Consultation in Corona Period-109
Consultation in Corona Period-109
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"स्वामी जी 10 साल से भी अधिक समय तक मौन रहे। जब उन्होंने अपना मौन व्रत खत्म किया और बोलने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि वे अब बोल नहीं पाएंगे।
उनके कंठ से शब्द नहीं फूट रहे थे। उन्होंने बहुत कोशिश की और जब कोशिश करके हार गए तो उन्होंने कई तरह की दवाओं का सहारा लिया।
उनके भक्त पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और एक से बढ़कर एक चिकित्सक हैं। सबने यही कहा कि लंबे समय तक मौन रहने के कारण कंठ अवरुद्ध हो गया है और धीरे-धीरे समय के साथ यह खुलेगा और स्वामी जी बोलना शुरू करेंगे।
विभिन्न दवाओं को लेते हुए स्वामी जी लंबे समय तक इस बात का इंतजार करते रहे पर आज 10 साल बीत जाने के बाद भी उनका कंठ अवरुद्ध है और वे कुछ भी नहीं बोल पाते हैं।
हमने इंटरनेट पर आपके बहुत सारे लेख पढ़े हैं और बहुत सारे वीडियो देखे हैं। स्वामी जी के कहने पर ही हम आपसे मिलने आए हैं।"
उत्तर भारत से आए एक स्वामी जी ने अपने शिष्य के माध्यम से जब परामर्श के लिए समय लिया तो पहले उन्होंने अपनी सारी रिपोर्ट भेजी और उन दवाओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी भेजी जिन दवाओं का प्रयोग वे पिछले 10 सालों से कर रहे थे।
स्वामी जी अपने एक शिष्य के साथ आए थे। स्वामी जी सभी बातें लिख कर देते थे और उनका शिष्य फिर मुझे पढ़कर सुनाता था।
मैंने स्वामी जी से कहा कि मुझे एक छोटा सा परीक्षण करना होगा ताकि मैं पता लगा सकूं कि शरीर में समस्या कहां पर है और यह कितनी विकराल है।
वे इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने पूछा कि क्या मुझे खाली पेट आना चाहिए था तो मैंने कहा कि इस परीक्षण में इस तरह की कोई बंदिश नहीं है।
मैंने जड़ी बूटियों का घोल तैयार किया और उसे लेप के रूप में पैरों के तलवों में लगाया।
10 मिनट तक उस लेप को पैरों के तलवों में लगा रहने दिया। फिर स्वामी जी से विभिन्न शब्दों के उच्चारण का अनुरोध किया।
स्वामी जी पहले तो कुछ भी नहीं बोल पाए फिर उन्होंने कुछ शब्दों का बिल्कुल स्पष्ट उच्चारण किया पर ऐसा वे ज्यादा देर तक नहीं कर पाए।
उनका कंठ फिर से अवरुद्ध हो गया। छोटे से परीक्षण ने बहुत सारी बातें कह दी थी।
स्वामी जी इस परीक्षण से बहुत खुश थे क्योंकि पिछले 10 सालों में पहली बार उनके कंठ से कुछ आवाज निकली थी। भले ही कुछ सेकंड के लिए।
उन्होंने मुझसे अनुरोध किया कि मैं उन्हें इन जड़ी बूटियों का घोल बनाकर दे दूं। उन्हें उपचार मिल गया है। वे इसका लगातार प्रयोग करेंगे तो उनकी आवाज पूरी तरह से खुल जाएगी।
मैंने उनसे कहा कि यह मात्र परीक्षण ही था। यह दवा नहीं थी। इसका आप यदि लंबे समय तक प्रयोग करेंगे तो आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं इसलिए इसकी मांग आप न करें पर स्वामी जी तो जैसे जिद पर ही अड़ गए।
उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी कीमत पर ये जड़ी बूटियां चाहिए। मेरे बहुत समझाने पर वे मान गए और मुझसे उम्मीद करने लगे कि मैं उन्हें इन्हीं जड़ी बूटियों से तैयार कुछ दवाएं दूंगा जिससे उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।
मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि आपकी समस्या उदान प्राण से जुड़ी हुई है। आप उदान प्राण को ठीक करने की कोशिश करेंगे तो जड़ से आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
इसके लिए आप योगाभ्यास कर सकते हैं और सबसे आसान तरीका है कि हस्त मुद्राओं का प्रयोग किया जाए। यह कारगर उपाय हैं पर इसमें थोड़ा अधिक समय लगता है।
मैंने उन्हें यह भी बताया कि आप जिन दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं उनमें से अधिकतर दवाएं आपकी समस्या का मूल कारण जानने के बाद नहीं दी गई है। यही कारण है कि ये दवाएं उदान प्राण के विरुद्ध काम कर रही हैं।
इससे आपकी बोलने की समस्या ठीक होने के बजाय और जटिल होती जा रही है।
स्वामी जी ने पूछा कि क्या आप मुझे किसी तरह की दवा नहीं देंगे? मैंने कहा कि बिना दवा के जब आपकी समस्या का समाधान हो सकता है तो भला दवा की क्या आवश्यकता?
आप वैसे ही इतनी सारी दवाई ले रहे हैं फिर उनके अनुरोध पर मैंने उनके लिए 3 दवाओं का चुनाव किया और कहा कि वे बाकी सब दवाएं बंद कर दें और इन तीनों दवाओं का प्रयोग लंबे समय तक विधि अनुसार करते रहें।
इससे आपके उदान प्राण फिर से सक्रिय हो जाएंगे और आपकी बोलने की समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। आपको धैर्य रखना होगा।
जब आप इतने सालों तक धैर्य रख चुके हैं तो मुझे नहीं लगता कि आपको कुछ साल और धैर्य रखने में किसी तरह की समस्या होगी।
स्वामी जी ने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए।
उनके जाने के बाद बहुत सारे फोन आए। कुछ धमकी भरे स्वर में और कुछ सामान्य स्वर में कि मैंने जिन जड़ी बूटियों का प्रयोग स्वामी जी के ऊपर किया था वे जड़ी बूटियां कहां मिलेंगी?
ये फोन उनके भक्तों के थे जिन्हें स्वामी जी ने परीक्षण के दौरान आवाज खुलने की बात बताई थी और यह भी बताया था कि मैंने उन्हें इन जड़ी-बूटियों को देने से इंकार कर दिया था इसलिए उनके भक्त मुझ पर दबाव बनाना चाहते थे।
पर मुझे मालूम था कि इन जड़ी-बूटियों का लंबे समय तक इस तरह प्रयोग करने से स्वामी जी को फायदे के स्थान पर नुकसान हो सकता है इसलिए मैं अपनी बात पर अड़ा रहा और उनके फोन को अनसुना करता रहा।
2 सालों के लंबे अंतराल के बाद उन्होंने फिर से मुझसे संपर्क किया और कहा कि उदान प्राण को ठीक करने के उपाय से लाभ तो हो रहा है पर उतना अधिक लाभ नहीं हो रहा है।
उनकी वाणी खुली तो है पर उसमें अभी भी स्पष्टता नहीं है और जब भी ज्यादा बोलते हैं तो उनका गला पूरी तरह से थक जाता है। गले में दर्द होने लग जाता है जो कि काफी समय तक रहता है।
उन्होंने रायपुर आकर मिलने के लिए अनुमति मांगी और मेरी अनुमति मिलने के बाद वे यहां आ गए। इस बार मैंने उनसे कहा था कि आप अभी जिन चिकित्सक की दवाई ले रहे हैं अगर संभव हो तो आप उन्हें भी अपने साथ ले आयें।
स्वामी जी ने बताया कि अभी एक ही चिकित्सक की दवा चल रही है जो कि उनके आश्रम के ही हैं और उनके साथ रहते हैं।
जब वे मुझसे मिलने आए तो उनके चिकित्सक उनके साथ थे। मैंने जड़ी बूटियों की सहायता से फिर से उनका परीक्षण किया तो उस परीक्षण से पता चला कि उनके शब्द बहुत अच्छे से खुल गए हैं और उन्हें बहुत अधिक लाभ हुआ है।
परीक्षण से ये भी संकेत मिल रहे थे कि उनकी अभी की समस्या उदान प्राण की न होकर किसी दवा का बुरा प्रभाव था।
इसे स्पष्ट करने के लिए जब मैंने और गहन परीक्षण किए तो परिणाम सामने आने लगे। ये परीक्षण कई घंटों के थे और इसलिए स्वामी जी को रायपुर में ही कुछ समय तक रुकना पड़ा और मेरे बताए अनुसार भोजन की व्यवस्था करनी पड़ी।
उन्होंने यह सब बड़े उत्साह से किया।
गहन परीक्षण से यह पता चला है कि उन्हें किसी रूप में बाउची की तरह की कोई जड़ी बूटी दी जा रही थी जिसके कारण उनका गला अवरुद्ध हो रहा था।
मैंने उनसे चिकित्सक से यह जानना चाहा कि वे किस प्रकार की दवा दे रहे हैं और क्या उस में मुख्य घटक के रूप में या अहम घटक के रूप में बाउची का प्रयोग किया गया है तो उन्होंने कहा कि हां स्वामी जी जिस फॉर्मूलेशन का उपयोग कर रहे हैं उसमें मुख्य घटक के रूप में बाउची है।
उन्होंने आगे बताया कि स्वामी जी को छोटे छोटे फोड़े साल भर होते रहते हैं इसलिए उन्होंने रक्त को शुद्ध करने के लिए बाउची पर आधारित फॉर्मूलेशन देना शुरू किया था।
मैंने उनसे कहा कि क्या आप मुझे इस फॉर्मूलेशन के घटकों के बारे में विस्तार से बताएंगे तो उन्होंने बताया कि इस फॉर्मूलेशन में वैसे तो 36 से अधिक प्रकार की जड़ी बूटियां है पर मुख्य भूमिका बाउची की है।
मैंने उनसे पूछा कि क्या यह फार्मूलेशन आप आश्रम में ही तैयार करते हैं या बाजार से खरीदते हैं तो उन्होंने कहा कि यह फॉर्मूलेशन बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसे आश्रम में विशेष रूप से तैयार किया जाता है।
मैंने उनसे कहा कि क्या बाउची का प्रयोग करने से पहले उसका लंबे समय तक शोधन करते हैं तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में उनको जानकारी नहीं है। वे सीधे ही बाउची का प्रयोग करते हैं।
मैंने उन्हें बताया कि बिना शोधन के बाउची का लंबे समय तक प्रयोग करने से कण्ठ अवरुद्ध हो जाता है और यह तब तक अवरुद्ध रहता है जब तक कि बाउची का प्रयोग किया जाता है।
मैंने उन्हें दो-तीन ऐसी औषधीयों के नाम बताये जिनका प्रयोग अगर वे अपने फार्मूलेशन में करते तो बाउची का यह दोष अपने आप खत्म हो जाता।
उन्होंने चौंकाने वाली बात यह बताई कि स्वामी जी को वे यह नुस्खा पिछले 15 सालों से अधिक समय से दे रहे हैं।
मैंने स्वामी जी से पूछा कि जब आप पिछली बार आए थे तो आपने इस फॉर्मूलेशन का जिक्र नहीं किया। अन्यथा मैं उसी समय आपको कह देता कि आप इसका प्रयोग बंद कर दें। या शोधित बाउची का प्रयोग करें या फिर फॉर्मूलेशन में सुधार करके बाउची के इस दोष को पूरी तरह से ठीक कर दे।
स्वामी जी ने अपनी गलती मानी और कहा कि वे इस नुस्खे का प्रयोग पूरी तरह से बंद करके देखेंगे और यह भी पूछा कि आवाज को पूरी तरह से खुलने में कितना समय लगेगा?
मैंने उन्हें बताया कि यदि आप उदान प्राण को ठीक करने वाले योगाभ्यास करते रहेंगे और इस फार्मूलेशन का उपयोग पूरी तरह से बंद कर देंगे तो 15 से 20 दिनों में आपको फर्क दिखाई पड़ेगा और ज्यादा से ज्यादा 1 से 2 महीने में आपकी आवाज फिर से पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।
उनका चेहरा उत्साह से भर गया और फिर मुझे धन्यवाद देकर वे वापस लौट गए।
15-20 दिनों बाद किसी ने मुझसे फोन पर परामर्श लेने के लिए समय मांगा और जब मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आई कि आशीर्वाद।
मैंने पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं तो उन्होंने कहा कि आशीर्वाद और फिर उन्होंने फोन काट दिया।
यह मेरे लिए अचरज की बात थी क्योंकि परामर्श लेने वाले ने फीस जमा की थी और उन्हें 20 मिनट तक बात करने का समय दिया था पर उन्होंने 1 मिनट से कम समय में ही फोन काट दिया और फिर दोबारा उनका फोन नहीं आया।
दूसरे दिन एक और फोन आया जो कि स्वामी जी के शिष्य का था।
उन्होंने बताया कि कल स्वामी जी ने ही आपको आशीर्वाद देने के लिए परामर्श शुल्क देकर आपसे समय लिया था। आपसे बात की थी।
वे पूरी तरह से ठीक है और उन्होंने आपको शुभकामनाएं दी हैं।
सर्वाधिकार सुरक्षित
Comments