Consultation in Corona Period-70
Consultation in Corona Period-70
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"वैद्य जी की दवा से ब्रेन ट्यूमर तो पूरी तरह से ठीक हो गया है- ऐसा लगता है। पर बहुत अधिक कमजोरी आ गई है।
हर समय थकान रहती है और पूरे शरीर में बहुत अधिक दर्द होता है इसलिए एक बार फिर लाकडाउन खुलते ही हम कनाडा से वैद्य जी से मिलने आए हैं।"
महाराष्ट्र से सड़क के रास्ते लौटते हुए मैं अपने फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र के साथ रायपुर आ रहा था एक हत्या के मामले को सफलतापूर्वक सुलझाने के बाद।
रास्ते में विशेषज्ञ मित्र ने कहा कि पास ही एक वैद्य हैं जो कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। अगर आप चाहें तो हम उनसे मिल सकते हैं।
मैंने रास्ते में रुकने का मन बनाया और जब मैं वैद्य जी के घर के सामने पहुंचा तो बड़ी संख्या में लोगों को देखकर हैरान रह गया।
यह अच्छी बात थी कि सबने सामाजिक दूरी बनाकर रखी हुई थी जो कि इस कोरोनावायरस काल मे बहुत अधिक जरूरी है।
भीड़ में स्थानीय लोग थे और देश के दूसरे हिस्सों से आए हुए लोग भी। उनमें से कुछ विदेशी भी थे। ऐसे ही एक युवक जो कि कनाडा से आया था, ने उपरोक्त बात कही।
उसने बताया कि एक साल पहले उसे ब्रेन ट्यूमर की समस्या थी और डॉक्टर लगातार कह रहे थे कि सर्जरी की जरूरत है पर वह सर्जरी नहीं कराना चाहता था इसलिए कनाडा से सीधा महाराष्ट्र आया।
फिर इस वैद्य से दवा शुरू की। इस दवा ने जल्दी ही असर करना शुरू किया और उसकी समस्या का समाधान हो गया।
वैद्य ने उसे एक साल की दवा दी और कहा कि अब दोबारा आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उससे बात करते हुए मैं उसके चेहरे को पढ़ रहा था और मुझे बार-बार लग रहा था कि उसे किडनी की किसी तरह की समस्या हो सकती है।
जब मैंने उससे पूछा कि क्या तुम्हे किडनी की समस्या है तो उसने पूछा कि आपको कैसे मालूम?
मैंने कहा कि उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा है कि वह किडनी की किसी गंभीर समस्या से परेशान है।
उसने अपनी रिपोर्ट दिखाते हुए बताया कि कनाडा के डॉक्टर ने बताया है कि Rhabdomyolysis जैसे लक्षण आ रहे हैं जिसके कारण किडनी ठीक से कार्य नहीं कर रही है और बहुत ज्यादा दुर्बलता आती जा रही है।
वे किडनी ट्रांसप्लांट की बात कर रहे हैं जो कि मैं नहीं करवाना चाहता हूं इसलिए आखिरी विकल्प के रूप में मैंने महाराष्ट्र आने का फैसला किया और अब एक बार फिर से वैद्य जी से मिलकर इसकी पूरी चिकित्सा करवाना चाहता हूं। उसकी रिपोर्ट मैंने ध्यान से पढ़ी और उसे शुभकामनाएं दी।
उसके बाद हम फिर से वैद्य जी से मिलने का इंतजार करने लगे। इस बीच मैंने देखा कि वह युवक अपनी महिला मित्र से कोई दवा लेकर पानी के साथ ले रहा था।
मैंने ऐसे ही उससे पूछा कि यह कौन सी दवा है तो उसने बताया कि यह Lovastatin नामक कोलेस्ट्रॉल की दवा है जो कनाडा के डॉक्टर उसे दे रहे हैं। इसे नियमित लेना है।
मैंने उससे पूछा कि क्या उसने वैद्य को यह बताया है कि वह दूसरी दवा भी ले रहा है तो उसने कहा कि हां वैद्य जी को पता है इस दवा के बारे में।
उन्होंने कहा है कि इस दवा की उनकी दवा के साथ किसी भी प्रकार की नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं होती है और इसे बिना किसी भय के लिया जा सकता है।
थोड़ी देर बाद वैद्य जी ने हमें बीच से ही बुलवा लिया और बताया कि वे मुझे जानते हैं। 15 वर्ष पहले भोपाल के एक सम्मेलन में उन्होंने मेरा व्याख्यान सुना था और उसके बाद इकोपोर्ट पर मेरे लेखों को डाउनलोड करके विस्तार से पढ़ा था।
उन्होंने बताया कि वे मेरे द्वारा सुझाए गए बहुत सारे नुस्खों को लोगों के ऊपर आजमाते हैं और इससे उन्हें बहुत अधिक सफलता मिली है।
उन्होंने इकोपोर्ट पर उपलब्ध मेरे द्वारा प्रकाशित एक दुर्लभ फार्मूले के बारे में बताया जिसकी सहायता से वे ब्रेन ट्यूमर की सफल चिकित्सा करते हैं।
मुझे यह फार्मूला बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक से मिला था जिन्होंने कहा था कि आप इस फार्मूले के बारे में जितना अधिक प्रचार कर सकते हैं करिए क्योंकि यह दुनिया के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है।
कई वर्ष पूर्व लिखा गया लेख इस तरह से किसी के काम आएगा यह सुखद आश्चर्य का विषय था।
हमारी चर्चा चल ही रही थी कि मुझे अचानक ही उस युवक की याद आई। मैंने वैद्य जी की अनुमति से उसे अंदर बुलवा लिया।
और वैद्य जी को बताया कि आपने इस युवक के ब्रेन ट्यूमर की सफल चिकित्सा की है पर क्या आप यह जानते हैं कि आप जिस दवा का प्रयोग करते हैं उसकी इस युवक द्वारा वर्तमान में ली जा रही कोलेस्ट्रॉल की दवा से बहुत बड़े स्तर पर विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
वैद्य जी ने कहा कि मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं और मैंने कभी ऐसा देखा भी नहीं है कि इन दवाओं में किसी तरह की प्रतिक्रिया होती है इसलिए मैंने उसे छूट दे दी कि वह इसका प्रयोग कर सकता है।
आप बताएं क्या इसमें किसी प्रकार का दोष है?
मैंने उन सब को विस्तार से बताना शुरू किया कि कोलेस्ट्रॉल की Lovastatin नामक दवा जब कचनार पर आधारित नुस्खे के साथ किसी को दी जाती है Rhabdomyolysis जैसे लक्षण आते हैं और उसकी किडनी खराब होना शुरू हो जाती है अंततः उसे किडनी ट्रांसप्लांट करवानी पड़ती है।
कचनार के एक नहीं बल्कि 10 हजार से अधिक ऐसे फॉर्मूलेशंस हैं जो कि पारंपरिक चिकित्सा में अलग-अलग प्रकार के ट्यूमर की चिकित्सा के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
इन सभी फॉर्मूलेशंस की कोलेस्ट्रोल की दवा से नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है। मैंने ऐसे हजारों केसों के बारे में अपने लेखों में लिखा है ताकि दुनिया भर के डॉक्टर इस बात पर विशेष ध्यान दे सके।
पूरी जानकारी मिलने पर वैद्य जी ने क्षमा मांगी और कहा कि आगे से वे इस बात का ध्यान रखेंगे।
मैंने युवक से कहा कि वह तुरंत ही अपनी कोलेस्ट्रॉल की दवा बंद कर दें और उसकी जगह पर वैद्य जी से कोई दवा ले ले जिसकी वैद्य जी की ब्रेन ट्यूमर की दवा से कोई विपरीत प्रतिक्रिया न होती हो।
यही उसकी समस्या का समाधान है।
युवक को यह सब जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ और वह बिना दवा लिए ही वापस चला गया।
दो महीने बाद उसने मुझसे फोन पर परामर्श के लिए समय मांगा और कहा कि वह इसीलिए फोन कर रहा है क्योंकि अब उसकी समस्या पूरी तरह से समाप्त हो गई है।
उसकी समस्या की जड़ निश्चित ही नेगेटिव ड्रग इंटरेक्शन था।
वह तो अच्छा हुआ कि मैं वहां उस समय मौजूद था अन्यथा कभी भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाता।
उसने कहा कि उसने वैद्य जी से भी बात की है और अब उसे किडनी ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत नहीं है उसकी किडनी पहले की तरह सामान्य ढंग से काम कर रही है।
मैंने उसे धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसे वक्त में जब आधुनिक चिकित्सकों को पारंपरिक दवाओं के बारे में नहीं मालूम और पारंपरिक चिकित्सकों को आधुनिक दवाओं के बारे में नहीं मालूम तब उन्हें कठोरता पूर्वक अपने मरीजों को कहना चाहिए कि वे किसी एक पद्धति का ही इस्तेमाल करें।
मिली-जुली पद्धति का इस्तेमाल न करें और अगर इसे नहीं रोका जा सकता तो यह बहुत जरूरी है कि पारंपरिक चिकित्सक आधुनिक दवाओं से उनकी दवाओं की होने वाली प्रतिक्रिया के बारे में जाने।
उसके बाद ही इस तरह की अनुमति दें और ऐसा ही आधुनिक चिकित्सक भी करें अन्यथा ऐसे ही निगेटिव ड्रग इंटरेक्शन से लोग बेकार ही खतरनाक स्वास्थ समस्याओं से परेशान होते रहेंगे और अपनी जान से हाथ धोते रहेंगे।
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