Consultation in Corona Period-62
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"यह तो आपने भी महसूस किया होगा कि दुनिया भर में बुजुर्गों और बच्चों में ब्रेन ट्यूमर की समस्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। हम अमेरिका में ऐसी खाद्य सामग्रियों की सूची तैयार कर रहे हैं जो कि ब्रेन ट्यूमर को उग्र बनाने में अपना योगदान देती हैं।
पहले ब्रेन ट्यूमर इतने सारे लोगों को नहीं होता था और ब्रेन ट्यूमर के कारण इतनी अधिक संख्या में लोग नहीं मरते थे।
आधुनिक समाज में जरूर ऐसी बहुत सी नई खाद्य सामग्रियां आई हैं जिनके कारण ऐसे मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं।
आपने ब्रेन ट्यूमर पर बहुत अधिक गहनता से शोध किया है और इंटरनेट आर्काइव के माध्यम से सैकड़ों ग्रंथ इस विकट रोग पर प्रकाशित किये हैं।
इसलिए हम चाहते हैं कि आप हमारे इस प्रोजेक्ट से जुड़े और हमें बताएं कि भारत जैसे देश में ऐसी कौन कौन सी नई खाद्य सामग्रियां हैं जिनके प्रयोग से ब्रेन ट्यूमर उग्र हो जाता है और बहुत जल्दी ही लाइलाज हो जाता है।
अगर पारंपरिक और आधुनिक दवाओं के बारे में भी बता सकें जो कि ब्रेन ट्यूमर को बढ़ने में मदद करती है तो यह हमारे लिए बहुत उपयोगी जानकारी होगी। क्या आप हमारे प्रोजेक्ट से जुड़ना पसंद करेंगे?"
अमेरिका से जब यह प्रस्ताव आया तो मैंने तुरंत ही अपनी सहमति दे दी और उन्हें कहा कि इस बारे में आपकी जो भी संभव मदद हो सकेगी मैं करूंगा।
मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास दुनिया भर के ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित आते हैं और मैं उनके केस को डॉक्यूमेंट करता हूँ।
इस आधार पर मैं दुनिया के सभी देशों में कौन सी खाद्य सामग्रियां और पारंपरिक दवाएं ब्रेन ट्यूमर को उग्र बनाती है- इस बारे में आपको जानकारी दे सकता हूँ।
मैंने उन्हें 3000 से अधिक पारंपरिक दवाओं और खाद्य सामग्रियों की सूची दी और कहा कि वे इस पर विस्तार से अनुसंधान करें और दुनिया भर के आम लोगों को यह बताएं कि उनके द्वारा प्रयोग की गई की जा रही सामग्री कैसे ब्रेन ट्यूमर को बढ़ने में मदद करती है।
मैंने उन्हें बताया कि भारत में आजकल बुजुर्गों और बच्चों में मेमोरी टॉनिक का प्रयोग करने में विशेष रूचि है। डॉक्टरों के कहने या न कहने पर भी वे अपने मन से मेमोरी टॉनिक का प्रयोग करते हैं।
भारतीय बाजार में बहुत से मेमोरी टॉनिक ऐसे हैं जिनमें कि अहम घटक के रूप में जहर मोहरा का प्रयोग किया जाता है।
मैंने अपने अनुभव से देखा है कि यह जहर मोहरा ब्रेन ट्यूमर को तेजी से बढ़ने में मदद करता है। जल्दी ही सारी स्थिति अनियंत्रित हो जाती है और मरीजों की जान पर बन आती है।
पीढ़ियों से मेमोरी टॉनिक के नुस्खों में जहर मोहरा का प्रयोग होता आया है।
यह वास्तव में मैग्नीशियम सिलिकेट है जिसके बारे में आधुनिक वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे थोड़ी मात्रा में खाने से शरीर में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है और यह कैंसर पैदा करने वाला खनिज नहीं है।
भारतीय नुस्खों में जब जहर मोहरा का प्रयोग किया जाता है तो उससे पहले उसका शोधन किया जाता है और उसके बाद उसका मारण और मर्दन भी किया जाता है।
उसके बाद ही पूरी तरह से शुद्ध हो चुके जहर मोहरा का प्रयोग नुस्खों में किया जाता है। शोधित जहर मोहरा अपने आप में भले ही नुकसानदायक न हो पर यदि इसको सही ढंग से शोधित न किया जाए तो बहुत तरह के कैंसर को फैलने में यह मदद करता है।
कुछ वर्षों पहले मैंने भारत की विभिन्न कम्पनियों और शोध वैज्ञानिकों के बीच एक सर्वेक्षण किया था यह जानने के लिए कि भारत में किन विधियों से जहर मोहरा का शोधन किया जाता है।
मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि जिन भी विधियों से जहर मोहरा का शोधन किया जाता है वे शास्त्र सम्मत नहीं है।
यही कारण है कि जहर मोहरा के दोष नुस्खे में रह जाते हैं और ब्रेन ट्यूमर को तेजी से फैलने में मदद करते हैं।
जहर मोहरा की दूसरी पारंपरिक दवाओं के साथ भी सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं जिसके बारे में आधुनिक विज्ञान कुछ नहीं जानता है क्योंकि उसने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया है।
एक तो अपूर्ण शोधित जहरमोहरा और ऊपर से दूसरी दवाओं के साथ इसकी प्रतिक्रिया मामले को और अधिक गंभीर बना देती है।
भारतीय पारम्परिक चिकित्सक इस बात को जानते हैं कि जहर मोहरा का प्रयोग नुस्खों में किया जाना चाहिए पर वे जानबूझकर अपने नुस्खों में इसके स्थान पर इसके वानस्पतिक प्रतिनिधि का प्रयोग करते हैं जो कि किसी भी हालत में जहरीला नहीं होता है।
उन्हें यह बात साफ तौर पर मालूम है कि अगर शोधन में किसी भी तरह से चूक हुई तो उनके मरीजों को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
भारतीय मेमोरी टॉनिक से ब्रेन ट्यूमर के बढ़ने की बात सुनकर अमेरिकी वैज्ञानिकों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। यह उनके लिए और पूरी दुनिया के लिए एक नई जानकारी थी।
उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि जिस तरह से भारत में मेमोरी टॉनिक खाने का फैशन बढ़ता जा रहा है उससे तो लगता है कि भविष्य में ब्रेन ट्यूमर की विश्व राजधानी बनने में भारत को ज्यादा समय नहीं लगेगा।
मैंने उन विशेषज्ञों को यह भी बताया कि थाईलैंड में भारतीय बेल से तैयार एक हर्बल टी का प्रयोग बहुत लोकप्रिय है। बेल को हर्बल टी के रूप में भारत के पारंपरिक चिकित्सक इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें इसके नुकसान के बारे में मालूम है पर थाईलैंड में यह चाय बहुत मशहूर है।
जब मेरे पास थाईलैंड के ब्रेन ट्यूमर प्रभावित लोग आते हैं तो मैं उनसे सबसे पहले पूछता हूँ कि क्या आप इस चाय का उपयोग कर रहे हैं तो उनमें से 99 प्रतिशत लोगों का कहना होता है कि हां हम इस चाय का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग कर रहे हैं।
तब मैं उनसे कहता हूँ कि आप इसका उपयोग बंद कर दें तो कुछ ही महीनों में बिना किसी दवा के आपके ब्रेन ट्यूमर का बढ़ना पूरी तरह से रुक जाएगा।
उन्हें इस बात पर बड़ा आश्चर्य होता है पर वे जब इसका प्रयोग बंद करते हैं तो आश्चर्यजनक परिणाम देखकर वे विस्मित रह जाते हैं।
मैंने इस पर विस्तार से अपने लेखों के माध्यम से समय-समय पर लिखा है।
बहुत सी थाईलैंड की कंपनियों ने जो कि इस चाय का निर्माण करती है मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि आप इसमें बेल के साथ में दूसरी वनस्पतियों का प्रयोग करें ताकि इसका दोष समाप्त हो जाये। फिर इस पर क्लीनिकल ट्रायल करें। उसके बाद ही इस चाय को आम जनता के बीच में उपलब्ध करायें।
उन्होंने हर बार मेरी बात ध्यान से तो सुनी पर इस पर अमल कभी नहीं किया। थाईलैंड की यह चाय पूरी दुनिया में पी जाती है।
इससे दूसरी भी स्वास्थ समस्याएं होती होंगी। चूंकि इस पर गम्भीरता से शोध नहीं हुए हैं इसलिए ऐसी बातें सामने नहीं आती हैं।
इस चाय को इस नाम पर बेचा जाता है कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है और मेमोरी के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
मैंने अपने लंबे अनुभव से यह जाना है कि डायबिटीज की आधुनिक दवा मेटफॉर्मिन के साथ इस चाय की विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
इसलिए डायबिटीज की चिकित्सा के लिए जो मेटफॉर्मिन का प्रयोग करते हैं उन्हें मैं साफ साफ चेतावनी देता हूँ कि वे भूलकर भी इस चाय का प्रयोग न करें।
बहुत सारी नींद की दवाओं के साथ भी इस चाय की विपरीत प्रतिक्रिया होती है और उन दवाओं को इस चाय के बाद लेने से उनके साइड इफेक्ट बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिकों के लिए यह जानकारी भी किसी आश्चर्य से कम नहीं थी।
उन्होंने इन महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि इस पर हमारी शोध परियोजना शीघ्र ही आरंभ होगी।
तब एक बार फिर से आपसे दिशा निर्देश लिए जाएंगे।
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