Consultation in Corona Period-31

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"सर, इमरजेंसी है। पिताजी की हालत बहुत खराब हो रही है। ऐसा लगता है कि उन्हे कोरोना ने जकड़ लिया है। उनको सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है। 


यहां भारी बारिश हो रही है और सारी नदियाँ उफान पर हैं इसलिए शहर जाना बहुत मुश्किल है। आप अगर कुछ त्वरित उपाए बता सके तो बड़ी मेहरबानी होगी। 


मैं आपकी फेसबुक पोस्ट पढ़ते रहता हूं।"


सुबह चार बजे जब फोन आया तब मैं अपान मुद्रा लगा कर बैठा था। नंबर चिरपरिचित था। 


फोन करने वाले युवक ने बताया कि कुछ घंटों पहले वृद्धावस्था के कारण अर्द्ध चेतना में पड़े पिताजी को पेट में दर्द हुआ था। फिर उन्हें अब सांस लेने में तकलीफ हो रही है और मुंह खोल कर बोलते नहीं बन रहा है। 


घरवालों का अनुमान है कि यह कोरोना का मामला है और इसलिए हम सब इस इंतजार में हैं कि कब बाढ़ का पानी उतरे और हम इन्हें अस्पताल ले जा सके। 


मैंने उस युवक से अनुरोध किया है कि उसके पिताजी की स्थिति के बारे में विस्तार से जानने के लिए एक वीडियो बनाकर भेजें। 


वीडियो देखते ही मैंने उससे कहा कि ये कोरोना के लक्षण नहीं हैं। संभवत: उन्हें किसी सांप ने काटा है। वह भी कुछ घंटों पहले।


वह तुरंत पूरे शरीर की जांच करे और देखे कि कहीं सांप के काटे का चिन्ह तो नहीं है। 


सांप की बात सुनकर वह युवक सतर्क हो गया और उसने  पिताजी के पूरे शरीर का मुआयना करना शुरू किया। जल्दी ही उसे गले में सांप के काटे के निशान दिख गए क्योंकि वह स्थान सूज गया था। 


मैंने उसी वक्त कहा कि यह करैत सांप के काटने के लक्षण हो सकते हैं क्योंकि बहुत बार इसके काटने का आभास नही होता है। जब लक्षण आते हैं तभी पता चलता है।


 इसलिए आसपास तेज लाइट जलाकर यह सुनिश्चित करें कि सांप आस पास तो नही है। अगर है तो उसे दूर हटाया जाए। 


कुछ देर बाद युवक ने बताया कि थोड़ी सी खोजबीन के बाद सांप बरामदे में मिल गया और उसे उन्होंने मार दिया। 


जब उसकी भेजी तस्वीर देखी तो वह करैत ही निकला।


 मैंने उससे कहा कि यह खतरनाक मामला है और बिना किसी देरी के anti-venom की जरूरत है अन्यथा जान पर बन आ सकती है। 


युवक ने अपनी बात दोहराई कि अभी जिला अस्पताल जाना बहुत मुश्किल है और गांव में एंटी वेनम उपलब्ध नहीं है। सुबह होते ही कुछ उपाय कर सकेंगे। 


मैंने युवक से कहा कि जब तक सहायता नहीं आ जाती तब तक खाली हाथ बैठना ठीक नहीं है। अब जब यह स्पष्ट हो चुका है कि तुम्हारे  पिताजी को करैत ने काटा है तो हमें प्राथमिक उपाय करने चाहिए।


 मैंने उससे कहा कि वह जल्दी से एक पाव घी गर्म करके ले आए और धीरे-धीरे करके पिताजी को पिलाता जाए। उसने ऐसा ही किया और अपने पिताजी के मुंह में घी डालता रहा। 


थोड़ी देर बाद उन्हें होश आया तो उन्होंने अच्छे से घी का सेवन शुरू किया।


 जब उन्हें पूरी तरह से होश आ गया तो मैंने युवक से कहा कि मैं विराट मुद्रा का वीडियो भेज रहा हूं।



 पिताजी से कहें कि अपने दोनों हाथों से इस मुद्रा को लगाकर लंबे समय तक बैठे और उन्हें बिल्कुल भी सोने न दिया जाए। 


एक पाव घी पीने के बाद सांस संबंधी उनके लक्षण कमजोर पड़ने लगे और उन्हें ठीक महसूस होने लगा। 


यह एक अच्छी खबर थी।


 युवक ने बताया कि पिताजी ने आपको कॉलेज में पढ़ाया है और वे आप के प्रोफेसर रह चुके हैं। 


मैंने कहा कि मैंने तुम्हारा नम्बर देखकर ही तुम्हे पहचान लिया था। 


"पिताजी, अक्सर इस बात को दोहराते हैं कि उनके कारण ही आप प्रोफेसर नहीं बन पाए क्योंकि उनकी जिद थी कि आप उनके मित्र की कन्या से विवाह करें जबकि आप चाहते थे कि आप आजीवन अविवाहित रहें। 


इस छोटी सी जिद और अपने अहंकार के कारण पिताजी ने आपको विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बनने दिया। अब वे पछताते हैं और आपको बहुत याद करते हैं।" युवक ने अपनी बात जारी रखी।


 मैंने उस युवक से कहा कि इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है। यह तो ईश्वर की लीला है।


 ईश्वर चाहते थे कि मैं पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण करूँ न कि विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफेसर विद्यादान करुं। मुझे किसी से कभी भी कोई शिकायत नहीं रही है।


कुछ ही घंटों में प्रोफेसर साहब की हालत ठीक होने लगी पर जहर का असर अभी भी दिखता था।


 मैंने युवक से कहा कि मेरे एक परम मित्र की अपनी खुद की एयर एंबुलेंस सेवा है। मैंने उनसे संपर्क किया है और तुम्हारे गांव का पता दिया है। 


अगर मौसम साफ रहा तो वे जल्दी ही एक डॉक्टर को लेकर तुम्हारे गांव में उतरेंगे और यदि आवश्यकता हुई तो तुम्हारे पिताजी को तुरंत ही जिला अस्पताल शिफ्ट किया जाएगा।


 तुम पैसे की चिंता मत करना। इसे गुरु दक्षिणा समझना।


सर्वाधिकार सुरक्षित

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