Consultation in Corona Period-60

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"एरोमा थेरेपी से सभी प्रकार के कैंसर ठीक हो जाते हैं ऐसा आपको अपने लेख में लिखना है और दुनिया को बताना है कि मुंबई में एक ऐसा केंद्र है जहां पर एरोमा थैरेपी से सभी प्रकार के कैंसर को ठीक किया जाता है।


यह विश्वसनीय है और यहां किसी भी प्रकार की ठगी नहीं होती है।"


कुछ वर्षों पहले मुंबई के एक उद्योगपति के आमंत्रण पर मैं उनके प्रतिष्ठान में पहुंचा तब मुझसे ऐसा कहा गया।


"पर आपने तो मुझे कैंसर की चिकित्सा के लिए बुलाया है"- मैंने कहा तो उन्होंने कहा कि यह तो एक बहाना था।


 हम तो आपको अपना प्रतिष्ठान दिखाना चाहते हैं और एरोमा थेरेपी के क्षेत्र में हम जो अपना योगदान दे रहे हैं उसके बारे में आपसे चर्चा करना चाहते हैं। 


हमें आपसे कैंसर की चिकित्सा की सलाह नहीं चाहिए। आप पूरे प्रतिष्ठान को घूमें, अच्छा भोजन करें और कैंसर के रोगियों से मिलें जिन्हें हमने ठीक किया है और उसके बाद रायपुर लौटकर इनके बारे में अपने स्तंभ में विशेष तौर पर लिखें- उन्होंने कहा।


 उस समय मैं बॉटेनिकल डॉट कॉम में अतिथि स्तंभ लिखा करता था। इसे दुनियाभर में पढ़ा जाता था।


 मैंने उनसे साफ शब्दों में कहा कि मैं किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं लिखता हूँ।


 केवल अपनी बात उस स्तम्भ के माध्यम से दुनिया के सामने रखता हूँ और यदि मैं किसी के पक्ष में लिखना शुरु कर दूं तो मेरी विश्वसनीयता नहीं रह जाएगी।


 उन्होंने मेरी बात को अनसुना किया।


 पहले अपनी फैक्ट्री दिखाई और उसके बाद ढेर सारे लोगों को मेरे सामने कर दिया जो कि यह कह रहे थे कि उनका कैंसर एरोमा थैरेपी से ठीक हुआ है। 


मुझे उनमें से ज्यादातर लोग सिखाये पढाये हुए लोग लग रहे थे। 


उद्योगपति महोदय ने मुझसे आगे कहा कि वे छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बहुत सारे किसानों से लेमन ग्रास और पामारोजा जैसी सुगंधित फसलों की खरीदी करते हैं और फिर उन्हें एरोमा थेरेपी के इस उद्योग में उपयोग करते हैं। इस तरह से वे किसानों के लिए भी मसीहा की तरह काम कर रहे हैं। 


एक पूरा दिन उनके साथ बिताने के बाद मैं वापस आ गया।


पिछले वर्ष उन्होंने फिर से संपर्क किया तो मैंने उन्हें साफ शब्दों में कह दिया कि प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए मैं आपकी मदद नहीं कर पाऊंगा। अगर आपको मेरी किसी तरह की सलाह की आवश्यकता है तो उसके लिए मैं बिल्कुल तैयार हूँ।


उन्होंने कहा कि इस बार हमें सलाह की आवश्यकता है। मुझे और मेरी पत्नी को आपकी सलाह चाहिए इसीलिए हमने आपसे संपर्क किया है। 


मुझे तीसरी स्टेज का गले का कैंसर है और मेरी पत्नी को फेफड़ों का कैंसर है। मेरी पत्नी फेफड़े के कैंसर की अंतिम अवस्था में है और उनकी सारी दवाएं नाकाम साबित हो चुकी है इसलिए हम चाहते हैं कि आप हमारा मार्गदर्शन करें।


 मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।


 मैंने सारी रिपोर्ट मंगाई और सारी रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि उनका कैंसर बहुत उग्र हो गया है और यदि इस उग्रता को कम किया जाए तो हमें कुछ समय मिल सकता है कैंसर से सीधे लड़ाई करने के लिए।


 मैंने उनके द्वारा ली जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली। 


उन्होंने बताया कि कीमोथेरेपी बंद हो चुकी है और वे किसी भी प्रकार की आधुनिक दवा नहीं ले रहे हैं। 


धर्मशाला के किसी हॉस्पिटल से उनकी चिकित्सा चल रही है। उस अस्पताल द्वारा दी जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से उन्होंने जानकारी दी। 


मैंने उनके खानपान के बारे में पूछा और साथ ही उनके एरोमा थेरेपी उद्योग के बारे में भी। 


मैंने उनसे साफ शब्दों में पूछा कि क्या आप एरोमा थेरेपी के उत्पादों का प्रयोग अपने ऊपर करते हैं तो उन्होंने स्वीकार किया कि अपने कैंसर की चिकित्सा के लिए भी वे शुरू से एरोमा थेरेपी का प्रयोग कर रहे हैं और उन्हें किसी भी तरह से कोई सफलता नहीं मिल रही है।


 मैंने उनसे पूछा कि क्या वे सिट्रोनेला ऑयल का किसी तरह से उपयोग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वे सुबह से शाम तक सिट्रोनेला ऑयल को सूंघते रहते हैं। 


 उनका ऐसा मानना है कि इस आइल को सूँघते रहने से कैंसर तेजी से नहीं फैलता है। 


मैंने उन्हें सलाह दी कि वे बिना किसी विलंब के सिट्रोनेला ऑयल का किसी भी प्रकार से प्रयोग करना बिल्कुल बंद कर दे। बाहरी रूप से भी और आंतरिक रूप से भी। इससे उनके कैंसर की उग्रता कुछ ही हफ्तों में कम हो जाएगी।


 जब उग्रता कम हो जाएगी तो मैं उन्हें ऐसी दवाएं सुझा सकूंगा जो कि कैंसर से सीधे लड़ने में सक्षम होंगी।


 यही मेरी सलाह है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसे माने या न माने।


पहले उनकी पत्नी इस बात के लिए तैयार हो गई। 


मैंने उनसे कहा कि आप अपने घर से पूरी तरह से सिट्रोनेला ऑयल को हटा दें तो पत्नी ने सिट्रोनेला से परहेज करना शुरू किया।


कुछ दिन में उद्योगपति महोदय ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया। 


20 दिनों के बाद उन्होंने फिर से मुझसे परामर्श के लिए समय मांगा और बताया कि अब कैंसर की उग्रता में काफी कमी आ गई है पर अभी भी कुछ उग्रता बरकरार है। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या आप गंभीरतापूर्वक सिट्रोनेला ऑयल से बचने की कोशिश कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हां।


 मैंने उनसे पूछा कि जब मैं मुंबई आया था उस समय आप एक विशेष प्रकार की मच्छर मारने की अगरबत्ती बना रहे थे जिसमें सिट्रोनेला के तेल का प्रयोग किया जा रहा था। 


उन्होंने कहा कि वे अभी भी उस अगरबत्ती का निर्माण कर रहे हैं और उसकी पूरे देश में बहुत ज्यादा मांग है। 


मैंने पूछा कि क्या आप अपने घर में इस अगरबत्ती का इस्तेमाल करते हैं तो उन्होंने कहा कि हां हम भी अपने घर में इसका इस्तेमाल करते हैं।


 मैंने कड़े शब्दों में कहा कि आप इसका प्रयोग भी बंद करें और फिर मुझे 15 दिनों के बाद बताएं।


15 दिनों के बाद जब उनसे बात हुई तो वे काफी अच्छी स्थिति में थे पर उन्हें यह आश्चर्य हो रहा था कि कैसे सिट्रोनेला ऑयल से उनका कैंसर इतनी उग्रता से बढ़ रहा था जबकि वे पूरी जिंदगी हजारों लोगों को सिट्रोनेला ऑयल देते रहे और बताते रहे कि इससे कैंसर ठीक होता है।


 उन्होंने पूछा कि क्या सिट्रोनेला ऑयल के कारण ही हमें कैंसर हुआ है? 


तब मैंने उनसे कहा कि इस बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है पर मैं अपने अनुभव से यह जानता हूँ कि सिट्रोनेला और दूसरे एरोमैटिक तेलों का प्रयोग करने से बहुत तरह के कैंसर उग्र हो जाते हैं और तेजी से फैलने लग जाते हैं इसलिए मैं अपने मरीजों को साफ-साफ कह देता हूँ कि वे किसी भी प्रकार के एरोमेटिक तेल का प्रयोग न करें।


 फिर मैने उन्हें विस्तार से समझाया कि जब हमारे किसान लेमन ग्रास या पामा रोजा की खेती करते हैं तो हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि कम जीवनी शक्ति वाले मजदूर किसी भी हालत में खेत में न जाए। 


इससे उनकी तबीयत बहुत जल्दी से बिगड़ जाती है और वे यह नहीं समझ पाते हैं कि यह सब लेमन ग्रास के खेत में जाने से हो रहा है। 


जिन्हें कैंसर होता है उनको तो पूरी तरह से ऐसे खेतों में जाने की मनाही होती है। जब तेल की प्रोसेसिंग हम करते हैं तो भी इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है। 


एरोमेटिक तेलों से होने वाले नुकसानों के बारे में भारत में पीढ़ियों से जानकारी है पर नई पीढ़ी के लोग एरोमाथेरेपी जैसे प्रपंचों में फंस जाते हैं और बैठे-बिठाए अपना जीवन खराब कर लेते हैं।


 एरोमा थेरेपी उपयोगी है पर उसके लिए गहरी जानकारी की आवश्यकता है। उससे बहुत सारे नुकसान भी होते हैं।


इन नुकसानो के बारे में जानकारी एरोमा थेरेपी करने वालों और एरोमा थैरेपी से लाभ लेने वाले दोनों तरह के लोगों को होनी चाहिए अन्यथा बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है।


तो क्या लेमनग्रास को चाय में डालकर पीने से भी कैंसर की उग्रता बढ़ जाती है? उन्होंने पूछा।


 मैंने कहा कि इस बारे में पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है और मुझे भी ऐसा कोई केस नहीं मिला है जो कि लेमन ग्रास के कारण उग्र हो गया हो इसलिए जब तक पुख्ता जानकारी नहीं आ जाती तब तक लेमनग्रास का अल्प मात्रा में चाय के साथ प्रयोग किया जा सकता है। पर लंबे समय तक नही।


 उनकी सारी रिपोर्ट देखने के बाद जब यह सुनिश्चित हो गया कि कैंसर की उग्रता पूरी तरह से समाप्त हो गई है तब मैंने उन्हें सलाह दी कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में कई तरह के मेडिसिनल राइस का प्रयोग किया जाता है कैंसर की इस अवस्था के लिए।


 आप चाहे तो मैं इन राइस का प्रबंध कर सकता हूँ। इनकी खेती पारंपरिक चिकित्सक करते हैं और ये दुर्लभ किस्म के राइस है। इसलिए ये बहुत अधिक कीमत देकर प्राप्त किए जा सकते हैं। 


इनकी व्यवसायिक खेती नहीं होती है और आम किसान इसके बारे में नहीं जानते हैं। इन राइस का प्रयोग कई महीनों तक करना होता है। कई बार तो 1 से 2 साल तक भी।


 इसके लिए अगर आपका बजट है तो मैं आपके लिए उन मेडिसनल राइस का प्रबंध कर सकता हूँ।


 आप इसे किसी भी प्रकार का चमत्कार न समझे कि आप 1 महीने या 2 महीने इसका प्रयोग करेंगे और आपका बढ़ा हुआ कैंसर तुरंत ही ठीक हो जाएगा। 


यह एक श्रम साध्य और धैर्य वाली प्रक्रिया है।


अगर आप इसके लिए तैयार हैं तो मैं आपके लिए मेडिसिनल राइस की व्यवस्था करता हूँ।


 उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति दी और कहा कि वे धैर्य पूर्वक इनका उपयोग करेंगे और बीच-बीच में मुझसे संपर्क करते रहेंगे। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

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