Consultation in Corona Period-104

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मुझे बार-बार यह लगता है कि जैसे पीछे से कोई मुझे देख रहा है। 


कोई मेरा लगातार पीछा कर रहा है पर जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ तो मुझे कोई नहीं दिखाई देता है। जो मेरा पीछा कर रहा है वह रात को मुझे ठीक से सोने भी नहीं देता।


 सपने में भी वह मेरा पीछा करता है और मैं हड़बड़ा कर उठ बैठती हूँ। अपने कमरे की लाइट जला कर हर कोने में देखती हूँ पर वहां कोई भी नहीं दिखाई देता है।" 


एक 16 वर्षीय बालिका मुझे अपनी समस्या के बारे में बता रही थी। उसने कहा कि उसे पिछले दो सालों से इस तरह की समस्या हो रही है और उसके मां-बाप नहीं चाहते थे कि वह अपने बूते पर किसी भी जानकार से मिले इसलिए वह लुक छुप कर अपने भाई के साथ मुझसे मिलने आई है। 


मैंने उससे कहा कि मैं उसकी मदद करूंगा पर पहले यह बताओ कि अगर तुम्हारे मां बाप ने परामर्श के लिए समय नहीं लिया तो मेरी फीस किसने दी? 


उस बालिका ने कहा कि अपनी छात्रवृत्ति और बचत से मैंने आपकी फीस दी है। इस उम्मीद में कि आप मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान कर देंगे।


 मुझे यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ। मैंने बिना किसी देरी के उसकी फीस के पैसे वापस कर दिए और फिर उससे कहा कि वह विस्तार से बताये कि उसकी समस्या की शुरुआत कैसे हुई? 


उसने बताया कि उसे पढ़ने का बहुत शौक है और अपनी कक्षा में वह हमेशा अव्वल रहती है पर उसके माता-पिता यह नहीं चाहते हैं कि वह बहुत अधिक पढ़ाई करे। 


वे जल्दी से उसकी शादी कर देना चाहते हैं। उन्हें यह बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि मैं पढ़ाई लिखाई में ज्यादा ध्यान दूं और घर के कामों में कम। 


पिताजी तो एक बार समर्थन में आगे आ जाते हैं पर मां के प्रभाव से वे भी चुप हो जाते हैं। घर के लगातार दबाव से मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी और मेरी रातों की नींद गायब होने लगी। तब एक वैद्य से मेरी चिकित्सा शुरू की गई।



उन्होंने मुझे कई तरह की दवाएं दी जिन्हें कि रात को सोते समय दूध के साथ लेना होता था। उन दवाओं के प्रयोग से मेरी कमजोरी तो थोड़ी बहुत दूर हुई पर समस्या का मूल कारण तो घर का तनाव था इसलिए उन दवाओं को लगातार लेते रहने से भी किसी तरह का लाभ नहीं हुआ। 


उन दवाओं को मैं आज भी नियमित रूप से ले रही हूँ। 


उसके कुछ समय बाद मुझे विचित्र से लक्षण आने लगे जिसके बारे में मैंने आपको बताया है। पहले इस बारे में मैंने अपने अपनी सहेलियों को बताया फिर किसी तरह का समाधान जब नहीं मिला तब मैंने यह बात अपने माता पिता को बताई कि कोई मेरा पीछा करता है और मुझे ऐसा लगता है कि कोई मुझे पीछे से देख रहा है। 


माता-पिता मुझे एक मनोचिकित्सक के पास लेकर गए। उन्होंने ढेर सारी दवाएं दी और कहा कि वह इन दवाओं को वैद्य की दवाओं के साथ ले सकती है पर इन दवाओं को किसी भी हालत में बंद नहीं करना है। 


जैसे ही इन दवाओं को बंद किया जाएगा फिर से वैसी ही हालत हो जाएगी। बहुत सारी महंगी दवाओं को लेने के बाद मेरी समस्या का समाधान तो नहीं हुआ पर मुझे लगातार नींद आने लगी। 


इससे मेरा पाचन तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ। दिन में मैं 19 से 20 घंटे तक सोने लगी। इससे मेरा स्कूल प्रभावित होने लगा और 3 महीने में होने वाली परीक्षा में मैं फेल हो गई। इससे मुझे बहुत ज्यादा मानसिक आघात लगा।


 मेरा मन किसी भी तरह से पढ़ाई से उचटने लगा। आखिर एक दिन तंग आकर मैंने घरवालों को साफ-साफ कह दिया कि मैं अब आधुनिक दवाओं का प्रयोग बिल्कुल नहीं करूंगी। चाहे घरवाले कुछ भी कर लें। 


कई दिनों तक मेरे पिताजी प्रेम भरे शब्दों में समझाते रहे और अनुरोध करते रहे कि यह उसके मानसिक स्वास्थ के लिए बहुत जरूरी है पर इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए मैंने निर्णय लिया कि मैं अब इसका प्रयोग नहीं करूंगी।


 फिर मेरी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगा पर यह लक्षण कि कोई मुझे पीछे से देख रहा है, नहीं ठीक हुआ और मेरा डर लगातार बना रहा। 


मुझे रात देर तक जागता देखकर मेरी मां ने तांत्रिक का सहारा लेने का मन बनाया और मेरे कुछ रिश्तेदारों को साथ लेकर वह प्रसिद्ध तांत्रिक के पास पहुंची। 


तांत्रिक ने मुझे ऊपर से नीचे तक अजीब निगाहों से देखा और फिर उसने पास ही जल रहे कंडो की आग में कुछ सामग्रियां डाली। कड़वा धुआं निकलने लगा। 


धीरे-धीरे मेरी हालत खराब होने लगी। आंखें लाल हो गई, मुंह सूख गया और दिमाग घूमने लगा तब तांत्रिक ने मां और रिश्तेदारों को बुलाकर कहा कि इसके शरीर में आने वाले परिवर्तन किसी बाहरी शक्ति के कारण आ रहे हैं जो कि अब स्थाई रूप से इसके शरीर में रहती है।


 तांत्रिक ने सभी को इस बात के लिए आश्वस्त किया कि वह अपने जादू के प्रभाव से एक हफ्ते के अंदर इस समस्या का पूरी तरह से समाधान कर देगा पर इसके लिए उसे परिवारजनों की अनुमति की जरूरत है।


 मुझे उस तांत्रिक के आश्रम में चौबीसों घंटे एक हफ्ते तक रहना था। मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी पर घर वालों के दबाव से मैं वहां रुकने के लिए मजबूर हो गई। 


जैसे तैसे दिन गुजरा और रात को हमें आधी नींद से उठा दिया गया और कहा गया है कि तांत्रिक एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान कर रहे हैं। उसमें आश्रम की सभी लड़कियों को शामिल होना है। 


जब हम वहां पहुंचे तो तांत्रिक ने हमें बहुत ही गंदी निगाहों से देखा। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक जलता हुआ कंडा उठाया और उस तांत्रिक के मुंह पर दे मारा।


 चारों तरफ कोहराम मच गया और इसका फायदा उठाकर मैं उस आश्रम से बाहर निकल गई और सीधे अपनी मौसी के पास जा पहुंची। 


दूसरे दिन जब घर वालों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने मुझे बहुत डांटा और कहा कि तुरंत जाकर तांत्रिक से क्षमा मांगे और आश्रम में रहना फिर से शुरू करें। मैं इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। 


बहुत ज्यादा दबाव बढ़ने पर मैंने अपने चाचा से इस बारे में खुलकर बात की और उन्होंने आपका पता दिया कि आप भारतीय जड़ी बूटियों पर कई वर्षों से काम कर रहे हैं और आप मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान कर सकते हैं। यह कहकर उस बालिका ने अपनी बात पूरी की। 


मैंने उस बालिका से कहा कि वह अपने भाई को भेज कर वे सारी दवाएं मंगा लें जिनका प्रयोग वह कर रही थी और वर्तमान में भी कर रही है।



 आधे घंटे के अंदर उस बालिका का भाई सारी दवाईयाँ लेकर आ गया। मेरा ध्यान सबसे पहले वैद्य द्वारा दी जा रही दवाई के ऊपर गया क्योंकि उनकी दवाइयों के बाद से ही विचित्र के लक्षण आ रहे थे। उससे पहले इस तरह के लक्षणों का कोई भी नामोनिशान नहीं था।


 मैंने पाया कि वे वचा पर आधारित एक नुस्खे का प्रयोग कर रहे हैं जिसे कि सुबह खाली पेट लेना होता था और क्रौंच पर आधारित एक और नुस्खे का प्रयोग कर रहे थे जिसे कि रात को सोते समय लेना होता था। 


चतुर वैद्य भी इस बात को साफ तौर पर जानते हैं कि कभी भी एक ही दिन में क्रौंच और बचा का प्रयोग एक साथ नहीं किया जाता है विशेषकर जब मरीज की आयु बहुत कम हो और उसकी जीवनी शक्ति घटती जा रही हो। शायद इन वैद्य को यह जानकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने इन दोनों नुस्खों को उस बालिका को दिए। 


इन दोनों को साथ देने से कई तरह के विकार उत्पन्न हो जाते हैं और शारीरिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ जाती है। न केवल हृदय बल्कि लीवर और किडनी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। 


जब ऐसे क्रौंच का प्रयोग किया जाता है जिसकी वानस्पतिक अवस्था के दौरान उसमें एफिड नामक कीट का बहुत अधिक मात्रा में आक्रमण होता है तब यह विपरीत प्रतिक्रिया और उग्र हो जाती है।


 यह सब तकनीकी बात उस बालिका को न बताते हुए मैंने उसे परामर्श दिया है कि वह क्रौंच के नुस्खे का प्रयोग उसी समय रोक दें और अपने घर वालों से कहे कि वे 15 दिनों का इंतजार करें। 


अगर फिर से उसे इस तरह के लक्षण आएंगे तो वह तांत्रिक के पास आश्रम जाने के लिए तैयार हो जाएगी। बालिका खुशी-खुशी घर लौट गई और उसने अपने परिजनों को यह बात बताई। 


उसके परिजनों को इस पर विश्वास नहीं हुआ। फिर भी वे 15 दिन तक इंतजार करने को तैयार हो गए। 


क्रौंच के नुस्खे का प्रयोग रोक देने के 12 दिनों बाद ही पीछे से किसी व्यक्ति के देखने वाला लक्षण पूरी तरह से समाप्त हो गया। बालिका को अच्छे से नींद आने लगी और जो उसे बरसों से कब्जियत की समस्या होती थी उसका पूरी तरह से समाधान हो गया। 


इस प्रगति को देखकर घर वालों ने 2 महीनों का इंतजार करने का मन बनाया।



 फिर कुछ समय बाद उस बालिका के माता-पिता मिलने आए और उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


इसके बाद वह बालिका फिर से मुझसे मिलने आई और उसने बताया कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ है। 


उसने यह भी बताया कि वह फिर से उस तांत्रिक के आश्रम में गई थी। वहां उसने तांत्रिक से क्षमा मांगने का नाटक किया और उसकी विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। 


जब तांत्रिक ने उससे अश्लील बातें करनी शुरू की तो उसने इन बातों को अपने गुप्त कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया। फिर फुर्ती से वहां से निकल गई।


 उसने एक स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से यह जोखिम उठाया। जब स्वयंसेवी संस्था ने उसकी ओर से पुलिस से शिकायत की तो तांत्रिक जल्दी ही पुलिस की गिफ्त में आ गया। 


जब और भी लोगों को इस बारे में पता चला तो बहुत सारी लड़कियों ने हिम्मत करके उस तांत्रिक के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।


 यह सब सुनकर मैंने उस बालिका की बहुत प्रशंसा की और उसकी हिम्मत की दाद दी।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


 

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