Consultation in Corona Period-241 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-241
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"Lupus Nephritis इस बीमारी का नाम जैसे ही मैंने अपनी रिपोर्ट में पढ़ा मेरे होश उड़ गए और जब इंटरनेट ने बताया कि इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है केवल लक्षणों को ही मैनेज किया जा सकता है तो मैं घोर निराशा में डूब गया। इसके बाद मैंने इंटरनेट पर ही सर्च करना शुरू किया और दुनिया भर के देशों में इस बीमारी पर चल रहे शोधों के बारे में जानकारी एकत्र करने लगा। इसी खोज के दौरान मुझे आपके बारे में पता चला कि आप भारत में पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं और मैंने आपकी एक फिल्म भी देखी जो कि Lupus पर आधारित थी। इस आधार पर मैंने निश्चित किया कि मैं आपसे मिलूंगा और अपनी बीमारी के बारे में आप से चर्चा करूंगा। हो सकता है कि आप मुझे मार्गदर्शन दे सके। मेरी उम्र 30 वर्ष है और मेरे ज्योतिषी ने कहा है कि मेरी आयु बहुत अधिक है इसलिए मुझे उम्मीद लगती है कि मैं जल्दी ही इस बीमारी से उबर पाऊंगा।" उत्तर भारत से आए एक सज्जन ने जब मुझसे परामर्श के लिए समय लिया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
जब ये सज्जन मुझसे मिलने आये तो मैंने उनसे कहा कि आप दक्षिण छत्तीसगढ़ में जाकर एक पारंपरिक चिकित्सक से मिलें। उन्हें इस रोग की चिकित्सा में महारत हासिल है। वे एक जाने-माने पारंपरिक चिकित्सक हैं और भारत सरकार ने जो पारंपरिक चिकित्सकों की सूची बनाई है उस सूची में इनका नाम भी शामिल है। वे बहुत वयोवृद्ध है पर अभी भी दिव्य ज्ञान से परिपूर्ण है। इस पर उन सज्जन ने कहा कि मैं इतनी दूर नहीं जाना चाहता। अगर आप उनकी चिकित्सा के बारे में जानते हैं तो आप ही मेरी चिकित्सा कर दीजिए। इस पर मैंने उन्हें समझाया कि मैंने उनके ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन किया है और मैं स्वयं एक चिकित्सक नहीं हूँ इसलिए बेहतर होगा कि आप सीधे ही उन पारंपरिक चिकित्सक से मिलें ताकि आपको सही लाभ हो सके।
वे इस बात के लिए जब तैयार हो गए तो मैंने उन्हें समझाया कि आप उन्हें अपनी रिपोर्ट नहीं दिखाईयेगा। वे कुछ भी नहीं समझेंगे। वे आप की जांच करेंगे और फिर उसके आधार पर अपनी दवा देंगे। वे दवा के पैसे भी नहीं लेंगे पर आप अपनी ओर से किसी भी तरह की कोई कमी नहीं करिएगा क्योंकि उनका जीवन यापन केवल इसी पर आधारित है। मैंने उन सज्जन को दक्षिण भारत से एकत्र किए गए कई प्रकार के मेडिसिनल राइस दिए और कहा कि जब आप उन पारंपरिक चिकित्सक से मिलने जाएं तो इन्हें मेरी ओर से भेंट स्वरूप लेकर जाएं और मेरा प्रणाम उन्हें कहें।
पारंपरिक चिकित्सक का पता लेकर वे सज्जन उस ओर रवाना हो गए। कुछ हफ्तों के बाद उनका फोन आया कि उन्होंने उन पारंपरिक चिकित्सक के माध्यम से अपनी चिकित्सा शुरू कर दी है। उन्होंने यह भी बताया कि अब वे पारंपरिक चिकित्सक बहुत बुजुर्ग हो गए हैं इसलिए वे किसी भी मरीज को नहीं देखते हैं। उनके स्थान पर उनका छोटा भाई यह कार्य कर रहा है। वह उन्हीं फॉर्मूलेशंस को उपयोग कर रहा है जो कि पारंपरिक चिकित्सक किया करते थे। मैंने इस जानकारी के लिए उन सज्जन को धन्यवाद दिया और शुभकामनाएं दी।
2 महीनों के बाद उन सज्जन ने फिर से मुझसे परामर्श का समय लिया और फिर नियत समय पर मुझसे मिलने रायपुर आ गए। उन्होंने बताया कि उनकी समस्या का किसी भी तरह से समाधान नहीं हुआ है बल्कि समस्या बढ़ गई है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि यह रोग के कारण हो रहा होगा क्योंकि इस रोग में ऐसा ही होता है ऐसा उनके चिकित्सकों ने बताया है। उन्हें कई लक्षण ऐसे आ रहे हैं जो कि आम तौर पर देखे नहीं जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि पारंपरिक चिकित्सक की दवा उन पर असर नहीं कर रही हो क्योंकि यह बढ़ी हुई स्टेज का लुपस नेफ्राइटिस है। चिकित्सकों ने इसे क्लास फोर की बीमारी कहा है। जब उन सज्जन ने विस्तार से अपने नए लक्षणों के बारे में बताया तो मुझे कुछ संदेह हुआ। मैंने उनसे कहा कि यदि आप मुझे अनुमति दें तो मैं एक छोटा सा परीक्षण करना चाहूँगा। इसमें आपको तरह-तरह की जड़ी बूटियों को चखना होगा फिर उसका स्वाद बताना होगा। इस आधार पर मैं बता पाऊंगा कि आपको पारंपरिक चिकित्सक के फार्मूले से फायदा क्यों नहीं हो रहा है। उन्होंने अनुमति दी और जब परीक्षण आरंभ हुआ तो समस्या का समाधान नजर आने लगा।
मैंने उन्हें उनसे स्पष्ट शब्दों में पूछा कि आप इस फॉर्मूलेशन के अलावा किसी और दवा का प्रयोग तो नहीं कर रहे हैं तब उन्होंने बताया कि नहीं वे किसी और दवा का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। उनकी ओर से तसल्ली हो जाने पर मैंने उन पारंपरिक चिकित्सक के छोटे भाई से बात की जो कि अब उनके स्थान पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने मुझे झट से पहचान लिया और कहा कि वे 2 दिनों बाद रायपुर आ रहे हैं और अगर मैं चाहूँ तो वे मुझसे मिल सकते हैं।
मैंने उन सज्जन को 2 दिन रुकने के लिए कहा और जब 2 दिनों के बाद पारंपरिक चिकित्सक के छोटे भाई मुझसे मिलने आए तब मैंने उनसे पूछा कि अब उनके बड़े भाई की तबीयत कैसी है? औपचारिकता पूरी होने के बाद मैंने उन सज्जन की समस्या उन्हें बताई और यह भी बताया कि बरसों से परखा हुआ फार्मूला क्यों इस रोग में काम नहीं कर रहा है यह आश्चर्य का विषय है। मैंने पारंपरिक चिकित्सक के छोटे भाई को बताया कि इस फार्मूले पर बहुत से भारतीय वैज्ञानिकों ने काम किया है और अभी भी कर रहे हैं। उन्हें बहुत अच्छी सफलता मिली है पर इस मामले में समाधान न होना आश्चर्य का विषय है। इस पर पारंपरिक चिकित्सक के छोटे भाई ने कहा कि जब बड़े भाई इस फार्मूले का प्रयोग करते थे तो लोगों को बड़ा फायदा होता था पर मैंने जब से इस फार्मूले का उपयोग करना शुरू किया है तब से इससे फायदा ही नहीं होता है। उनकी इस बात को सुनकर मैंने उनसे फार्मूले के घटकों के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि उनके एकत्रण में किसी तरह का फेरबदल किया गया है क्या?
मेरा ध्यान महुआ पर फोकस था जिसकी छाल का प्रयोग इस फार्मूले में किया जाता है। फिर एक-एक करके मैंने सभी घटकों के बारे में विस्तार से जानकारी लेनी शुरू की और उनसे पूछा कि क्या आप अभी भी महुआ की छाल को बरसात के मौसम में एकत्र करते हैं? तब पारंपरिक चिकित्सा के छोटे भाई ने कहा कि इस बारे में तो भैया ने कुछ भी नहीं बताया है। मैं तो जब सभी घटकों का एकत्रण करता हूँ उस समय महुआ की छाल को भी एकत्र करता हूँ। यह काम मैं गर्मी के महीनों में करता हूँ। अब समस्या का मूल पता चल गया था।
मैंने उनसे कहा कि आपका फार्मूला इसीलिए काम नहीं कर रहा है क्योंकि आप महुआ की छाल को गर्मी में एकत्र कर रहे हैं। इस मौसम में उसमें विपरीत गुण उत्पन्न हो जाते हैं। यही कारण है कि आपके बड़े भाई कभी गर्मी में इस छाल का एकत्रण नहीं करते थे।
जब मैं उनके पारंपरिक ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन कर रहा था तब उन्होंने जोर देकर यह बात कही थी और कहा था कि यदि गर्मियों में महुआ की छाल का एकत्रण करके इस फार्मूले में प्रयोग किया जाएगा तो बहुत विपरीत लक्षण आने लगेंगे और रोग कम होने की बजाय बहुत उग्र हो जाएगा। संभवत: यह जानकारी उन्होंने आपको नहीं दी जिसके कारण आपका फार्मूला दोषपूर्ण हो गया।
मैंने उनसे कहा कि अब आप फार्मूले में सुधार करें और उसे उसके वास्तविक रूप में ही उपयोग करें। मुझे पूरी उम्मीद है कि इन सज्जन को लाभ होगा।
सज्जन लगातार कई महीनों तक उनसे दवा लेते रहे और बीच-बीच में मुझे फोन कर बताते रहे कि अब उनकी समस्या का धीरे-धीरे समाधान हो रहा है। लक्षणों की उग्रता कम हो रही है।
हाल ही में उनका संदेश आया कि जो चिकित्सक पहले कह रहे थे कि यह लाइलाज है अब वे चिकित्सा करने के लिए तैयार हो गए हैं। यह एक अच्छी खबर थी।
मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया।
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