Consultation in Corona Period-103
Consultation in Corona Period-103
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"एक 32 वर्षीय युवक का केस हम आपके पास भेज रहे हैं। इस युवक की WBC की संख्या बहुत तेजी से कम होती जा रही है।
पहले हमें लगा कि यह कोरोना के कारण हो रहा है पर बाद में पूरी जांच के बाद पता चला है कि इसका कारण कोरोनावायरस नहीं है।
WBC के घटने की दर इतनी अधिक है कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो जा रही है और हमें बड़ी चिंता है कि कैसे यह लंबा जीवन व्यतीत कर पाएगा।
हम अभी रोग का कारण नहीं जानते हैं इसलिए किसी भी प्रकार की चिकित्सा नहीं कर रहे हैं। वह युवक हमारे अस्पताल में भर्ती नहीं हैं बल्कि घर से आकर समय-समय पर उपचार लेता है।
आपने जिन जानकारियों की बात की थी उन जानकारियों को हमने लिख लिया है और आपको व्हाट्सएप के माध्यम से उन्हें भेज रहे हैं।
आप अच्छे से अध्ययन करें और फिर बताएं कि क्या किसी तरह के ड्रग इंटरेक्शन के कारण ऐसा हो रहा है और यदि ऐसा है तो इसे कैसे दूर किया जा सकता है?
फीस की चिंता आप मत करें। आपकी सहमति मिलते ही हम आपके अकाउंट में आपकी फीस जमा कर देंगे।"
उत्तर भारत के एक शोध संस्थान के डायरेक्टर ने एक अजीबोगरीब केस मेरे पास भेजा। यह अच्छी बात थी कि उन्होंने उस युवक से विस्तार से जानकारियां ली और उन जानकारियों को उसी रूप में मेरे पास भेजा।
मुझे बताया गया कि युवक को यह समस्या पिछले 6 महीनों से है। वह विवाहित है पर उसके बच्चे नहीं हैं।
उसे डायबिटीज, थायराइड या ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं है। वह पहले बहुत अधिक सिगरेट का प्रयोग करता था पर अभी पूरी तरह से सिगरेट का प्रयोग नहीं कर रहा है।
उसका कहना है कि वह यदा-कदा मूड बदलने के लिए गुटके का प्रयोग करता है पर उसे इसकी आदत नहीं है। शारीरिक दुर्बलता को कम करने के लिए वह कई प्रकार के कन्दों का प्रयोग कर रहा है। इन कन्दों के बारे में विस्तार से जानकारी और उनकी प्रयोग की विधि भी उसने मुझे भेजी।
उसने बताया कि वह रात को जल्दी सो जाता है पर कितने बजे भी सोए उसकी नींद रात को एक बजे खुल जाती है और फिर उसके बाद नहीं आती है।
इस नींद की भरपाई उसे दिन में सो कर करनी होती है। रात को एक बजे जब उसकी नींद खुलती है तो उसे बहुत अधिक गर्मी का एहसास होता है और बहुत अधिक मात्रा में पानी पीने की इच्छा होती है।
उसे बालों के झड़ने की समस्या भी है जिसके लिए वह केरल से तैयार एक आयुर्वेदिक तेल का इस्तेमाल करता है। वह पिछले 10-12 वर्षों से इस तेल का प्रयोग कर रहा है।
उसका कहना है कि इससे उसका दिमाग ठंडा रहता है और उसे व्यापार में अच्छी मदद मिलती है पर इस तेल से उसकी नींद की समस्या का समाधान नहीं होता है।
उसे मीठे की अपेक्षा नमकीन चीजें बहुत पसंद है। वह बैगन का जबरदस्त फैन है और साल भर यदि बैगन मिले तो केवल उसे ही खाना चाहता है।
सब्जी के रूप में उसे उबले हुए आलू भी बहुत भाते हैं पर तले हुए आलू का प्रयोग करने से उसे एसिडिटी की समस्या हो जाती है इसलिए वह भूल कर भी तले हुए आलूओं का प्रयोग नहीं करता है।
उसने बताया कि पिछले कुछ महीनों से वह हिमालय के एक वैद्य से जटामांसी पर आधारित एक नुस्खा ले रहा है जिसमें 18 से 20 तरह की जड़ी बूटियों का प्रयोग किया गया है।
इस नुस्खे का प्रयोग करने से उसे नींद गाढ़ी आती है। उसके शरीर में बहुत अधिक दर्द रहता है इसलिए वह रात को सोते समय चिकित्सक के परामर्श पर रोज 100 mg पेरासिटामोल का प्रयोग करता है।
पेरासिटामोल का प्रयोग पानी के साथ करता है लेकिन कभी-कभी विशेषकर सप्ताहन्तों में शराब के साथ पेरासिटामोल का प्रयोग करता है।
उसने यह भी बताया कि वह इम्मयूनिटी बढ़ाने के लिए एक अच्छी कंपनी का च्यवनप्राश भी उपयोग करता है और वह इस च्यवनप्राश को दूध के साथ लेता है।
दूध उसकी विशेष पसंद है और अगर उसका बस चले तो वह दिन भर पानी के स्थान पर केवल दूध ही पीता रहे।
वह गाय के दूध को भैंस के दूध की अपेक्षा अधिक प्राथमिकता देता है और साल के एक दो महीने बकरी के दूध का प्रयोग करता है।
उसने बताया कि उसे सोते समय बहुत खर्राटे आते हैं और उसकी पत्नी ने उसे बताया था कि वह रात में बहुत बड़बड़ाता रहता है और जो उसे जगाने की कोशिश करता है उसे वह जोर से अचेतन अवस्था में पकड़ लेता है और फिर होश आने पर ही अपनी पकड़ ढीली करता है।
उसने यह भी बताया है कि हर साल सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में उसकी तबीयत सबसे ज्यादा खराब रहती है। साल के बाकी महीने पूरी तरह से उसे तंदुरुस्त रखते हैं।
उसे खट्टी चीजें पसंद है पर खट्टी चीजों का जैसे ही वह प्रयोग करता है उसके टॉन्सिल की समस्या बढ़ जाती है फिर उसे एंटीबायोटिक लेना पड़ता है।
उसके पैर में अधिक संख्या में गोखरू है और जो उसे समय-समय पर कष्ट देते रहते हैं।
उसे यूकेलिप्टस और गाजर घास से एलर्जी है इसलिए उसने अपने कमरे में एयर प्यूरीफायर लगा कर रखा हुआ है।
इससे उसे किसी भी प्रकार की एलर्जी नहीं होती है। जब वह बाहर जाता है और उसे एलर्जी की समस्या होती है तो वह समस्या के खत्म होते तक एंटी एलर्जी ड्रग का प्रयोग करता है।
बचपन में उसे दो बार टाइफाइड हुआ था और टाइफाइड के बाद उसको स्थाई रूप से सिकल सेल एनीमिया जैसे लक्षण आ रहे थे जो कि बाद में दवाओं के माध्यम से ठीक हो गए।
बचपन में उसे सिर के पिछले भाग में बहुत जोर से चोट लगी थी जिससे उसकी दृष्टि कुछ कमजोर हो गई थी। वह भी उम्र के साथ ठीक हो गई।
उसे रोज सुबह चार से पांच बजे के बीच में बहुत अधिक छींक आती थी और उसके बाद छींक पूरी तरह से बंद हो जाती है।
वह साल भर गर्म पानी से नहाना पसंद करता था। उसे कड़वा स्वाद बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
कड़वी चीज खाने के तुरंत बाद उसे पेट में तेज दर्द होता है और कई बार उल्टियां भी हो जाती हैं।
अगर उल्टी नहीं होती है तो सिर में कई घंटों तक तेज दर्द बना रहता है और आंखों के सामने तरह-तरह की रोशनी दिखाई देती हैं।
चिकित्सकों ने उसे बताया है कि यह माइग्रेन जैसे लक्षण है।
डब्ल्यूबीसी की संख्या तेजी से कम होने के कारण चिकित्सकों ने उसके बोन मैरो की जांच की पर जांच में यह पाया गया कि बोन मैरो में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है और वह सही तरीके से काम कर रहा है।
इतने विस्तार से अपने बारे में बताने के लिए मैंने उस युवक को धन्यवाद दिया और साथ ही उन डायरेक्टर महोदय को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने यह पूरी जानकारी अपने मूल स्वरूप में मेरे पास पहुंचाई।
मैंने उन्हें परामर्श दिया कि यह ड्रग इंटरेक्शन का मामला ही लगता है पर यह नहीं समझ में आ रहा है कि किन दवाओं के कारण इस तरह के लक्षण आ रहे हैं।
मैंने डायरेक्टर महोदय से अनुरोध किया है कि यदि संभव हो तो वे युवक को लेकर रायपुर आ जाएं। इस युवक के पैरों में कई तरह की जड़ी बूटियों का लेप लगाकर मैं यह जानने की कोशिश करूंगा कि आखिर किन औषधियों के ड्रग इंटरेक्शन के कारण इस तरह के लक्षण आ रहे हैं।
डायरेक्टर महोदय इस बात के लिए तैयार हो गए और अगली फ्लाइट से ही वे दोनों में मुझसे मिलने रायपुर आ गए।
इस कोरोनावायरस काल में हवाई जहाज में उन्हें नाश्ता नहीं दिया गया और एयरपोर्ट से वे सीधे ही आ गए तब मैंने अपने घर में उन्हें नाश्ता करने के लिए आमंत्रित किया।
डायरेक्टर महोदय तो सहर्ष तैयार हो गए और उस युवक ने साफ तौर पर मना कर दिया।
इसका कारण उसने बताया कि वह इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहा है और अपना अंतिम भोजन शाम को चार बजे कर लेता है और उसके बाद 18 घंटों के बाद दूसरा भोजन करता है।
इस इंटरमिटेंट फास्टिंग का अभ्यास वह पिछले कई महीनों से कर रहा था पर जब उसने अपने बारे में इतनी विस्तार से जानकारी दी तब इस महत्वपूर्ण जानकारी को पता नहीं क्यों छुपा कर रखा।
शायद उसने इसे ज्यादा महत्व न दिया हो।
मैंने उस युवक से पूछा कि क्या वह रात को जब पेरासिटामोल का प्रयोग करता है तब क्या उसका पेट खाली रहता है तो उसने कहा कि हां, जब वह पेरासिटामोल का प्रयोग करता है तो उसे खाना खाए कम से कम 4 से 5 घंटे हो गए होते हैं।
मैंने उससे यह भी पूछा कि क्या इसका मतलब यह माना जाए कि वह खाली पेट ही शराब का सेवन करता है तो उसने यह बात स्वीकारी।
मेरा अगला प्रश्न था कि क्या वह जटामांसी के नुस्खे का प्रयोग भी रात को खाली पेट ही करता है तो उसने इसका जवाब भी हां में दिया।
अब समस्या कुछ सुलझती नजर आ रही थी।
मैंने डायरेक्टर महोदय से कहा कि समस्या का समाधान अब दिख रहा है। अब जड़ी बूटियों के घोल से किसी तरह के परीक्षण की आवश्यकता नहीं है।
आप अगर दो सावधानियां बरतने के लिए इस युवक को कहेंगे तो मुझे विश्वास है कि इसकी इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।
दोनों मेरी बात बड़ी ध्यान से सुनने लगे।
मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि पेरासिटामोल से वैसे तो बहुत कम साइड इफेक्ट होते हैं पर जब साइड इफेक्ट होते हैं तो सीरियस साइड इफेक्ट होते हैं।
इसके बारे में आधुनिक विज्ञान कम जानकारी रखता है पर इस बात की जानकारी उसे है कि यदि खाली पेट पेरासिटामोल का प्रयोग लंबे समय तक किया जाए तो बहुत से मामलों में डब्ल्यूबीसी के कम होने की संभावना रहती है।
जैसा कि इस युवक ने बताया कि वह लंबे समय से पेरासिटामोल का प्रयोग कर रहा है। मैं पेरासिटामोल के इतने लंबे प्रयोग का पक्षधर नहीं हूँ। वह भी दर्द शामक के रूप में।
इसके रसायन के कारण शरीर में और भी विकार उत्पन्न हो रहे होंगे। पर इन विकारों की उग्रता इतनी अधिक नहीं होगी कि उसे किसी तरह की परेशानी हो रही हो। हो सकता है कि भविष्य में ये विकार उसे बहुत कष्ट दे।
मेरी यही सलाह है कि वह पेरासिटामोल का प्रयोग तुरंत ही बंद करें। इस हेतु अपने चिकित्सक से मिले और चिकित्सक को बताये कि वह खाली पेट पेरासिटामोल का प्रयोग कर रहा है।
मुझे उम्मीद है कि चिकित्सक इस बात को नहीं जानते होंगे और जब उन्हें इस बात का पता चलेगा तो वे तुरंत ही उसे हिदायत देंगे कि वह खाली पेट किसी भी हालत में पेरासिटामोल का प्रयोग न करे।
इसी तरह जटामांसी के जिस नुस्खे का प्रयोग वह कर रहा है उसे भी कभी भी खाली पेट नहीं लिया जाता है।
इस नुस्खे को लेने वाले को विशेष तौर पर सलाह दी जाती है कि भोजन के बाद वह इसका प्रयोग करें और खाली पेट इसका प्रयोग बिल्कुल भी न करे।
मैंने उसके घटकों का अध्ययन किया है। यदि खाली पेट इस नुस्खे को लिया जाता है तो वैसे ही लक्षण आते हैं जैसे कि इस युवक को आ रहे हैं और डब्ल्यूबीसी की संख्या बहुत तेजी से कम होने लगती है।
यह दोनों कारण इस युवक की समस्या के लिए उत्तरदाई है। हो सकता है कि इन दोनों का एक साथ प्रयोग मिलकर समस्याओं को और अधिक बढ़ा दे रहे हो।
इसलिए मेरी सलाह यही है कि वह इन दोनों औषधीयों को खाना खाने के बाद प्रयोग करें और फिर 15 दिनों बाद मुझे बताएं कि उसकी हालत में किसी प्रकार का सुधार हुआ है कि नहीं।
उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए। 15 दिनों के बाद उनका फोन नहीं आया।
25 दिनों के बाद जब उन्होंने फोन किया तो उन्होंने बताया कि वह अपनी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। अब जांच रिपोर्ट आई है कि डब्ल्यूबीसी की संख्या तेजी से सामान्य होती जा रही है।
मुझे बताया गया कि युवक के चिकित्सक ने पेरासिटामोल का प्रयोग पूरी तरह से बंद करवा दिया है और उन्होंने उसको डांट लगाई है कि इतने लंबे समय तक इस औषधि का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए था।
इस तरह एक बड़ी समस्या का समाधान हुआ जिसके लिए दवाओं का गलत प्रयोग उत्तरदाई था और वह तो अच्छा हुआ कि उस युवक ने रायपुर में आकर यह राज बातों ही बातों में बता दिया कि वह इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहा है और समस्या का सफलतापूर्वक समाधान हो गया।
मैंने उसे शुभकामनाएं दी।
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