Consultation in Corona Period-66

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"शराब के अति सेवन और अत्यधिक तनाव के कारण यदि लिवर फेल हो जाए तो क्या इसके लिए किसी प्रकार का मेडिसिनल राइस उपयोगी साबित हो सकता है? 


आपने बहुत तरह के मेडिसिनल राइस पर शोध किया है इसलिए हम आपसे संपर्क कर रहे हैं। हमारी दीदी एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में उच्च पद पर काम करती हैं। 


बहुत अधिक शराब पीने के कारण उनके लिवर में समस्या उत्पन्न हो गई है और डॉक्टर कहते हैं कि अब उनके पास ज्यादा दिन नहीं बचे हैं।


उनकी नियमित दवायें चल रही हैं। यदि इन दवाओं के साथ आपका मेडिसिनल राइस कुछ असर दिखा सकता है तो हमारी मदद करिए।


 हम आपकी फीस देने को तैयार हैं।"


 बंगलुरु से जब यह संदेश आया तो मैंने उनसे कहा कि आप सारी रिपोर्ट मुझे भेज दें ताकि मैं उनका अध्ययन करके यह बता सकूँ कि कौन सा मेडिसिनल राइस भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में इस तरह की समस्या में दिया जाता है और साथ ही अपना पता भी बता दें ताकि कोरियर से इस मेडिसिनल राइस को आपके पास भेजा जा सके।


 बिना किसी देरी के उन्होंने सारी जानकारी मेरे पास भेज दी और उस जानकारी के आधार पर मैंने उन्हें दो किस्म के मेडिसिनल राइस बंगलुरू भेज दिए।


 दो महीनों के बाद उनका फिर से फोन आया और उन्होंने परामर्श के लिए समय मांगा।


 इस बार उन्होंने कहा कि दीदी ने जॉब छोड़ दिया है। अब उनकी मानसिक स्थिति बहुत बिगड़ गई है। 


मनोचिकित्सक से उनकी चिकित्सा चल रही है। वह बहुत अधिक डिप्रेशन में चली गई है। शराब उन्होंने बहुत कम कर दी है फिर भी लिवर की हालत अभी तक ठीक नहीं हुई है। 


डॉक्टर अब जवाब दे चुके हैं पर उनकी दवायें अभी भी चल रही है। हम चाहते हैं कि आप हमें कुछ पारंपरिक दवाओं का सुझाव दें ताकि उनकी हालत में सुधार हो सके।


 मैंने उनसे कहा कि आपको जिस भी चिकित्सा पद्धति में विश्वास है आप उसको ही अपनाएं। 


एक साथ बहुत तरह की चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने से शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और रोग उग्र हो जाता है।


 आधुनिक चिकित्सक जो आपकी दीदी को दवा दे रहे हैं वे उपयुक्त दवायें हैं और आप उन पर विश्वास रखें।


 देर सबेर उनसे लाभ हो सकता है।


 आपने बताया कि आपकी दीदी आयुर्वेद चिकित्सक से भी दवा ले रही हैं और साथ में होम्योपैथी दवा भी चल रही है। ऐसे में किसी और तरह की दवा का सुझाव देना हितकर नहीं होगा।


 वे संतुष्ट हो गई और उन्होंने फोन रख दिया।


 एक महीने बाद फिर उन्होंने संपर्क किया और कहा कि वे दीदी को लेकर रायपुर आना चाहती हैं ताकि एक बार आप उन्हें देख लें।


 मैंने उनसे कहा कि आप अपॉइंटमेंट लेकर आ जाइए और अभी की जो ताजा रिपोर्ट हैं उन्हें मुझे व्हाट्सएप कर दीजिए। 


एक हफ्ते के अंदर उनकी दीदी मेरे सामने बैठी थी। मुझे बताया गया कि वह एक जगह शांत नहीं बैठ सकती हैं। दिन भर घूमती रहती हैं बिना किसी उद्देश्य के। 


कुछ मिनट तक उनकी हरकतों को देखकर मैंने अचानक ही पूछा कि क्या आपकी दीदी आजकल मिलेट्स (Millets) खा रही है तो उन्होंने कहा कि आपको कैसे पता?


मैंने कहा कि यह समस्या मिलेट्स से जुड़ी हुई दिखती है।


 थोड़ी देर बाद उनकी दीदी ने अपने सिर पर मुक्का मारना शुरू किया और कहती जा रही थी कि ऐसा करने से उन्हें सिर के दर्द में राहत मिलती है।


 मुझे बताया गया कि वह लगातार सिर को दबाती रहती है चाहे वह दिन हो या रात।


 कुछ और सुने और जाने बिना मैंने उनसे कहा कि आप एक हफ्ते तक के मिलेट्स खाना बंद करें। 


मुझे लगता है कि उनकी समस्या की जड़ न तो तनाव है और न ही शराब बल्कि उनकी इस समस्या की जड़ है मिलेट्स।


 उन्हें इस बात पर यकायक विश्वास ही नहीं हुआ। फिर वे वापस गई तो उन्होंने मिलेट्स को पूरी तरह से बंद कर दिया और सामान्य भोजन शुरू कर दिया।


 एक हफ्ते के अंदर उनकी तबीयत में सुधार होना शुरू हुआ और जब उनकी फिर से जांच हुई तो उनकी स्थिति में काफी सुधार दिखा। 


अगले एक महीने में हालत में और सुधार हुआ।


 तीन महीने के भीतर लिवर फिर से ठीक से काम करने लगा और साथ ही मानसिक तनाव व डिप्रेशन की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो गई। उनकी दवायें बंद हो गई।


चार महीने के बाद उन्होंने अपना ऑफिस फिर से ज्वाइन कर लिया और अपने काम में लग गई। 


उसके बाद उन्होंने फिर से मुझसे परामर्श लेने का समय लिया।


 जब दोनों बहनें आई तो उन्होंने पूछा कि क्या यह मिलेट्स के कारण हो रहा था?


मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि यह मिलेट्स के कारण नहीं हो रहा था बल्कि मिलेट्स में की गई मिलावट के कारण हो रहा था। 


मिलेट्स में इस तरह की मिलावट की शिकायतें दक्षिण भारत से बहुत अधिक आ रही हैं। 


मिलेट्स में सोन झुनका नामक एक वनस्पति के बीजों की मिलावट की जाती है।


  मिलेट्स का उत्पादन करने वाली कम्पनियाँ कहती हैं कि यह वनस्पति खरपतवार के रूप में खेतों में पाई जाती है और जब खेतों से मिलेट्स को एकत्र किया जाता है तो ये बीज भी अपने आप खेत में ही मिल जाते हैं पर मुझे इस पर अधिक विश्वास नहीं होता है। 


मुझे लगता है कि इसकी मिलावट बाद में की जाती है। 


जो इस मिलेट्स को लंबे समय तक खाते हैं उनके लिवर में धीरे-धीरे खराबी होने लग जाती है। उनके पेशाब का रंग लाल हो जाता है। 


वे डिप्रेशन में चले जाते हैं और बिना वजह इधर-उधर घूमने लग जाते हैं। 


उनके सिर में लगातार दर्द होता है और उनको सिर को दबाने में बहुत अच्छा लगता है। 


प्रभावित लोग यह सपने में भी सोच नहीं पाते हैं कि यह मिलेट्स के कारण हो रहा है और जब वे चिकित्सकों के पास जाते हैं तो लक्षणों के आधार पर उनकी चिकित्सा शुरू हो जाती है। जैसा आपके मामले में हुआ।


 शराब को लीवर की समस्या के लिए दोषी मान लिया गया और आपके तनाव को आपकी मानसिक समस्या के लिए। और इस तरह आपकी चिकित्सा शुरू हो गई।


बंगलुरु जैसे बड़े शहरों में आजकल मिलेट्स खाने का फैशन चला हुआ है। हर संपन्न आदमी मिलेट्स खाकर सोचता है कि उसे अब किसी भी तरह की बीमारी नहीं होगी। 


मिलावटखोरों ने मिलेट्स में इस तरह की मिलावट शुरू कर दी है जिसकी किसी भी स्तर पर जांच नहीं की जा सकती है।


 जब इसका प्रयोग किया जाता है और विपरीत लक्षण आते हैं तब विशेषज्ञ ही बता सकते हैं कि इसमें किसी खरपतवार के बीजों की मिलावट की गई है।


 यह एक बड़ी त्रासदी है। मिलेट्स अच्छे हैं पर मिलेट्स ही अच्छे नहीं है। ऊपर से मिलेट्स को ऑर्गेनिक के नाम पर बेचा जाता है और फिर इस तरह के खरपतवार के बीजों को मिलाया जाता है। 


पिछले सालों में मैंने ऐसे कई मामले देखे हैं और बहुत से मरीजों को इस मकड़जाल से बाहर निकाला है।


 मैने उन्हें रायपुर आकर परामर्श लेने के लिए धन्यवाद दिया और बताया कि यही कारण है कि मैं बार-बार फोन पर परामर्श लेने वालों से कहता हूं कि एक बार आप मुझसे मिलने आ जाए तो मैं आपको बेहतर तरीके से बता सकूँगा कि आपकी समस्या की जड़ क्या है और बहुत से मामलों में बिना किसी दवा के समस्या का पता चल जाता है और पूरी तरह से उसका समाधान हो जाता है। 


उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


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