Consultation in Corona Period-111

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"चिकित्सक कहते हैं कि मुझे सोरायसिस की समस्या नहीं है केवल सोरायसिस जैसे लक्षण आ रहे हैं और वे यह नहीं जान पा रहे हैं कि ऐसे लक्षण क्यों आ रहे हैं और मुझे इतनी अधिक तकलीफ क्यों उठानी पड़ रही है?


 इसीलिए मैंने आपसे परामर्श के लिए समय मांगा है। आशा है आप उचित मार्गदर्शन दे सकेंगे।" 


उत्तर भारत के एक सज्जन अपनी समस्या बता रहे थे जिन्होंने परामर्श के लिए मुझसे समय लिया और मुझसे मिलने रायपुर आये।


 मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 


आप मुझे अपनी समस्या के बारे में विस्तार से बताएं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले बवासीर की समस्या के लिए उन्होंने महाराष्ट्र के एक वैद्य से सलाह ली। उस वैद्य ने उन्हें अलसी पर आधारित एक नुस्खा दिया जिसका प्रयोग लंबे समय तक करना था। 


इसके प्रयोग से बहुत अधिक लाभ हुआ और बवासीर की समस्या लगभग खत्म हो गई पर फिर भी वैद्य ने कहा कि दवा को जारी रखें जब तक कि यह पूरी तरह से ठीक न हो जाए।



 इस बीच मुझे सांस की तकलीफ हुई और मैंने झारखंड के एक वैद्य से एक नुस्खा लिया। इस नुस्खे में मुख्य घटक के रूप में गोरखमुंडी का प्रयोग किया गया था। 


जैसे ही मैंने इस नुस्खे को लेना शुरू किया मुझे सोरायसिस जैसे लक्षण आने लगे और मैं बहुत घबरा गया।


 जब मित्रों ने कहा कि यह सोरायसिस की समस्या है और मुझे किसी त्वचा विशेषज्ञ से मिलना चाहिए तो मैंने बिना देरी के दिल्ली में एक बड़े चिकित्सालय में जाने की सोची। 


वहाँ पहुंचकर मैंने सभी तरह की जांच करवाई पर वहॉं के चिकित्सक ने कहा कि यह सोरायसिस की समस्या नहीं है बल्कि सोरायसिस जैसे लक्षण आ रहे हैं और हो सकता है कि आप जिन दो दवाओं को ले रहे हैं उसके कारण ऐसे लक्षण आ रहे हो। 


मैंने महाराष्ट्र के वैद्य से बात की और साथ ही झारखंड के वैद्य से भी। पर दोनों वैद्यों ने कहा कि उनके नुस्खों की आपस में ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती जैसा कि आप बता रहे हैं और उससे सोरायसिस जैसे लक्षण नहीं आते हैं।


 मैंने उनके द्वारा बताये गए दोनों नुस्खों की जांच की तो पाया कि उसमें एक घटक की कमी है। अगर यह घटक नुस्खों में होता तो निश्चित ही सोरायसिस जैसे लक्षण आते।


 यह घटक दोनों नुस्खों में नहीं था इसलिए दोनों नुस्खे पूरी तरह सुरक्षित थे और दोनों नुस्खों को एक साथ लिया जा सकता था बिना किसी समस्या के। 


उन्होंने आगे बताया कि जब उन्हें लीवर की समस्या होने लगी तो उन्होंने छत्तीसगढ़ के एक वैद्य से संपर्क किया और उनसे भुईआंवला नामक बूटी पर आधारित एक नुस्खा लिया। 


इस नुस्खे के प्रयोग से उनकी सोरायसिस जैसी समस्या और अधिक बढ़ गई। 


जब उन्होंने झारखंड के वैद्य के नुस्खे को लेना बंद किया तो यह समस्या कुछ हद तक कम हो गई पर झारखंड के वैद्य ने यह साफ तौर पर कहा कि छत्तीसगढ़ से ली गई दवा में किसी भी प्रकार का दोष नहीं है और यह समस्या उनकी दवा के कारण नहीं हो रही है।


 सज्जन ने बताया कि यह बड़े असमंजस की स्थिति थी। मुझे तीनों ही नुस्खे लेने थे क्योंकि तीनों ही समस्याएं मुख्य थी और इनसे मुझे बहुत अधिक तकलीफ हो रही थी। 


एक नुस्खा बंद कर देने पर सोरायसिस का असर कुछ हद तक कम हो जाता था। दो नुस्खा बंद कर देने पर यह लगभग पूरी तरह से खत्म हो जाता था और तीनों नुस्खे को बंद कर देने से सोरायसिस की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाती थी। 


बात यहीं तक नहीं रुकी। पुरानी कब्ज की समस्या के लिए मैंने जब केरल के एक वैद्य से दवा लेनी शुरू की तो यह समस्या अति उग्र रूप में सामने आने लगी। 


केरल के वैद्य मूसाकानी पर आधारित एक नुस्खे का प्रयोग कर रहे थे। यह नुस्खा कब्ज में बहुत कारगर था।  मेरी बरसों की समस्या कुछ ही खुराक में ठीक हो गई पर जब सोरायसिस जैसे लक्षण आने लगे तो मुझे मजबूर होकर दवा बंद करनी पड़ी।


 मैंने फेसबुक पर आपके बहुत सारे लेख पढ़े जिनमें आपने ड्रग इंटरेक्शन के बारे में बहुत विस्तार से लिखा है और बताया है कि अधिकतर लोगों की समस्या का मूल कारण ड्रग इंटरेक्शन होता है और जिसके ऊपर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। 


मुझे लगा कि मेरी समस्या का कारण भी ड्रग इंटरेक्शन है और मुझे एक बार आपसे मिलकर विस्तार से बात करना चाहिए इसलिए मैंने रायपुर आने का निश्चय किया था कि इत्मीनान से पूरी तरह से बात हो सके और आप अपनी जड़ी बूटियों के लेप से मेरा परीक्षण कर सके।


 और यह बता सके कि कहीं मेरे शरीर में ही तो कोई विशेष दोष नहीं है जिसके कारण ऐसे विचित्र लक्षण आ रहे हैं। 


मैंने उन सज्जन द्वारा बताये गये सभी नुस्खों की गहनता से पड़ताल की पर उनमें किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं पाया। 


अगर इनमें से किसी भी नुस्खों में हायोसियामस नामक बूटी का प्रयोग किया जाता तो सज्जन को वैसे ही लक्षण आते जैसे कि उन्हें आ रहे थे पर हायोसियामस नामक बूटी किसी भी नुस्खे में नहीं थी।


 न ही किसी रूप में वे इसे ले रहे थे। इस पर भी इस तरह के सोरायसिस जैसे लक्षण आने की समस्या मुझे आश्चर्य में डाल रही थी।


 मैंने उनके द्वारा प्रयोग की जा रही खाद्य सामग्रियों के बारे में विशेष रूप से जानकारी एकत्र की और यह भी पता लगाया कि वे इससे पहले कौन कौन सी दवा लेते थे और क्या वे किसी दवा के बारे में जानकारी कुछ छुपा रहे हैं?


इन सब बातों को जानने के बाद भी समस्या का किसी तरह से समाधान नहीं निकला। मेरी राय यह थी कि वे बिना किसी समस्या के इन चारों नुस्खों को ले सकते थे। इनमें आपस में किसी भी प्रकार की विपरीत प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी। 


मैंने उनसे पूछा कि अगर आप किसी तरह से हायोसियामस नामक बूटी ले रहे होते तो बात समझ में आती थी पर आप तो इस बूटी का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं कर रहे हैं। फिर आपको ऐसी समस्या क्यों हो रही है, यह मेरी बुद्धि से बाहर है। 


हायोसियामस का नाम सुनते ही वे सक्रिय हो गए और उन्होंने कहा कि वे पिछले कई सालों से अपने खेत में इस वनस्पति की खेती कर रहे हैं। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या खेत की देखभाल और फसल के कटने के बाद उसकी प्रोसेसिंग के समय आप वहाँ उपस्थित रहते हैं तो उन्होंने कहा कि पूरी खेती मैं ही देखता हूँ और इस पूरे व्यापार को मैं और मेरा बेटा मिल कर देखते हैं पर बेटे की भूमिका प्रोसेसिंग में नहीं होती।


  प्रोसेसिंग के समय 24 घंटे मुझे अपने फॉर्म में रहना पड़ता है। 


अब समस्या का समाधान मिलने लगा था। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको किसी ने यह नहीं बताया कि जब आप हायोसियामस के खेत में जाते हैं तो आपको विशेष सुरक्षा की जरूरत है। इससे कई प्रकार की दवाओं का असर खत्म हो जाता है और साथ ही कई तरह की स्वास्थ समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं।


 उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के जिस शोध संस्थान से मैंने इसकी खेती के बारे में परामर्श लिया था उन्होंने यह बताया था कि यदि मैं दूध और हल्दी का लगातार प्रयोग करता रहूँ तो हायोसियामस के खेत में जाने से होने वाली समस्याओं से पूरी तरह से बच सकता हूँ। 


मैंने उन्हें कहा कि यह जानकारी सही है पर पर्याप्त नहीं है। दूध और हल्दी का प्रयोग कुछ हद तक तो हायोसियामस के विष से बचाता है पर पूरी तरह से नहीं। 


यदि आपको पहले से कई तरह की स्वास्थ समस्याएं हैं तो उस आधार पर आपको बताया जा सकता है कि आप किस तरह की जड़ी बूटियों का अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करें ताकि हायोसियामस के खेत में जाने से किसी भी प्रकार का नुकसान न हो। 


आपको यह जानकारी नहीं मिली और यही कारण है कि आपके शरीर में उपस्थित हायोसियामस का विष आपकी सारी दवाओं से प्रतिक्रिया करता रहा और आपको सोरायसिस जैसे लक्षण आते रहे। 


देर से ही सही पर यह अच्छी बात रही कि आपने मुझे बता दिया कि आप हायोसियामस के संपर्क में रहते हैं। अब आपकी समस्या का समाधान बहुत जल्दी से हो जाएगा।


 मैंने उन्हें मालकांगनी पर आधारित एक नुस्खे के बारे में बताया जो कि भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में पीढ़ियों से उपयोग होता रहा है। इस नुस्खे का प्रयोग करने से हायोसियामस का प्रभाव बहुत हद तक कम हो जाता। इसे रोज लेना होता है।


 मैंने उनसे कहा कि यदि आप इस नुस्खे का प्रयोग करेंगे तो आप चारों प्रकार के नुस्खों का सुरक्षा पूर्वक उपयोग कर पाएंगे और साथ ही हायोसियामस के खेत में जाने से होने वाली समस्याओं से भी पूरी तरह से बचे रहेंगे। 


उन्होंने कहा कि वे अपने वैद्यों से सलाह लेंगे कि इस नुस्खे का प्रयोग करना चाहिए कि नहीं। जब उन्होंने वैद्यों से बात की तो सभी वैद्यों ने कहा कि वे उनकी दवा के साथ में इस नुस्खे को ले सकते हैं। 


उन सज्जन को पूरी तरह से सोरायसिस जैसे लक्षणों से मुक्त होने में कई महीनों को समय लगा पर एक बार समस्या का समाधान होने से फिर उन्हें किसी तरह की कोई समस्या नहीं रही।


 उन्होंने आभार व्यक्त किया। 


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