Consultation in Corona Period-101
Consultation in Corona Period-101
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"आप तो जानते ही हैं हमारे पिताजी की उम्र 70 वर्ष है और उन्हें पिछले कई वर्षों से किडनी की समस्या है।
इसीके लिए हमने आपसे संपर्क किया है। इस साल के मार्च और अप्रैल से उनकी समस्या बहुत उग्र होती जा रही है और अब डॉक्टर कह रहे हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
हम किडनी ट्रांसप्लांट नहीं कराना चाहते हैं। हम सारे प्रयास कर रहे हैं ताकि इसकी जरूरत न हो और उनकी जान बची रहे क्योंकि इस उम्र में किडनी ट्रांसप्लांट करने से बहुत सारी दिक्कतें हो सकती हैं और डॉक्टर कहते हैं कि उनकी जान पर भी बन आ सकती है।
इस कोरोना काल में यह और दिक्कत वाली बात है। हमने आपके आने जाने की व्यवस्था कर दी है और आपकी फीस भी जमा कर दी है।
आपको जब भी अवसर मिले तो आप सूचना देकर हमारे घर पधारें और पिताजी की हालत को देखकर सुझाव दें कि कैसे किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है और कैसे वे इस खराब किडनी के साथ लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं बिना किसी स्वास्थ समस्याओं के।"
भारत की एक जानी-मानी फार्मा कंपनी के मालिक ने मुझे संदेश भेजा तो मैंने उनसे कहा कि मैं जल्दी ही आपके घर आऊंगा और यात्रा का प्रबंध होते ही आपको पूरी सूचनाएं दूंगा।
फार्मा कंपनी के मालिक मेरी पुरानी जान पहचान के हैं और 1996 से मेरी सेवाएं ले रहे हैं। मैंने उनके परिवार के बहुत सारे लोगों को पारंपरिक चिकित्सा की मदद से राहत पहुंचाई है और इस कारण हमारे घर जैसे संबंध हो गए हैं।
उनकी यह आदत है कि वे हर समस्या के लिए दुनिया भर के चिकित्सकों से संपर्क करते हैं और उन सबकी राय एकत्र करने के बाद निर्णय लेते हैं कि उन्हें आगे क्या करना है।
यदि दो चिकित्सकों में आपस में मतभेद होते हैं तो वे उनकी सीधी मुलाकात करा देते हैं और उनके बीच चुपचाप बैठ कर उनकी बातें सुनते रहते हैं और उसी आधार पर निर्णय लेते रहते हैं।
मैंने उनसे कहा कि मुझे यह बताएं कि उनके पिताजी कौन-कौन सी दवाईयाँ ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उनके पिताजी को किसी प्रकार का दूसरा रोग नहीं है इसलिए बलवर्धक के रूप में वे अकरकरा के एक नुस्खे का प्रयोग कर रहे हैं।
इस नुस्खे का प्रयोग वे एक वैद्य के मार्गदर्शन में कर रहे हैं जो कि उनकी कंपनी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना का संक्रमण शुरू होने के बाद वैद्यों और दूसरे चिकित्सकों ने उन्हें बहुत सारे काढ़े और जड़ी बूटियों के प्रयोग की सलाह दी ताकि वे इस खतरनाक वायरस से पूरी तरह से बचे रहें। वे इन काढ़ो और जड़ी बूटियों का प्रयोग नियमित रूप से कर रहे हैं।
मैंने उनसे कहा कि आप इन काढ़ो और जड़ी बूटियों के बारे में विस्तार से जितनी जानकारी हो सकती है मुझे भेजें और यदि संभव हो तो इन सभी के नमूने मेरे पास भेज दें ताकि मैं स्थानीय प्रयोगशाला में उनकी जांच करा सकूं और यह सुनिश्चित कर सकूं कि कहीं उनकी किडनी की समस्या इन नुस्खों के कारण तो नहीं हो रही है।
जब उन्होंने सारी जानकारी भेजी और नमूने भेजे तो उनकी जांच के बाद पता चला कि उन सभी में एक वनस्पति समान है और वह वनस्पति है गिलोय।
सभी दवाओं के माध्यम से वे गिलोय का प्रयोग कर रहे थे और इस तरह सभी दवाओं में गिलोय की उपस्थिति होने के कारण उसकी मात्रा बहुत अधिक हो गई थी।
मैंने इस बात की ओर उनका ध्यान दिलाया और कहा कि गिलोय का निश्चित मात्रा में ही प्रयोग किया जाना चाहिए। बहुत अधिक मात्रा में गिलोय का प्रयोग करने से विशेषकर अधिक उम्र के लोगों में कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं।
इनमें किडनी की समस्या भी एक है। आप कोशिश करें कि आपके पिताजी कम से कम मात्रा में गिलोय का प्रयोग करें और यदि आवश्यक न हो तो इसका प्रयोग न करें क्योंकि गिलोय का प्रयोग करने से पहले शरीर का पूरी तरह से शुद्ध होना जरूरी है तभी गिलोय पूरी तरह से असर दिखाती है अन्यथा स्रोतों के अवरुद्ध होने से कई बार गिलोय का प्रभाव उल्टा भी हो जाता है।
उन्होंने मेरी बात मानी और उनको दिए जाने वाले नुस्खों में गिलोय की मात्रा को बहुत कम कर दिया पर इससे उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। हां, केवल कुछ लक्षण कम हो गए।
उनके शरीर में जो लाल रंग के चकत्ते हो रहे थे वे पूरी तरह से ठीक हो गए। किडनी के कार्यकलाप में थोड़ा बहुत सुधार हुआ पर यह बहुत अधिक नहीं था।
मैंने उनसे पूछा कि वे बलवर्धक के रूप में अकरकरा का प्रयोग कर रहे हैं, क्या वह असली अकरकरा है तो उन्होंने कहा कि हां, यह असली अकरकरा है जिसे उन्होंने अरब देशों से मंगाया है और इसे वे अपने फार्म में उगाते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि अकरकरा का प्रयोग वे अपने प्रसिद्ध नुस्खों में करते हैं जो कि दिमाग के रोगों की चिकित्सा में अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल होते हैं।
इन नुस्खों की बहुत मांग है इसलिए अरब से लगातार अकरकरा मंगाने की बजाय उन्होंने खुद इसकी खेती करनी शुरू की और अब एक बड़े क्षेत्र में इसकी खेती कर रहे हैं।
मैंने उनसे पूछा कि क्या वे नारायणी मूसली का प्रयोग अकरकरा की खेती में करते हैं तो उन्होंने कहा कि हां, उन्होंने कुछ क्षेत्र में नारायणी मूसली को भी लगा कर रखा है और इसका सत्व निकालकर वे अकरकरा की विभिन्न वानस्पतिक अवस्था में प्रयोग करते हैं। इससे अकरकरा दिमागी रोगों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद हो जाता है।
मैंने उनसे कहा कि वे इस अकरकरा का प्रयोग अपने पिताजी के ऊपर न करें बल्कि उस अकरकरा का उपयोग करें जिसमें नारायणी मूसली का सत्व नहीं डाला जाता है।
यह बात उनके लिए आश्चर्यजनक थी पर वे मेरी बात मानने के लिए तैयार हो गए।
कुछ समय बाद उन्होंने बताया कि अब उनके पिताजी की हालत में सुधार हो रहा है। उनकी जांच रिपोर्ट बता रही है कि अब किडनी फिर से ठीक से काम कर रही है।
समस्या का पूरी तरह से समाधान होने के बाद उन्होंने पूछा कि क्या नारायणी मूसली के कारण यह समस्या हो रही थी तो मैंने कहा कि नारायणी मूसली के कारण समस्या नहीं हो रही थी।
दरअसल आपने नारायणी मूसली के प्रयोग से जो अकरकरा तैयार की थी उसकी गिलोय के साथ में विपरीत प्रतिक्रिया हो रही थी।
अक्सर ऐसा होता है। नारायणी मूसली की सहायता से तैयार किए गए अकरकरा की बहुत सारी अंग्रेजी दवाओं के साथ भी विपरीत प्रतिक्रिया होती है और कैंसर जैसे रोगों को बढ़ावा मिलता है। इस विषय में मैंने गहनता से शोध किया है और इससे संबंधित पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया है।
मैंने उन्हें सलाह दी कि वे बाजार में इस नारायणी मूसली से समृद्ध अकरकरा को बेचने से बचें।
इस कोरोना काल में जबकि पूरा देश गिलोय का प्रयोग कर रहा है मनमानी मात्रा में तब इस तरह के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं।
किडनी की समस्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है और अधिकतर चिकित्सक मानते हैं कि यह कोरोना के कारण हो रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि यह गिलोय के साथ दूसरी वनस्पतियों की होने वाली विपरीत प्रतिक्रिया के कारण हो रहा है।
इस बारे में आधुनिक विज्ञान बहुत कम जानता है। पारंपरिक विज्ञान इस बारे में बहुत अधिक जानकारी रखता है पर ये जानकारी दस्तावेज के रूप में कम ही उपलब्ध है इसलिए लोग बेकार ही नेगेटिव ड्रग इंटरेक्शन का शिकार हो रहे हैं और उन्हें नाना प्रकार की समस्याएं हो रही है।
यह उनके लिए नई जानकारी थी।
उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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