Consultation in Corona Period-108

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"क्या आप मेरे लिए गोरोचन का प्रबंध कर सकेंगे?


 हमारे वैद्य ने कहा है कि यदि गोरोचन उन्हें मिल जाए तो वे मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान कर सकते हैं। 


मेरा अंधापन पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। मैं बहुत लंबे समय से गोरोचन की तलाश में भटक रहा हूँ। 


मुझे किसी ने बताया कि आपने गोरोचन के विषय में गहनता से शोध किया है और उसके बारे में बहुत कुछ लिखा है। 


आपके ऐसे ही एक लेख को पढ़ने के बाद मैंने आपसे मिलने का मन बनाया और आप से समय लेकर रायपुर चला आया।


 आपने लिखा है कि जिस गाय में गोरोचन होता है वह पानी में आधे डूब कर पानी पीती है। और भी तरह-तरह के लक्षण आपने बताएं हैं।


 आप मुझे गोरोचन कितने रुपए में देंगे? यदि इसकी कीमत अधिक होगी तो भी मैं देने को तैयार हूँ क्योंकि अब यह मेरे लिए अंतिम विकल्प के रूप में उपलब्ध है। 


मैंने दुनिया भर के चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लिया पर मेरी आंखों का अंधापन किसी भी तरह से बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ।


 यह अंधापन पिछले 1 साल से मुझे है। मुझे डायबिटीज की समस्या नहीं है और न ही थायराइड और ब्लड प्रेशर की। 


मेरी उम्र भी अधिक नहीं है। इस साल मैं 35 वर्ष का हो जाऊंगा।


 मुझे कोई बड़ी बीमारी नहीं है और खानपान में भी किसी प्रकार की कमी नहीं है। फिर भी अचानक से आंखों की रोशनी का कम होते जाना आश्चर्य का विषय है। 


मैं ब्रह्मचारी हूँ और पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करता हूँ। शराब, मांस और तंबाकू से पूरी तरह से दूर रहता हूँ। सुबह शाम बिना किसी बाधा के बिना किसी अंतराल के मैं यज्ञ करता हूँ। 


उसके बाद मैं प्राणायाम करता हूँ और तरह-तरह की हस्त मुद्राओं का प्रयोग करता हूँ। 


उसके बाद भी मेरी आंखों में ऐसी समस्या क्यों हो रही है यह समझ से परे है। मैं किसी भी तरह की आयुर्वेदिक दवा नहीं ले रहा हूँ और न ही किसी प्रकार की घरेलू औषधि। 


आप बार-बार अपने लेखों में लिखते हैं कि इन औषधियों की आपस में प्रतिक्रिया होने के कारण भी कई तरह के लक्षण आते हैं जिनमें आंखों का अंधापन भी एक है। 


और क्योंकि मैं दवाईयाँ नहीं ले रहा हूँ तो इस तरह के ड्रग इंटरेक्शन होने का सवाल ही नहीं है।


महाराष्ट्र के एक वैद्य ने कहा कि गोरोचन से मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो सकता है पर गोरोचन का मिलना बहुत मुश्किल है। कोई जानकार इसे आपको दिला पाएंगे।"


 गुजरात से आए एक सज्जन ने अपनी समस्या मेरे सामने रखी। 


मैंने उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन करता हूँ न कि इस तरह की सामग्रियों को बेचता हूँ। 


मेरे लेखों को पढ़कर पाठकों में अक्सर यह गलतफहमी हो जाती है कि मैं किसी तरह का जड़ी-बूटी आपूर्तिकर्ता हूँ और वे मुझे लिखने लग जाते हैं कि मुझे फलाना बूटी चाहिए और साथ में अपना पता दे देते हैं। 


इस उम्मीद में कि मैं उन्हें इन सब जड़ी बूटियों को एकत्र करके भेज दूंगा पर यह किसी भी तरह से संभव नहीं होता क्योंकि मैंने केवल इन जड़ी बूटियों के बारे में लिखा है और इन्हें बेचने का काम नहीं करता हूँ। 


हां अगर वे मुझसे परामर्श लें तो मैं उन्हें बता सकता हूँ कि किन स्रोतों से ये जड़ी बूटियां मिल सकती हैं। 


मैंने जिन पारंपरिक चिकित्सकों से गोरोचन के बारे में जानकारी एकत्र की थी उन पारंपरिक चिकित्सकों का पता मैंने उन सज्जन को दे दिया और कहा कि वे उनसे सीधे संपर्क करें और पता करें कि क्या उनके पास गोरोचन उपलब्ध है या नहीं?


उन्होंने धन्यवाद दिया और वे उन पारंपरिक चिकित्सकों से मिलने चले गए। 


1 वर्ष के बाद उन्होंने फिर से संपर्क किया कि उन्हें असली गोरोचन तो नहीं मिला और उनकी समस्या अभी तक वैसी ही की वैसी है।


 इस बार वे इसलिए आए थे कि वे मुझसे सीधे परामर्श चाहते थे उनकी समस्या के बारे में। मैंने कहा कि मैं उनकी मदद करूंगा। 


मैंने उनसे विस्तार से उनके खान पान के बारे में जानकारी मांगी और उसके बाद मेरा ध्यान उनकी दिनचर्या पर गया। 


भले ही वे कह रहे थे कि वे किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग नहीं करते हैं पर जब उनसे गहनता से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि वे कई तरह के अवलेह का प्रयोग कर रहे हैं। चूर्ण का प्रयोग कर भी रहे हैं। 


मैंने इन दवाओं के सैंपल मंगवाए हैं और उनकी स्थानीय लैब में जांच कराई पर उनमें किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया। ऐसा दोष जो कि आंखों की रोशनी को पूरी तरह से छीन ले। 


जब भोजन सामग्रियों और दवाओं को हरी झंडी मिल गई तब मेरा ध्यान उनके द्वारा किए जा रहे प्राणायाम और योगासनों पर गया। 


मैंने पाया कि वे सभी प्राणायाम और योगासन अच्छे तरीके से कर रहे हैं और उसमें किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं है।


 मैंने उनके द्वारा की जा रही हस्त मुद्राओं के बारे में भी ध्यान दिया और पाया कि वे भी पूरी तरह से दोषमुक्त हैं। उनका जीवन इतना अधिक सादा था कि उन्हें इस तरह की समस्या होगी यह कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता था। 


क्योंकि वे ब्रह्मचारी थे इसलिए अकेले रहते थे और अकेले रहते हुए अंधेपन से जूझना एक बहुत बड़ी समस्या है। उनके एक शिष्य ने उनकी लाठी बनने का निश्चय किया था पर उन्हें मालूम था कि यह शिष्य भी ज्यादा दिन तक उनके पास नहीं टिकेगा। 


उनकी आंखों की रोशनी लगभग समाप्त हो चुकी थी। उन्हें इस बात का आभास होता था कि कोई दूर से आ रहा है पर कौन आ रहा है वे ये नहीं पहचान पाते थे। 


उनके चिकित्सकों ने बताया था कि यह अनुवांशिक कारण से हो रहा है और इसकी कोई चिकित्सा नहीं है। 


उन्होंने कई प्रकार के विटामिन दिए थे और आंखों में डालने वाली औषधीयां भी पर उनसे किसी भी तरह का लाभ नहीं हो रहा था। 


चिकित्सकों ने आशंका जताई थी कि धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।


 अपने आपको इतना असमर्थ पाकर वे सज्जन बहुत अधिक दुखी थे। फिर भी उन्हें ईश्वर पर विश्वास था और उनका कहना था कि देर सबेर उनकी रोशनी फिर से वापस आएगी और एक बार फिर से संसार को देख सकेंगे।


 अंत में मेरा ध्यान उनके द्वारा किए जा रहे यज्ञ के ऊपर गया। मैंने हवन सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी।


 उन्होंने बताया कि जब भी वे हर साल गंगोत्री की यात्रा में जाते हैं तो रास्ते में एक बाबा मिलते हैं जो कि हवन सामग्री देते हैं। 


यह हवन सामग्री हिमालय की जड़ी बूटियों से तैयार होती है और पूरी तरह से शुद्ध होती है।


 उन्होंने खुलासा किया है कि उन्होंने जब से हवन शुरू किया है तब से एक बार भी बीमार नहीं पड़े हैं। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक बढ़ गई है। 


1 साल में एक बार जाकर वे बड़ी मात्रा में हवन सामग्री ले आते हैं फिर उसका प्रयोग साल भर करते हैं।


 मैंने उनसे पूछा कि इस हवन सामग्री में ऐसा क्या खास बात है जो कि मैदानों में मिलने वाली हवन सामग्री में नहीं होती है। 


तो उन्होंने कहा कि बाबा हवन सामग्री में विशल्या कर्णी नामक एक विशेष बूटी डालते हैं। यह बूटी संजीवनी बूटी के समान है जिसका वर्णन रामायण में किया गया था।


 इस बूटी के कारण यह हवन सामग्री बहुत अधिक महंगी हो जाती है पर इसके गुण भी कई गुना बढ़ जाते हैं। 


विशल्या कर्णी नामक बूटी का नाम सुनकर मैंने इस हवन सामग्री में रुचि लेना शुरू किया। मैंने इस बूटी के बारे में बहुत विस्तार से शोध किया है और यदि आप इंटरनेट पर विशल्या कर्णी खोजेंगे तो आपको मेरी ढेरों शोध सामग्रियां दिखेंगी। 


यह सच है कि यह बूटी संजीवनी बूटी के समान है पर मैंने कभी भी कहीं भी नहीं सुना और न ही पढा कि इसका प्रयोग हवन सामग्री के रूप में किया जाता है। 


मैंने जब अपने डेटाबेस को खंगाला तो मुझे पता चला कि उत्तर भारत के कुछ दक्ष पारंपरिक चिकित्सक कैंसर की जब चिकित्सा करते हैं तब इस बूटी का प्रयोग हवन के रूप में करते हैं और जब इस बूटी का प्रयोग किया जाता है तो आंतरिक तौर पर एक दूसरी बूटी दी जाती है ताकि इस बूटी के हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सके। या पूरी तरह से समाप्त किया जा सके।


 मैंने उन सज्जन से कहा कि क्या मेरा संपर्क उन बाबा से हो सकेगा ताकि मैं हवन सामग्री के बारे में उनसे पूरी जानकारी ले सकूं। 


उन सज्जन ने बाबा का मोबाइल नंबर मुझे दिया। मैंने उनसे बात की और उनसे अनुरोध किया है कि यदि संभव हो तो वे विशल्या कर्णी की एक फोटो मुझे व्हाट्सएप करें ताकि मैं उसकी जांच कर सकूं।


 वे इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने तुरंत ही उसकी फोटो मुझे भेज दी। मैंने जब उसकी जांच की तो पता चला कि यह असली नहीं बल्कि वह विशल्या कर्णी थी जिसे फर्जी नाम से इंटरनेट पर बेचा जाता है।


 बाबा को भी इस बारे में पूरी जानकारी नहीं थी। वे जिस बूटी का प्रयोग विशल्या कर्णी के नाम पर हवन सामग्री में कर रहे थे वह बहुत ही नुकसानदायक बूटी थी।


 जब मैंने इस बूटी को स्थानीय पारंपरिक चिकित्सकों को दिखाया और यह भी बताया कि हवन सामग्री के रूप में इसका प्रयोग किया जा रहा है तो वे बहुत नाराज हुए और उन्होंने कहा कि इससे आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। 


कोई बेवकूफ भी इसका प्रयोग हवन सामग्री के रूप में नहीं कर सकता। अब सब कुछ स्पष्ट हो चुका था।


 मैंने उन सज्जन को पूरी बात बताई और कहा कि आप तुरंत ही इस हवन सामग्री का प्रयोग करना बंद करें और फिर मुझे 1 महीने बाद बताएं कि क्या आप की आंखों की रोशनी वापस लौट रही है? 


उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हुआ पर जब उन्होंने इसे आजमाया तो उनकी रोशनी में धीरे-धीरे ही सही पर सुधार होना शुरू हो गया।


 सकारात्मक परिणाम देखकर उन्होंने दृढ़ता पूर्वक इस सामग्री का उपयोग न करने का निश्चय किया और इस प्रयोग को पूरी तरह से बंद कर दिया। 


कुछ महीनों बाद जब उन्हें सब कुछ साफ साफ दिखाई देने लगा तब उन्होंने मुझसे कहा कि हमें बाबा को इस बारे में विस्तार से बताना चाहिए। भले ही वे नाराज हो पर वे इस हवन सामग्री को हजारों लोगों को देते हैं।


 न जाने कितने लोगों की आंखें इस हवन सामग्री के कारण खराब हो रही होंगी और लोगों को इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं होगा कि दिव्य गुणों वाली हवन सामग्री के कारण यह हो रहा है।


 जब हमने बाबा से संपर्क किया तो उन्होंने अपना सिर पकड़ लिया। वे नाराज बिल्कुल नहीं हुए और अपनी गलती पर पछताने लगे। 


इसके बाद उन्होंने उन लोगों की खोज शुरू की जिन्हें वे हर साल इस हवन सामग्री को देते रहे हैं। 1 महीने में ही 100 से अधिक ऐसे मामले मिले जिनमें हवन सामग्री का उपयोग करने वाले लोगों की आंखें प्रभावित हो रही थी। 


बाबा ने सबसे संपर्क किया और जरूरत पड़ने पर उनके घर भी गए और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। 


बाबा ने अपनी मजबूरी बताई कि वे यदि आजीवन भी घूमते रहे तो भी उन लोगों के पास शायद ही पहुंच पाए जो कि देश-विदेश से आकर उनसे हवन सामग्री लेते रहे। 


उन्होंने अनुरोध किया कि मैं इस गलत हवन सामग्री और पूरे मामले के बारे में उनका नाम लिखते हुए पूरी दुनिया से अनुरोध करूं कि वे अगर इस हवन सामग्री का उपयोग कर रहे हैं तो तुरंत ही इस प्रक्रिया को रोक दें। 


मैंने अपने लेखों के माध्यम से इस बारे में बहुत कुछ लिखा। इसी दिशा में प्रस्तुत केस रिपोर्ट भी एक छोटा सा प्रयास है। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

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