Consultation in Corona Period-251 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-251




Pankaj Oudhia पंकज अवधिया 



"मेरे यौनांग बहुत अधिक संवेदी है। इसी कारण मैं पिछले कई सालों से अपनी शादी की बात को टालती रही हूँ किसी न किसी बहाने से पर अब तो घर वाले किसी भी तरह से मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने जबरदस्ती मेरी सगाई करा दी है और अब विवाह के लिए जिद कर रहे हैं। यौन अंगों की संवेदनशीलता इतनी अधिक है कि कपड़े का छूना भी अजीब तरह के लक्षण उत्पन्न करता है जो कि सहनशीलता की सीमा से बाहर है। यह समस्या कई सालों से है और मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी इसका समाधान खोजने के लिए। 

पहले अपने स्कॉलरशिप के पैसे से और फिर अपनी कमाई से मैं देश भर के चिकित्सकों से मिलती रही। पहले पहल तो चिकित्सकों ने इस पर ज्यादा ध्यान न देने की बात कही पर जब मुंबई की एक प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ ने मुझसे कहा कि इस बीमारी का नाम Vulvodynia है तब मुझे राह आसान होती दिखाई दी। इंटरनेट में तो पहले ही निराश कर दिया है कि इसका कोई इलाज नहीं है फिर भी मैंने प्रयास किए और बाद में इंटरनेट की ही बात सही निकली कि इसका किसी भी तरह से कोई इलाज नहीं है। 

मुंबई की स्त्री रोग विशेषज्ञ ने साफ शब्दों में कहा कि अब इसके साथ ही जीना होगा और यदि इसके कारण सेक्स में किसी भी तरह की तकलीफ होती है तो सेक्स से भी पूरी तरह से बचना होगा।

 यह समस्या ऐसी है जिसके बारे में आप किसी से बात नहीं कर सकते हैं सिवाय चिकित्सकों के जो कि हाथ खड़े कर चुके थे। मैंने अपने माता-पिता को इस बारे में बताने की कोशिश की तो उन्होंने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। जब सगाई के दिन मैंने अलग से अपने होने वाले पति से इस बारे में बात की और उनसे अनुरोध किया कि आप विवाह से इंकार कर दें तो उन्होंने अपने दोस्तों के सामने मेरा खूब मजाक उड़ाया। मैं अंदर से पूरी तरह से टूट गई।

 मैंने आपसे परामर्श का समय किसी तरह की दवा के लिए नहीं लिया है बल्कि मैं चाहती हूँ कि आप एक बार घर में बात कर ले मेरे पिताजी से और उन्हें समझाएं कि ऐसी बीमारी में विवाह करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हो सकता है कि वे आपकी बात मान जाए। वे आपके लेख लगातार पढ़ते रहते हैं और घर में इसकी चर्चा करते रहते हैं। मैं आपको पिता तुल्य मानती हूँ इसीलिए नि:संकोच होकर अपनी इस निजी समस्या के बारे में बता रही हूँ।" उत्तर भारत से जब इस युवती का संदेश आया तो मैंने उससे कहा कि वह अपनी सारी रिपोर्ट भेजे और संभव हो तो उस मुंबई की स्त्री रोग विशेषज्ञ का भी नंबर दें ताकि मैं उनसे बात करके इस समस्या के बारे में विस्तार से जान सकूं। जब मैंने उन विशेषज्ञ से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पास भी बहुत अधिक उपाय नहीं है। उन्होंने कई तरह की क्रीम दी है पर उससे उसको किसी भी तरह का कोई फायदा नहीं हुआ। उन विशेषज्ञ से सभी तरह की जानकारी मिलने के बाद मैंने निश्चय किया कि मैं युवती के पिता से बात करूंगा।

 मैंने उन्हें फोन पर अपना परिचय दिया तो वे बड़े प्रसन्न हुए और मुझसे बातें करने लगे। उन्होंने मेरी बातें ध्यान से सुनी पर अचानक ही उनके हाथों से किसी ने फोन छीन लिया और फिर उधर से आवाज आई कि मैं उस युवती की मां बोल रही हूँ। आप फालतू ही मेरी बेटी की बात पर आ रहे हैं। उसे किसी तरह की कोई समस्या नहीं है। वह बात बनाने में माहिर है। हमने जब उसे मनोचिकित्सक से मिलवाया तो उन्होंने भी कहा कि इस ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। आप 2 मिनट जरा रुके। ऐसा कहकर उस युवती की मां ने फोन होल्ड पर रख दिया। जब फोन फिर से चालू हुआ तो तेज आवाज में झगड़े की आवाज आ रही थी। मैंने फोन रख देना ही उचित समझा। 

फिर कई दिनों तक उस युवती का फोन नहीं आया। न ही उसने किसी भी तरह से संपर्क किया। एक दिन हड़बड़ी में उसके पिताजी ने मुझसे संपर्क किया और बताया कि पिछले दिनों उनकी बिटिया ने आत्महत्या करने की कोशिश की अपनी इसी समस्या के कारण। उसकी इस कोशिश से हमें आभास हुआ कि उसकी समस्या सचमुच विकट है और हमने निश्चय किया कि हम उसका विवाह टाल देंगे। अभी उसकी हालत ठीक है। उसकी जान जाते-जाते बची। उसके पिता ने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी बेटी को आश्वस्त किया है कि वे मुझसे संपर्क करेंगे और इस समस्या की संभावित चिकित्सा के बारे में चर्चा करेंगे। उनकी बातें सुनकर युवती के चेहरे में चमक आ गई थी।

 मैंने अपने 30 वर्षों के अनुभव में इस बीमारी के बारे में तो काफी कुछ लिखा है और इससे संबंधित पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण भी किया है पर इस तरह के मामलों में बहुत अधिक समय लगाने की जरूरत होती है और ज्यादातर मामलों में मैंने असफलता ही हासिल की है फिर भी युवती के और उसके परिवार वालों के अनुरोध को देखते हुए मैंने इस केस को हाथ में लेने का निश्चय किया और फिर युवती को रायपुर बुलवा लिया जहां मैंने जड़ी बूटियों की सहायता से एक छोटा सा परीक्षण किया और उससे उसके द्वारा प्रयोग की जा रही दवाओं और खाद्य सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। 

उसने बताया कि उसे लंबे समय से एनीमिया की शिकायत रही है। इसके लिए वह बहुत सारे आयरन युक्त टॉनिक का प्रयोग करती रही है। इस उद्देश्य के लिए उसने आधुनिक और पारंपरिक दवाओं का उपयोग किया है। इस समस्या के शुरू होने के बाद जब उसे बहुत अधिक मानसिक तनाव होने लगा तो उसे लगातार सिर में दर्द रहने लगा जिसे कि चिकित्सकों ने माइग्रेन बताया। पहले उसने आधुनिक दवाओं को अपनाया जब माइग्रेन से उसे छुटकारा नहीं मिला और पेन किलर के ऊपर उसकी निर्भरता बढ़ती गई तब उसने अपने ही शहर के एक पारंपरिक चिकित्सक से माइग्रेन की दवा ली। इस दवा को लेने से उसकी समस्या पूरी तरह से ठीक हो गई। उसने बताया कि वह अभी भी इसी दवा का प्रयोग लगातार कर रही है।

 मैंने उससे पूछा कि क्या Vulvodynia की समस्या बचपन से हो रही है तो उसने कहा कि बिल्कुल नहीं। स्कूल के दिनों में तो वह साइकिलिंग की चैंपियन थी और राष्ट्रीय स्तर पर अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व कर चुकी थी।

 "आप तो जानते ही हैं कि इस समस्या में साइकिल चलाना कितना कठिन काम है पर उस समय मुझे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती थी। यह तो अभी-अभी शुरू हुई है।" उसने खुलासा किया। 

यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी। अगर यह समस्या बचपन से होती तो इसका समाधान करना बहुत मुश्किल हो जाता। यह समस्या अचानक से हुई थी जिससे लगता था कि हो सकता है कि इसके लिए कोई कारक जिम्मेदार हो जिसकी पहचान करने से हो सकता है कि समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाए।

 उसने बताया कि 15 वर्ष की उम्र में उसे स्तनों में गठान हो गई थी जो कि कैंसर के कारण नहीं थी। इसके लिए उसे कई तरह की आधुनिक दवाएं दी गई जिससे कि वह गठान ठीक हो गई। बाद में उसने एक वैद्य से दवा लेनी शुरू की थी ताकि दोबारा इस तरह की गठान फिर न हो। वैद्य जी की दवा वह अभी भी ले रही थी।

 मैंने माइग्रेन की दवा की जांच करने का निर्णय लिया और उन पारम्परिक चिकित्सक से बात की। मुझे उनके फार्मूले में किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आया। फिर मैंने उन दवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया जो कि स्तन में हुई गठान के लिए दी गई थी। वे दवाई बहुत स्ट्रांग थी इसलिए मैंने उनके दूरगामी साइड इफेक्ट के बारे में अध्ययन किया पर वे पूरी तरह से दोषमुक्त निकली। 

इसके बाद मैंने वैद्य जी के द्वारा दिए गए फार्मूले पर अपना ध्यान केंद्रित किया फिर वैद्य जी से फोन पर बात भी की। जब मैंने उन्हें अपना परिचय दिया तो वे मुझे पहचान गए और कहा कि वे मुझे इंटरनेट पर लगातार पढ़ते रहते हैं। उन्होंने बिना किसी संकोच के अपने फार्मूले के बारे में पूरी जानकारी दे दी। उनका फार्मूला बड़ा ही कारगर था और यही कारण था कि वे अपने विषय में महारत हासिल किए हुए थे। उनकी बड़ी प्रसिद्धि थी। 

उन्होंने बातों ही बातों में बताया कि जब भी वे इस फार्मूले का प्रयोग करते हैं तो अपने मरीजों को साफ शब्दों में कह देते हैं कि वे किसी भी तरह का नशा न करें। उनकी बात सुनकर मेरा माथा ठनका और मैंने उनसे पूछा कि आप नशा करने के लिए मना करते हैं या बताते भी हैं कि किस तरह का नशा नहीं करना है तब उन्होंने कहा कि वह कह देते हैं कि किसी तरह का नशा इस दवा के साथ करने से विपरीत लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि यही आपसे चूक हो जाती है। आपके फार्मूले में पंचम घटक के रूप में भ्रमरमार का प्रयोग किया गया है जिसके साथ में किसी भी हालत में कैफीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि कैफ़ीन का प्रयोग किया गया तो आपका फार्मूला दोषपूर्ण हो जाता है। वह तरह-तरह के विकार उत्पन्न कर सकता है। आज की युवा पीढ़ी के लोग कैफीन के नशे को नशा नहीं मानते हैं और अपने दैनिक जीवन में कॉफी का लगातार प्रयोग करते रहते हैं इसलिए आपको बताना चाहिए कि आपका नशे से मतलब है चाय कॉफी का भी प्रयोग नहीं करना है। यदि आप स्पष्ट रूप से इन बातों को बताएंगे तो फिर आप का फार्मूला कभी भी दोषपूर्ण नहीं रहेगा। मुझे लगता है कि इस युवती को भी अधिक मात्रा में चाय या कॉफी पीने की आदत होगी जिसके कारण यह फार्मूला Vulvodynia जैसे लक्षण उत्पन्न कर रहा है। 

उन वैद्य जी ने मुझे आश्वस्त किया कि वे आगे से इस बात का ध्यान रखेंगे और उन्होंने काफी देर तक सोचने के बाद बताया कि उनके बहुत से मरीज इस बीमारी की शिकायत करते हैं। उन्हें अब पता चल रहा है कि इसका कारण क्या है। वैद्य जी से विस्तार से चर्चा करने के बाद जब मैंने युवती से फिर से फोन पर बात की तो उसने पुष्टि की कि वह अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करती है और वैद्य जी ने कभी भी कॉफी के सेवन से मना नहीं किया। बस इतना ही कहा कि किसी तरह का नशा न करें। नशा तो मैं नहीं करती हूँ। 

मैंने उसे परामर्श दिया कि वह कॉफी का प्रयोग करना बंद कर दें। इससे 2 से 3 महीने में उसकी समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी बिना किसी दवा के। उसे एकाएक विश्वास नहीं हुआ पर उसने मेरी बात मानने का फैसला किया।

 कुछ महीनों के बाद जब उसका फिर से फोन आया तो उसने प्रसन्नतापूर्वक बताया कि अब उसकी इस गंभीर समस्या का समाधान हो गया है पर पूरी तरह से समाधान नहीं हुआ है। उसने आकलन करके बताया कि 95% तक फायदा हुआ है 5% समस्या अभी भी बची हुई है।

 मैंने उससे कहा कि क्या तुम्हारे पहचान के कोई होम्योपैथिक विशेषज्ञ है तब उसने कहा कि उसके छोटे भाई ने होम्योपैथी का कोर्स किया है और अब वह प्रैक्टिस कर रहा है। मैंने उसके छोटे भाई से बात करके उससे अनुरोध किया कि वह अपनी बहन को कॉफीया क्रूडा की एक खुराक दें और फिर दोबारा कभी न दे। उसने मेरी बात मानी। 

कुछ समय बाद उस युवती का फिर से फोन आया कि अब उसकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो चुका है। उसने मुझे आश्वस्त किया कि वह भले ही अधिक मात्रा में चाय का सेवन कर लेगी पर कॉफी का प्रयोग कभी नहीं करेगी। मैंने उससे कहा कि वह किसी भी रूप में कैफीन का प्रयोग न करे विशेषकर जब वह वैद्य जी की दवा ले रही हो चाहे वह चाय हो या कॉफी। दोनों ही नुकसानदायक है। यदि इसे संतुलित मात्रा में लिया जाएगा तो किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।

 आज कई सालों बाद उसका फिर से संदेश आया है। इस संदेश के साथ में एक तस्वीर है जिसमें उसकी गोद में एक छोटा सा बच्चा है। आज इस संकट के समय में इससे सुकून भरा समाचार भला और क्या हो सकता है। 


सर्वाधिकार सुरक्षित 


Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)