Consultation in Corona Period-250 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-250




Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"घर की जिम्मेदारी निभाते निभाते कब मेरी उम्र बहुत अधिक हो गई इसका मुझे पता ही नहीं चला। जब सारी चीजें अपने ठीक स्थान पर व्यवस्थित हो गई तब मैंने निश्चय किया कि अब मैं विवाह करूंगा और अपनी चिंता करूंगा। अपने परिवार को बढ़ाऊंगा और इतने लंबे समय में जो मैं दूसरों के लिए करता रहा अब वह अपने परिवार के लिए करूंगा। मेरी उम्र 35 वर्ष है। 2 साल पहले मेरा विवाह हुआ तब से मैं लगातार संतानोत्पत्ति के प्रयास कर रहा हूँ पर यह संभव नहीं हो पा रहा है। मेरे पास समय कम है और मैं कम से कम 3 बच्चे पैदा करना चाहता हूँ इसलिए मैंने इस समस्या का पता चलते ही किसी भी प्रकार से देरी नहीं की। तुरंत ही सभी चिकित्सकों से मिला और सभी तरह की जांच करवाई। 

जांच में यह पता चला कि लो स्पर्म काउंट के कारण यह समस्या हो रही है। मैंने आधुनिक दवाओं का प्रयोग करना शुरू किया और साथ ही पारंपरिक दवाओं का भी। कोई भी कसर नहीं छोड़ते हुए होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग करना भी शुरू किया पर स्पर्म काउंट किसी भी तरह से बढ़ा नहीं। मैंने अपनी इस समस्या के लिए विदेशों की यात्रा की पर सभी विशेषज्ञों ने कहा कि इस समस्या की कुंजी तो भारत के पास ही है। आप बेकार  ही विदेशों में भटक रहे हैं। मैंने 5 तरह की मूसली से बनाया गया पावरफुल फार्मूला आजमाया। होम्योपैथी की एसिड फॉस और एगनस नामक दवायें अपनाई। बहुत सी कामोत्तेजक दवाओं का प्रयोग किया। खानपान में सुधार किया। आज यह स्थिति है कि दिन भर में मैं जिस भी खाद्य सामग्री का प्रयोग करता हूँ उसका कहीं न कहीं उद्देश्य स्पर्म काउंट को बढ़ाना होता है पर यह संभव नहीं हो पा रहा है। मैंने अभी तक किसी भी तरह के औषधीय चावल को नहीं आजमाया है पर इसके बारे में बहुत जानता हूँ कि ऐसे चावल भारत में है जो कि स्पर्म काउंट को बढ़ाने में मददगार सिद्ध हो सकते हैं। आपने इन चावलों पर गहन शोध किया है इसलिए मैंने आपसे परामर्श का समय लिया है। 28 वर्ष की आयु से ही मुझे गाउट की समस्या है जिसके लिए मेरी नियमित दवा चल रही है। मैं जिन दवाओं का प्रयोग कर रहा हूँ उनकी सूची आपको भेज रहा हूँ। आप चाहेंगे तो मैं अपने चिकित्सकों की भी आप से सीधी बात करवा दूंगा।" मध्य भारत से आए एक युवक ने जब परामर्श के लिए मुझसे समय लिया तब मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारी मदद करूंगा।

 फोन पर आरंभिक चर्चा करने के बाद मैंने उसे रायपुर आने को कहा फिर वनस्पतियों पर आधारित एक छोटा सा परीक्षण किया जिसमें कि उसे कई तरह की वनस्पतियों को चखकर बताना था कि उनका स्वाद क्या है। इस परीक्षण के आधार पर मैंने तीन और परीक्षण किए फिर उस युवक से कहा कि क्या उसने अपने उन चिकित्सक को जो कि उसकी गाउट की चिकित्सा कर रहे हैं अपने इरादे के बारे में बताया। यह बताया कि वह संतानोत्पत्ति के प्रयास कर रहा है तब उस युवक ने कहा कि उसने तो यह जानकारी अपने चिकित्सक को नहीं दी है क्योंकि यह उनकी विशेषज्ञता से बाहर है।

 मैंने उसे बताया कि तुम्हारे चिकित्सक गाउट के लिए कोलचीसीन का प्रयोग कर रहे हैं। तुम जब इस दवा को लेते होगे तो तुम्हें बहुत आराम मिलता होगा। युवक ने कहा कि हां, आप सही कह रहे हैं। इस दवा ने ही मेरी इस समस्या को लगभग खत्म ही कर दिया है। मैंने उसे बताया कि कोलचीसीन का प्रयोग करने से लो स्पर्म काउंट की समस्या होती है। वह अपने चिकित्सक से कहकर कुछ समय के लिए इस दवा को बंद कर दे और इसके स्थान पर दूसरी दवा का प्रयोग करने लगे तो उसकी इस समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। उस युवक ने जब अपने चिकित्सक से मेरी बात कराई तो उनके चिकित्सक ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यदि उस युवक ने पहले ही बता दिया होता कि वह संतानोत्पत्ति के प्रयास कर रहा है तो वह पहले ही इस दवा को बदल देते।

इस दवा के बंद होते ही उस युवक की लो स्पर्म काउंट की समस्या धीरे-धीरे सुलझने लगी। 

डेढ़ महीने के बाद फिर से जब उसका फोन आया तो मैंने सोचा कि यह खुशखबरी से भरा फोन होगा पर उस युवक ने बताया कि उसकी समस्या फिर से जस की तस हो गई है।

 मुझे आश्चर्य हुआ और मैंने उससे पूछा कि क्या उसने गाउट की दवा फिर से शुरू कर दी है तब उसने कहा कि उसने आधुनिक दवा का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया है और अब वह एक वैद्य से दवा ले रहा है जिससे कि उसे वैसे ही फायदा हो रहा है जैसे कि आधुनिक दवा से हो रहा था।

 मैंने इस दवा में रुचि दिखाई। जब उसने उस वैद्य का नाम बताया तब मुझे अपने डेटाबेस में उनके फॉर्मूलेशन के बारे में पूरी जानकारी मिल गई। 

मैंने इस आधार पर उस युवक को फिर से बताया है कि तुम्हारे वैद्य भी जिस फार्मूले का प्रयोग कर रहे हैं उसमें ऐसी वनस्पति को मुख्य घटक के रूप में डाला गया है जिसमें कि कोलचीसीन पाया जाता है। यही कारण है कि तुम्हारी समस्या फिर से उग्र हो गई है।

मैंने उसे परामर्श दिया कि तुम्हारी गाउट की समस्या के लिए मैं तुम्हें एक पारंपरिक चिकित्सक के पास भेज रहा हूँ जो कि कोलचीसीन का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि पुराने वृक्षों की छालों का प्रयोग करते हैं। इससे बिना किसी मुश्किल के उसकी समस्या का समाधान भी हो जाएगा और वह कोलचीसीन के प्रयोग से पूरी तरह बच भी जाएगा।

 युवक ने धन्यवाद दिया और फिर पता लेकर उन पारंपरिक चिकित्सक से मिलने चला गया। इस बीच उसने अपनी नई रिपोर्ट भेजी जिसमें कि बताया गया था कि आप उसका स्पर्म काउंट सामान्य स्तर की ओर बढ़ रहा है।

 कुछ महीनों बाद उसका फिर से फोन आया इस बार वह बहुत निराश था। उसने कहा कि समस्या फिर से वैसी की वैसी हो गई है जबकि उसने किसी भी तरह की नई दवा का प्रयोग करना शुरू नहीं किया है। ऐसा कहकर उसने वर्तमान में ली जा रही दवाओं की पूरी सूची और उनके सैंपल मुझे भेज दिए।

 उस युवक ने यह भी कहा कि जब उसने अपनी रामकहानी दिल्ली के एक प्रसिद्ध चिकित्सक को सुनाई तो उन्होंने कहा कि इतने प्रयासों के बावजूद भी जब सफलता नहीं मिल रही है तो अब प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है। हो सकता है यह किसी अनुवांशिक कारण से हो रहा हो जिसे सुधार पाना आधुनिक विज्ञान के बस की बात नहीं है। उसे अब इस सच को स्वीकार कर लेना चाहिए।

 मैंने जब उस युवक की दवाओं का पूरी तरह से परीक्षण कर लिया और इस बात की तसल्ली कर ली कि इन दवाओं के कारण उसे इस तरह की समस्या नहीं हो रही है तब मैंने उसके खान-पान पर ध्यान दिया और उसे पूछा कि उसने हाल ही में क्या किसी तरह की नई भोजन सामग्री या खाद्य सामग्री का प्रयोग शुरू किया है तब उसने कहा कि उसने 15 तरह की नई खाद्य सामग्रियों का प्रयोग शुरू किया है जिनका उद्देश्य शरीर के बल को बढ़ाना है। ऐसा कहकर उसने तुरंत ही इन खाद्य सामग्रियों की सूची मुझे भेज दी। मुझे उनमें से 5 तरह की खाद्य सामग्री विशेष रुप से गौर करने लायक लगी पर गहन अध्ययन से यह पता चल गया कि समस्या का मूल कारण क्या है।

 मैंने उस युवक से कहा कि वह तुरंत ही भिगोकर खाने वाले चने का प्रयोग पूरी तरह से रोक दें और फिर 15 दिनों के बाद जाँच करवाये और मुझे बताएं कि क्या उसकी समस्या का किसी हद तक समाधान हुआ। युवक ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि जिन सज्जन ने उसे भीगे हुए चने का प्रयोग करने को कहा है वह तो कह रहे थे कि यह संतानोत्पत्ति में मदद करेगा। मैंने उस युवक से धैर्य रखने को कहा और फिर उसकी नई रिपोर्ट का इंतजार करने लगा।

 15 दिनों बाद जब वह मुझसे मिलने रायपुर आया तो उसके हाथ में रिपोर्ट के साथ में मिठाई का एक बड़ा सा डब्बा था। रिपोर्ट में सब कुछ सही था।

 उसने खुशी जताते हुए कहा कि बहुत सालों के बाद ऐसी रिपोर्ट आई है और उसने इसकी तस्दीक करने के लिए दो और लेबोरेटरी में जांच करवाई जहां से ऐसे ही परिणाम मिले। मैंने उसे शुभकामनाएं दी और कहा कि अब वह लगनपूर्वक संतान उत्पत्ति के प्रयास शुरू करे। मुझे उम्मीद है कि उसे जल्दी ही सफलता मिलेगी।

 मैंने उससे यह भी कहा कि अब वह किसी भी तरह के नए प्रयोग को आजमाने का प्रयास न करें और यदि जरूरी हो तो एक बार मुझसे परामर्श ले ले।

 अगली बार उस युवक ने कई महीनों के बाद संपर्क किया और बताया कि उसे उसके प्रयासों में सफलता मिल गई है और वह अब पिता बन चुका है।

मैंने उसे बधाई भी दी और शुभकामनाएं भी। इस तरह भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान के माध्यम से एक और जटिल समस्या का सरल समाधान हो गया।


 सर्वाधिकार सुरक्षित



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