Consultation in Corona Period-105

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मेरा बस चले तो मैं दिन भर अंधेरे में ही रहूँ और रात को ही घर से बाहर निकलूँ। मुझे प्रकाश बिल्कुल भी सहन नहीं होता और थोड़े से प्रकाश में ही मुझे दिक्कत होने लग जाती है। 


यह मेरी समस्या ही नहीं है बल्कि मेरे परिवार की समस्या है। मेरे माता-पिता, मेरे छोटे भाइयों और बहनों सभी को प्रकाश के प्रति अति संवेदनशीलता है और यह संवेदनशीलता साल भर बनी रहती है।


 हमने बहुत तरह से इसका समाधान खोजने की कोशिश की पर हमें सब जगह से यही बताया गया कि यह अनुवांशिक समस्या है इसीलिए पूरे परिवार को यह हो रही है। 


हमें कहा गया है कि हम पूरी तरह से सूर्य की रोशनी से बचें पर इससे एक बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि हमारी हड्डियां कमजोर होती जा रही हैं और हमारी आंखें प्रकाश के प्रति बहुत अधिक रूप से कमजोर होती जा रही हैं पर मैंने इस समस्या के लिए आपसे संपर्क नहीं किया है। 


मुझे लिवर की समस्या है।


 लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है और मुझे बताया गया है कि जल्दी ही इसकी सर्जरी करनी होगी क्योंकि लिवर में एक ट्यूमर हो गया है जो तेजी से बढ़ता जा रहा है।


 मैंने आपको जो रिपोर्ट भेजी है उससे आप जान ही चुके होंगे कि मेरी दो बार सर्जरी हो चुकी है और अब तीसरी बार सर्जरी करवाना लिवर के लिए और मेरी जान के लिए खतरनाक होगा पर ट्यूमर की स्थिति को देखते हुए सर्जरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। 


इसके अलावा मुझे जो विशेष लक्षण आ रहे हैं। उनके बारे में बताने के लिए मैंने आपसे Appointment लिया है। मुझे उम्मीद है कि आप कुछ मदद कर पाएंगे।"


 एक 28 वर्षीय युवक का फोन जब आया तो मैंने कहा कि मैं उसकी मदद करूंगा।


 उसकी पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद भी मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका कि उसे प्रकाश के प्रति अति संवेदनशीलता क्यों है और साथ ही उसे लिवर की समस्या क्यों हो रही है? 


फोन पर उसने बताना शुरू किया कि वह प्रकाश के अति संवेदनशीलता की समस्या से पिछले 10 सालों से प्रभावित है। लिवर की समस्या भी लगभग इतनी ही पुरानी है।


 उसने यह बात स्वीकारी कि वह बहुत अधिक मात्रा में शराब का प्रयोग करता है विशेषकर शनिवार और इतवार को पर अगर यह उसे पूरे सप्ताह मिलती रहे तो वह सभी दिन इसे पी सकता है बिना किसी समस्या के। 


पहली बार सर्जरी होने के पहले ही चिकित्सकों ने उसे मना कर दिया था कि वह किसी भी रुप में शराब का प्रयोग न करें और यदि बहुत अधिक जरूरी हो किसी बिजनेस मीटिंग में तो बहुत कम मात्रा में इसका प्रयोग करे। 


उस युवक ने आगे बताया कि घर में सभी बड़े शराब का सेवन करते हैं और उन्होंने घर पर ही बार बना कर रखा हुआ है इसलिए छोटे बच्चों का इस आदत में पड़ना कोई नई बात नहीं है। 


हम जब भी किसी पार्टी से बिजनेस के सिलसिले में मिलते हैं तो शराब का दौर तो चलता ही है। उसके बिना किसी भी प्रकार की कोई बड़ी डील नहीं हो पाती है। 


कुछ वर्षों पहले मुझे पूरे शरीर में खुजली की समस्या हुई तब मैंने आयुर्वेदिक चिकित्सक से दवा लेनी शुरू की। 


मुझे बताया गया कि यह लिवर के कारण हो रहा है। सारे लक्षण शीत पित्ती जैसे थे पर यह वास्तव में शीत पित्ती नहीं थी। 


चिकित्सक मुझे बार-बार मीठा खाने को कहते रहे पर डाइटिंग के चक्कर में मैंने मीठे को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया हुआ था।


 आधुनिक चिकित्सकों ने इसे एलर्जी बताया और कई तरह के परीक्षण किए और उन परीक्षणों के आधार पर कई तरह की दवाएं दी पर किसी भी दवा से खुजली की समस्या का समाधान नहीं हुआ।


 मुझे सलाह दी गई कि मैं किसी किडनी विशेषज्ञ से मिलूं। हो सकता है कि किडनी की समस्या के कारण शरीर में इतनी अधिक खुजली हो रही हो। 


जब मैंने किडनी की जांच कराई तो पता चला कि मेरी बायीं किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है। सारा जोर दायीं किडनी पर है। अब मेरी समस्या और भी विकट हो गई थी। 


मुझे तरह-तरह के परहेज के लिए कहा गया जो कि मेरे लिए पूरी तरह से संभव नहीं था। फिर भी मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। 


इन दोनों तकलीफ के आधार पर महाराष्ट्र के एक वैद्य ने मुझे चंद्रशूर पर आधारित एक फार्मूला दिया और कहा कि इसे रात को दूध के साथ लेना है। इस फार्मूले से मुझे बहुत अधिक शक्ति मिलती है।


 लिवर का दर्द कम हो जाता है। पेशाब खुलकर आती है और दो-तीन दिन के अंदर पेट साफ हो जाता है इसलिए मैं इस नुस्खे का प्रयोग लंबे समय से बिना किसी रूकावट के कर रहा हूँ। 


मैंने उस युवक से इस फार्मूले के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी तो उसने अपने वैद्य से पूछ कर इस फार्मूले के घटकों के बारे में सब कुछ बता दिया। 


मुझे इस फार्मूले में किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया। यह पीढ़ियों से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग हो रहा है और इसे एक सुरक्षित फार्मूला माना जाता है। 


मैंने उस युवक से उसके द्वारा ली जा रही आधुनिक दवाओं के बारे में भी जानकारी ली और जब उसने बताया कि वह एक होम्योपैथ से कुछ होम्योपैथी दवाईयां भी ले रहा है तब मैंने उन दवाओं की पड़ताल भी की पर उसकी समस्या का कारण नहीं मिला। 


उसके सभी चिकित्सकों की तरह मैं भी इस निष्कर्ष पर पहुंच रहा था कि शराब के अति सेवन के कारण उसे लिवर की समस्या हो रही है पर क्या लिवर में बार-बार ट्यूमर का हो जाना शराब के कारण था या किसी और कारण से यह हो रहा था? यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था। 


मैंने उसी वक्त उससे कहा कि वह रायपुर में आकर मुझसे मिले ताकि मैं जड़ी बूटियों का लेप उसके पैरों में लगा कर यह सुनिश्चित कर सकूं कि उसकी समस्या का मूल कारण क्या है।


 वह इस बात के लिए तैयार हो गया और कुछ ही समय में उसने रायपुर में आकर परीक्षण करवाया पर इस गहन परीक्षण के बाद भी मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका। 


मैंने उसके लक्षणों के आधार पर उसे कुछ मेडिसिनल राईस सुझाये और कहा कि समस्या का मूल कारण जब तक पता न चले तब तक समस्या का समाधान कैसे हो और मैं ऐसा कर पाने में असमर्थ महसूस कर रहा हूँ इसलिए वह इन मेडिसिनल राइस से लाभ लेने की कोशिश करे।


 वह बहुत अधिक उम्मीद से मेरे पास आया था। उसे बहुत ही अधिक निराशा हुई पर मेरी असमर्थताओं को जानते हुए उसने धन्यवाद दिया और वापस लौट गया। 


फिर उससे 2 साल तक कोई भी संपर्क नहीं हुआ। उसके बाद उसके पिता का अचानक फोन आया कि उसकी तबीयत बहुत बिगड़ गई है और वह मृत्यु शैया पर पड़ा हुआ है। 


चिकित्सक जवाब दे चुके हैं। यदि संभव हो तो आप हमारे शहर आ जाइए। हम आपके आने जाने की व्यवस्था कर देंगे और जो भी फीस आप लेंगे हम देने के लिए तैयार हैं। 


बेटे को देखने के बाद यदि आपको कुछ भी नहीं सूझेगा तो भी कोई समस्या नहीं है पर हमें इस बात की तसल्ली रहेगी कि कम से कम आपने एक बार आकर बेटे को देख लिया।


 मैंने बिना देरी उसके शहर की ओर कूच किया और अल सुबह ही उस युवक के घर पहुंच गया। वहां रिश्तेदारों का जमावड़ा था। रिश्तेदार इसलिए आ गए थे कि अब वे अंतिम दर्शन करना चाहते थे।


 इससे लगता था कि अब परिवार वालों को भी किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं थी। चारों ओर हताशा थी। 


उसकी छोटी बहन ने मुझे गेस्ट रूम में ठहरा दिया। फिर नाश्ता परोस दिया। नाश्ते में तरह तरह के फल थे और इनमें से कुछ देसी थे और कुछ विदेशी।


 उस युवक की बहन ने बताया कि इसमें कुछ जंगली फल भी है जो आसपास के जंगलों से एकत्र किए गए हैं और जिनका प्रयोग हमारा परिवार लंबे समय से कर रहा है।


 आप भी इन फलों को आजमाकर देखिए। ये दिव्य औषधि गुणों से भरे हुए हैं और आपको आजीवन निरोग रखने में सक्षम है। 


आप चाहें तो इन फलों के बारे में अपने लेखों में लिख सकते हैं ताकि पूरी दुनिया को इनसे लाभ हो सके। 


फलों को खाने से पहले मैंने उन्हें बड़े गौर से देखा। एक छोटी सी टोकरी में काले रंग के छोटे-छोटे फल थे। जब मैंने एक फल कौतूहलवश मुंह में रखा तो मेरा दिमाग घूम गया। 


ये गोटीफूल के फल थे। गोटीफूल यानि लेंटाना के फल बड़े स्वादिष्ट होते हैं और बच्चे अधिकतर इन्हें खाते रहते हैं। 


हालांकि यह बच्चों के लिए बहुत नुकसानदायक है पर प्रकृति में घूमते हुए बच्चों पर किसी तरह की कोई निगरानी नहीं होती इसलिए वे ऐसे फलों को अक्सर खा जाते हैं। पर ऐसे फलों को किसी मेहमान को परोसा जाए यह मैंने पहली बार देखा था।


 फिर यह भी बताया जा रहा था कि उनका परिवार इस फल को लंबे समय से उपयोग कर रहा है। मैंने युवक की बहन की बात को गंभीरतापूर्वक लेते हुए उसके पिता को बुलवाया और उनसे पूछा कि क्या आपका परिवार इस फल का उपयोग कर रहा है लंबे समय से तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की और बताया कि लेंटाना के बहुत सारे पौधे उनके फार्म हाउस की बाड़ में लगे हुए हैं और ये फल भी वहीं से लाए गए हैं। 


यह हमारे रोज के भोजन का हिस्सा है। हमने तो इससे कई तरह के व्यंजन बनाना भी सीख लिया है और अपने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से हम पूरी दुनिया को बताते रहते हैं कि इस फल के क्या क्या लाभ है? 


मैंने उनसे पूछा कि इन फलों के लाभों की सूचना आपको कहां से मिली? क्या आपने इंटरनेट का सहारा लिया या किसी वैद्य ने आपको बताया? 


उन्होंने कहा कि वे इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं और इंटरनेट तो यह कहता है कि यह फल नुकसानदायक है।


 पर हमने अपने अनुभव से जाना है कि इससे 20 प्रकार के रोगों की चिकित्सा की जा सकती है और यह कैंसर के उपचार में विशेष रूप से प्रभावी है।


 मैंने धैर्यपूर्वक उनकी बात सुनी और फिर उनसे कहा कि इंटरनेट में दी गई जानकारी पूरी तरह से सत्य है। ईश्वर ने इस फल को बहुत स्वादिष्ट बनाया है पर यह फल चिड़ियों के लिए है न कि हम मनुष्यों के लिए। 


इस फल का कुछ महीनों तक ही लगातार सेवन करने से लिवर को बहुत अधिक नुकसान होता है और प्रकाश के प्रति अति संवेदनशीलता हो जाती है। यह तो इंटरनेट में साफ-साफ लिखा हुआ है। 


आपने सब कुछ पढ़ कर भी इस न खाए जाने वाले फल का उपयोग इतने लंबे समय तक किया। यह बड़े आश्चर्य की बात है। 


यही कारण है कि आपके पूरे परिवार को प्रकाश के प्रति अति संवेदनशीलता की समस्या है और आप अनावश्यक ही इतना कठिन जीवन जी रहे हैं।


 यह समस्या आपकी अनुवांशिक समस्या बिल्कुल नहीं है बल्कि इस फल के कारण होने वाली समस्या है। अब मुझे पूरी तरह से समझ में आ रहा है कि आपके बेटे की तबीयत इतनी जोर से क्यों बिगड़ी और क्यों उसे बार-बार लिवर में ट्यूमर की समस्या हो रही है। 


लिवर के ट्यूमर के लिए केवल लेंटाना के फल ही दोषी नहीं है बल्कि वैद्य द्वारा दिया गया फार्मूला भी इसमें अहम भूमिका निभा रहा है। 


अकेले फार्मूले में किसी प्रकार का दोष नहीं है पर चंद्रशूर जो कि इस फार्मूले का प्रमुख घटक है, की लेंटाना के फलों से विपरीत प्रतिक्रिया होती है जिससे कि लिवर को होने वाली समस्या कई गुना अधिक बढ़ जाती है।


 इन दोनों वनस्पतियों का मिश्रण न केवल लिवर बल्कि शरीर के दूसरे भागों में होने वाले ट्यूमर को बढ़ावा देता है।


 यह अच्छी बात हुई कि आपने मुझे अपने बेटे को देखने के लिए बुला लिया और सारी बात खुलकर सामने आ गई अन्यथा मुझे कभी भी यह नहीं पता चलता कि आपका परिवार लेंटाना के फलों का इस तरह से अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर रहा है। 


मैंने उनसे यह भी कहा कि वे अपने बेटे को लेकर किसी तरह की उम्मीद न छोड़ें और अपने रिश्तेदारों से कहें कि वे अपने घर वापस लौट जाएं।


 उनकी जब जरूरत होगी तब उन्हें बुला लिया जाएगा। वे जिस कार्य से यहां आए हैं वह कार्य अब नहीं होने वाला है। 


आप शीघ्र अति शीघ्र एक गाड़ी की व्यवस्था करें ताकि हम जल्दी ही आपके फार्म हाउस पर जा सके और आपके बेटे के लिए प्राण रक्षक जड़ी बूटियां एकत्र कर सकें। 


वे इस बात के लिए तैयार हो गए पर उन्होंने कहा कि उनके फार्म हाउस में किसी भी तरह की कोई जड़ी बूटी नहीं है। अगर मैं चाहूँ तो पास के जंगल में वे मुझे ले जा सकते हैं पर अभी बरसात होने की वजह से वहां गाड़ी से जाना संभव नहीं होगा। 


मैंने उन्हें समझाया कि जड़ी बूटियां आपके फॉर्म में ही मिलेंगी। सामान्य लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती पर जानकार जानते हैं कि इस धरती में उगने वाली सभी वनस्पति में कुछ न कुछ औषधि गुण होते हैं और उनकी सहायता से जटिल से जटिल रोगों की चिकित्सा की जा सकती है।


 जब हम उनके फार्म हाउस पहुंचे तो मैंने गुमा भाजी नामक एक बूटी की तलाश शुरू की और जल्दी ही वह हमें मिल गई।


 मैंने उन्हें इस बूटी के साथ मेरे द्वारा दिए जा रहे मेडिसिनल राईस के प्रयोग की विधि विस्तार से समझा दी और कहा कि 15 दिनों बाद में मुझसे फिर से संपर्क करें। मुझे उम्मीद है कि उनके बेटे की तबीयत में तेजी से सुधार होगा। 


हालांकि यह समस्या शराब जनित नहीं है पर अभी आप अपने बेटे को कहे कि वह शराब का कम से कम उपयोग करें या बेहतर होगा कि इसका प्रयोग अभी पूरी तरह से रोक दे। एक बार लिवर की हालत ठीक होने पर वह फिर से पहले की तरह इसका प्रयोग कर पाएगा। 


युवक को पूरी तरह से ठीक होने में 1 वर्ष का समय लग गया। अब उसे सर्जरी की आवश्यकता नहीं थी। उसका लिवर ठीक से काम कर रहा था।


 प्रकाश के प्रति अति संवेदनशीलता को खत्म होने में भी बहुत समय लगा। धीरे-धीरे पूरा परिवार इस अभिशाप से पूरी तरह से मुक्त हो गया।


 उन सब ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

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