Consultation in Corona Period-252 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-252





Pankaj Oudhia पंकज अवधिया 


"हमने आपको लाने के लिए विमान की व्यवस्था कर दी है और आपके ठहरने का प्रबंध हवेली में ही कर दिया है। आपको और जो भी सुविधाएं चाहिए आप लिस्ट बनाकर हमें अभी से भेज दीजिए। इस संकट के समय में कोई भी अनावश्यक यात्रा नहीं करना चाहता है। ऐसे समय में आपने आने की मंजूरी दी। इसके लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगे। बहू की सारी रिपोर्ट हमने आपको भेज दी है। बहू की उम्र 40 वर्ष है और जब आप यहां आएंगे तो दुनिया भर के 15 विशेषज्ञ भी यहां पर मौजूद रहेंगे जो कि बहू को देखने ही आ रहे हैं। आप सब मिलकर विचार विमर्श करने के बाद जो भी सुझाव देंगे उनका पालन हम सब करेंगे।"  राजस्थान के एक बड़े उद्योग घराने से जब यह संदेश आया तब मैंने अपनी यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी।

 मैंने उन्हें लिखा कि यह आपका बड़प्पन है जो आप मेरे लिए इतनी सारी व्यवस्थाएं कर रहे हैं। मुझे विशेष सुविधाओं की जरूरत नहीं है। लंबी यात्रा के बाद वात दोष के कुपित हो जाने के कारण मैं यात्रा के बाद जमीन पर ही सोना पसंद करता हूँ। मैं अपना बिस्तर साथ लेकर चलता हूँ और अपना भोजन भी। आप बस एक प्रेशर कुकर की व्यवस्था कर दीजिएगा। मुझे निजी सहायक की जरूरत नहीं है। जितना एकांत हो सके उतने एकांत में मेरे रहने की व्यवस्था कर दीजिएगा। यही पर्याप्त होगा। 

उनकी बहू की रिपोर्ट की मैंने विस्तार से जांच की और पाया कि उनकी बहू को पिछले 3 सालों से 40 से भी अधिक प्रकार के विचित्र लक्षण आ रहे थे जिसकी चिकित्सा के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था पर रोग का मूल कारण नहीं समझ में आ रहा था इसीलिए उन्होंने दुनियाभर के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया था अंतिम विकल्प के रूप में ताकि ये सब मिलकर किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच सके।

 नियत तिथि और नियत समय को मैं उनकी हवेली में पहुंच गया जहां पहले से ही 15 विशेषज्ञ मौजूद थे। आपसी परिचय के बाद हम लोगों ने केस पर चर्चा शुरू की। सभी विशेषज्ञों को 1 घंटे बोलने का अवसर दिया गया। पहले दिन तो मेरी बारी नहीं आई। शाम के समय जब मैं अपने कक्ष में लौटा तो धीरे-धीरे करके विशेषज्ञ मुझसे मिलने आते रहे।

 सबसे पहले लंदन से आई एक महिला चिकित्सक ने संपर्क किया जिन्होंने हाल ही में हिमालय की यात्रा की थी और फूलों की घाटी में गई थी। वहां उन्होंने बहुत सारी तस्वीरें ली थी और यह जानना चाहती थी कि इन फूलों के वैज्ञानिक नाम क्या है और इनका आधुनिक चिकित्सा में कैसे उपयोग किया जा सकता है?

 मैंने उन्हें पूरी तरह से मदद की। उसके बाद सिंगापुर से आए एक विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करते रहे कि कैसे इस महामारी के दूरगामी प्रभावों से स्वास्थ विशेषज्ञों को निपटना चाहिए। उन्होंने मेरे तकनीकी मार्गदर्शन में अलग-अलग देशों में चल रहे क्लिनिकल ट्रायल पर भी जानकारी ली और अपने प्रयोगों के बारे में भी बताया। इस दौरान कनाडा से आए एक विशेषज्ञ पूरे समय मेरे साथ बैठे रहे पर उन्होंने कुछ कहा नहीं। 

सभी के जाने के बाद उन्होंने धीरे से कहा कि उन्हें उन्हें एक निजी समस्या है। उन्होंने खुलकर बताया कि उनके पेनिस में लगातार हल्का सा दर्द होता रहता है जब उन्होंने अपने साथी चिकित्सकों की मदद ली तो उन्होंने इस बीमारी का नाम पेनोडायनिया बताया पर यह भी बताया कि इसकी किसी भी प्रकार से चिकित्सा नहीं की जा सकती है। कनाडा के विशेषज्ञ मुझसे मदद की अपेक्षा रखते थे। मैंने उनसे कहा कि आप मुझे अपने द्वारा प्रयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों के बारे में विस्तार से बताएं विशेषकर ऐसी सामग्रियों के बारे में इनका प्रयोग आप लंबे समय से कर रहे हैं। जब मैंने उनके द्वारा प्रयोग की जा रही सामग्रियों का अध्ययन किया तब मुझे समस्या का कारण समझ में आ गया और मैंने उनसे कहा कि आप कुछ समय तक के सोयाबीन पर आधारित किसी भी उत्पाद का प्रयोग रोक कर देखें। मुझे लगता है कि इससे आपकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।

 उस समय तक नीचे हलचल बढ़ने लगी थी। शराब का दौर शुरू हो गया था। कबाब की तैयारियां हो रही थी। यह मेरे सोने का समय था इसलिए मैं अपने कक्ष में जाकर गहरी निद्रा में सो गया। 

अगले दिन जब मेरे बोलने की बारी आई तो मैंने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने इन 4 लक्षणों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। ये लक्षण है लगातार कमर में दर्द होना, बहुत अधिक मात्रा में पेशाब होना, लिंफ ग्लैंड का कड़ा होना और आईबीएस जैसे लक्षण आना। इस आधार पर मेरा अनुमोदन तो यही है कि बीटा ग्लूकॉन ओवरडोज़ पर  ध्यान दिया जाए। मुझे लगता है कि बहू के द्वारा किसी रूप में बहुत अधिक मात्रा में बीटा ग्लूकॉन से समृद्ध सामग्रियों का प्रयोग किया जा रहा है। यदि उन सामग्रियों का प्रयोग रोक दिया जाए तो उनके आधे से ज्यादा लक्षण समाप्त हो सकते हैं। 

मेरी बात का ज्यादातर विशेषज्ञों ने समर्थन किया और जब उन्होंने इस आधार पर लक्षणों को जांचना शुरू किया तो उन्हें सब कुछ साफ नजर आने लगा। फिर जब बहू के द्वारा ली जा रही खाद्य सामग्रियों की जांच की गई तो पता चला कि सचमुच उसमें ऐसे खाद्य पदार्थ अधिकता में थे जिनमें बीटा ग्लूकॉन की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध था। मैंने किसी तरह की दवाईयों या फंक्शनल फूड के उपयोग की सलाह नहीं दी।

 मैंने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि इन महिला द्वारा लंबे समय से 5 तरह के मिलेट्स को मिलाकर प्रयोग किया जा रहा है। इन सभी मिलेट्स को बराबर मात्रा में मिलाया गया है। मेरा अनुमोदन यह है कि यदि इन्हें आपस में मिलाने की मात्रा में फेरबदल कर दिया जाए और भारत की पारंपरिक चिकित्सा के आधार पर इन मिलेट्स को मिलाया जाए तो बची खुची समस्या का भी पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।

 मेरे अनुमोदनो के बाद चर्चा पूरी तरह से समाप्त हो गई और सभी लोगों का ध्यान इसी ऒर केंद्रित हो गया। इस आधार पर बाकी विशेषज्ञों ने अपने अनुमोदनो को वापस ले लिया और मेरे द्वारा दिए गए अनुमोदन पर मुहर लगा दी।

 जिन सज्जन ने हमें आमंत्रित किया था उन्होंने अनुरोध किया कि हम 3 दिन और रुके ताकि अनुमोदनो के प्रभाव को जांचा जा सके। उन्होंने बताया कि उन्होंने इन 3 दिनों में हमारे मनोरंजन के भरपूर उपाय उपलब्ध करा दिए हैं इसलिए हमें रुक जाना चाहिए।

मैंने उनसे कहा कि मेरा रुकना संभव नहीं है। मैं तो भारत में ही हूँ। आप जब भी चाहे मुझे फोन पर अपनी समस्या बता सकते हैं। इन विशेषज्ञों को यहां रुकने दीजिए। मैं लगातार संपर्क में रहूँगा। ऐसा कहकर मैंने अपनी वापसी की यात्रा की तैयारी शुरू कर दी।

 मेरे रायपुर वापस लौटने के 3 दिनों बाद राहत भरी खबर आई कि अब 40 में से 38 लक्षण पूरी तरह से गायब हो चुके हैं और बचे हुए 2 लक्षणों की उग्रता काफी हद तक कम हो गई है।

 यह एक सुकून भरा समाचार था। 


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