Consultation in Corona Period-253 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
Consultation in Corona Period-253
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मुझे रोज दोपहर को तेज बुखार आ जाता है और बिना किसी दवा के शाम को उतर जाता है। फिर रात को अच्छी नींद आती है पर जब सुबह मैं जागती हूँ तो बहुत अधिक थकान महसूस होती है। ऐसा पिछले 3 सालों से हो रहा है। इन 3 सालों में मैंने किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी इस फीवर के कारण को जानने की। शुरू के 1 साल में तो सभी तरह के टेस्ट होते रहे। मलेरिया, टाइफाइड से लेकर टीबी तक पर कोई भी टेस्ट पॉजिटिव नहीं आया। दूसरे साल भारतीय दवाएं चलती रहे जिनमें सभी पैथियों की दवाइयां थी पर फीवर के आने का क्रम किसी भी मौसम में नहीं रुका। बंगलुरु से लेकर केरल के ढेरों आयुर्वेद संस्थानों का मैंने चक्कर लगाया। शरीर की शुद्धि करवाई। परहेज करना शुरू किया। बाहर का खाना बंद किया। लगातार अपने डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की जांच करवाई पर फिर भी यह क्रम नहीं टूटा।
आखिर थक हार कर मेरे पति मुझे लेकर यूरोप गए जहां फिर से नए सिरे से सारे टेस्ट हुए। फिर से दवाओं का क्रम शुरू हुआ। चिकित्सकों ने कहा कि हो सकता है यह किसी तरह का छुपा हुआ इंफेक्शन हो और बाद में जब यह उग्र हो जाए तो इसके बारे में पता चले। इसी आस में वे चिकित्सा में जुटे रहे। मेरे पति ने कहा कि बहुत से चिकित्सक कह रहे हैं कि हवा बदलने से लाभ हो सकता है इसलिए हमें कुछ महीनों तक स्विट्जरलैंड में जाकर रहना चाहिए। मैंने उनकी बात मानी पर वहां भी लगातार फीवर आता रहा। अगर यह कम डिग्री का बुखार होता तो एक बार इसे इग्नोर किया जा सकता था पर दोपहर के समय तेज बुखार का आना चिकित्सकों को भी आश्चर्य में डाल रहा था। आखिर हमने अमेरिका जाने का निश्चय किया।
वहां चिकित्सकों ने मेरी तकलीफ के बारे में जानने के बाद तुरंत ही कह दिया कि यह किसी ट्यूमर के कारण हो सकता है। उन्होंने ऐसे दर्जनों मामलों के बारे में बताया जिसमें इस तरह का बुखार दिन के किसी भी समय में आता है और फिर अपने आप ही ठीक हो जाता है। उन्होंने संदेह जताया कि मुझे ओवरी में कुछ समस्या हो सकती है। इस आधार पर उन्होंने विस्तार से जांच की पर उन्हें किसी भी प्रकार का ट्यूमर नही मिला। इसके बाद उन्होंने शरीर के दूसरे अंगों का गहन परीक्षण किया पर फिर भी उन्हें समस्या की जड़ का पता नहीं चला। आखिरकार उन्होंने कहा कि मुझे इस समस्या को इग्नोर कर देना चाहिए और अपनी सामान्य दिनचर्या का पालन करना चाहिए पर मेरा मानना था कि रोग का कारण पता चलना बहुत जरूरी है और अगर निश्चित समय पर बुखार आ रहा है तो जरूर शरीर में किसी न किसी प्रकार का दोष है जो कि बाद में बहुत उग्र हो सकता है।
मैं आपको सालों से पढ़ रही हूँ इसलिए अब जब सभी दरवाजे बंद हो गए तो मैंने निश्चय किया कि मैं एक बार आपसे मिलूंगी और यह जानने की कोशिश करूंगी कि क्या पारंपरिक चिकित्सा में ऐसी समस्या का कोई समाधान है या नहीं।" उत्तर भारत से आई एक संभ्रांत महिला ने जब परामर्श के लिए समय लिया तो मैंने उनसे पहला प्रश्न यही पूछा कि आप 3 साल पहले क्यों नहीं आई? अब जब सारी चिकित्सा पद्धतियां असफल साबित हो चुकी है तब आप चाहती हैं कि मैं आपके केस को देखूं और जल्दी से कोई समाधान बताऊँ। इसका उनके पास कोई उत्तर नहीं था। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने विस्तार से उनकी तकलीफों के बारे में पूछा और उनके द्वारा ली गई दवाओं और खानपान की सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। यह भी पूछा कि वे किन दवाओं का प्रयोग लंबे समय से कर रही है। जब उनसे यह पूछा कि 3 साल पहले आपको कौन-कौन सी शारीरिक तकलीफ थी और उसके लिए आप कौन कौन सी दवाई ले रही थी तब उन्होंने बताया कि उन्हें सिर दर्द की समस्या थी। इसके लिए वे एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से दवा ले रही थी। इससे उन्हें लाभ हो रहा था।
उन्होंने यह भी बताया है कि उनके पति चीनी मूल के हैं और घर में चीनी दवाओं का अक्सर प्रयोग होता है इसलिए जब उन्हें रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या हुई तो उन्होंने चीनी दवाओं का प्रयोग करना शुरू किया और उन प्रयोगों को वह अभी तक जारी रखे हुए हैं। मैंने पहले आयुर्वेद के चिकित्सक द्वारा दी जा रही दवाओं की पड़ताल की। उनमें किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया। फिर मैंने अपना ध्यान चीनी दवाओं पर केंद्रित किया।
उन्होंने बताया कि आप तो जानते ही हैं कि चीनी विशेषज्ञ अपने सीक्रेट फार्मूले के बारे में किसी को नहीं बताते हैं इसलिए वह कौन सी दवा का प्रयोग कर रहे हैं। उसमें कौन-कौन सी जड़ी बूटियां डाली गई है इसके बारे में मैं किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दे सकती। यह असमंजस वाली स्थिति थी।
मैंने उनसे कहा कि एक छोटा सा परीक्षण करना होगा। क्या आप इसके लिए तैयार हैं? जब उन्होंने अनुमति दे दी तो मैंने उन्हें विशेष रूप से तैयार कई प्रकार की भोजन सामग्री दी और कहा कि वे इन सामग्रियों को एक-एक करके चखते जाएं और फिर बताएं कि उनमें कैसा स्वाद आ रहा है। जब पहले दौर का परीक्षण खत्म हुआ तब पता चला कि किसी वनस्पति की विषाक्तता के कारण उन्हें इस तरह के लक्षण आ सकते हैं।
इस आधार पर मैंने दूसरा परीक्षण आरंभ किया और जब वह समाप्त हुआ तो पता चला कि उन्हें आ रहे लक्षण 200 प्रकार की वनस्पतियों की अधिकता के कारण हो सकते हैं। अब मैंने उनसे कहा कि आपकी सहायता से लंबे परीक्षण करने होंगे। इसमें आपको किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं होगी। बस आपको जड़ी बूटियों को चखकर बताना है कि उनका स्वाद कैसा है।
परीक्षण में लंबा समय लगेगा और इसके लिए आपको रायपुर में ही कुछ सप्ताहों तक रुकना होगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गई। इस दौरान भी उनको दोपहर में तेज बुखार आने का क्रम जारी रहा। लंबे परीक्षण के पहले दौर के बाद मैंने उनसे पूछा कि क्या जब आपको बुखार आता है तब आपकी दोनों आंखों में तेज दर्द होता है और यह दर्द विशेषकर दाहिनी आंख में अधिक होता है तब उन्होंने बताया कि हां उन्हें इस तरह की तकलीफ होती है। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी। इस जानकारी के आधार पर 200 वनस्पतियों की सूची घटकर 80 वनस्पतियों की रह गई। फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको बरसात का मौसम सबसे बुरा लगता है तब उन्होंने इसकी पुष्टि की और कहा कि हां उन्हें बरसात का मौसम सभी मौसमों में सबसे बेकार लगता है और इस समय उनकी दूसरी तकलीफें बहुत बढ़ जाती हैं। यह भी एक महत्वपूर्ण जानकारी थी। अगले दौर के परीक्षण के बाद मैंने उनसे पूछा कि क्या जब आपको बुखार आता है तो शरीर के ऊपरी भाग में ही पसीना आता है और निचले भाग में किसी भी तरह का पसीना नहीं आता है तब उन्होंने कहा कि वे इस बात पर ध्यान देंगी और अगले दिन मुझे बताएंगी।
अगले दिन उन्होंने इस बात की पुष्टि की। अब समस्या का समाधान धीरे-धीरे नजर आ रहा था। जब बात 10 वनस्पतियों पर आकर ठहर गई तब मैंने उनसे कहा कि आप अपने चीनी चिकित्सक से यह पूछ कर बताएं कि क्या इन 10 वनस्पतियों में से कोई वनस्पति उनके नुस्खे में है। उन्हें हां या नहीं में ही जवाब देना है। उनके चीनी चिकित्सक इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने एक वनस्पति के बारे में जानकारी दी जो कि उनके फार्मूले में अहम घटक के रूप में प्रयोग की जाती थी। उनकी इस जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि वह मूल रूप से चीनी नुस्खे का प्रयोग नहीं कर रहे थे बल्कि उसमें कई तरह की भारतीय जड़ी बूटियों का भी प्रयोग कर रहे थे इसीलिए शायद फार्मूले में दोष उत्पन्न हो गया था और इन महिला को इस तरह के लक्षण आ रहे थे।
उन्होंने जिस वनस्पति का नाम बताया था वह नीम थी और वह इसकी छाल का प्रयोग कर रहे थे। मैंने उन्हें छाल के प्रयोग की 50 विधियों के बारे में जानकारी भेजी और पूछा कि वे बताएं कि क्या वे इनमें से किसी एक विधि के प्रयोग से अपने फार्मूले को तैयार कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वह इन 50 विधियों का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। फिर मैंने उन्हें 20 दोषपूर्ण विधियों के बारे में जानकारी भेजी। अबकी बार उन्होंने बताया कि वह 8 नंबर की विधि का प्रयोग अपने फार्मूले में कर रहे हैं। अब समस्या का समाधान पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका था।
मैंने उन महिला से कहा कि आप कुछ समय तक चीनी नुस्खे का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें। मैं आपको मेडिसिनल राइस पर आधारित कुछ फंक्शनल फूड दे रहा हूँ। इनका प्रयोग करने से आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या नहीं होगी और आपको चीनी दवा पर निर्भर नहीं रहना होगा। आप 1 सप्ताह तक यह करके देखें और उसके बाद मुझे बताएं।
वे इस बात के लिए तैयार हो गई और उनके लक्षण 3 दिन में ही पूरी तरह से गायब होने लगे अर्थात उन्हें दोपहर में बुखार नही होना शुरू हो गया। उनमें एक नए उत्साह का संचार हुआ और उन्होंने कहा कि वे आजीवन चीनी दवा का प्रयोग नहीं करेंगी। यदि उनके चिकित्सक ने पहले ही घटकों के बारे में बता दिया होता तो इतने लंबे परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती। मैंने उन महिला से कहा पर यह अच्छी बात रही कि इतने लंबे परीक्षण के बाद हम किसी नतीजे पर पहुंचे और हमारा प्रयास सफल रहा।
उन्होंने धन्यवाद दिया।
मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।
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