Consultation in Corona Period-113

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"कोविड के लिए उपयोगी हम जिस हर्बल चाय पर क्लिनिकल ट्रायल्स पिछले कुछ महीनों से कर रहे थे उसमें अब हमें सफलता मिलने लगी है और यह ट्रायल अब अंतिम अवस्था में है पर इसमें कुछ तकनीकी समस्या हो रही है जिसके लिए परामर्श के लिए हमने आपसे समय मांगा है।" 


यूरोप की एक अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल कंपनी के डायरेक्टर मुझसे फोन पर बात कर रहे थे। 


वे पिछले 20 वर्षों से केवल हर्बल टी पर प्रयोग कर रहे हैं विशेषकर भारतीय हर्बल टी पर।


 वे मुझसे पिछले 20 वर्षों से संपर्क में हैं और उन्होंने मुझसे 18 से अधिक प्रकार की हर्बल टी के बारे में जानकारी प्राप्त की है और लंबे समय से हम इन हर्बल टी को कारगर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। 


उनके पास वैज्ञानिकों की एक बहुत बड़ी टीम है जो कि दिन-रात इन हर्बल टी को विभिन्न रोगों की चिकित्सा में कारगर बनाने में जुटी हुई है। 


वैसे तो वे दुनियाभर की जड़ी बूटियों का प्रयोग हर्बल टी बनाने के लिए करते हैं पर उनका मुख्य फोकस भारतीय जड़ी बूटियों पर है क्योंकि कंपनी के डायरेक्टर खुद ही भारतीय हैं और उन्हें मालूम है कि भारतीय जड़ी बूटियां क्या-क्या कमाल कर सकती हैं। 


उनकी हर्बल टी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये हर्बल टी बाजार में खुलेआम नहीं बिकती हैं बल्कि केवल दक्ष चिकित्सकों के अनुमोदन पर ही मिलती है। 


उन्होंने वात, पित्त और कफ के आधार पर हर्बल टी का निर्माण किया और उनका अनुसंधान बताता है कि वे हर्बल टी की सहायता से 110 से भी अधिक किस्म के रोगों की चिकित्सा कर सकते हैं। इसके लिए व्यक्ति को दूसरी तरह की दवाओं की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। 


उनकी हर्बल टी इतनी अधिक सुरक्षित है कि छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी इनका बेधड़क प्रयोग कर सकती है। 


हर्बल टी में प्रयोग किए जाने वाले सभी घटकों की खेती में अपने फार्म में करते हैं ताकि किसी भी प्रकार की मिलावट की आशंका न रहे और गहन निगरानी में ही उत्तम गुणवत्ता के घटक तैयार हो सके। 


मुझे याद आता है कि कुछ वर्षों पहले जब उन्होंने बच की खेती यूरोप में शुरू की थी तो मैंने उनसे कहा था कि बेहतर होगा कि आप भारत में इसकी खेती करें विशेषकर कोलकाता के आसपास तो आपको उच्च गुणवत्ता की बच मिलेगी। 


उन्होंने मेरी बात को अनसुना नहीं किया और अगले साल से ही उन्होंने भारत में इसकी बड़े पैमाने पर खेती शुरू कर दी। यह उनके लिए एक चुनौती थी पर उन्होंने इस चुनौती को सफलतापूर्वक पूरा कर दिखाया। 


इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें अच्छी क्वालिटी की बच मिलने लगी और इससे उनकी हर्बल टी कई गुना अधिक प्रभावी हो गई। 


जनवरी में जब चीन में कोरोना का कहर शुरू हुआ तो उन्होंने सोचा कि उनके पास जो 18 किस्म की हर्बल टी पड़ी हुई है। क्यों न उन्हें कोरोना के विरुद्ध आजमाया जाए। 


आनन-फानन में उन्होंने वैज्ञानिकों की एक टीम तैयार की और इस पर क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिलते ही काम करना शुरू किया। कुछ ही महीनों में उन्हें अच्छे परिणाम दिखने लगे। 


उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर के सहारे पड़े हुए कोरोना के रोगियों के लिए यह हर्बल टी अमृत के समान है। यह एक ऐसी अवस्था है जिस समय उपलब्ध दवायें ठीक से काम नहीं करती है और असमय ही रोगी मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। 


अगर इस अवस्था के लिए कोई दवा मिलती है और वह भी हर्बल टी के रूप में तो यह किसी वरदान से कम नहीं होगा। 


मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी और बताया है कि स्पेन में हम लोग जिन वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं उसमें भी जिन दवाओं में सफलता मिली है वे वेंटिलेटर में जी रहे रोगियों के लिए ही है। 


उन्होंने बटौआ कि 18 में से एक किस्म की हर्बल टी बहुत अधिक उपयोगी पाई गई पर उसमें एक विशेष तरह की समस्या आ रही थी। जब कुछ रोगियों पर इसका प्रयोग किया जा रहा था तो उन्हें कब्जियत की शिकायत हो रही थी।


 उन्होंने आगे बताया कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर जब इसका प्रयोग किया गया तो यह शिकायत बहुत अधिक देखी गई। उन्होंने कहा कि यह इस चाय का बहुत बड़ा दोष नहीं है। फिर भी इसे दूर करना जरूरी है।


हमने चाय में कुछ और घटक मिलाए ताकि यह दोष दूर हो सके और यह भी जानने की कोशिश की कि यह दोष क्यों आ रहा है पर हमारे वैज्ञानिक किसी भी तरह के निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके इसलिए हम सब ने यह निर्णय लिया कि उन्हीं वैज्ञानिक से सलाह ली जाए जिन्होंने इस हर्बल टी को बनाया है अर्थात आप से सलाह ली जाए। 


मैंने डायरेक्टर साहब से कहा कि आपने मूल नुस्खे में जो परिवर्तन किए हैं उसके बारे में मुझे विस्तार से बताएं और फार्मूले की पूरी जानकारी भेजें। 


यह भी बताएं कि उस फार्मूले में जिन घटकों का प्रयोग किया जा रहा है उन्हें आप कहां से एकत्रित कर रहे हैं और अगर उनकी खेती कर रहे हैं तो किस प्रकार से खेती कर रहे हैं?


मेरे कहने भर की देर थी उन्होंने सारी रिपोर्ट तुरंत ही भेज दी और जब मैंने सारी रिपोर्ट का अध्ययन किया तो मुझे मुख्य घटक के रूप में प्रयोग की जा रही तुलसी के ऊपर शक हुआ।


 जब मैंने यह जानने की कोशिश की कि वे तुलसी की खेती किस देश में कर रहे हैं और किस प्रकार कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि वे तुलसी की खेती भारत में कर रहे हैं विशेषकर उत्तर भारत में और यह खेती पूरी तरह से जैविक खेती है जिसमें वैदिक विधियों का प्रयोग किया जा रहा है।


 जब मैंने उनसे खेती का वीडियो भेजने को कहा तो समस्या का समाधान होता नजर आया।


 वीडियो में मैंने देखा कि उत्तर भारत में वे तुलसी की खेती मिश्रित खेती के रूप में कर रहे हैं और उन्होंने इसकी खेती कस्तूरी भिंडी नामक औषधीय फसल के साथ की है।


 मैंने इस विषय पर बहुत सारे शोध पत्र प्रकाशित किए हैं कि कस्तूरी भिंडी के साथ मिश्रित खेती में दूसरी फसल लेने के समय बहुत अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। दूसरी फसल लेने से भले ही उपज में कमी नहीं आती है पर दूसरी फसलों में दोष उत्पन्न हो जाते हैं जोकि फॉर्मूलेशन में गड़बड़ी पैदा करते हैं।


 ऐसा ही यहां हो रहा था। कस्तूरी भिंडी के साथ तुलसी की खेती बहुत सोच समझकर की जाती है और कोशिश की जाती है कि इस तरह की मिश्रित खेती न की जाए। 


तुलसी का कस्तूरी भिंडी पर अधिक असर नहीं पड़ता है। कस्तूरी भिंडी के प्रयोग से उसके रसायन तुलसी की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित करते हैं जिससे तुलसी को जब किसी फार्मूलेशन में प्रयोग किया जाता है तो उसकी देशी और विदेशी दवाओं से विपरीत प्रतिक्रिया होने लग जाती है। 


यही उनके द्वारा तैयार की गई हर्बल टी में हो रहा था। मैंने उन्हें सलाह दी कि वे दूसरे खेतों से तुलसी एकत्र करें। फिर उसका प्रयोग अपनी हर्बल टी में करें और फिर मुझे बताएं कि क्या इससे किसी तरह का फर्क पड़ा? 


जब उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें बहुत अधिक फर्क नजर आया और हर्बल टी का यह एक महत्वपूर्ण दोष पूरी तरह से खत्म हो गया यानी हर्बल टी का प्रयोग करने से किसी भी उम्र के लोगों को कब्जियत की शिकायत नहीं होने लगी।


 उन्हें समाधान मिल गया था। उन्होंने आश्वस्त किया कि वे अगली बार से तुलसी की खेती अकेली फसल के रूप में करेंगे न कि मिश्रित खेती के रूप में। 


कस्तूरी भिंडी के साथ तो भूल कर भी तुलसी की खेती नहीं करेंगे और इस बात का ध्यान रखेंगे कि कस्तूरी भिंडी को भी अकेली फसल के रूप में लगाया जाए न कि उसके साथ दूसरी फसलों को लगाया जाए। 


उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि जैसे ही हमारा प्रोडक्ट लॉन्च होगा तो हम आपको यूरोप आमंत्रित करेंगे ताकि आप अपनी मेहनत को सफल होते अपनी आंखों से देख सकें।


 मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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