Consultation in Corona Period-81
Consultation in Corona Period-81
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"दिन हो या रात जब भी मेरी आंख लगती है तब मैं पहाड़ों पर पहुंच जाता हूँ। बहुत ऊँचे पहाड़ों पर फिर उन पहाड़ों से फिसल जाता हूँ और तेजी से नीचे गिरने लगता हूँ।
बस इतने में ही मेरी नींद खुल जाती है और मैं हड़बड़ा कर उठ जाता हूँ। उठ कर देखता हूँ तो मेरा मुंह पूरी तरह से सूखा हुआ होता है।
बिस्तर पर पेशाब हो गई होती है और हृदय तेजी से धड़कता हुआ महसूस होता है।
बार-बार इसी तरह का सपना आने से मैं अपने व्यापार में ठीक से ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ। अच्छी नींद न होने पर भला कौन अच्छे से काम कर पाएगा।
मुझे बताया गया कि यह हृदय रोग के कारण हो रहा है इसीलिए मैंने अपनी पूरी जांच करवाई पर किसी भी तरह का हृदय रोग पकड़ में नहीं आया।
फिर मैं मनोचिकित्सक से मिला। उन्होंने मुझे नींद की बहुत सारी दवाएं दी पर सपनों का आना किसी भी तरह से बंद नहीं हुआ।
उसके बाद मैंने एक प्रसिद्ध ज्योतिषी का सहारा लिया। उन्होंने तरह-तरह के रत्न मुझे पहनने को दिए और कुछ रत्न सिरहाने पर रखने के लिए दिए।
जब इससे बात नहीं बनी तो उन्होंने मुझे नासिक भेजा और एक विशेष पूजा करवाई पर फिर भी सपनों का आना पूरी तरह से बंद नहीं हुआ।
मुझे बताया गया कि होम्योपैथी में सपनों के आधार पर बहुत सारी दवाओं का चुनाव किया जाता है इसलिए मैंने होम्योपैथी का भी सहारा लिया।
डॉक्टर साहब ने मुझे 10-12 किस्म की दवाएं दी पर फिर भी समस्या का समाधान नहीं हुआ।
मुझे यूट्यूब पर आपका एक वीडियो मिला जिसमें आपने ऐसी जड़ी बूटियों के बारे में बताया है जो कि इस तरह के विशेष सपने दिखने पर इस्तेमाल की जाती है।
इसलिए मैंने निश्चय किया कि आप से फोन पर बात करने की बजाय मैं सीधे ही रायपुर आ जाऊं और अपनी समस्या के बारे में बताऊँ।"
दार्जिलिंग के एक युवक ने परामर्श के लिए समय लिया और अपनी समस्या बताई।
मैंने उससे पूछा कि इस कोरोना काल में इतनी दूर से यात्रा करके आने में उसे किसी तरह की तकलीफ तो नहीं हुई तो उसने कहा कि वह काम के सिलसिले में छत्तीसगढ़-उड़ीसा की सीमा पर रहता है और बहुत महीनों से अपने घर नहीं गया है।
मैंने उसे बताया कि ऐसे सपने बहुत सारी दवाओं के बुरे प्रभाव के कारण भी आते हैं और पूछा कि वह किन किन दवाओं का प्रयोग कर रहा है।
उसने बहुत सारी बलवर्धक दवाओं के बारे में बताया जिसका प्रयोग वह कर रहा था। मुझसे बात करते वक्त वह बार-बार अपने पेट में हाथ रख लिया करता था।
जब मैंने उससे इसका कारण पूछा तो उसने दिल्ली के एक बड़े अस्पताल की रिपोर्ट दिखाई जिसमें कहा गया था कि उसे आईबीडी के कारण इंटेस्टाइनल फाइब्रोसिस की समस्या है और यह समस्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि उपलब्ध दवाएं भी पूरी तरह से इसका समाधान नहीं कर पा रही है।
उसने बताया कि जब उस अस्पताल ने दवा देने से इंकार कर दिया और बताया कि उसे यह रोग अनुवांशिक कारणों से है तो वह निराश हो गया और उड़ीसा के एक वैद्य से दवा लेनी शुरू की।
मैंने उससे पूछा कि क्या उसने हाल ही में वैद्य से दवा लेनी शुरू की है तो उसने कहा कि हां। साथ में यह भी कहा कि वह बहुत पहले से वैद्य से एक सेक्स टॉनिक लेता रहा है।
मैंने पूछा कि क्या सपने वैद्य की दवा शुरू करने के बाद से आ रहे हैं तो उसने कहा कि जब वह उनसे सेक्स टॉनिक लेता था तब भी यह समस्या थी।
मैंने उससे कहा कि वह अपने वैद्य से मेरी बात कराये ताकि मैं उनसे पूछ सकूं कि वे किस तरह की जड़ी बूटियां अपने नुस्खे में प्रयोग कर रहे हैं।
युवक ने अनुरोध किया कि यदि आप चाहें तो मैं वैद्य तक जाने की व्यवस्था कर सकता हूँ और इसके लिए जो भी फीस आप लेंगे वह देने के लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूँ।
मैं वैसे ही उड़ीसा में एक मामले को देखने जाने वाला था। मैंने वैद्य से मिलने की हामी भर दी।
जब हम वैद्य के घर पहुंचे तो तरह-तरह की जड़ी बूटियों को कूटने का काम चल रहा था। वैद्य के घर के सामने लंबी लाइन लगी हुई थी। हमने उन्हें परेशान करना उचित नहीं समझा और चुपचाप लाइन में खड़े हो गए।
जब लाइन में खड़े-खड़े उकता गए तो हमने उनके कर्मचारियों द्वारा कूटी जा रही जड़ी बूटियों के बारे में उनसे पूछना शुरू किया।
कई जड़ी बूटियों को देखने के बाद हम एक स्थान पर रुके। कर्मचारी ने बताया कि यह काला दाना है जिसे कि वे केशकाल घाटी से एकत्र करते हैं।
वैद्य जी अक्सर इसका प्रयोग अपने नुस्खों में करते हैं। काला दाना का नाम सुनकर मैंने थोड़ा सा चूर्ण उठा लिया और उसे युवक को भी दिया और खुद भी खाया।
मुझे इसके दिव्य गुणों के बारे में विस्तार से जानकारी थी और इसीलिए इसे चखने से मैं अपने आप को नहीं रोक पाया।
फिर हम आगे बढ़े पर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाए क्योंकि हमारे पेट में तेज दर्द होने लगा। इतना अधिक तेज दर्द कि हम जमीन में लोटने लगे।
ऐसा लगता था कि जैसे प्राण ही निकल जाएंगे। जब वैद्य जी को यह पता चला तो वे दौड़े-दौड़े आए और पूछा कि आपने क्या खाया था?
जब मैंने बताया कि हमने काला दाना का चूर्ण खाया था तो उन्होंने कहा कि उससे तो इस तरह के लक्षण नहीं आते हैं और ऐसा कह कर उन्होंने उस चूर्ण को अपने मुंह में रख लिया।
जल्दी ही उनकी हालत भी हमारी जैसी हो गई। जैसे तैसे बहुत सारे पतले दस्त होने के बाद दर्द कम होता गया पर कुछ समय बाद फिर से बढ़ने लगा।
हम रात भर वैद्य जी के साथ रहे और अपने दर्द को बांटते रहे।
वैद्य जी बड़े आश्चर्य में थे कि कैसे काला दाना से इस तरह का असर दिख रहा है।
सुबह तक हमारी हालत कुछ ठीक हुई तो मैंने वैद्य जी से पूछा कि क्या आपके मरीज यह शिकायत करते हैं कि उन्हें आजकल विचित्र किस्म के सपने आते हैं जिसमें वे अपने आप को ऊंचे पहाड़ों से गिरता देखते हैं तो उन्होंने कहा कि हां, बहुत से मरीज ऐसी शिकायत करते हैं और उसके लिए वे एक और दवा उन्हें दे देते हैं।
मैंने उन्हें बताया कि आप जिस काला दाना का प्रयोग कर रहे हैं उसमें दूसरी वनस्पति की मिलावट की गई है।
इसी मिलावट के कारण यह पेट में बहुत अधिक मरोड़ उत्पन्न करता है और दिमाग पर असर डाल कर इस तरह के विशेष सपने को दिखाता है।
सम्भवतः जब आप इसे अपने नुस्खे में डालते होंगे तो नुस्खे में उपस्थित कोई दूसरी जड़ी-बूटी इसके पेट दर्द वाले प्रभाव को कम कर देती होगी जिससे आप के मरीज इस समस्या का जिक्र आप से नहीं करते होंगे।
उन्होंने कहा कि हां, ऐसी ही बात लगती है। मेरे नुस्खों को लेने के बाद कोई भी यह नहीं कहता कि उसे पेट में बहुत अधिक दर्द हो रहा है।
मैंने उनसे यह भी कहा कि हो सकता है कि यह हिरनखुरी नामक वनस्पति के कारण हो रहा हो। अक्सर इस वनस्पति की मिलावट काला दाना में की जाती है।
वैद्य जी ने कहा कि यदि इसमें हिरनखुरी की मिलावट की गई है तो इसकी पहचान करना ज्यादा कठिन नहीं है। यदि हम काला तेलिया नामक कन्द को अपने पैरों में लगाएं तो हमारी दोनों आंखें फड़कने लगेंगी।
आंखों का फड़कना इस बात का प्रमाण होगा कि काला दाना में हिरनखुरी की मिलावट की गई है। वैद्य जी की बात से मैं सहमत था।
मैंने बताया कि बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक इस तरह के परीक्षण के लिए एक दूसरी विधि का भी प्रयोग करते हैं।
हमने यह निश्चय किया है कि हम दोनों विधियों को आजमा कर देखेंगे। इन विधियों को आजमाने के बाद यह निश्चित हो गया कि इसमें अच्छी मात्रा में मिलावट की गई थी।
उन्होंने बताया कि वे अपने सेक्स टॉनिक और उस युवक को दिए जा रहे नुस्खे दोनों में ही इसी काले दाने का प्रयोग वर्षों से करते आ रहे हैं।
जब यह स्पष्ट हो गया कि इसमें हिरनखुरी की मिलावट की गई है तब हिरनखुरी की मिलावट से होने वाले सारे लक्षणों की जानकारी एक के बाद एक दिमाग में आने लगी।
मैंने युवक को बताया कि संभवत इंटेस्टाइनल फाइब्रोसिस आईबीडी के कारण नहीं है बल्कि हिरनखुरी के लंबे प्रयोग के कारण है।
हिरनखुरी का विष आंतों को बुरी तरह से प्रभावित करता है इसीलिए पारंपरिक चिकित्सक इसका प्रयोग बहुत संभलकर करते हैं पर मिलावट करने वालों को तो उपयोगकर्ताओं की जरा भी चिंता नहीं रहती है।
उन्हें बस अपने मुनाफे की पड़ी रहती है इसलिए वे जहरीली से जहरीली वनस्पतियों को जड़ी बूटियों में मिलाने से परहेज नहीं करते हैं।
मैंने युवक को यह भी बताया कि तुम्हारे पहाड़ वाले सपने का कारण भी हिरनखुरी ही है।
मैंने वैद्य जी से कहा कि आप एक नया फार्मूला बनाए जिसमें आप शुद्ध काला दाना का प्रयोग करें फिर इसे युवक को दें। मुझे लगता है कि उसकी सारी समस्याओं का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।
हिरनखुरी के प्रयोग से जो उसकी आँतों को नुकसान हुआ है उसे हिरनखुरी के दुष्प्रभाव को दूर करने वाली एक दूसरी बूटी की सहायता से ठीक किया जा सकता है। मैं आपको इस बूटी के बारे में पूरी जानकारी दे देता हूँ ताकि आप उस युवक को इसे तैयार कर दे सकें।
जब युवक ने बताया था कि उसे किस प्रकार के सपने दिख रहे हैं तो मेरे मन में 20 से अधिक वनस्पतियों के चित्र उभर आए थे।
वह तो अच्छा हुआ कि हम वैद्य जी के पास चले गए, हमने काला दाना चख लिया और सारी बातें धीरे-धीरे खुल गई अन्यथा समस्या की जड़ तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लगता और यह भी हो सकता था कि शायद हम कभी इस तक नहीं पहुंच पाते।
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