा कि मुझसे जो भी मदद बन पड़ेगी मैं करूंगा। 


उन सज्जन की सारी रिपोर्ट देखने के बाद मैंने उनके पूरे शरीर का एक वीडियो मंगाया। इस वीडियो में मैंने देखा कि उनका शरीर पूरी तरह से काला पड़ चुका है। 


जब मैंने लिंग की ओर ध्यान दिया तो उसमें एक अजीब सी सड़न दिखाई पड़ी। कालापन उनकी आंखों के चारों ओर भी था। 


दोनों पैर भी निस्तेज हो गए थे। ऐसा लगता था कि उन्हें लंबे समय तक किसी प्रकार का धीमा जहर दिया गया हो।


 उनके शरीर का सूक्ष्मता से अध्ययन करने के बाद मैंने उस जहर का नाम भी संबंधित चिकित्सक को बता दिया और पूछा कि क्या ये सज्जन लंबे समय तक किसी कारखाने में काम करते रहे हैं विशेषकर किसी रासायनिक कारखाने में?


तब चिकित्सक ने कहा कि वे सज्जन कॉलेज में पढ़ाते हैं और उनका कारखाने से कोई लेना देना नहीं है। 


तब मैंने पूछा कि क्या वे किसी प्रकार की दवा ले रहे हैं किसी वैद्य से या किसी तांत्रिक से?


जब चिकित्सक ने उनके परिजनों से इस बारे में जानकारी मांगी तब उन्होंने कहा कि अभी सभी तरह की दवाएं बंद है।


 वे तांत्रिकों पर विश्वास नहीं करते हैं इसीलिए तांत्रिकों द्वारा दी गई किसी भी दवा का प्रयोग उन सज्जन द्वारा नहीं किया जा रहा है और पहले भी नहीं किया गया है। 


संबंधित चिकित्सक से मैंने कहा कि जब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो जाती कि उनके शरीर की ऐसी स्थिति किस जहर के कारण हुई है, उस जहर का स्रोत क्या है तब तक उनकी चिकित्सा करना सही नहीं होगा। 


हमें और अधिक जांच पड़ताल करने की जरूरत है। 


मुझे बताया गया कि वे सज्जन विवाहित है और उनकी कोई संतान नहीं है। मैंने उनके परिजनों से कहा कि वे उन सज्जन के मित्रों से बात करें और यह पता लगाएं कि वे कहीं लंबे समय से किसी नशीली दवा का प्रयोग तो नहीं कर रहे थे?


 मुझे मालूम है कि वे सज्जन व्यक्ति थे पर कई बार व्यक्ति लुक-छुप कर परिवार से जानकारी छुपा कर कई तरह के व्यसनों में लगा रहता है जिसकी जानकारी केवल मित्रों को ही होती है। 


जल्दी ही मित्रों से संपर्क करने पर पता लग गया कि वे पान, बीड़ी, सिगरेट जैसे साधारण नशों से भी बहुत दूर थे। 


मैंने चिकित्सक से पूछा कि क्या सज्जन को किसी तरह का रोग है जैसे कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाइपर थायराइडिसम? 


तो उन्होंने कहा कि शुरू से उन्हें इस तरह की कोई भी बीमारी नहीं है। जब वे बीमार नहीं थे तो पूरी तरह से स्वस्थ थे।


 उनकी बीमारी अचानक से शुरू हुई और धीरे-धीरे गंभीर होती गई। शुरू से किसी भी चिकित्सक ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि अचानक एक स्वस्थ व्यक्ति की हालत इतनी बुरी क्यों हो गई?


 मैंने उन सज्जन की पत्नी से बात करने की इच्छा जताई। जब पत्नी से बात हुई तो मैंने उनसे कहा कि क्या ये सज्जन अपनी डायरी लिखा करते थे तो उनकी  पत्नी ने कहा कि मुझे इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। आप कहें तो मैं उनके कमरे में जाकर जांच पड़ताल कर सकती हूँ। 


मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और अनुरोध किया कि वे कमरे में जाकर उनकी डायरी की तलाश करें यदि वे डायरी लिखते रहे हो तो।


 दूसरे दिन सुबह ही मुझे फोन आया कि एक डायरी मिली है जिसे वे सज्जन कई वर्षों से लिख रहे थे। उस डायरी में तरह-तरह के कागज दबे हुए थे। 


उनकी तस्वीरें खींचकर जब मुझे भेजी गई तो उसमें से एक कागज के टुकड़े पर एक नुस्खा लिखा हुआ था। 


वह इस प्रकार था "पारा 5 तोले, गौ के पित्ते 12 नग, आधा सेर  घमीरे का रस में लोहे के दस्त से एक पैसा उस पर लगा कर 6 दिन तक रगड़े। जब गाढ़ा हो जाए झाड़ीबेर के बराबर गोलियां बनावे। एक गोली थूक में पीसकर लिंग में लगाएं। इससे वीर्य का स्तंभन होगा।"


हमारा शक बिल्कुल सही निकला था। उस युवक के लक्षण Mercury Poisoning के थे पर यह नहीं पता चल रहा था कि मरकरी उनके शरीर में कैसे पहुंचा?


हमने अर्धबेहोशी में पड़े उन सज्जन से बार-बार झकझोर कर पूछा कि क्या वे इस फार्मूले का प्रयोग करते रहे हैं?


 बड़ी देर के बाद उन्होंने बताया कि वे इस फार्मूले का प्रयोग पिछले 10 सालों से कर रहे हैं। इस फार्मूले को वे चोरी छुपे अपने लिंग में लगा लेते हैं और फिर सूखने के बाद समागम में भाग लेते हैं। यह बात उनकी पत्नी को भी नहीं पता थी।


 सारे मामले को गोपनीय रखा था उन्होंने। उन्हें यह नुस्खा एक वैद्य से मिला था और उनका दावा था कि यह बहुत अधिक प्रभावी है। 


मैंने संबंधित चिकित्सक से कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि लिंग में लगातार मरकरी युक्त लेप लगाने से संभवत: लिंग की त्वचा से इसका धीरे-धीरे अवशोषण होता रहा और शरीर के विभिन्न हिस्सों में यह जहरीला मरकरी एकत्रित होता रहा। 


इससे धीरे-धीरे शरीर के सारे अंग काम करना बंद करने लगे। पहले शरीर ने कोशिश की होगी कि इस जहर को वह अपनी प्रणाली की सहायता से शरीर से बाहर करें। 


यदि ये सज्जन अधिक मात्रा में पानी पीते रहते तो शायद इनकी हालत इतनी बुरी नहीं होती जितनी कि अभी हो गई है। 


थोड़ी मात्रा में मरकरी शरीर में से निकाल दिया जाता है पर लंबे समय तक मरकरी यदि त्वचा के माध्यम से अवशोषित होता है तो स्थिति बहुत बिगड़ जाती है। 


मरकरी के सभी कंपाउंड त्वचा के द्वारा शोषित नहीं किए जाते हैं। इनके वैद्य से मिलने से यह पता चल सकता है कि उन्होंने मरकरी को किस रूप में और किस विधि से इस नुस्खे में डाला था और उन्होंने जिन असंख्य लोगों को यह नुस्खा दिया था क्या सभी में इसी प्रकार के लक्षण आ रहे हैं?


 जब उन वैद्य की पतासाजी की गई तो पता चला कि उन्हें गुजरे हुए कई साल हो चुके हैं। इसका अर्थ था कि अब इस बात का पता चलना बहुत मुश्किल था कि मरकरी को किस रूप में इस नुस्खे में प्रयोग किया गया था। 


मैंने संबंधित चिकित्सक से कहा कि वे मरकरी से भरे हुए इस मानव शरीर की चिकित्सा करने के लिए सबसे पहले शरीर से जहर को पूरी तरह से साफ करें और शरीर को शुद्ध करें। 


संबंधित चिकित्सक ने कहा कि ऐसा कोई उपाय उनके पास नहीं है। उन्होंने मुझसे मदद की उम्मीद की। 


मैंने उन्हें बताया कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में 10000 से भी अधिक ऐसे नुस्खे हैं जिनका प्रयोग मरकरी की विषाक्तता को दूर करने के लिए किया जाता है पर मुझे शक है कि ये नुस्खे इस बुरी स्थिति में किसी भी तरह से इन सज्जन की सहायता कर पाएंगे।


 मेरे संपर्क में बहुत से ऐसे बुजुर्ग पारंपरिक चिकित्सक हैं जिन्होंने ऐसे मामलों को करीब से देखा है और उनकी चिकित्सा की है। 


आप कुछ समय इंतजार करें। मैं उन पारंपरिक चिकित्सकों से मिलने की कोशिश करता हूँ और उन्हें इस केस के बारे में विस्तार से बताता हूँ।


 एक हफ्ते बाद मैंने संबंधित चिकित्सक को बताया कि सभी पारंपरिक चिकित्सकों ने कहा है कि अब वापसी की राह बहुत कठिन है। उन्होंने कुछ नुस्खे सुझाए हैं। 


यदि आप चाहें तो इनका प्रयोग इन सज्जन पर कर सकते हैं पर बहुत जल्दी बहुत अधिक सुधार की उम्मीद करना बेकार है। 


संबंधित चिकित्सक ने धन्यवाद दिया और इन नुस्खों का प्रयोग करना आरंभ किया। 


हम उम्मीद कर रहे हैं कि देर सबेर ही सही इससे उन सज्जन की हालत में धीरे-धीरे सुधार अवश्य होगा। 


सर्वाधिकार सुरक्षित


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