Consultation in Corona Period-243 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-243
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मैंने अपनी दस्त की समस्या के लिए आपसे संपर्क किया है। दस्त किसी भी तरह से रुक नहीं रहे हैं। पहले मुझे लगा कि यह पानी की समस्या के कारण हो रहे हैं पर जब पानी की समस्या को दूर किया और मैंने उबले पानी का प्रयोग करना शुरू किया तो भी दस्त जारी रहे। उसके बाद मैंने अपने खान-पान पर ध्यान दिया और ऐसी सामग्रियों का प्रयोग पूरी तरह से रोक दिया जिससे कि दस्त हो सकते थे पर फिर भी दस्तों का होना जारी रहा। जब चिकित्सकों ने कहा कि यह आईबीएस के कारण हो सकता है तब मैंने आधुनिक दवाओं का सहारा लिया।
इन दवाओं से लाभ न होता देखकर मैंने आयुर्वेदिक दवाओं का सहारा लिया। मुझे बेल का मुरब्बा दिया गया। इससे कुछ हद तक तो फायदा हुआ पर अधिक लाभ नहीं हुआ। मेरे बेटे ने कहा कि एक बार मुझे आपसे मिलना चाहिए और परामर्श करना चाहिए इसलिए मैं आपसे मिलने आया हूँ। मुझे हार्ट की समस्या है। काफी सालों से इसके लिए मैं एक वैद्य से दवा ले रहा हूँ। मुझे उससे लाभ हो रहा है। आप चाहे तो मैं उन वैद्य से आपकी बात करा सकता हूँ और उनके द्वारा प्रयोग की जा रही दवाओं के बारे में भी जानकारी दे सकता हूँ। मेरे हाथ पैर में बहुत दर्द रहता है। इसके लिए मैं एक आधुनिक चिकित्सक से दवा ले रहा हूँ जिसके बारे में जानकारी मैं भेज रहा हूँ। मैंने आपके ड्रग इंटरेक्शन पर बहुत सारे लेख पढ़े हैं। कहीं मेरी वैद्य की दवा और आधुनिक दवा के बीच कोई विपरीत प्रतिक्रिया तो नहीं हो रही है यह भी मैं जानना चाहता हूँ। अगर ऐसा होगा तो मैं एक दवा को बंद करने को तैयार हूँ।" उत्तर भारत से आए एक सज्जन ने जब मुझे अपनी समस्या के बारे में बताया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उनके द्वारा प्रयोग की जा रही दवाओं की जांच की और फिर उनके द्वारा उपयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों की भी। उन्होंने दस्त को रोकने वाली सभी चिकित्सा पद्धतियों की 36 से भी अधिक प्रकार की दवाओं का प्रयोग किया था पर वे सभी दवाएं नाकाम साबित हुई थी। समस्या गंभीर लगती थी। मैंने उनसे पूछा कि आप अपनी समस्या का समाधान आधुनिक चिकित्सा की सहायता से करना चाहते हैं या पारंपरिक चिकित्सा की सहायता से तब उन्होंने कहा कि उनका अपना लड़का डॉक्टर है और अगर यदि आप उसे सलाह दे सकें तो मेरी घर पर ही चिकित्सा हो जाएगी। जब मैंने उनके लड़के से बात की और उन्हें समझाया कि आपके पिताजी को कैसिया फिस्टुला टॉक्सिसिटी के लक्षण आ रहे हैं। यदि आपकी चिकित्सा पद्धति में किसी तरह का उपाय है तो आप इसका एंटीडोट दें। इससे इस तरह के दस्त पूरी तरह से रुक जाएंगे। उनके लड़के ने पूछा कि कैसिया का प्रयोग वे किस रूप में कर रहे हैं तब मैंने उनको बताया कि वे अपने वैद्य से हृदय की समस्या के लिए अमलतास पर आधारित एक फार्मूला ले रहे हैं जिसमें अमलतास को बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया गया है। आपके पिताजी ने बताया है कि इससे उनके हृदय की समस्या ठीक रहती है पर मेरा डाटा बेस कहता है कि अमलतास पर आधारित इस फार्मूलेशन का प्रयोग करने से दस्त की समस्या हो जाती है जो कि किसी भी तरह से ठीक नहीं होती है। उनके लड़के ने धन्यवाद दिया और कहा कि वह अपने सीनियर से बात करके मुझे सूचित करेगा।
2 दिनों के बाद उनका फोन आया कि उनके पास इस वनस्पति का कोई भी एंटीडोट उपलब्ध नहीं है। न ही उनके साहित्य में इस बारे में किसी तरह की जानकारी है। अब आधुनिक चिकित्सा की सहायता से समस्या का समाधान होना मुश्किल दिख रहा था इसलिए मैंने उन सज्जन से कहा कि आप पारंपरिक चिकित्सा का सहारा लें और मैंने उन्हें एक पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजा एक पत्र के साथ। मैंने उन्हें बताया कि आपको अमलतास के गूदे के कारण लगातार दस्त हो रहे हैं। अमलतास के कारण होने वाले दस्त को केवल अमलतास के द्वारा ही दूर किया जा सकता है। मैंने आपको जिन पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया है वे आपको अमलतास के फूलों का एक काढ़ा देंगे जिससे कि अमलतास के गूदे के कारण होने वाले दस्त पूरी तरह से रुक जाएंगे। केवल एक बार ही काढ़ा पीने से आपकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा पर यदि समस्या थोड़ी बहुत जारी रहती है तो आप आपातकालीन परिस्थितियों के लिए उनसे अमलतास के फूल लेकर आ सकते हैं। उन सज्जन ने धन्यवाद दिया और फिर पारंपरिक चिकित्सक से मिलने चले गए।
वहां से लौटने के बाद उन्होंने बताया कि अब उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है। फिर भी आपातकालीन परिस्थितियों के लिए उन्होंने थोड़े से फूल अपने पास रख लिए हैं और काढ़ा बनाने की विधि जान ली है।
3 महीने के बाद अचानक ही उनका फिर से फोन आया। वे बहुत अधिक घबराए हुए थे। उन्होंने कहा कि जैसे दस्त उन्हें हो रहे थे उससे अधिक उग्रता के दस्त उनकी पत्नी को हो रहे हैं और वे किसी तरह से नहीं रुक रहे हैं। उन्होंने इस संदेश के साथ में उनकी पत्नी द्वारा ली जा रही है सभी दवाओं के बारे में जानकारी दी और साथ ही उनके खानपान के बारे में भी बताया। इनमें किसी भी तरह का कोई दोष नजर नहीं आया। मैंने उनसे पूछा कि आपने इस दस्त को रोकने के लिए कौन-कौन से उपाय किए तब उन्होंने बताया कि उन्होंने कोई उपाय नहीं किया बस अमलतास के फूलों का काढ़ा बनाकर अपनी पत्नी को दे दिया पर उसके बाद से दस्त ठीक होने की बजाय और अधिक बढ़ गए और उनकी पत्नी की जान पर बन आई।
मैंने उन्हें कड़े शब्दों में कहा कि आपकी स्व चिकित्सा आपकी पत्नी के लिए अभिशाप बन गई है। अमलतास के फूलों के प्रयोग से अमलतास के गूदे के कारण होने वाले दस्त को तो रोका जा सकता है पर यदि अमलतास के फूलों का प्रयोग ऐसे ही या दूसरे प्रकार के दस्तों के लिए किया जाए तो दस्तों की उग्रता बढ़ जाती है और जान पर बन आती है जैसे कि आपकी पत्नी की जान पर बन आई है।
अब इस दस्त का रुकना संभव नहीं जान पड़ता है। वे पारंपरिक चिकित्सक भी अब शायद ही मदद कर पाए। आप मुझसे शाम को संपर्क करें। मैं अपने डेटाबेस में देखता हूँ। अगर इस बारे में किसी तरह का कोई उपाय उपलब्ध है तो आपको मैं जानकारी देता हूँ। जब मैंने अपने डेटाबेस को देखा तो काफी मशक्कत के बाद में मेडिसिनल राइस पर आधारित एक फार्मूला दिखा जिसके बारे में जानकारी मैंने दक्षिण भारत से एकत्र की थी। दक्षिण भारत के पारंपरिक चिकित्सक ने बताया था कि इस फार्मूले का प्रयोग करने से अमलतास के फूलों के कारण होने वाले दस्त को तुरंत ही काबू में लाया जा सकता है। यह मेडिसिनल राइस केवल दक्षिण भारत में ही मिलता है।
शाम को मैंने उन सज्जन को बताया कि किसी को दक्षिण भारत भेजकर उस मेडिसनल राइस को मंगाना होगा। फिर उस आधार पर मैं एक फार्मूला तैयार करके दूंगा जिससे कि दस्त नियंत्रित हो जाएंगे। उनके लड़के ने दस्तों की गंभीरता को देखते हुए तुरंत ही दक्षिण भारत के लिए उड़ान पकड़ी और कई दिनों की मेहनत के बाद उन्होंने उस मेडिसनल राइस को ढूंढ निकाला।
मैंने बिना किसी देरी के फंक्शनल फूड के आधार पर एक फार्मूला तैयार किया और उन सज्जन को दिया। उनकी पत्नी ने जब तीसरी खुराक ली तो उनके दस्त बंद हो गए और 2 दिनों के बाद उनका पेट सामान्य हो गया।
अमलतास से इस तरह के नुकसान के कम ही मामले देखने को मिलते हैं। यह तो अच्छा हुआ कि डेटाबेस में इसका एंटीडोट मिल गया अन्यथा बड़ी मुश्किल हो जाती।
समाधान मिलने पर सब ने राहत की सांस ली।
सर्वाधिकार सुरक्षित
Comments