Consultation in Corona Period-57

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मृत्यु के बाद भी लिंग में कड़ापन। यही मेरे लिए एक खास लक्षण है।


 आपने जो मुझे शव की तस्वीर भेजी है उसमें यह स्पष्ट दिख रहा है कि यह Death Erection है। 


इसी से ही मुझे सूत्र मिल रहा है और मुझे लगता है कि मैं बहुत जल्दी आपको यह बता पाऊंगा कि मृत्यु का कारण क्या था।" 


मैं अपने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से बात कर रहा था जिन्होंने एक केस मेरे पास भेजा था।


 यह केस एक 35 वर्षीय युवक का था जो कि अपने बिस्तर पर रात को मरा हुआ पाया गया था। 


फोरेंसिक विशेषज्ञ सारे लक्षणों के आधार पर इस बात पर तर्क कर रहे थे और आपसी वाद विवाद में उलझे हुए थे कि इसे जहर देकर मारा गया है और वह जहर या तो Digitalis था या फिर कनेर यानी Nerium।


 इसी में ही सारे फोरेंसिक विशेषज्ञ फंसे रहे। पर जब शव का परीक्षण हुआ तो न उसमें Digitalis के अंश मिले और न ही नेरियम के।


 मृत्यु से पहले हृदय की बहुत सारी समस्याएं एक घंटे के अंतराल में उस युवक को हुई थी और उसी के आधार पर फोरेंसिक विशेषज्ञ Digitalis और Nerium में अटके हुए थे। 


मेरे फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने जब तस्वीर मुझे भेजी तो मेरा ध्यान सीधा मृत्यु के बाद भी कड़ापन लिए लिंग की ओर गया और वही से फिर सूत्र मिलना शुरू हो गया।


 मैंने अपने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से कहा कि मुझे उन पुलिस अधिकारी से बात कराइए जो कि इस केस की जांच कर रहे हैं।


 पुलिस अधिकारी जब फोन पर आए तो उनके पास जो भी उपलब्ध जानकारी थी मुझे बताई। 


मुझे बताया गया कि मृत्यु की रात युवक अपनी प्रेमिका के साथ था और उसे बहुत सारी तकलीफें हो रही थी। उसकी प्रेमिका उसे बार-बार कह रही थी कि वह डॉक्टर से संपर्क करें पर वह सब कुछ सहता रहा। अंत में वह अकेले ही एक कमरे में चला गया जहां एक घंटे के अंदर उसकी मृत्यु हो गई। 


मैंने पुलिस अधिकारी से कहा कि यदि संभव हो तो मैं उस युवक की प्रेमिका से बात करना चाहूँगा और मृत्यु के पूर्व आने वाले लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहूँगा।


 पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह संभव है और उन्होंने हमारी मुलाकात तय कर दी। 


प्रेमिका ने बताया कि युवक को कामोत्तेजक दवाओं का बहुत शौक था। वह पिछले कुछ समय से एक दवा ले रहा था।


 इससे उसके लिंग में बहुत अधिक कड़ापन आ जाता था और यह कड़ापन स्खलन के बाद भी स्थाई तौर पर रहता था।


 उसे पूरी तरह से सामान्य होने में 2 से 3 दिनों का समय लग जाता था। इस बीच वह बहुत दर्द महसूस करता था और लगातार अपने गुप्तांगों पर हाथ रखा रहता था। 


इस दौरान उसे पेशाब करते वक्त बहुत तकलीफ होती थी और पेशाब से खून भी निकलता था। 


उसे शिकायत थी कि उसे सब कुछ पीला दिखाई पड़ता है। इसी आधार पर फोरेंसिक विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि वह किसी रूप में Digitalis की अति मात्रा का प्रयोग कर रहा था या फिर उसे जहर के रूप में किसी ने Digitalis की अति उच्च मात्रा दी थी। 


प्रेमिका ने आगे बताया कि युवक की ह्रदय की गति बहुत तेज हो जाती थी और उसे बहुत घबराहट महसूस होती थी। 


हृदय की गति दवाओं को लेने के बहुत घंटों बाद बड़ी मुश्किल से सामान्य होती थी। इस बयान के आधार पर फोरेंसिक विशेषज्ञों ने नेरियम को मृत्यु का कारण माना और उस पर विस्तार से शोध किया पर नतीजा सिफर ही रहा। 


जब प्रेमिका ने वह फार्मूला मुझे दिखाया और मैंने उसे सूंघा तो मेरे होश उड़ गए।


 मुझे पूर्वी भारत के तांत्रिकों की याद आ गई और मन में एक डर से उभर आया। 


मैंने उस युवक की प्रेमिका से पूछा कि क्या युवक को तला हुआ मसालेदार खाना खाने में किसी तरह की समस्या होती थी तो प्रेमिका ने कहा कि हां होती थी।


 वे सादा खाना ही खाते थे। कुछ भी मसालेदार चीज खाने से उनके गले में बहुत जलन होती थी और वे दर्द के मारे रोने लगते थे। 


मैंने अगला प्रश्न किया कि क्या युवक को कब्जियत की शिकायत थी तो प्रेमिका ने जवाब दिया कि उसे इस बारे में विस्तार से नहीं मालूम पर वे टॉयलेट में बहुत अधिक समय बिताते थे और टॉयलेट के अंदर से जोर लगाने की आवाज सुनाई देती थी।


 मैंने पुलिस अधिकारी से पूछा कि क्या किडनी की किसी प्रकार की जांच हुई है तो उन्होंने रिपोर्ट दिखाते हुए कहा कि किडनी फेल होना भी मृत्यु का एक कारण माना जा रहा है। 


अब कुछ कुछ तस्वीर साफ होने लगी थी। 


मैंने अपने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र के सामने खुलासा किया कि बंगाल के बहुत से तांत्रिक लिंग में कड़ापन लाने के लिए एक विशेष फार्मूले का प्रयोग करते हैं पर यह फार्मूला साल में कभी कभार ही उपयोग किया जाता है। 


सेक्स के शौकीन युवा अपना प्रभाव जमाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। इससे लिंग में बहुत अधिक कड़ापन आ जाता है और स्खलन के बाद भी लिंग शिथिल नहीं पड़ता है। 


इसे बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है और तांत्रिक जानते हैं कि इसका अधिक मात्रा में प्रयोग जानलेवा साबित हो सकता है।


 मैंने आगे उन्हें बताया कि इस फार्मूले के बारे में मैं पिछले 30 वर्षों से जानता हूँ और इस फार्मूले के कारण होने वाली मौतों का साक्षी रहा हूँ। 


मौत केवल इसीलिए होती है क्योंकि शौकीन युवक लंबे समय तक इसका प्रयोग कर लेते हैं जिससे उनकी आहार नलिका बुरी तरह से छिल जाती है और उनसे खाना खाते नहीं बनता है। 


खाने में थोड़ा सा भी नमक होने पर वे तड़प उठते हैं। लिंग का कड़ापन कई दिनों तक नहीं जाता। 


इससे उनकी हालत बहुत खराब हो जाती है। इस फार्मूले का किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। 


यही कारण है कि पेशाब में खून आना शुरू हो जाता है और फिर भी अगर इन सब लक्षणों की अनदेखी की गई तो किडनी फेल हो जाती है और उनकी मृत्यु हो जाती है।


 कई बार फार्मूले में कुछ विषयुक्त घटक की मात्रा अधिक हो जाने पर Anaphylaxis shock जैसे लक्षण भी आते हैं और वे भी मृत्यु का कारण बनते हैं। 


हमारे देश के पारंपरिक चिकित्सक इस फार्मूले के बारे में जानते हैं पर इसके बारे में किसी को भी नहीं बताते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि जरा सी भी चूक होने पर सीधे मृत्यु हो जाती है पर तांत्रिक लोभ का संवरण नहीं कर पाते हैं और इसे ऊंची कीमत पर बेच देते हैं।


 हमारी चर्चा को पुलिस अधिकारी बड़े ध्यान से सुन रहे थे। 


मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे उन तांत्रिकों का पता लगाएं जो कि इस तरह के फार्मूले देते हैं। इससे रहस्य पूरी तरह से खुल जाएगा।


 मैंने उन्हें यह भी बताया कि ऐसे तांत्रिक मुट्ठी भर है और आपस में नेटवर्क के माध्यम से जुड़े हुए हैं। 


मेरे पास उन तांत्रिकों के पूरे पते हैं। इससे आपको उन्हें खोजने में आसानी होगी।


मैंने फोरेंसिक मित्र से कहा कि मृत्यु के बाद लिंग में कड़ापन कई कारणों से आता है। यदि युवक को फांसी दी जाती या वह फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेता तो यह लक्षण आ सकता था। 


अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण लक्षण के बारे में विशेषज्ञों ने कोई विशेष टिप्पणी नही की।


फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने सहमति जताई और कहा कि आप सही कह रहे हैं कि कई प्रकार के घातक विष के कारण भी ऐसा लक्षण आता है।


 पुलिस अधिकारी के जाने के बाद मैंने फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से अपनी बात जारी रखी।


 मैंने उन्हें बताया कि इस फार्मूले में Zona**** नामक एक कीड़े का प्रयोग किया जाता है जो इस फार्मूले में अहम भूमिका निभाता है। इसी की मात्रा में थोड़ी भी फेरबदल होने से या चूक होने से जीवन समाप्त हो जाता है।


 शव परीक्षण में इस कीड़े के रसायन की पुष्टि हो सकती है। इसके लिए एक विशेष विधि है जो मैं आपको बता रहा हूँ।


 केस से जुड़े हुए फोरेंसिक विशेषज्ञों को आप इस बारे में बताइए तो सारा मामला सुलझ जाएगा।


 कुछ समय के बाद पुलिस अधिकारी ने संपर्क साधा और बताया कि उन्होंने उस तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया है और उसने स्वीकार किया है कि उसी ने युवक को पैसे के लालच में अधिक मात्रा में फार्मूला दिया था।


 इसके प्रयोग से युवक की इस तरह से मृत्यु हुई।


इस तरह एक और पेचीदा मामला अंजाम तक पहुँचा।


सर्वाधिकार सुरक्षित

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