Consultation in Corona Period-47
Consultation in Corona Period-47
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"30 लोगों के संयुक्त परिवार में ग्यारह लोगों को किडनी की समस्या है और यह दिन-ब-दिन उग्र होती जा रही है।
मुझे लगता है कि यह अनुवांशिक दोष है पर फिर भी एक बार आप आकर देख लेंगे तो शायद कुछ समाधान निकले।
रविवार को हमारे घर में पूजा है। आप उसमें आमंत्रित है। पूजा के बाद भोजन की भी व्यवस्था है। आप भोजन ग्रहण करके ही जाइएगा।"
मेरे डॉक्टर मित्र ने जब यह संदेश भेजा तो मैंने उनसे कहा कि आपके घर में सब्जियां उगाई जाती हैं इसलिए आप पानी की जांच करा लें और साथ ही मिट्टी की भी।
क्या-क्या जांच करानी है और कहां करानी है उसकी पूरी जानकारी मैं आपको व्हाट्सएप कर रहा हूं।
रविवार को जब मैं आऊंगा तो मुझे यह रिपोर्ट दिखाइएगा। मुझे लगता है कि एक परिवार में इतने सारे लोगों को होने वाली किडनी की समस्या का समाधान इसी रिपोर्ट में छिपा होगा।
वे तैयार हो गए और उन्होंने सैंपल जांच के लिए भेज दिए।
रविवार को जब मैं उनके घर पहुंचा तो पूजा शुरु हो चुकी थी और हवन का कार्यक्रम चल रहा था। कोई हवन कुंड के पास बैठने को तैयार नहीं था।
सब धीरे-धीरे उठकर जा रहे थे। अंत में मैं और पंडित जी ही बच गए।
हवन समाप्त होने के बाद मैंने पंडित जी से पूछा कि आपने हवन सामग्री कहां से ली थी तो उन्होंने बताया कि स्थानीय बाजार से खरीदी थी।
मैंने कहा कि इस हवन सामग्री में मिलावट है जिसके कारण सब लोग धीरे-धीरे एक-एक करके उठकर चले गए।
इसमें कई तरह की जड़ी बूटियों के अलावा बहुत तरह के खरपतवारों की गंध भी आ रही है जो कि स्वास्थ के लिए नुकसानदायक है।
आप अगली बार जब सामग्री खरीदें तो ऐसी दुकान से खरीदें जहां पर किसी भी तरह की मिलावट न हो।
आप लगातार हवन करवाते हैं। इससे आपके स्वास्थ्य को भी स्थाई रूप से नुकसान पहुंच सकता है।
विषैले धुएं के कारण सब की तबीयत खराब हो रही थी। मैंने अपने मित्र से कहा कि वह अपने बागीचे से गुलाब के फूल ले आए और सभी को सुंघाए। धीरे-धीरे उनकी तबीयत ठीक हो जाएगी।
मित्र ने उन रिपोर्टों को दिखाया जिन्हें मैं देखने के लिए बड़ा उत्सुक था। रिपोर्ट में तो ऐसा कुछ भी नहीं था।
पानी भी अच्छी गुणवत्ता का था और मिट्टी में भी किसी प्रकार का दोष नहीं था।
फिर मित्र ने वो सारी रिपोर्ट दिखाई जो उनके परिवार के लोगों की थी और जो बता रही थी कि उनकी किडनी की समस्या गंभीर होती जा रही है।
हम चर्चा कर ही रहे थे कि इस बीच खाना लग गया और हम सब डाइनिंग हॉल की तरफ चल पड़े।
वहां खाने की व्यवस्था को देखकर मैं चौक गया।
खाने के नाम पर बहुत सारे फल रखे हुए थे। स्वीट कार्न था और ढेर सारा नारियल पानी रखा हुआ था।
उन्होंने बताया कि हफ्ते में 2 दिन हम खाना नहीं खाते हैं और बस इन फलों और नारियल पानी को ही खाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
छोटे बच्चे से लेकर 90 साल तक के बुजुर्ग इसी भोजन पर आश्रित रहते हैं। इसके कारण हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और हमें छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होती है।
मैंने अपने मित्र को समझाते हुए कहा कि जिस मात्रा में तुम्हारा परिवार इन 2 दिनों में नारियल पानी का सेवन करता है उस हिसाब से तो उन्हें अभी तक बहुत बुरी स्वास्थ दशा को प्राप्त हो जाना चाहिए था और इसका कारण किडनी का फेल होना होता।
मैंने उन्हें दक्षिण भारत की बदनाम परंपरा Thalaikoothal के बारे में बताया जिसमें बुजुर्गों से परेशान हो चुके उनके बच्चे बुजुर्गों को मारने के लिए सुबह से नारियल का पानी पिलाते हैं बहुत अधिक मात्रा में और शाम होते-होते तक के उनकी किडनी फेल हो जाती है और उनकी मृत्यु हो जाती है।
नारियल पानी बहुत उपयोगी है इसमें कोई दो राय नहीं है। पर किसी भी चीज की अति जानलेवा साबित हो सकती है।
बहुत अधिक मात्रा में नारियल पानी का सेवन किडनी को नुकसान पहुंचाता है। यही तुम्हारे परिवार के साथ हो रहा है।
एक या दो नारियल का दिन में प्रयोग सुरक्षित है पर उससे अधिक का मतलब है किडनी को खतरा।
उन्हें एकाएक विश्वास नहीं हुआ कि नारियल पानी से उनकी किडनी को स्थाई नुकसान पहुंच सकता है।
फिर मैंने आगे कहा कि आपको तो मालूम ही है कि आजकल सभी फलों में कृषि रसायनों (Agrochemicals) का प्रयोग किया जाता है और ऐसे फल जो कि बहुत अधिक मांग में है उनके उत्पादन के लिए कृषि रसायनों का अधिक मात्रा में या कहे की मनमानी मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
ये रसायन शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं और लंबे समय में अधिक मात्रा में इनका प्रयोग करने से नाना प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
इसमें किडनी के रोग भी शामिल है।
जब हम रोज थोड़ी मात्रा में फलों या स्वीट कॉर्न का प्रयोग करते हैं तो यह रसायन अधिक मात्रा में हमारे शरीर में नहीं जा पाते और हमारा शरीर इन्हें मैनेज कर लेता है।
पर हफ्ते के उन दिनों में जब हम कुछ न खाकर केवल फल खाते हैं या स्वीट कॉर्न खाते हैं तो उन दिनों में हमारे शरीर में घातक रसायनों की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
उस समय अगर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता थोड़ी भी कम होती है तो बड़े-बड़े रोग पकड़ लेते हैं। ये रसायन इतनी अधिक मात्रा में शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को ठीक से काम नहीं करने देते हैं।
मुझे आशा है कि आप मेरी बात समझ गए होंगे।
समस्या की जड़ का भी पता चल गया है अब आपको।
भविष्य में इस तरह के प्रयोग किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही करें अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं।
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