Consultation in Corona Period-29

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"हाई प्रोफाइल मर्डर केस का एक चश्मदीद रहस्यमय ढंग से अपनी याददाश्त खोता जा रहा है। हमने बहुत सारे विशेषज्ञों की मदद ली। 


इसी क्रम में हम आपसे भी मदद चाहते हैं। आप अगर कुछ सुझाव दे सकें तो अच्छा रहेगा।" 


उत्तर भारत के एक आला पुलिस अफसर ने जब यह मुझे लिखा तो मैंने सबसे पहले उस व्यक्ति की पूरी रिपोर्ट मंगाई और उसका अध्ययन करने के बाद उन्हें समझाया कि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा की सहायता से उसकी मदद की जा सकती है।


 मैंने उन्हें बताया कि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा में ज्योतिषमति भोग समूह के औषधीय धान इस कार्य के लिए प्रयुक्त होते हैं।


 इनका जलीय सत्व रोज सुबह इस्तेमाल करने से कुछ ही समय में इस समस्या का समाधान हो जाता है। 


अगर आप कहें तो मैं आपके लिए इस समूह के धानों का प्रबंध कर देता हूं। उन्होंने इसकी सहमति दे दी क्योंकि यह सरल प्रयोग था और जो दवा उसे दी जा रही थी उसके साथ इसका प्रयोग किया जा सकता था।


 मैंने छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के अपने किसानों से इस बारे में विस्तार से जानकारी मांगी कि उनके पास यह धान कितनी मात्रा में है। 


उन्होंने बताया कि उनके पास धान पूरी तरह से समाप्त हो चुका है क्योंकि उन्होंने इन्हें पारंपरिक चिकित्सकों को दे दिया है। इस बार फसल लगी हुई है इसलिए चावल के लिए लंबा इंतजार करना होगा।


 मैंने अपना स्टॉक चेक किया। कुछ मात्रा में चावल मेरे पास था। 3 से 4 महीने तक इससे काम हो जाएगा यह सोच कर मैंने उसे उस अफसर के पास भेज दिया।


 उस व्यक्ति ने निर्देशानुसार प्रयोग शुरु कर दिया।एक महीने के बाद अफसर ने बताया कि याददाश्त की समस्या अभी भी बरकरार है। 


औषधीय चावल से कुछ फायदा तो हुआ है पर यह प्रभाव उतना नहीं है जितनी तेजी से याददाश्त कम हो रही है।


 मैंने उनसे अनुरोध किया कि आप यदि उस व्यक्ति से मेरी बात करा सके तो मैं अधिक कुशलता से औषधि सुझा सकूंगा। 


उन्होंने जब उस व्यक्ति से मेरी बात कराई तो मैंने यह नोट किया कि वह हर एक दो लाइन के बाद अटक जाता था कुछ पलों के लिए। फिर धाराप्रवाह बोलने लग जाता था। 


आधे घंटे की बातचीत में यही क्रम चलता रहा और मुझे बार-बार पारंपरिक चिकित्सकों द्वारा सिखाई गई बातें याद आती रही।


 यह किसी औषधि का प्रभाव था पर मुझे बताया गया था कि वह व्यक्ति अब कोई औषधि नहीं ले रहा है।


 मैंने अफसर से कहा कि वे गहनता से इस बात की जांच करे कि वह व्यक्ति किसी प्रकार की दवा तो नहीं ले रहा है।


 उन्होंने बताया कि अभी सारी दवाएं बंद है।


 मैंने उनसे विशेष अनुरोध किया कि वे चौबीसों घंटे उस पर निगरानी रखें और किसी भी अंदरूनी या बाहरी दवा का प्रयोग वह कर रहा है तो मुझे तुरंत बताया जाए। 


यह निगरानी काम आई और पता चला कि उस व्यक्ति के तलवे में बहुत दर्द रहता है और इसके लिए वह एक विशेष प्रकार के लेप का प्रयोग कर रहा है। 


यह लेप उसे एक तांत्रिक से मिला है और उसका कहना है कि इस लेप को अगर वह लगातार नही लगाएगा तो लाभ नही होगा पर इसके बावजूद तलवों का दर्द नही जा रहा था। यह काम की जानकारी थी। 


तांत्रिक का नाम सुनते ही मैं चौका क्योंकि पैर के तलवों में दर्द हो तो तांत्रिक का क्या काम? यह तो किसी चिकित्सक या पारंपरिक चिकित्सक के बस का काम है।


 मैंने अफसर से अनुरोध किया है कि जिस बूटी का लेप किया जाता है उसके बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र करें और संभव हो तो मुझे उसका एक सैंपल भेजें।


 उन्होंने शीघ्र ही उस बूटी का नमूना मेरे पास भेज दिया और मैंने उसे तुरंत पहचान भी लिया। यह छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध भूलन बूटी थी।


 इसके बारे में यह मान्यता है कि इस पर पैर रख देने से ही आदमी अपनी स्मृति खो बैठता है। इस बूटी का प्रयोग पैरों के दर्द के लिए नहीं किया जाता है।


पूरे घटनाक्रम मे किसी साजिश की बू आ रही थी। 


इस बूटी को पैरों के तलवों या हाथों के पंजों पर लगाने से व्यक्ति उसी तरह बोलने लग जाता है जिस तरह फोन पर वह व्यक्ति कह रहा था और इस आधार पर पारंपरिक चिकित्सक अपने अनुभव के बल पर तुरंत जान जाते हैं कि उसने भूलन बूटी का प्रयोग किया है। 


बूटी के प्रयोग के कारण ही औषधीय चावल ठीक से काम नहीं कर रहे थे। मैंने अफसर को यह बात बताई तो वे दंग रह गए और उन्होंने कहा कि कोई जानबूझकर यह कर रहा है ताकि चश्मदीद की याददाश्त पूरी तरह से खत्म हो जाए।


 उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि आपके पास इसका एंटीडोट है क्या?


मैंने उनसे कहा कि एंटीडोट की जरूरत नहीं है। जब वह व्यक्ति इसका प्रयोग तीन-चार सप्ताहों के लिए छोड़ देगा तो अपने आप इसका असर कम होने लग जाएगा। इसका असर स्थाई नहीं है।


 यही कारण है कि तांत्रिक ने उस व्यक्ति से कहा था कि इसे रोज लगाना है।


 आप औषधीय चावल का प्रयोग जारी रखें। इससे भूलन का दुष्प्रभाव खत्म होगा और दिमाग ठिकाने पर आ जाएगा।


 यह विडंबना ही है कि छत्तीसगढ़ की इस प्रसिद्ध भूलन बूटी का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सक कम कर पाते हैं और अपराधिक प्रवृत्ति के लोग ज्यादा। 


बलत्कारी अक्सर इसका प्रयोग करते हैं ताकि जिस पर जुल्म ढाया जा रहा है उसे ठीक से सारी बातें याद न रहे। 


मैंने इस बूटी पर विस्तार से शोध किया है और इसकी असली पहचान छुपाते हुए इसके बारे में बहुत कुछ लिखा है।


 अक्सर स्थानीय अखबारों के पत्रकार सनसनीखेज समाचार के नाम पर इसकी पहचान बताने का अनुरोध करते हैं पर मैं उन्हें साफ इंकार कर देता हूं।


 देश के बहुत सारे विशेषज्ञ इसका वैज्ञानिक नाम जानते हैं और यही कारण है कि आजकल इंटरनेट होने के कारण इस बूटी के बारे में सारी जानकारी अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के पास पहुंच जाती है।


 पारंपरिक चिकित्सा में इसका प्रयोग उन लोगों पर किया जाता है जिन्हें गहरा दुख हुआ हो या गहरा सदमा लगा हो और जो समाज से कटकर अकेले ही बैठे रहते हैं। 


पारम्परिक चिकित्सक अपनी निगरानी में बहुत अल्प समय के लिए इसका प्रयोग करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है इसका दिमाग पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है।


 दुनिया भर के वैज्ञानिक इसे Short Time Memory Eraser के रूप में भी जानते हैं पर इसके नुकसानो को देखते हुए इसका प्रयोग कम करते हैं। 


इस पर पैर रखने से स्मृति नहीं जाती है पर लोक में यही बात प्रचलन में है।


 अक्सर लोग स्मृति लोप के लिए पारंपरिक चिकित्सक के पास जब आते हैं तो पारंपरिक चिकित्सक कह देते हैं कि शायद भूलन पर पैर पड़ गया हो। 


भूलन को मैं भूलन समूह के रूप में जानता हूं क्योंकि भूलन जैसे गुणों वाले वाली 25 से अधिक वनस्पतियां छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं जिनका कम या ज्यादा असर रहता है।


 मैंने उन अफसर से अनुरोध किया है कि वे तांत्रिक से पूरी तरह से पूछताछ करें कि उसने किस-किस पर इस बूटी का प्रयोग किया है।


 प्रभावित लोगों को यदि मेरी मदद की जरूरत है तो मैं उनकी मदद के लिए तैयार हूँ। 


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