Consultation in Corona Period-236 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-236
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"सैनिक रहते हुए भी और अफसर रहते हुए भी मैंने दर्जनों युद्ध लड़े और अपने शौर्य का परिचय दिया। परिणामस्वरूप हमारी सरकार ने मुझे कई प्रकार के पदकों से नवाजा। मेरे साहस की चारों ओर हमेशा प्रशंसा होती रही पर मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि सेवानिवृत्ति के बाद अचानक ही मैं बहुत डरपोक हो गया। रात को थोड़ा सा भी खटका होता है तो मेरी नींद रात भर के लिए उजड़ जाती है। मन में एक अजीब सा डर रहता है और वह किसी भी तरह से नहीं जाता है। इतना डरपोक मैं अपने जीवन में कभी भी नहीं रहा। इसके अलावा भी मुझे कई तरह के नए लक्षण आ रहे हैं जो कि समझ से परे है। उदाहरण के लिए मुझे लगता है कि जैसे मेरे हृदय को किसी ने कड़े आवरण से लपेट दिया है और उसे धड़कने में दिक्कत हो रही है। जब मैंने हृदय की जांच करवाई तो ऐसा कोई आवरण उसमें नहीं मिला। न ही ह्रदय की कोई विशेष समस्या चिकित्सकों ने बताई। उन्होंने सलाह दी कि मैं मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिलूँ। युद्ध के बाद बहुत अधिक तनाव झेलने के बाद अधिकतर सैनिकों की ऐसी स्थिति हो जाती है फिर तो आप अफसर रहे हैं। आपको तो और अधिक तनाव झेलना पड़ता है।
मैंने चिकित्सकों की बात मानी और मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिलने गया तो उन्होंने मुझे नींद की बहुत सारी दवाएं दी और कहा कि अब तो आप सेवानिवृत्त हो चुके हैं इसलिए अब पुरानी बातों को भूल जाइए और नया जीवन शुरू करिए। अपने पिछले जीवन की चर्चा आप लोगों के बीच मत करिए। इससे मन से ये बातें धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी। उनकी दवाएं लंबे समय तक चलती रही पर डर लगने वाले लक्षण किसी भी तरह से ठीक नहीं हुए। एक और लक्षण ने मुझे परेशान कर दिया है और वह लक्षण है गले में किसी चीज के अटके होने का आभास। मैं बार-बार अपने गले को साफ करने की कोशिश करता हूँ पर जो वस्तु अटकी हुई सी प्रतीत होती है वह बाहर नहीं निकलती है। इस तरह 24 घंटे मैं गले को साफ करने में लगा रहता हूँ। जब मैंने विशेषज्ञ से जांच कराई तो उन्होंने गले में किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं पाया और कहा कि यह आपके मन का वहम है। उस ओर ध्यान देना बंद कर दीजिए। आपके गले में कोई भी वस्तु फसी नहीं है।
इन सभी लक्षणों के साथ मैं जब अमेरिका के डॉक्टर से मिला तो उन्होंने कहा कि एक बार पूरे शरीर की अच्छे से जांच करनी होगी। उन्होंने जांच करने के बाद बहुत सारी बातें बताई पर उनमें से प्रमुख बात यह थी कि उनका कहना था कि शरीर की रक्त वाहिकाओं की दीवारें कड़ी होती जा रही है और उसके लिए उपाय करने की आवश्यकता है। उन्होंने भी कई तरह की दवाएं दी जिनका प्रयोग मैं अभी तक कर रहा हूँ। लंबे समय से इन समस्याओं के कारण मै बहुत ज्यादा निराश हो गया हूँ और दवाओं का प्रयोग करते-करते पूरी तरह से थक गया हूँ। मुझे आपके देश से विशेष रूप से लगाव है इसलिए मैं अक्सर भारत आता रहता हूँ और आध्यात्मिक जीवन जीने की कोशिश करता रहता हूँ। मेरे गुरु ने बताया है कि यदि लंबे समय तक मेडिटेशन किया जाए तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। मैंने मैडिटेशन का अभ्यास जारी रखा है और इसकी अवधि भी बढ़ाता जा रहा हूँ पर समूह में जब मैं मेडिटेशन करता हूँ तो मेरे लगातार खांसने से दूसरे लोगों को परेशानी होती है इसलिए मैं अकेले में ही मेडिटेशन करने की कोशिश करता हूँ। वैसे मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और थायराइड जैसी समस्याएं मुझे नहीं है पर इन मुश्किल कर देने वाली समस्याओं के कारण मेरा दैनिक जीवन विशेष रूप से प्रभावित हो रहा है।
मैंने आपके बारे में इंटरनेट में पढ़ा और कई चिकित्सकों ने भी कहा कि मैं आपसे मिलूं ताकि समस्या का मूल कारण पता चल सके। एक बार मूल कारण का पता चल गया तो चिकित्सक उसका समाधान कर लेंगे। मैं आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि अब मैंने शराब का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया है। फौज में रहते हुए मैंने डटकर शराब पी पर अब मैंने इसे पूरी तरह से छोड़ दिया है। बहुत से चिकित्सक यह भी कहते हैं कि सैनिकों को रिटायरमेंट के बाद भी इसका प्रयोग जारी रखना चाहिए ताकि उन्हें मानसिक सुकून मिल सके। नशे के रूप में नहीं बल्कि दवा के रूप में अल्प मात्रा में। कृपया मेरी समस्या का समाधान करें और मेरा मार्गदर्शन करें।" मित्र देश से आए एक वरिष्ठ फौजी अफसर ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उनकी सारी रिपोर्टों का अध्ययन किया पर उससे मुझे कोई विशेष जानकारी नहीं मिली। मैंने उनसे कहा कि आप खाली पेट मेरे घर आइए ताकि मैं आपका एक परीक्षण कर सकूं। इस परीक्षण में कई घंटों का समय लगेगा पर मुझे उम्मीद है कि इससे समस्या का समाधान निकल जाएगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और नियत समय में आ गए।
मैंने उनके सामने 20 तरह की वनस्पतियों का चूर्ण रखा और उनसे कहा कि वे इन चूर्णों को जीभ में रखकर मुझे बताएं कि उनके मुंह में कौन सा स्वाद आ रहा है? 2 वनस्पतियों को मुंह में रखने का अंतराल कम से कम 5 मिनट होना चाहिए। इस तरह एक लंबा परीक्षण आरंभ हुआ और उनके द्वारा बताए गए विभिन्न स्वाद को मैं नोट करता गया। 20 वनस्पतियों में से केवल 8 वनस्पतियों का स्वाद ही वे सही बता पाए और शेष वनस्पतियों के बारे में उन्होंने गलत जानकारी दी। इस आधार पर मैंने अपने डेटाबेस को खंगाला और जल्दी ही समस्या का समाधान दिखने लगा।
परीक्षण हो जाने के बाद उन्होंने मेरे आमंत्रण पर सुबह का नाश्ता ग्रहण किया और फिर व्यग्र होते हुए बोले कि इतने लंबे परीक्षण से आखिर क्या पता चला। मैं यह जानने के लिए बहुत उत्सुक हूँ।
मैंने उनसे कहा कि बालों को उगाना एक बार सरल काम है पर सफेद बालों को फिर से काला करना न केवल एक दुष्कर कार्य है बल्कि कई स्वास्थ समस्याओं को जन्म देने वाला भी है। मेरी बात उनको अटपटी लगी और उन्होंने पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? मैंने उनसे कहा कि आपने तो सभी दवाओं के बारे में मुझे बताया पर यह नहीं बताया कि आप उत्तर भारत के एक जाने-माने वैद्य से सफेद बालों को फिर से काला करने का नुस्खा ले रहे हैं। मेरी बात सुनकर उन्होंने हामी भरी और कहा कि हां, मैं यह नुस्खा तो ले रहा हूँ पर मैंने इसके बारे में आपको बताना उचित नहीं समझा क्योंकि यह मुझे मामूली बात लगी।
मैंने उन्हें बताया कि आप जिन वैद्य से दवा ले रहे हैं वे पिछले 40 सालों से लोगों के सफेद बालों को काला कर रहे हैं पर उसके साथ ही वे उन्हें साफ-साफ बता देते हैं कि उनके फार्मूले का प्रयोग करने से किस हद तक लाभ होगा और कितने दिनों में होगा। वे धैर्य रखने की बात कहते हैं। उनका फार्मूला उनका अपना नहीं है बल्कि देश का पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है। देश के पारंपरिक चिकित्सक इस फार्मूले के बारे में जानते हैं पर इसका प्रयोग करने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि इस फार्मूले का प्रयोग करने से शरीर की प्रकृति बदलने लग जाती है। इससे बालों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बाल फिर से काले होने लग जाते हैं पर शरीर की प्रकृति बदलने से नाना प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं और बहुत सारे ऐसे विचित्र लक्षण आते हैं जैसे कि आपको आ रहे हैं।
चिकित्सा करने वाले वैद्य इस बात को जानते हैं पर वे अपने मरीजों को इस बारे में नहीं बताते हैं क्योंकि एक बार ऐसी जानकारी होने पर मरीज अपने आप ही दवा लेने से मना कर देंगे। ये विचित्र लक्षण इतनी अधिक संख्या में आते हैं कि उनके लिए कोई दवाई नहीं दी जा सकती है। जो धैर्यपूर्वक इस प्रक्रिया को पूरा कर लेते हैं उनके बाल तो अवश्य काले हो जाते हैं और लंबे समय तक ऐसे ही बने रहते हैं पर उन्हें बहुत अधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है।
वे आधुनिक चिकित्सकों की शरण में जाते हैं जिन्हें कि इस बात की जानकारी नहीं होती है। वे लक्षण के अनुसार उपचार करते हैं और फिर बहुत सारी दवाओं के आपस में ड्रग इंटरेक्शन होने के कारण बालों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वे फिर से सफेद होने लग जाते हैं। सफेद होने से ज्यादा वे गिरने लग जाते हैं और इस तरह से मरीजों को लंबे समय में कुछ भी हासिल नहीं होता है। यही कारण है कि देश के पारंपरिक चिकित्सक इस फार्मूले को बहुत मुश्किल से ही उपयोग करते हैं।
मैंने उन फौजी अफसर से कहा कि आप विचार करें कि क्या आप ऐसे लक्षणों को बर्दाश्त कर सकते हैं। यदि हाँ, तो आप अपना उपचार जारी रख सकते हैं अन्यथा आप वैद्य जी के फार्मूले का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर देंगे तो आपको इन सभी लक्षणों से 10 से 15 दिनों में राहत मिल जाएगी।
मैंने उनसे यह भी कहा कि हर उम्र की अपनी सुंदरता होती है। मुझे तो आप सफेद बालों में बहुत ही गौरवशाली दिखते हैं। आपका व्यक्तित्व निखर कर आता है। मुझे नहीं लगता कि आपको बाल काले कराने की जरूरत है। बाल भले ही काले हो जाएंगे पर आपका चेहरा साफ-साफ यह बता देगा कि आपकी उम्र हो चुकी है और आपने बालों को किसी उपाय की सहायता से काला किया हुआ है।
मेरी बातों का शायद उन पर असर पड़ा और काफी देर तक सोचने के बाद उन्होंने कहा कि वे इस फार्मूले का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर देंगे और फिर 1 महीने बाद मुझे प्रगति की जानकारी देंगे।
कुछ समय बाद उनका जब फिर से फोन आया तो उन्होंने बताया कि अब सभी समस्याएं ठीक हो रही है और उन्हें विश्वास है कि जल्दी ही वे इन समस्याओं से पूरी तरह से मुक्त हो जाएंगे।
उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।
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