Consultation in Corona Period-73
Consultation in Corona Period-73
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"शरीर के दूसरे भागों में खुजली हो तो एक बार सहा जा सकता है पर अगर प्राइवेट पार्ट में भी खुजली होने लगे तो फिर कोई कैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाए या अपना ऑफिस जॉब करे।
ऐसे में तो पूरे समय घर में बैठना पड़ता है। और कुछ कर ही नहीं सकते।"
25 वर्ष की एक युवती अपनी समस्या बता रही थी। उसने तरह-तरह की चिकित्सा पद्धति अपनाई थी पर किसी भी तरह से उसकी खुजली का अंत नहीं हो रहा था इसलिए उसने मुझसे परामर्श लेने का समय लिया था।
मैंने कहा कि मैं उसकी पूरी मदद करूंगा।
मैंने उससे यह पूछा कि सारी समस्या की शुरुआत कहाँ से हुई?
उसने बताया कि उसे मिर्गी की समस्या है और यह मिर्गी रात को सोने के बाद आती है।
रात को दौरे पड़ते हैं और दिन में किसी भी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव नहीं दिखता है। इसके लिए वह एक चिकित्सक से एंटी एपिलेप्सी ड्रग ले रही थी।
उसने आगे बताया कि इस दवा को लेने से उसके दौरे बहुत कम हो गए थे और उसकी समस्या का समाधान भी हो रहा था।
उसके बाद अचानक ही उसे नींद की समस्या होने लगी जिसके लिए एक दूसरे चिकित्सक ने एक दवा लिख कर दी।
थोड़े ही दिनों बाद फिर कब्जियत की शिकायत होने लगी जिसके लिए एक और दवा उसे दी गई।
इसके बाद उसके घुटनों में दर्द होने लगा जिसके लिए फिर एक दवा उसके लिए लिखी गई।
घुटनों के दर्द के कुछ दिनों बाद उसे हाथ पैरों में बहुत अधिक पसीना आने लगा तब उसे एक और दवा सुझाई गई।
इसके कुछ दिनों बाद उसके मुंह में बड़े-बड़े छाले हो गए जिसके लिए एक आंतरिक और एक बाहरी दवा दी गई।
इसके बाद उसे टॉन्सिल की समस्या हो गई और उसके बाद साइनस की। इन समस्याओं के लिए भी उसे दवा सुझाई गई।
और साइनस की समस्या के बाद उसे पूरे शरीर में खुजली होने लगी जो कि चौबीसों घंटे होती थी। इस समय वह 17 से 18 दवाओं का सेवन एक दिन में कर रही थी पर उसकी कोई भी समस्या पूरी तरह से ठीक नहीं हो रही थी।
उसने एक दूसरे चिकित्सक से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह एलर्जी के कारण हो सकता है।
उन्होंने बहुत सारे प्रश्न पूछे पर वे इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए कि एलर्जी किस कारण से हो रही है और उन्होंने पांच और दवाएं लिखकर दे दी।
युवती ने जब मेरे लेख इंटरनेट पर पढ़े तो उन्हें लगा कि हो सकता है कि किसी खाद्य सामग्री के कारण से इस तरह की समस्या हो रही हो इसलिए मुझसे परामर्श लेने की कोशिश उसने की।
मैंने उससे कहा कि मैं चिकित्सक नहीं हूं और ड्रग इंटरेक्शन पर मैंने शोध किया है।
इस आधार पर यदि किसी खाद्य सामग्री और दवा के बीच किसी प्रकार का इंटरेक्शन हो रहा हो तो मैं उस बारे में अपनी राय व्यक्त कर सकता हूं पर इसके लिए मुझे विस्तार से यह जानना होगा कि वह कितने समय से कौन-कौन सी खाद्य सामग्रियों का प्रयोग कर रही है और साथ ही उसे इन दवाओं के अलावा और कौन सी दवा दी गई है।
उसने बताया कि उसने कई बार आयुर्वेद चिकित्सक से भी सलाह ली और उन्होंने भी कई तरह की दवायें दी पर उसने केवल च्यवनप्राश का प्रयोग ही जारी रखा और बाकी सभी दवाओं को बंद कर दिया।
मैंने उससे अनुरोध किया कि वह जिस च्यवनप्राश का उपयोग करती है उसका एक सैंपल मेरे पास भेजें ताकि उसका परीक्षण किया जा सके।
जब उसने च्यवनप्राश का सैंपल भेजा और मैंने पारंपरिक विधि से उसका परीक्षण किया तो मुझे च्यवनप्राश में दोष नजर आया।
मैंने उससे कहा कि वह च्यवनप्राश का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक दें और फिर मुझे बताएं कि क्या उसकी तकलीफ में कमी आई है।
एक महीने बाद उसने फिर से संपर्क किया और बताया कि उसकी आधी से ज्यादा समस्या का समाधान हो गया है और अब वह 17 दवाओं के स्थान पर केवल तीन दवायें ले रही है।
उसकी खुजली पूरी तरह से मिट चुकी है और मिर्गी की दवा भी बड़े अच्छे से काम कर रही है।
उसने धन्यवाद दिया और यह जानना चाहा कि क्या च्यवनप्राश में किसी प्रकार का दोष था।
मैंने उसे विस्तार से बताया कि वह जिस च्यवनप्राश का उपयोग कर रही थी उसमें प्रयोग किए गए आँवले में दोष था।
प्राकृतिक रूप से उग रहे आँवले में कई प्रकार के कीड़ों का आक्रमण होता है। जब आंवले के वृक्षों में छाल को खाने वाले कीड़ों का बहुत अधिक संख्या में आक्रमण होता है तो आँवले के वृक्ष कमजोर पड़ जाते हैं।
जब ऐसे वृक्षों में फल आते हैं और इन फलों का उपयोग किया जाता है च्यवनप्राश बनाने के लिए तब च्यवनप्राश दोषयुक्त हो जाता है।
यह दोषयुक्त च्यवनप्राश बहुत सारी आधुनिक दवाओं के साथ विपरीत प्रतिक्रिया करता है।
मैंने अपने अनुभव से जाना है कि ऐसा च्यवनप्राश ऐंटीएपिलेप्सी ड्रग्स के साथ बहुत बड़े स्तर पर विपरीत प्रतिक्रिया करता है। इससे तरह-तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
इस बारे में न तो आधुनिक चिकित्सक जानते हैं और न ही पारंपरिक चिकित्सक।
क्योंकि पूरी दुनिया में ड्रग इंटरेक्शन पर बहुत ही कम शोध किया जाता है।
उसे जो ढेर सारे लक्षण आ रहे थे और जिनके लिए ढेर सारी दवाईयां उसे दी जा रही थी वे दरअसल च्यवनप्राश में उपस्थित दोषयुक्त आँवले की एंटी एपिलेप्सी ड्रग के साथ हो रही प्रतिक्रिया के कारण आ रहे थे।
इसलिए जब भी च्यवनप्राश का प्रयोग करे तो संभव हो तो मेरे पास पहले सैंपल भेज दे और मेरे द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद ही उसका प्रयोग करें।
मैने उसे यह भी बताया कि च्यवनप्राश बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां आँवला खुद नही उगाती हैं इसलिए इसे थोक के भाव में व्यापारियों से खरीदती हैं।
व्यापारी इसे वनवासियों से खरीदते हैं जो कि आँवले को एकत्रित करते समय इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं कि आँवला स्वस्थ वृक्ष से लिया गया है या अस्वस्थ वृक्ष से। इसलिए यह नहीं बताया जा सकता कि किस ब्रांड के च्यवनप्राश का उपयोग करें।
बस च्यवनप्राश की जांच करके यह बताया जा सकता है कि जिस लॉट का च्यवनप्राश उसके पास आया है उसमें यह दोष है कि नहीं है।
यह कठिन प्रक्रिया है पर जब तक वह मिर्गी की दवा ले रही है तब तक उसे यह सावधानी बरतनी होगी।
उसने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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