Consultation in Corona Period-87

Consultation in Corona Period-87



Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"आधी बेहोशी की हालत में जब भी मेरी आंख खुलती थी तो मुझे सारी वस्तुएं नीलापन लिए हुए दिखती थी और फिर इसके बाद सारी वस्तुएं लाल दिखने लगी। 


इसके बाद मैं पूरी तरह बेहोश हो गया। 


मेरी आंखें खुली तो मैं एक बिस्तर पर अस्पताल में था। मुझे बताया गया कि मेरी दोनों किडनी अब ठीक से काम नहीं कर रही है और जल्दी ही नई किडनीयों का प्रबंध करना होगा।


 दरअसल हम 5 साथी श्रीखंड महादेव के ट्रैक पर गए थे। हमारे साथ 6 पोर्टर भी थे जो कि स्थानीय लोग थे और एक स्थानीय गाइड भी था।


 हमने यह ट्रैकिंग उस समय शुरू की जबकि बिल्कुल भी भीड़ नहीं रहती है। हम आराम से रुकते-रुकते शिखर की ओर बढ़ रहे थे। 


जब हम भीम दुआरी के पास पहुंचे तो मेरी तबीयत अचानक से बिगड़ गई। पहले हम लोगों ने समझा कि यह ऑक्सीजन की कमी से हो रहा है पर जब मुझे तेज बुखार आने लगा तब समझ में आया कि बहुत अधिक थकान की वजह से ऐसा हो रहा है। 


हम जिन दवाओं को साथ में लेकर आए थे उससे बुखार में किसी भी तरह से कमी नहीं आई। 


हमने जिस स्थान से यात्रा शुरू की थी वह स्थान दो-तीन दिनों की दूरी पर था। सुनसान इलाके में तेज बुखार से मेरी बहुत बुरी हालत हो गई थी। 


हमारे साथ जो स्थानीय पोर्टर चल रहे थे उन्होंने पास से ही एक बूटी उखाड़ी। उसका आनन-फानन में काढ़ा तैयार किया और मुझे गरम-गरम चाय की तरह पीने को दिया। 


काढ़े को पीते समय मुझे बहुत अधिक ऊर्जा महसूस हो रही थी। उसके बाद मेरे ऊपर बेहोशी छाने लगी और ऊपर बताए गए लक्षण आने लगे।


मैंने आपसे इसीलिए संपर्क किया है कि आप मुझे ऐसी दवा बता सके जिससे कि मेरी दोनों किडनी फिर से सुचारू रूप से काम करने लगे और उसे बदलने की आवश्यकता न हो। 


मेरे पास बहुत कम समय है। 


मैं अपनी सारी रिपोर्ट आपको भेज रहा हूँ और साथ में उन दवाओं की सूची भी भेज रहा हूँ जो यहां अस्पताल में मुझे दी जा रही हैं। आशा है आप मेरी मदद करेंगे।"


 25 वर्षीय एक युवक का यह संदेश मेरे पास आया तब मैंने उससे पूछा कि उसके चिकित्सक इस तरह अचानक से दोनों किडनी के काम न करने की क्या वजह बताते हैं?


 उसने कहा कि चिकित्सक वजह नहीं जानते हैं। बस वे चिकित्सा करना जानते हैं।


 मैंने उससे और विस्तार से बुखार आने के बाद आने वाले लक्षणों के बारे में जानकारी मांगी। 


उसने कहा कि पूरे शरीर में उस समय बहुत अधिक दर्द था। मुंह से बहुत अधिक मात्रा में लार निकल रही थी। पेट में भी हल्का सा दर्द था। 


बाएं हाथ की अंगुलियों में तेज दर्द हो रहा था। हृदय की धड़कन बढ़ी हुई थी और बहुत अधिक प्यास लगी हुई थी।


 पेशाब लग रही थी पर हो नहीं रही थी। आंखें फड़क रही थी और नाक में जलन हो रही थी।


 और जो मैंने आपको बात बताई कि आंखों से अलग-अलग रंगों की वस्तुएं दिखने की। वहीं मेरे हिसाब से खास लक्षण थे। 


युवक की बात सुनकर मैंने कहा कि क्या वह उस पोर्टर से बात करवा सकता है जिसने उसे वह बूटी दी थी। 


युवक ने कहा कि वह तो उसी स्थान का रहने वाला था और अब उससे संपर्क करना कठिन है पर असंभव नहीं। 


कुछ समय बाद फिर उसका फोन आया कि लाइन पर वह पोर्टर है जिसने उसे बुखार के लिए दवा दी थी। 


मैंने पोर्टर से बात की तो उसने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में यह बूटी बहुत प्रसिद्ध है और यहां के पारंपरिक चिकित्सक भी इसी बूटी का प्रयोग बुखार की चिकित्सा के लिए पीढ़ियों से करते आए हैं इसलिए उसे नहीं लगता कि युवक की वर्तमान हालत का कारण उसके द्वारा दी गई बूटी है। 


मैंने पोर्टर से कहा कि वह व्हाट्सएप में भेजी गई जड़ी बूटियों की 40 तस्वीरों को गौर से देखे और फिर मुझे बताएं कि उसने किस बूटी का प्रयोग इस युवक पर किया था। 


ये सभी तस्वीरें श्रीखंड महादेव क्षेत्र में पाई जाने वाली बूटियों की थी। पोर्टर ने झट से एक तस्वीर को वापस भेजा और बताया कि उसने इसी बूटी का प्रयोग किया था। 


मैंने उससे कहा कि वह स्थानीय पारंपरिक चिकित्सक से मेरी बात करा दे ताकि मैं इस बात की तसल्ली कर सकूं कि यह वनस्पति किसी भी प्रकार से किडनी के लिए हानिकारक नहीं है। 


मैंने उसे बताया कि जहां तक मेरा ज्ञान है उस हिसाब से तो यह एक बहुत जहरीली बूटी है जो कि न केवल किडनी बल्कि लीवर के लिए भी अभिशाप है। इसका प्रयोग कभी भी बुखार के चिकित्सा में नहीं किया जा सकता।


 हो सकता है कि मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी न हो इसलिए मैं तुम्हें कह रहा हूँ कि तुम पारम्परिक चिकित्सक से मेरी बात कराओ। 


उसने कहा कि वह 1 घंटे के अंदर फोन करेगा पर शाम तक उसका कोई फोन नहीं आया। जब उसके साथी को फोन किया तो उसके साथी ने बताया कि पारंपरिक चिकित्सक ने उसे बहुत डांट लगाई है और वही कहा है जो कि आप कह रहे थे कि यह बुखार की बूटी नहीं है। 


वह बहुत पछता रहा है क्योंकि उसने न जाने कितने यात्रियों को इस बूटी का प्रयोग बताया था और कितने सारे यात्रियों के लिए इसका काढ़ा तैयार करके दिया था। पश्चाताप के मारे वह आपसे बात नहीं कर रहा है। 


जब मैंने अस्पताल में भर्ती युवक को यह बात बताई तो उसे बहुत क्रोध आया।


 मैंने कहा कि गलती उसकी है क्योंकि उसने पोर्टर पर विश्वास किया और अमृत की जगह विष का प्रयोग कर लिया।


 मैंने उसको परामर्श दिया कि इस जड़ी बूटी की काट श्रीखंड महादेव क्षेत्र में ही मिलेगी और उसके लिए कुछ जड़ी बूटी की तस्वीर लेकर किसी जानकार को पार्वती कुंड के आस पास जाना होगा। 


उस युवक ने कहा कि वह इसके लिए प्रयास करेगा क्योंकि अभी इस खराब मौसम में कोई भी पार्वती कुंड तक जाने को तैयार नहीं होगा। इसमें कई दिनों का समय लगेगा और जान खतरे में पड़ सकती है। 


कुछ समय बाद उसने फोन कर बताया कि उसने एक दल तैयार किया है जो कि स्थानीय पारंपरिक चिकित्सक को साथ लेकर पार्वती कुंड जाएगा और आपके द्वारा सुझाई गई बूटी को लेकर आएगा। 


पर इस सब में 10 से अधिक दिनों का समय लग जाएगा। हो सकता है कि ज्यादा समय भी लग जाए। तब तक तो मेरी किडनी का सत्यानाश हो चुका होगा। मेरे पास इतना समय नहीं है। 


युवक की बात सुनकर मैंने उसे सलाह दी कि जिस जहरीली बूटी का उसने प्रयोग किया है उसका एंटीडोट एक अति दुर्लभ बूटी है जो कि छत्तीसगढ़ में भी मिलती है। 


जब तक इस इसका असली एंटीडोट नहीं आ जाता तब तक छत्तीसगढ़ की इस औषधि का प्रयोग किया जा सकता है।


 मैंने पहले ही पारंपरिक चिकित्सक से बात कर ली है और वे आज शाम तक इसे एकत्र करके रात की बस से रायपुर भिजवा देंगे। तुम किसी को रायपुर भेज कर इसे एकत्र करवा लो।


 यह बूटी नारायणी मूसली के नाम से जानी जाती है और दुनिया के बहुत से जानलेवा विषों को बेअसर करने में सक्षम है। 


यह तो अच्छी किस्मत थी कि उन पारम्परिक चिकित्सक से बात हो गई जो कि इसका प्रयोग अपनी चिकित्सा में करते हैं और उससे भी अच्छी किस्मत वाली बात यह थी कि वे इस दुर्लभ बूटी को हमें देने के लिए तैयार हो गए। 


इस बूटी के साथ में दो प्रकार के मेडिसिनल राइस भेज रहा हूँ। इन राइस को पानी में रात भर भिगोना है फिर सुबह चावल को अलग करके पानी को एकत्र कर लेना है। 


उस पानी में ही नारायणी मूसली के चूर्ण को मिलाकर लेना है। मुझे उम्मीद है कि इससे तुम्हें बहुत अधिक लाभ होगा और किडनी का और अधिक खराब होना कुछ समय के लिए रुक जाएगा।


 पर जैसा कि मैंने कहा है कि यह स्थाई समाधान नहीं है। स्थाई समाधान तो तुम्हें उसी क्षेत्र से मिलेगा जिस क्षेत्र की जहरीली बूटी का प्रयोग तुम्हारे ऊपर किया गया है।


 10 दिनों के भीतर ही श्रीखंड महादेव क्षेत्र से एंटीडोट आ गया और मेरे दिशा निर्देश के आधार पर इसका प्रयोग अस्पताल में शुरू हो गया। 


उस युवक को पूरी तरह से ठीक होने में 2 महीनों का समय लग गया।


 पर यह अच्छी बात रही कि दोनों किडनी फिर से सक्रिय हो गई और अब किसी तरह के ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं रही।


 उस युवक ने मुझे धन्यवाद ज्ञापित किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)