Consultation in Corona Period-45
Consultation in Corona Period-45
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मुझे मालूम है कि मेरी नाक बदरंग हो गई है पर आप यहां हर्बल फार्मिंग पर व्याख्यान देने आए हैं न कि मेरी नाक देखने।"
ऐसा गुजरात के प्रसिद्ध उद्योगपति ने मुझसे कहा मजाकिये लहजे में।
दरअसल उन्होंने दुनियाभर के विशेषज्ञों को एक मंच पर एकत्रित किया था यह जानने के लिए कि गुजरात में हर्बल फार्मिंग कितनी सफल हो सकती हैं।
बतौर सफेद मूसली विशेषज्ञ मुझे भी आमंत्रित किया गया था।
चर्चा के दौरान मेरी नजर बार-बार उनकी नाक पर अटक रही थी और इसको उन्होंने ताड़ लिया। मैं बुरी तरह से झेंप गया और फिर से चर्चा में भाग लेने लगा।
मीटिंग खत्म होने के बाद मैंने उनसे कहा कि मैं आपसे निजी तौर पर मिलना चाहता हूँ।
उन्होंने कहा कि बिल्कुल, मैं तैयार हूँ।
और वे मुझे अपने एक निजी कक्ष में लेकर गए और बोले कि बताइए क्या कहना चाहते हैं?
मैंने उन्हें कहा कि कोई आप को मारने की कोशिश कर रहा है।
यह उनके लिए अप्रत्याशित बात थी।
वे बुरी तरह से चौक गए और बोले कि आपको कैसे पता?
मैंने उनसे कहा कि आपकी नाक बता रही है कि आप को धीमा जहर दिया जा रहा है।
उन्हें एकाएक इस पर विश्वास नही हुआ।
मैंने उनसे पूछा कि क्या आपकी हृदय की दवा चल रही है?
उन्होंने कहा कि हां।
और क्या आपके फेफड़ों में भी कुछ समस्याएं हैं तो उन्होंने कहा कि फेफड़ों में भी समस्याएं हैं और उसकी भी दवाई चल रही है।
तब मैंने फिर पूरे विश्वास से कहा कि आपको इसकी जांच करवानी चाहिए कि आपको कौन धीमा जहर देना चाहता है और इससे किसे फायदा हो रहा है?
उन्होंने कहा कि मैं बहुत सारी दवाइयां ले रहा हूँ।
हो सकता है कि उनमें से किसी दवा का बुरा असर मेरे ऊपर हो रहा हो जिसे आप धीमा जहर कह रहे हैं।
यह कह कर उन्होंने अपनी दवाओं का पूरा जखीरा मेरे सामने रख दिया। मैंने उनकी दवाओं का विस्तार से अध्ययन किया पर उनमें कहीं भी कोई दोष नहीं मिला।
इस बीच उन्होंने अपने विश्वासपात्रो को अपने कमरे में बुलवा लिया और उन्हें विस्तार से यह बात बताई।
फिर मुझसे कहा कि हो सकता है कि मेरे बेटे मुझे मारना चाहते हो क्योंकि बहुत दिनों से कड़वा संपत्ति विवाद चल रहा है या हो सकता है मेरी पत्नी।
इतना कहकर वे चुप हो गए।
मैंने खुलासा किया कि जहर आपको खाने पीने की वस्तु के माध्यम से दिया जा रहा है-ऐसा हो सकता है।
वे बोले कि ऐसा हो ही नहीं सकता। पिछले 20 सालों से मेरा खाना एकदम अलग बनता है और मेरा खानसामा उसे बनाता है।
घर के किसी भी सदस्य की पहुंच मेरे भोजन तक नहीं है।
मैंने उनसे पूछा कि क्या भोजन करने के बाद आपकी हृदय की धड़कन अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती है?
तो उन्होंने कहा कि हां, बढ़ जाती है। और वे इसके लिए दवा भी भोजन के तुरंत बाद ले लेते हैं।
उनके विश्वासपात्रों ने तय किया कि वे इस धीमे जहर का पता लगाएंगे।
उद्योगपति महोदय ने कहा कि आप दो-तीन दिनों के लिए हमारे घर में रुक जाइए।
मैंने विनम्रतापूर्वक उनसे कहा कि मैं होटल में ही ठीक हूँ और आप जब भी मुझे बुलाएंगे मैं आ जाऊंगा।
दो-तीन दिनों में कुछ भी नहीं पता चला तब मैंने उन्हें सलाह दी कि वे अपने पके हुए भोजन का लैब टेस्ट करवाए।
जिस जहर की आशंका मुझे है उसके लिए विशेष टेस्ट होता है और आपके शहर में यह संभव है।
वे तैयार हो गए।
खाने का सैंपल ले लिया गया और लैब में जमा कर दिया गया।
विश्वासपात्रों के अलावा उन्होंने प्राइवेट जासूसों की मदद भी ली और रिपोर्ट आने से पहले ही यह पता चल गया कि उनका खानसामा ही बहुत कम मात्रा में सब्जी में एक विशेष प्रकार का जहर मिला रहा था जिसके लक्षण उनकी नाक में दिख रहे थे।
रिपोर्ट आने के बाद यह निश्चित हो गया कि सचमुच वही धीमा जहर दिया जा रहा था।
अगर वे इसकी 10 से 15 खुराक और लेते तो उनकी मृत्यु निश्चित थी और फॉरेंसिक विशेषज्ञ शायद ही यह पता कर पाते कि यह मौत किसी विष के कारण हुई है।
उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया और उसके बाद उन्होंने यह खबर व्हाट्सएप के माध्यम से अपने मित्र मंडली में फैला दी।
जिसका डर था वही हुआ।
मेरे पास लोगों के चेहरों की तस्वीरें आने लगी और लोग पूछने लगे कि उनका चेहरा क्या बता रहा है?
जब तस्वीरों की संख्या 100000 से अधिक हो गई तो हमारी टीम ने सोचा कि क्यों न इसे अपने डेटाबेस में प्रमाण सहित शामिल किया जाए।
हमने अपने डेटाबेस में एक विशेष विभाग बनाया हर तस्वीर के लिए। इसमें सबसे ऊपर तस्वीर है, नीचे पूरा नाम पता है, चेहरे को देखकर क्या पता चल रहा है उसका वर्णन उसके नीचे है।
उसके बाद प्रभावित लोगों की मेडिकल रिपोर्ट है जो पारंपरिक ज्ञान के आधार पर लोगों के चेहरे पढ़कर बताए गए ज्ञान की पुष्टि करती है।
जब यह डेटाबेस ऑनलाइन होगा तो भारत के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की गहराई का सबको पता लग जाएगा।
मुझे याद आता है 90 का दशक जब मैं पारंपरिक चिकित्सकों के साथ समय गुजार रहा था।
जब भी मैं शहर से उनके पास आता था वे मेरा चेहरा देख कर बता देते थे कि मैंने क्या खाया है और पिछली रात मेरी नींद कैसी रही।
मुझे यह सब अंधविश्वास लगता था क्योंकि उस समय मैं नाड़ी परीक्षा की विधि सीख रहा था और यही अंतिम सीमा थी कि किसी की नाड़ी देखकर उसके रोग को बता देने की क्षमता पर चेहरा देखकर किसी के रोग को बताने का ज्ञान मेरे लिए सर्वथा अकल्पनीय था।
जब मैंने अपने जीवन के 30 वर्ष पारंपरिक चिकित्सकों के साथ बिताएं तो यह अंधविश्वास विश्वास में बदल गया और जब मैंने इसे विज्ञान के साथ जोड़ा तो यह स्पष्ट हो गया है कि चेहरे को देख कर भी अधिकतर रोगों की पहचान की जा सकती है।
यहाँ मुझे महाराष्ट्र की घटना याद आ रही है जब मैं एक 15 वर्षीय लड़की की लाश को देखकर चौक पड़ा था और मैंने अपने मित्र से कहा था कि जहर के कारण इस लड़की की मौत हुई है।
उसकी आंखें साफ बता रही है कि उसे सोलेनेसी परिवार का विष दिया गया है और यह विष कुछ घंटों पहले ही दिया गया है।
मित्र ने धमकी भरे स्वर में कहा कि इन लोगों की राजनीतिक पहुंच बहुत है और वे बता रहे हैं कि यह एक स्वाभाविक मृत्यु है।
लड़की लंबे समय से बीमार थी और कई तरह के डॉक्टर उसका इलाज कर रहे थे। हर जगह अपना ज्ञान बघारना ठीक नहीं है।
मैं मन मसोसकर रह गया।
पर वह चेहरा मेरे दिलो-दिमाग पर लंबे समय तक घूमता रहा।
आज इस कोरोना काल में उस मित्र का जब फिर से फोन आता है कि तुम्हारा अनुमान सही था।
लड़की के चाचा को गंभीर अवस्था का कोरोनावायरस रोग हो गया है और वे मृत्यु के करीब हैं।
उन्होंने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने कई लोगों के साथ मिलकर 3 साल पूर्व अपनी भतीजी की जहर देकर हत्या की थी। अब उन्हें यह पश्चाताप हो रहा है।
यह सुकून भरा समाचार था।
मैंने अपने मित्र से कहा कि तुम उसी माले में रहते हो जिस माले में हत्या हुई थी।
अगर पुलिस किसी भी प्रकार की जानकारी मांगे तो उन्हें मेरा नंबर जरूर देना ताकि मैं उन्हें अपने ऑब्जर्वेशंस के बारे में विस्तार से बता सकूं।
भारत के इस पारंपरिक ज्ञान का उपयोग हमने कोरोनावायरस काल में भी किया।
हम दुनिया भर के लाखों प्रभावितों की तस्वीरें एकत्र करते रहे और इस ज्ञान के आधार पर यह खोजने की कोशिश करते रहे कि क्या व्यक्ति का चेहरा बताता है कि उसे कोरोना पकड़ने वाला है या पकड़ चुका है?
यह काम हम बहुत सारे वैज्ञानिक मिलकर कर रहे हैं और हमें बहुत सारे ऐसे लक्षण मिले हैं जो कि चेहरे के माध्यम से प्रकट होते हैं।
प्रयोग जारी हैं और इन प्रयोगों से बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।
सर्वाधिकार सुरक्षित
Comments