Consultation in Corona Period-61

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"शादी का पान शादी के दिन खाया जाना चाहिए। शादी के पान को जिंदगी भर कौन खाता है? किसके पास इतने पैसे हैं कि रोज दो हजार रुपयों का पान खाए!"


 मैं अपने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से मज़ाक में कह रहा था। 


उन्होंने मेरे पास एक ऐसा केस भेजा था जो एक उद्योग घराने का था।


 उस घराने में एक युवक की मृत्यु हो गई थी और वह युवक सालों से लगातार शादी वाले पान का सेवन कर रहा था।


जांच में यह माना जा रहा था कि इसी पान के लंबे समय तक सेवन करने से ही युवक की मृत्यु हुई है। 


पुलिस ने शादी के पान बेचने वाले को अपनी हिरासत में ले लिया था और कड़ाई से उससे पूछताछ की जा रही थी कि उसने पान में क्या क्या डाला था।


यह उसका खानदानी नुस्खा था और वह किसी भी हालत में यह नहीं बताना चाहता था कि उसने शादी का पान कैसे तैयार किया था।


जितना वह इस रहस्य को छुपाने की कोशिश करता था उतना ही दबाव उसके ऊपर बढ़ता जाता था।


 फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने कहा कि जब तक हम सभी घटकों की जांच नहीं कर लेते तब तक यह कह पाना मुश्किल है कि शादी के पान से ही उस युवक की मृत्यु हुई है। 


हमने आपसे इसीलिए संपर्क किया है क्योंकि आप ही बता सकते हैं कि शादी के पान में कौन कौन से घटक डाले जाते हैं और क्या उनसे किसी की मृत्यु हो सकती है यदि कोई इस पान को लंबे समय तक खाता रहे। 


मैंने उनसे कहा कि आप मेरी बात पान वाले से कराएं। हो सकता है कि बातों-बातों में मैं कुछ राज उगलवा सकूँ।


 जब उन्होंने मेरी बात उससे करवाई तो मैंने पान वाले से कहा कि तुम इसमें जो भी डालते हो इसके बारे में मुझे मत बताओ। बस मैं जिस सामग्री का नाम लेता जा रहा हूं उसके जवाब में हां या नहीं कहते रहो।


 शादी के पान में उपस्थित ऐसी सामग्रियों जो कि लंबे समय में जहरीली हो सकती है, की सूची मैंने बना ली और एक-एक करके पान वाले के सामने उसे रखता रहा।


 पान वाले ने बिना किसी दिक्कत के एक-एक करके सभी सामग्रियों के बारे में बता दिया। इन सामग्रियों में से ऐसी कोई भी सामग्री नहीं थी जो कि किसी की मृत्यु का कारण बने। 


यह बात मैंने पान वाले को भी बताई तो उसने बहुत अधिक राहत महसूस किया।


 फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र द्वारा भेजी गई शव की तस्वीरें  मैंने सभी तरफ से देखी पर मुझे किसी भी तरह का कोई सुराग नहीं मिला।


 मैंने युवक द्वारा ली जा रही दूसरी दवाओं के बारे में जानकारी एकत्र करनी शुरू की।


 मुझे बताया गया कि इस युवक को टाइप वन डायबिटीज था। पहले वह पूरी तरह से इंसुलिन पर आश्रित था पर हाल ही में उसने एक वैद्य से दवा लेनी शुरू की थी।



फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने उस दवा के नमूने मेरे पास भेजें पर उससे कुछ खास जानकारी नहीं मिली इसलिए तय किया गया कि वैद्य से बात की जाए और उनसे फार्मूले के बारे में विस्तार से पूछा जाए।


 वैद्य ने फार्मूला बताने से इनकार किया पर जब उनको बताया गया कि उनके फार्मूले को ले रहे एक युवक की मृत्यु हो गई है तो उन्होंने पुलिस के सामने पूरा फार्मूला उगल दिया। 


वह दो जड़ी बूटियों का फार्मूला था।


 इसमें से एक जड़ी बूटी विषयुक्त थी और उसका प्रयोग बहुत लंबे शोधन के बाद किया जाता है।


वैद्य ने बताया कि वे इसका शोधन करते हैं। उसके बाद ही इसका प्रयोग डायबिटीज की चिकित्सा में करते हैं।


 उन्होंने जो शोधन की विधि बताई वह बहुत कम अवधि की थी। इतनी अवधि में पूरी तरह से शोधन नहीं होता है और थोड़ी मात्रा में जहर रह जाता है पर इस जड़ी बूटी के कारण होने वाले जहरीले प्रभाव के किसी भी प्रकार के लक्षण युवक के शरीर में नहीं दिख रहे थे।


 यह कहा जा सकता था कि इस जड़ी बूटी से कुछ हद तक नुकसान हुआ होगा पर युवक की मृत्यु का कारण यह नहीं थी।


 जहरीली जड़ी बूटी के बारे में सुनकर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि हमें तुरंत ही वैद्य को गिरफ्तार कर लेना चाहिए और उसके विरुद्ध मामला दर्ज कर लेना चाहिए।


 मैंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि इसे हम कोर्ट में सिद्ध नहीं कर पाएंगे कि इस जहरीली बूटी के कारण ही युवक की मृत्यु हुई है क्योंकि शरीर में किसी भी प्रकार के ऐसे लक्षण नहीं है जो हमारी बात का समर्थन करते हो।


 हाई प्रोफाइल केस होने के कारण सभी जल्दी में थे और किसी भी हालत में केस को निपटाना चाहते थे।


मुझ पर काफी दबाव था पर मैं असमर्थ था क्योंकि मुझे किसी भी प्रकार से कोई सूत्र नहीं मिल रहा था।


 जब मैंने अपने डेटाबेस को खंगाला तो मुझे लगा कि हो सकता है कि डायबिटीज की दवा और शादी के पान की दवा में आपस में कोई प्रतिक्रिया हो रही हो और जिसके कारण मृत्यु हुई हो। 


शादी के पान में 18 से अधिक घटक थे और डायबिटीज के फार्मूले में दो जड़ी बूटियां।


 इनमें से ज्यादातर घटकों में आपस में कैसी प्रतिक्रिया होती है- इस बारे में मेरे पास अधिक जानकारी नहीं थी।


 मैंने पारंपरिक चिकित्सकों की राय ली तो उन्होंने भी ज्यादा कुछ खास नहीं बताया।


विज्ञान तो इस बारे में बिल्कुल भी नहीं जानता। 


काफी गहनता से अध्ययन के बाद इस बात की संभावना लगी कि शादी के पान में उपस्थित बीरबहूटी और डायबिटीज के फार्मूले में उपस्थित बिरहा के बीच में बहुत सारे मामलों में प्रतिक्रिया होती है। यही प्रतिक्रिया शायद यहाँ भी हो गई हो।


 जब बिरहा की छाल को चैत माह में एकत्र किया जाता है और फिर उससे दवा तैयार की जाती है तब उसकी बीरबहूटी से बहुत ही बुरी तरह से प्रतिक्रिया होती है। ऐसा मैंने बहुत से मामलों में पहले देखा था। 


इस प्रतिक्रिया के बारे में पारंपरिक चिकित्सक ज्यादा ध्यान इसलिए नहीं देते हैं क्योंकि दोनों ही अलग-अलग रोगों की दवा है और दोनों को कभी भी साथ में नहीं दिया जाता है।


 युवक को भी इसे साथ में नहीं दिया गया पर वह दो अलग-अलग स्रोतों से दो अलग-अलग दवाएं ले रहा था जिनकी आपस में संभावना है कि प्रतिक्रिया हुई हो।


 यह प्रतिक्रिया शरीर के किसी भी हिस्से में नहीं दिखती केवल मसूड़े में दिखती है इसलिए बिना देरी के मैंने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से मसूड़ों की तस्वीरें मंगवा ली। 


तस्वीर से कुछ तो बात साफ हुई पर पूरी तसल्ली के लिए मैंने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से अनुरोध किया कि वे मेरे आने जाने की व्यवस्था करें ताकि मैं एक बार शव को सामने से देख सकूँ।


उन्होंने बिना देरी के सारी व्यवस्था कर दी और जब मैंने प्रत्यक्ष अवलोकन किया तो इस बात की पुष्टि हो गई कि दो दवाओं की आपसी नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण यह परिणाम आया।


 मैंने सबके सामने खुलासा किया और उन्हें क्रमवार समझाया कि लंबे समय तक इन दोनों को साथ में खाने से शरीर कैसे कमजोर होता जाता है। कैसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होती जाती है और कैसे हृदय की स्थिति बुरी तरह से प्रभावित होती है।


 जैसा कि मैंने पहले बताया इन दोनों दवाओं की आपस में प्रतिक्रिया होने की संभावना न के बराबर है क्योंकि इन दवाओं को साथ में कभी भी नहीं लिया जाता है इसलिए ऐसे मामलों को बहुत ही दुर्लभ माना जाना चाहिए।


 विशेषज्ञों ने मुझसे ढेर सारे प्रश्न पूछे। मैंने सभी के क्रमवार जवाब दिए और जब वे संतुष्ट हो गए तो पान वाले को सबसे पहले इस मामले से अलग कर दिया गया और अब यह हत्या का मामला नहीं रहा।


युवक को ही दोषी माना गया क्योंकि उसने उन दवाओं को बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह से प्रयोग किया और बैठे-बिठाए अपने सिर पर आफ़त मोल ले ली।


 इस तरह भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की सहायता से एक और मामला सुलझ गया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित



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