Consultation in Corona Period-239 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया




"22 करोड़ की दवा वाली बीमारी के बारे में आपके क्या विचार हैं? क्या इस बारे में आप हमारे न्यूज़ पोर्टल को बताएंगे?" परामर्श लेने के लिए आए मेरे एक संपादक मित्र ने मुझसे यह प्रश्न पूछा।

 मैंने उनसे कहा कि मैं आपको जरूर बता सकता हूँ इस बारे में पर आपके न्यूज़ पोर्टल को नहीं बताना चाहूँगा। मैंने उनसे कहा कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी के बारे में हमारे देश में समृद्ध पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है और पीढ़ियों से पारंपरिक विशेषज्ञ इस बारे में जानकारी रखते हैं। मैंने पिछले 30 सालों में हजारों ऐसे फॉर्मूलेशंस के बारे में लिखा है जिनका प्रयोग सफलतापूर्वक इस बीमारी की चिकित्सा में किया जा सकता है। यदि इन फॉर्मूलेशन पर क्लिनिकल ट्रायल किए जाए तो इस कठिन समझे जाने वाले रोग की सरल चिकित्सा हो सकती है। बस करना यही है कि सारी कमान युवा भारतीय वैज्ञानिकों को सौंपी जाए जिन्हें कुछ करोड़ देने से वे क्लिनिकल ट्रायल कर लेंगे और एक बहुत सस्ती दवा का विकास कर लेंगे पर मुझे मालूम है कि इस प्रोजेक्ट में कोई भी रुचि नहीं लेगा। क्योंकि 22 करोड़ की दवा में कई लोगों का कमीशन है। अगर यह दवा 100 रूपयों में मिलने लग गई तो उस कमीशन का पूरा खेल खत्म हो जाएगा।

खैर छोड़िए इन सब बातों को। आप अपनी समस्या के बारे में बताइए। संपादक मित्र ने अपनी समस्या के बारे में बताना शुरू किया। उन्होंने कहा कि उन्हें अनिद्रा की शिकायत हो रही है। रात भर नींद नहीं आती है नींद की दवाओं को लेने के बावजूद। वे प्राकृतिक उपाय भी कर रहे हैं जैसे कि निशिंदी की पत्ती को सिरहाने में रखने का उपाय। पैरों के तलवों में विभिन्न तरह के तेलों को लगाने का उपाय। साथ ही वे होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं पर पैसीफ्लोरा जैसी दवा लेने के बाद भी उन्हें अच्छी नींद नहीं आ रही है। 

मैंने कहा कि अनिद्रा के लिए तो पारंपरिक चिकित्सा में बहुत सारी दवाएं और फंक्शनल फूड है पर अच्छा यही रहेगा कि पहले इस समस्या का कारण जाना जाए फिर उसका समाधान किया जाए। सभी तरह की दवाएं सभी तरह की अनिद्रा की समस्याओं को ठीक नहीं करती है। वैसे भी नाना प्रकार की दवाओं का प्रयोग करके आप देख ही चुके हैं और आपको किसी भी तरह से लाभ नहीं हुआ है। मैं आपका एक छोटा सा परीक्षण करना चाहूँगा यदि आप अनुमति दें।

 वे परीक्षण के लिए तैयार हो गए। मैंने उनके बाएं हाथ की कलाई में एक के बाद एक कुछ समय के अंतराल में कई तरह के लेप लगाए और फिर उनके मुंह में आने वाले स्वाद के बारे में जानकारी ली। मैंने इन सभी जानकारियों को नोट किया और फिर जब इनका विश्लेषण किया तो मुझे पता चला कि समस्या का कारण किसी तरह की वनस्पति की अधिकता है। मैंने उनसे उनके द्वारा ली जा रही दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली और यह भी पूछा कि वे खानपान में किन तरह की सामग्रियों का प्रयोग कर रहे हैं विशेषकर लंबे समय से। उन्होंने सारी जानकारी दी तो स्थिति कुछ स्पष्ट होने लगी।

 उन्होंने बताया कि उन्हें माइग्रेन की समस्या है बहुत लंबे समय से इसलिए वे एक आधुनिक दवा का लगातार प्रयोग कर रहे हैं। इस दवा का प्रयोग करने से उनकी माइग्रेन की समस्या पूरी तरह से नियंत्रण में रहती है। हाल ही में उन्होंने नाक से बहुत अधिक खून निकलने की समस्या देखी तब उन्होंने चिकित्सक से परामर्श लिया।

 उन चिकित्सक ने उनसे कहा कि यह सामान्य समस्या है और धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं है पर जब यह समस्या उग्र होने लगी तो उन्होंने एक वैद्य से दवा लेनी शुरू की। इससे नाक से खून निकलने की समस्या पूरी तरह से ठीक हो गई।

 वैद्य ने कहा कि यह रक्तपित्त की समस्या हो सकती है और उनकी दवा से इस समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या को पूरी तरह से ठीक होने में 1 महीने से अधिक का समय नहीं लगेगा। पर पिछले 6 महीनों से मैं उनकी दवा ले रहा हूँ। जब तक उनकी दवा लेता हूँ तब तक नाक से खून नहीं निकलता है पर दवा बंद करते ही फिर से वही समस्या शुरू हो जाती है। मैं ही नहीं बल्कि वे वैद्य भी आश्चर्य में है कि कैसे उनकी दवा असर नहीं कर रही है और इतने लंबे समय तक साधारण सी समस्या के लिए उन्हें दवा देनी पड़ रही है।

मैंने अपने परीक्षण के नतीजों के आधार पर उनसे पूछा कि क्या वे अभी आपको जो फार्मूला दे रहे हैं उसमें किसी मात्रा में चिरायता का उपयोग किया गया है विशेषकर प्राथमिक घटक के रूप में। उन्होंने अपने वैद्य से बात कर मुझे बताया कि यह फार्मूला पूरी तरह से चिरायता पर ही आधारित है और चिरायता के अलावा चार और कड़वी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया गया है। अब समस्या का समाधान मिल गया था।

 मैंने संपादक मित्र से कहा कि आपकी माइग्रेन की समस्या के लिए आप जिस आधुनिक दवा का प्रयोग कर रहे हैं उसके कारण नाक से खून निकलने की समस्या हो रही है। ऐसा माइग्रेन की चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली दवाओं के कारण अक्सर होता है। आप नए चिकित्सक से मिलने की बजाए अपने उन चिकित्सक से मिलते जो कि आपको माइग्रेन की दवा दे रहे हैं तो उन्होंने इसके बारे में आपको बताया होता और उसका समाधान भी बताया होता पर आप तो वैद्य से मिलने चले गए जिन्होंने इस समस्या को नए सिरे से देखा और उन्होंने चिरायता पर आधारित एक फॉर्मूलेशन दिया। मैं आपको बताना चाहूँगा कि चिरायता का प्रयोग करने से विशेषकर अधिक मात्रा में और लंबे समय तक प्रयोग करने से अनिद्रा की शिकायत हो जाती है और कई रातों तक नींद नहीं आती है। फौज में काम करने वाले लोगों के लिए या ऐसे लोगों के लिए जिन्हें रात भर जागना होता है और उसके अलावा कोई चारा नहीं होता है तब चिरायता पर आधारित फॉर्मूलेशन का इस तरह प्रयोग किया जाता है ताकि उन्हें किसी भी तरह से नींद न आए। आपको अपने वैद्य को बताना चाहिए था कि आपको अनिद्रा की शिकायत है। आप उनसे मिलने की बजाय मेरे पास चले जाए और मैं एक नए सिरे से इस बीमारी को देखने लगा पर परीक्षणों ने सब कुछ साफ कर दिया।

 मैं आपको सलाह देना चाहूँगा कि अपने रोगों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञों से मिलने की बजाय एक विशेषज्ञ की सलाह लेना ही ज्यादा सही होता है अन्यथा वही गड़बड़ी होती है जो कि अभी आपके साथ हो रही है। मैंने उन्हें यह भी कहा कि आपको मेरी ओर से किसी भी तरह के फंक्शनल फूड या दवा की जरूरत नहीं है। आप माइग्रेन की चिकित्सा कर रहे चिकित्सक से मिले और उनसे दवा लें। अगर उनसे बात न बनती हो तब मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। आपको वैद्य जी के फार्मूले की जरूरत नहीं है।

 संपादक मित्र बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए। कुछ समय बाद उन्होंने फिर से संपर्क कर बताया कि उनके माइग्रेन वाले चिकित्सक ने उनकी दवा बदल दी है। इससे अब नाक से खून निकलने की समस्या का समाधान हो गया है। उन्होंने वैद्य की दवा भी बंद कर दी है जिससे कि अब उन्हें अच्छे से नींद आने लगी है।

 इस तरह किसी समस्या का समाधान करने के लिए उतावलापन दिखाने से बेहतर है कि समस्या का मूल कारण पहले जाना जाए उसके बाद फिर समाधान अपने आप ही निकल आता है।

 इस मामले से इस सिद्धांत को और अधिक मजबूती मिली। 


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