Consultation in Corona Period-260 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मेरी पत्नी को मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर है और अभी उनकी स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है। कीमोथेरेपी के प्रयास जारी है और साथ में एक वैद्य की दवा भी हम ले रहे हैं जिससे कि पहले तो सारी चीजें नियंत्रण में रही पर अब ऐसा लगता है कि कैंसर का जोर बढ़ता जा रहा है और इन दोनों दवाओं का असर कम होता जा रहा है। मैं अपने इस संदेश के साथ कीमोथेरेपी की दवा और वैद्य जी की दवा के बारे में विस्तार से जानकारी भेज रहा हूँ। आप ड्रग इंटरेक्शन पर शोध कर रहे हैं इसलिए बताइए कि क्या इन दवाओं में आपस में किसी तरह की विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है। यदि हाँ तो क्या किसी तरह का उपाय करने से इन दोनों के असर को फिर से बढ़ाया जा सकता है। 

मैंने पत्नी द्वारा उपयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों के बारे में भी विस्तार से आपको जानकारी दी है। पिछली बार जब मैंने संपर्क किया था तो आपने फीस लेने से मना कर दिया था मित्रता का हवाला देते हुए इसलिए मैं फीस जमा नहीं कर रहा हूँ। यदि आप कहेंगे तो मैं फीस जमा कर दूंगा। " मेरे एक चिकित्सक मित्र ने जब दिल्ली से मुझे यह संदेश भेजा तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।

 मैंने उनके द्वारा भेजी गई रिपोर्ट का अध्ययन किया और फिर उनकी पत्नी द्वारा उपयोग की जा रही दवाओं और खानपान की सामग्रियों की जानकारी ली। उनकी पत्नी जिस वैद्य से दवा ले रही थी उनके फार्मूले के बारे में मुझे पहले से जानकारी थी। मुझे उस फार्मूले में किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया और जब मैंने अपने डेटाबेस का अध्ययन किया तो यह पता चला कि इस फार्मूले की कीमोथेरेपी की दवा से किसी भी प्रकार से विपरीत प्रतिक्रिया नहीं होती है। सभी प्रकार के अध्ययन करने के बाद मैंने उन्हें अनुमोदित किया कि उनकी पत्नी ताजे फलों का बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग कर रही है। यदि वे ताजे फलों का प्रयोग दिन में करें और कम मात्रा में करें तो उनकी दोनों दवाएं फिर से काम करने लगेगी। इस पर चिकित्सक मित्र ने आश्चर्य व्यक्त किया और बताया कि ताजे फल तो कैंसर के लिए वरदान है फिर आप उन्हें क्यों बंद करवा रहे हैं?

 मैंने कहा कि आप मेरी बात माने और 15 दिनों का इंतजार करें। यदि आपकी दोनों दवाओं की कार्य क्षमता न बढ़ जाए तो आप फलों का सेवन फिर से शुरू कर सकते हैं। वे इस बात को मानने के लिए तैयार हो गए और जल्दी ही उनकी दोनों दवायें फिर से असर करने लगी और कैंसर का फैलाव रुक गया।

 कुछ समय बाद चिकित्सक मित्र ने फिर से संपर्क किया एक नई समस्या के साथ। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी को मुंह में बड़े-बड़े छाले हो रहे हैं और उनके चिकित्सक कहते हैं कि कीमोथेरेपी की दवा के कारण ऐसे छाले हो जाते हैं। उन्होंने कई तरह की दवाएं भी दी है पर छाले किसी भी तरह से ठीक नहीं हो रहे हैं। उन्होंने मुझसे परामर्श की अपेक्षा की।

 मैंने उन्हें सलाह दी कि वे अपनी पत्नी से कहे कि Apple cider vinegar का प्रयोग वे पूरी तरह से रोक दें। इससे छाले की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। इस पर चिकित्सक मित्र ने कहा कि यह विनेगर तो कैंसर के लिए विशेष रूप से लाभदायक है फिर इसे क्यों बंद किया जाए?

 मैंने उनसे कहा कि आप 15 दिन तक इसे बंद करके देख ले। अगर आपको लाभ न दिखे तो आप इसका प्रयोग जारी रख सकते हैं। जल्दी ही उनकी छाले की समस्या का समाधान हो गया।

 अगली बार जब उन्होंने संपर्क किया तो बताया कि उनकी पत्नी को बहुत अधिक उबकाई आती है। यह समस्या पहले नहीं थी अचानक अभी ही शुरू हुई है। इस पर मैंने चिकित्सक मित्र से कहा कि क्या आपकी पत्नी ने ताजे फलों का प्रयोग करना फिर से शुरू कर दिया है विशेषकर खट्टे फलों का तब उन्होंने बताया कि ताजे फल तो उन्होंने पूरी तरह से बंद कर दिए हैं पर उनकी पत्नी दिनभर नींबू का रस पीती है। उन्होंने इंटरनेट पर पढ़ा है कि नींबू का रस पीने से ब्रेस्ट कैंसर में लाभ होता है। मैंने मित्र को सलाह दी कि यदि आपकी पत्नी नींबू के रस का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें तो उनकी उबकाई की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।

 आधे मन से ही सही पर उन्होंने मेरी बात मानी और इस समस्या से भी उनकी पत्नी उबर गई।अगली बार जब उन्होंने संपर्क किया तब उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी को घुटनों में बहुत तेज दर्द हो रहा है। क्या इसके लिए मैं उन्हें किसी प्रकार का मेडिसिनल राइस दे सकता हूँ तब मैंने कहा कि आपकी पत्नी क्या अचार का प्रयोग कर रही है अधिक मात्रा में तब उन्होंने कहा कि हां, मेरी पत्नी बिना अचार के भोजन नहीं कर सकती है। मैंने उन्हें सलाह दी कि वे अचार का प्रयोग बंद कर देंगी तो घुटने की समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने शिकायत की कि यदि आप सभी अच्छी चीजों को बंद करवाते रहेंगे तो फिर पत्नी को कैंसर से मुक्ति कैसे मिलेगी?

 मैंने उन्हें समझाया कि आपकी कीमोथेरेपी के आधुनिक दवा और वैद्य द्वारा दी जा रही दवा बेहद कारगर है और यदि आप इन दोनों का नियमित प्रयोग करेंगे तो आपको किसी भी तरह के दूसरे प्रयोग करने की जरूरत नहीं है।

 अगली बार जब उन्होंने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि पत्नी को बहुत अधिक चक्कर आते हैं तब मैंने उनसे पूछा कि उनकी पत्नी क्या दिन में वैद्य जी की दवा का प्रयोग करती है? यदि ऐसा है तो उन्हें शाम के समय इस दवा का प्रयोग करना चाहिए। इससे उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने पहले के अनुमोदनो की सफलता के आधार पर मेरी बात मानी और उनकी पत्नी को इस समस्या से मुक्ति मिल गई। 

अगली बार जब उन्होंने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी के हाथ और पैर के तलवों में बहुत अधिक जलन होती है जिसके कारण उन्हें ठीक से नींद नहीं आती है तब मैंने उनसे पूछा कि आपकी पत्नी क्या दिनभर बंद कमरे में रहती हैं तब उन्होंने कहा कि हां, वह तो कमरे से बाहर ही नहीं निकलती है तब मैंने उन्हें सलाह दी कि आप अपनी पत्नी से कहें कि खुली हवा में अधिक समय बिताएं। इससे उनकी इस समस्या का समाधान हो जाएगा।

 अंतिम समस्या के रूप में मित्र ने जब संपर्क किया तो मुझे बताया कि उनकी पत्नी को पूरे शरीर में शीत पित्ती जैसे लक्षण आ रहे हैं और इसके लिए उनके चिकित्सक ने एक विशेष तरह की दवा दी है जिससे ये लक्षण कम तो हो जाते हैं पर पूरी तरह से ठीक नहीं होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शीत पित्ती के निशान स्थाई रूप से शरीर में पड़ रहे हैं जिससे कि पूरा शरीर बदरंग हो रहा जा रहा है।

 इस पर मैंने उन्हें सलाह दी कि आपकी पत्नी यदि दिन भर या रात के ज्यादातर समय ऐसी में रहती है तो उन्हें ठंडी हवा से बचा कर रखें। इससे उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा बिना किसी दवा के। चूँकि मेरे मित्र चिकित्सक हैं और उन्हें इन सब अनुमोदनो का वैज्ञानिक कारण जानना था इसलिए उनसे रहा नहीं गया और वे अगली बार सीधे मुझसे मिलने चले आए और मुझसे पूछा कि इतने सारे अनुमोदनो की सफलता के पीछे क्या कारण है और ऐसे अनुमोदनो को किस आधार पर दिया गया था?

 वे अपने साथ देर सारे उपहार लेकर आए थे। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उन्हें समझाया कि ये सभी बातें आपको वैद्य जी से पता चलनी चाहिए थी जो कि एकोनाइट पर आधारित एक जटिल फॉर्मूलेशन का प्रयोग ब्रेस्ट कैंसर के लिए कर रहे हैं। जब इस फार्मूलेशन का प्रयोग किया जाता है तब बहुत सावधानी बरती जाती है। खानपान में भी और रहन-सहन में भी। नहीं तो ऐसे ही विपरीत लक्षण आते हैं जैसे कि आपकी पत्नी को आ रहे थे। जब भी आपकी पत्नी खानपान और रहन-सहन में गड़बड़ी करती थी तब विशेष तरह के लक्षण आने लग जाते थे। ये लक्षण जीवन पद्धति के दोषपूर्ण हो जाने के कारण आते थे और जब इन समस्याओं को सुलझा लिया गया तो फार्मूला फिर से अपने आप काम करने लगा।

आप अपने वैद्य जी से पूछते तो वे भी आपको इसी तरह की सलाह देते। आपने मुझसे पूछा और मुझे इसके बारे में जानकारी थी इसलिए मैंने आपकी समस्या का समाधान कर दिया।

 मेरी बातों से वे संतुष्ट दिखे और उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उनसे कहा कि जब भी आपको मेरी जरूरत हो आप निश्चिंत होकर मुझसे बात कर सकते हैं। मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा आपकी समस्याओं का समाधान करने की।


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