Consultation in Corona Period-43
Consultation in Corona Period-43
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"क्या करोना स्वस्थ लोगों को भी परेशान करता है?"
दिल्ली के एक 35 वर्षीय युवक की दास्तान बड़ी दुखदाई थी और वह युवक अपनी दास्तान मुझे सुना रहा था।
उसने बताया कि वह बहुत मोटा हुआ करता था और डॉक्टरों ने उसे चेतावनी दी थी कि उसे किसी भी हालत में अपना वजन कम करना चाहिए अन्यथा गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
मेहनत करना उसके बस की बात नहीं थी इसलिए उसने दवाओं का सहारा लिया और लंदन जाकर दो महीने में चमत्कारिक रूप से दुबला होने का कोर्स ज्वाइन कर लिया।
इस कोर्स में खाने पर विशेष ध्यान दिया जाता था और साथ में दुबला करने वाली Lorcaserin जैसी दवाएं दी जाती थी।
इस कोर्स से उसे बहुत फायदा हुआ और तीन महीने में ही वह एकदम दुबला पतला हो गया।
उसने इस कोर्स के बारे में इंटरनेट पर लिखा और फिर लिखता चला गया।
इस प्रकार वह धीरे- धीरे एक सेलिब्रिटी के रूप में उभरने लगा। उसने अपना यूट्यूब चैनल बनाया और दुनिया भर में घूम-घूम कर दुबला होने की तकनीक पर व्याख्यान देने लगा।
जिस संस्था से उसने अपना मोटापा कम किया था उस संस्था की एक फ्रेंचाइजी भी उसने भारत में खोली और भारतीय युवाओं को मोटापा कम करने का गुर बताने लगा।
ऐसा कुछ समय तक चलता रहा।
उसके बाद अचानक उसकी हड्डियों में तेज दर्द होना शुरु हो गया। उसने डॉक्टरों से दवा ली और दुबई से लेकर अमेरिका तक जाकर अपने इस दर्द के बारे में विशेषज्ञों से परामर्श लिया।
हड्डियों में पहले दिन में दर्द रहता था फिर चौबीसों घंटे दर्द होने लगा।
इससे उसके कामकाज में बाधा पड़ने लगी फिर कुछ समय बाद उसके पैरों में कंपन होने लगी और जब उसने न्यूरोलाजिस्ट से संपर्क किया तो उसे बताया गया कि उसे Atypical Parkinsonian Disorder है।
इसके लिए उसे जिंदगी भर दवा लेनी होगी और इसका कोई उपचार नहीं है।
उसकी समस्याएं इतने में ही खत्म नहीं हुई।
जनवरी में जब कोरोनावायरस का फैलाव शुरू हुआ तब लंदन में उसे कोरोनावायरस ने पकड़ लिया और उसकी रही सही तबीयत भी बिगड़ गई।
इंटरनेट पर मेरे लेखों को पढ़कर उसने परामर्श के लिए मुझसे समय मांगा और कहा कि मुझे किसी भी प्रकार की दवा की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जहां भी मैं जाता हूं वहाँ सभी मुझे दवा दे देते हैं पर कोई भी यह नहीं बताता कि मेरे इस मर्ज का कारण क्या है?
आखिर क्यों इतना अच्छा स्वास्थ होने के बावजूद मुझे इतनी सारी तकलीफें हुई और अंत में मुझे सब काम काज छोड़कर दर्द में तड़पते हुए पड़े रहना पड़ता है।
मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारी समस्या की जड़ को समझाने का प्रयास करूंगा।
मैंने उसे समझाते हुए कहा कि तुम्हारे पास सब कुछ है और यदि इन सबके साथ थोड़ा सा मेद भी होता तो न तुम्हें कोरोना सताता, न ही तुम्हारा नर्वस सिस्टम खराब होता।
और न ही तुम्हारी हड्डियां।
तुमने दवाओं के माध्यम से अपने शरीर से मेद को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जिसके कारण तुम्हारी हालत ऐसी हुई।
जिस तरह शरीर में मांस और खून की जरूरत होती है और उनकी विशेष महत्ता है उसी तरह मेद का भी विशेष महत्व है इसीलिए हमारे शरीर में मेद उपस्थित है।
अगर हम अचानक से उसे शरीर से हटाते हैं तो तरह-तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
अच्छे नर्वस सिस्टम के लिए हड्डियों का मजबूत होना जरूरी है और अच्छी हड्डियों के लिए मेद का होना जरूरी है- ऐसा भारत के पारंपरिक चिकित्सक मानते हैं और यह विज्ञान सम्मत है।
तुमने दुबला होने के लिए ऐसी दवाओं का प्रयोग किया जो कि मेद को कम तो करती हैं पर उनके बहुत सारे साइड इफेक्ट है।
उदाहरण के लिए तुमने Lorcaserin दवा का नाम लिया। उसके बारे में अब पता चल रहा है कि उससे कैंसर हो सकता है इसलिए अमेरिका के FDA ने उसकी बिक्री पर रोक लगा दिया है।
मोटापा कम करने के लिए मेहनत का और कोई विकल्प नहीं है।
बाकी सारे उपाय साइड इफेक्ट से भरे हुए हैं और ये जान भी ले सकते हैं।
रोग जब नर्वस सिस्टम तक पहुंच जाता है तो दक्ष से दक्ष पारंपरिक चिकित्सक भी ऐसे मरीजों की चिकित्सा करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
दुनिया की सभी चिकित्सा पद्धतियों में बिगड़े हुए नर्वस सिस्टम का पूरी तरह से इलाज नहीं है और बचे हुए जीवन में व्यक्ति को लगातार दवाओं का सेवन करना पड़ता है।
यदि कोई रोग हड्डियों तक पहुंचता है तो बहुत अनुभवी विशेषज्ञ ही इसकी चिकित्सा कर पाते हैं।
अगर तुम्हें मोटापा कम ही करना था तो यह चरणबद्ध तरीके से करना था और उसमें दवाओं को सहारा बिल्कुल नहीं लेना था।
एकदम दुबला पतला होने का जो फैशन आजकल चला हुआ है वह बहुत घातक है और दुनिया में बहुत सारे विशेषज्ञ इस बात को जानते हैं।
वे इस बारे में लिखते रहते हैं पर देखा देखी के इस खेल में लोग अपने आप को बहुत दुबला करके गौरवान्वित महसूस करते हैं जो कि सही नहीं है।
तुम अगर अपने शरीर में मेद की स्थिति को ठीक रखो। उसका संतुलन बनाके रखो तो धीरे-धीरे तुम्हारी सभी समस्याएं ठीक हो सकती है पर यह एक श्रमसाध्य कार्य है और अपार धैर्य की आवश्यकता है।
उसने अपने रोग का असली कारण जब जाना तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ।
उसने कहा कि उसे पहले क्यों नहीं यह सब बताया गया।
उसने अपने ट्रेनिंग सेंटर में सैकड़ों लोगों के मोटापा को कम करने के लिए वही पद्धति अपनाई जो उसने अपने ऊपर आजमाई।
अब उसे इससे हानि हो रही थी। उसे अफसोस होने लगा कि उसके चेलों का क्या हाल हो रहा होगा।
मेरी बात खत्म होने के बाद उसने कहा कि क्या इसकी कोई दवा है?
मैंने मजाकिये लहजे में कहा कि तुम तो केवल इस रोग का कारण जानना चाहते थे। दवा नहीं चाहते थे।
फिर मैंने उससे कहा कि तुम अपने शहर में एक अच्छा योगाचार्य खोजो और उनसे मेरी बात कराओ।
मैं उन्हें अखंड मुद्रा समझा दूंगा जिसे करने से एक से डेढ़ साल में तुम वैसे ही पुरानी स्थिति में आ सकोगे।
बिना दक्ष योगाचार्य के निर्देशन में इस मुद्रा को नहीं किया जाता है इसीलिए इस मुद्रा की जानकारी मैं तुम्हें नहीं दे रहा हूं।
कोरोना से क्षतिग्रस्त हुए उसके फेफड़ों के लिए मैंने उसे कर्णी भोग नामक मेडिसिनल राइस सुझाया और उसके लिए इस चावल की व्यवस्था की।
उसने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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