Consultation in Corona Period-25

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया



"मेरे दोनों घुटने फूलकर फुटबॉल की तरह हो गए हैं। क्या आप इसे ठीक कर सकते हैं और मुझे चौबीसों घंटे होने वाली पीड़ा से मुक्त कर सकते हैं?" यह संदेश एक महिला का था जो कि श्रीलंका की रहने वाली थी।


मार्च में वह भारत आई और सीधे गुजरात चली गई। 


वहां उसके दोनों घुटनों का ऑपरेशन होना था पर उस समय चिकित्सक कहीं बाहर थे इसलिए उसने अपने रिश्तेदार के पास उत्तराखंड जाने की योजना बनाई।


एक हफ्ते के भीतर वह लौट जाने वाली थी पर लॉकडाउन लग जाने के कारण वही फँस गई। 


उत्तराखंड में उसे दोनों घुटनों में तेज दर्द होने लगा। वह अपनी दवाएं साथ में लेकर आई थी और उन्हीं का प्रयोग कर रही थी पर उसकी घुटनों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा था और घुटने फुटबॉल की तरह सूजे जा रहे थे।


 इंटरनेट में मेरे बारे में पढ़कर उसने मुझसे संपर्क किया और अपनी बुरी स्थिति के बारे में विस्तार से बताया। 


मैंने उसे बताया कि मैं चिकित्सक नहीं हूं और जो दवाएं आपको चिकित्सक ने दी हैं उन्हें जारी रखें और यदि किसी भी तरह की समस्या होती है तो अपने चिकित्सक से सीधे बात करे।


 उसने बताया कि वह दो चिकित्सकों से दवा ले रही है श्रीलंका में। उसे थायराइड और कोलेस्ट्रॉल की समस्या है और दोनों समस्याओं के लिए अलग-अलग चिकित्सक है। 


दोनों चिकित्सकों को यह नहीं पता है कि वह किसी और से भी दवा ले रही है। पैर के दर्द के लिए वह तीसरे चिकित्सक से दर्द की दवा ले रही थी। 


उस पर वह मुझसे भी किसी दवा की उम्मीद करती थी ताकि घुटने की समस्या पूरी तरह से अस्थाई रूप से ही सही पर ठीक हो जाए।


 मैंने उसकी पूरी रिपोर्ट मंगाई और विस्तार से उसकी समस्या के बारे में बात की। फिर उसे समझाते हुए मैंने कहा कि घुटने की तकलीफ का मूल कारण कोलेस्ट्रॉल और थायराइड के लिए ली जा रही दवा के बीच हो रहा ड्रग इंटरेक्शन है और आप अपने चिकित्सक से इस बारे में बात करिए। 


वे या तो दवा बदल देंगे या उनमें से एक दवा बंद कर देंगे जिससे आपकी तकलीफ पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। 


उसने मेरी बात मानी और अपने चिकित्सकों से बात की पर वे यह मानने को तैयार नहीं थे कि उनकी दवाओं के कारण घुटने की समस्या हो रही है। 


उस महिला के अनुरोध पर मैंने श्रीलंका के उन चिकित्सकों से बात की।



 उनमें से एक ने तो कहा कि ऐसे ड्रग इंटरेक्शन के बारे में इंटरनेट पर कोई जानकारी नहीं है इसलिए मैं अपनी दवा बंद करने का सुझाव नहीं दे सकता।


 दूसरे चिकित्सक ने बात करने से इंकार कर दिया। 


इधर महिला की हालत तेजी से बिगड़ती जा रही थी और घुटनों के दर्द के कारण उसे तेज बुखार आ रहा था। जब तक पेन किलर लेती थी तब तक दर्द ठीक रहता था उसके बाद फिर से शुरू हो जाता था। 


वह उन दोनों चिकित्सकों की दवाओं को बंद नहीं करना चाहती थी और मुझसे भी सहायता चाहती थी। मैंने मदद करने का फैसला किया। 


मैंने उससे पूछा कि क्या उकड़ू बैठते बनता है तो उसने जवाब दिया कि नहीं, बैठते नहीं बनता और उसके डॉक्टर ने मना किया है कि उकड़ू बैठने से घुटने और खराब हो जाएंगे।


 मैंने उसे बताया कि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा में जंगली वृक्षों की लकड़ियों से बने पाटा का उपयोग किया जाता है जिस में पैर रखने से इस तरह के दर्द में बहुत फायदा होता है। 


अभी लाकडाउन लगा है इसलिए पारंपरिक चिकित्सकों से पाटा लाकर उस तक पहुंचाना संभव नहीं है इसलिए बेहतर होगा कि वह आसपास किसी स्थानीय कारपेंटर को खोजें और उसकी बात मुझसे कराएं। 


उसने ऐसा ही किया और कारपेंटर से मैंने कहा कि आसपास के जंगलों में क्या यह लकड़ी मिलेगी? 


उसने जब हाँ कहा तो मैंने उससे कहा कि पहले वन विभाग से यह पता कर लो कि उस लकड़ी को जंगल से ले जाना प्रतिबंधित तो नहीं है। 


कारपेंटर ने कहा कि इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है तब मैंने उसे कहा कि वह पैरों को रखने के लिए एक पाटा का निर्माण कर दे और उस महिला को दे दे।


जल्दी ही वह पाटा तैयार हो गया। मैंने महिला से कहा कि वह प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे से लेकर 4:45 बजे तक कुर्सी पर बैठ जाएं और पाटा पर अपने दोनों पैर रख ले। ऐसा 1 सप्ताह तक करना था और किसी प्रकार की दवा मैंने उसे नहीं सुझाई। 


वह सहज तैयार हो गई और अगले दिन से ही उसने यह अभ्यास शुरू कर दिया। एक हफ्ते बाद जब उसका संदेश आया तो मैंने उससे कहा कि यदि दर्द कम हो गया हो तो लगातार पेन किलर लेने के बजाय केवल उसी समय पेन किलर लिया जाए जबकि दर्द हो। 


उसने बताया कि उसके दर्द में कमी हुई है और घुटनों की सूजन भी कम हुई है। ये अच्छे संकेत थे।


 एक हफ्ते बाद मैंने उसे कहा कि जब वह पाटा पर पैर रखकर बैठे तो दोनों हाथों से प्रणव मुद्रा का अभ्यास करे। मैंने इस पर एक छोटा सा वीडियो भी उसे बनाकर भेजा ताकि किसी भी प्रकार की तकनीकी गलती न हो। 


इस मुद्रा का प्रयोग पाटा पर पैर रखे हुए ही करना था और 45 मिनट तक करना था रोज सुबह। 


दो सप्ताह बीतने के बाद मैंने उससे कहा कि वह उकड़ू बैठने का प्रयास करें। भले ही यह प्रयास कुछ ही मिनटों का क्यों न हो। 


साथ ही यह भी परामर्श दिया कि अब प्रणव मुद्रा की जगह पर अहंकार मुद्रा का प्रयोग करें 1 सप्ताह तक। 


उसके बाद फिर मुझे बताएं। उसने अपने संदेश में कहा कि मैंने इन दोनों मुद्राओं के बारे में इंटरनेट पर काफी खोजबीन की पर इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली।


 मैंने उसे कहा कि अभी पूरी जानकारी इंटरनेट पर नहीं है और बहुत सारा ज्ञान इंटरनेट पर पहुंचना अभी बाकी है। 


क्योंकि उसे फायदा हो रहा था इसलिए उसने सारे अभ्यास विधि अनुसार जारी रखे और तीसरे सप्ताह उसने बताया कि अब दर्द पूरी तरह से चला गया है और केवल उकड़ू बैठने पर ही दर्द होता है। 


उकड़ू बैठने से जो उसे पुराने कब्ज की समस्या थी वह पूरी तरह से ठीक हो गई इसलिए वह उकड़ू बैठना जारी रखेगी।


 चौथे सप्ताह मैंने उसे परामर्श दिया कि पाटा में पैर रखते समय बाएं हाथ से प्रणव मुद्रा का अभ्यास करें और दाएं हाथ से अहंकार मुद्रा का। 


इस तरह उसकी समस्या का समाधान हो गया और उसने कहा कि वह अब ऑपरेशन नहीं कराने की सोच रही है। 


मैंने उसे स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहले वह गुजरात जाकर चिकित्सक से बात करें और उनके ही परामर्श पर कोई अंतिम निर्णय लें। क्योंकि घुटनों के विशेषज्ञ ही बता सकते हैं कि अभी घुटनों की क्या स्थिति है और उसे किस तरह के उपचार की आवश्यकता है।


कुछ समय बाद उस महिला का फिर से फोन आया कि वह एक गोपनीय सवाल पूछना चाहती है। 


मेरे अनुमति देने पर उसने कहा कि यह सब अभ्यास करते करते मुझे लगता है कि मेरी काम इच्छा बहुत बढ़ गई है। क्या यह अभ्यास का असर है?


 मैंने कहा कि बिल्कुल नहीं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब शरीर स्वस्थ रहता है तो सभी अंग ठीक से काम करते हैं। यह उसी का परिणाम है।


 मेरी शुभकामनाएं आपके साथ में है। धन्यवाद।



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