Consultation in Corona Period-219
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"Abnormal electrical conduction in the heart. हमारी बिटिया की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर यही लिखा गया है। उसे हार्ट डिजीज है जिसके कारणों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है। यह अनुवांशिक हो सकता है ऐसा डॉक्टरों ने कहा है। उसे बहुत संभाल कर रखने की जरूरत है क्योंकि उसे सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है और उसकी मांसपेशियां कमजोर होती जा रही है। अभी तक वह पढ़ने लिखने में बहुत दक्ष थी। सबसे आगे रहती थी। नई नई चीजों को सीखने में उसे विशेष तौर पर अच्छा लगता था पर अचानक इस बीमारी का पता चलने के बाद सब कुछ जैसे खत्म हो गया। अब उसका मन किसी भी चीज में नहीं लगता है। वह खोई सी रहती है। किसी से बात नहीं करती है। न हमसे न अपने मित्रों से। बस उसे दिनभर बिस्तर में लेटे रहना अच्छा लगता है। उसे बहुत कमजोरी हो गई है इसलिए हमने कई तरह के टॉनिक उसे दिए हैं और डॉक्टर ने जो भी दवा सुझाई उनका प्रयोग नियमित रूप से कर रहे हैं पर उसकी हालत में किसी भी तरह से सुधार नहीं हो रहा है।
हम उसे देशभर के डॉक्टरों के पास लेकर गए फिर हमने पारंपरिक चिकित्सा का भी सहारा लिया। तिब्बती दवाएं भी ली फिर चीनी दवाओं का भी प्रयोग किया पर सभी विशेषज्ञ कहते हैं कि यह हृदय की समस्या है और अब बिटिया को इसी के साथ जीना होगा। हो सकता है कि उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या ठीक हो जाए या और अधिक उग्र हो जाए। उस समय जैसी स्थिति रहेगी उसी हिसाब से ही चिकित्सा बताई जाएगी। हमारे परिवार में किसी को भी इस तरह की समस्या पहले नहीं रही है। न मुझे रही है न मेरी पत्नी को। न ही हम दोनों के माता-पिता को। फिर अचानक से बिटिया को ऐसे लक्षण क्यों आ रहे हैं यह समझ से परे है। उसकी सभी तरह से जांच की गई है जिसकी रिपोर्ट मैं आपके पास भेज रहा हूं। आपने फंक्शनल फूड्स पर बहुत अधिक शोध किया है इसलिए हम चाहते हैं कि आप उसकी स्थिति को सुधारने के लिए किसी तरह का फंक्शनल फूड का सुझाव दें जिनका प्रयोग डॉक्टरों की दवाओं के साथ बिना किसी समस्या के किया जा सके। हम आपसे दवा की उम्मीद नहीं करते हैं क्योंकि हमें मालूम है कि आप चिकित्सक नहीं है एक अनुसंधान कर्ता है जो भारत के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं। आप हमें किसी पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजेंगे तो हम खुशी-खुशी उनसे मिलने चले जाएंगे और उनकी सलाह भी ले लेंगे पर हम आधुनिक दवाओं को बंद नहीं करना चाहते हैं। अगर पारंपरिक चिकित्सक किसी तरह की देशी दवा का सुझाव देंगे तो हम आपके पास फिर से आएंगे यह जानने के लिए कि इन देसी दवाओं की आधुनिक दवाओं से किसी प्रकार से विपरीत प्रतिक्रिया तो नहीं होगी।" मध्य भारत से आए एक सज्जन ने अपनी समस्या जब मेरे सामने रखी तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
उन्होंने विस्तार से बताया कि पिछले 1 साल से बिटिया को इस तरह की समस्या होनी शुरू हुई है। उस समय उसका खानपान बिल्कुल अच्छा था। वह सभी तरह की चीजें अच्छे से खा लेती थी। मना ही नहीं करती थी। उसे फल बहुत पसंद है और दूध का उसे विशेष रूप से शौक था। इसी तरह उसे ड्राई फ्रूट और ड्राई फ्रूट्स में काजू का विशेष रूप से शौक था। यही कारण है कि हमारे रिश्तेदार जब भी आते थे तो अपने साथ ढेर सारा काजू लेकर आते थे। कई बार तो वह बिना भोजन के केवल काजू पर ही दिन भर रह जाती थी और उसकी ऊर्जा में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं आती थी। उसे किसी भी तरह की दूसरी बीमारी नहीं है और वह हम लोगों की तरह बार-बार बीमार नहीं पड़ती है हर मौसम के बदलने पर। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है। वह खेलकूद में भी दक्ष थी पर हृदय की समस्या के कारण अब उसका खेलना कूदना पूरी तरह से बंद हो गया है।
मैंने उनकी बिटिया के खानपान की पूरी तरह से जांच की और उसके बाद उसके द्वारा ली जा रही विभिन्न दवाओं की भी। मैंने परीक्षण के लिए पारंपरिक तरीका चुना जिसमें हाथों की विभिन्न मुद्राएं बनाकर शरीर के अंदर उपस्थित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। जब मैंने अपने हाथों से विभिन्न मुद्राएं बनाकर उनकी बिटिया को दिखाई तो वह उसकी नकल करने लगी पर कुछ मुद्राएं थी जिसे करने में उसे दिक्कत हो रही थी। इस आधार पर मैंने उन सज्जन से कहा कि आप अपने चिकित्सक से मिलकर कहे कि एक बार वे अपने मार्गदर्शन में किडनी का परीक्षण करा लें। हो सकता है कि किडनी में किसी तरह की समस्या हो तब सज्जन ने कहा कि बचपन में उसे एक बार किडनी की समस्या हुई थी पर दवाओं से वह पूरी तरह से ठीक हो गई थी। वे वापस लौट गए। वापस लौटकर उन्होंने विशेषज्ञ चिकित्सक से मुलाकात की और किडनी की जांच करवाइए। जब रिपोर्ट आई तो उसमें विशेष रूप से लिखा गया था इंपेयर्ड किडनी फंक्शन। यही बात मेरा परीक्षण भी कह रहा था क्योंकि कुछ तरह की मुद्राएं बिटिया से लग नहीं रही थी पर यह बात भी सही थी कि इंपेयर्ड किडनी फंक्शन उसकी समस्या का मूल कारण नहीं था। मैंने उनसे कहा कि आप उन्हीं चिकित्सक से फिर से मिलकर एक बार खून की जांच करवा लें। हो सकता है कि इससे हमें कुछ जानकारी हो। जब खून की जांच की गई तो उसमें एक विशेष प्रकार के घटक की मात्रा में वृद्धि देखी गई। जब मैंने इसकी ओर इशारा किया तब उन सज्जन ने कहा कि ऐसी वृद्धि तो 1 साल पहले भी देखी गई थी और यह कहकर उन्होंने अपनी एक पुरानी रिपोर्ट दिखाई जिसमें वही घटक बढ़ा हुआ था। उन्होंने बताया कि आजकल बहुत सारी रिपोर्ट जानबूझकर रिपोर्ट में कुछ भी न होने पर भी बेरिलियम, आर्सेनिक और इस घटक की उपस्थिति ज्यादा बता देती है ताकि लगे कि प्रभावित व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी है। ऐसा उनके चिकित्सक ने बताया है। इसलिए उनके चिकित्सकों ने कहा कि इस ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। अगर इस घटक की मात्रा बढ़ी होगी तो अपने आप ही लक्षणों से पता चल जाएगा इसलिए हम लोगों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। बाद में कुछ चिकित्सकों ने इस रिपोर्ट पर उसी तरह की टिप्पणी की तब हमने इस ओर ध्यान देना पूरी तरह से छोड़ दिया। ऐसा कहकर उन्होंने अपनी बात पूरी की।
पर मुझे उन सज्जन की बिटिया की इस रिपोर्ट से काफी कुछ सुराग मिल गया था। अब बारी थी बिटिया के द्वारा प्रयोग की जा रही सभी प्रकार की दवाओं का सैंपल मंगाने की। जब दवाओं के सैंपल आये तो उससे समस्या का कारण स्पष्ट होने लगा। मैंने उन सज्जन से कहा कि आप मेरी बात उन चिकित्सक से करा सकते हैं जो कि बिटिया की पूरी चिकित्सा कर रहे हैं। सज्जन इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने कहा कि वे जल्दी ही उन चिकित्सक को लेकर मुझसे मिलने आएंगे।
जब नियत समय पर वे चिकित्सक मुझसे मिलने आए तो मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि मुझे यह न तो हृदय की समस्या लगती है न किडनी की बल्कि मुझे लगता है कि यह मैग्नीशियम ओवरडोज़ की समस्या है जो कि मैग्निशियम टॉक्सिसिटी की ओर बढ़ती जा रही है। मैग्नीशियम की बढ़ी हुई मात्रा खून की जांच में भी दिख रही है और साथ ही जितने भी लक्षण है वे सभी इस ओर इशारा कर रहे हैं। मैंने उन्हें और विस्तार से बताया कि इनकी बिटिया कई तरह के ब्रेन टॉनिक का इस्तेमाल कर रही है जिसमें कि जहर मोहरा नामक एक घटक को डाला जाता है। यह वास्तव में मैग्नीशियम सिलिकेट है। इसकी अधिक मात्रा मे शरीर में उपस्थिति इसी तरह के लक्षण उत्पन्न करती है। भारत में इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता पर जहर मोहरा लगातार सभी उम्र के लोगों पर प्रयोग किया जाता है। इस प्रयोग में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं है पर इसके लिए यह जरूरी है कि जहर मोहरा को ठीक से संशोधित किया जाए ताकि उसमें किसी भी प्रकार का दोष न रहे। यदि शोधन में किसी प्रकार का दोष रहता है तो मैग्नीशियम टॉक्सिसिटी के लक्षण दिखते हैं।
मैंने उन्हें यह भी बताया है कि इन सज्जन की बिटिया बहुत अधिक मात्रा में काजू का प्रयोग करती है और घरवाले समझते हैं कि यह उसके स्वास्थ के लिए उत्तम है पर आप तो जानते ही हैं कि काजू में अधिक मात्रा में प्राकृतिक रूप से मैग्नीशियम पाया जाता है इसलिए काजू को कम मात्रा में खाना ही सही है विशेषकर जब किडनी की समस्या हो और मैग्नीशियम के प्रति शरीर विशेष रूप से संवेदी हो जैसे कि इनकी बिटिया का है। ब्रेन टॉनिक का प्रयोग और फिर काजू का अति प्रयोग बिटिया के शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा को बहुत बढ़ा रहा है। यदि इनकी बिटिया इन सब का प्रयोग करना बंद कर दें और लगातार खून की जांच करवाकर कर इस बात पर नजर रखें कि किसी भी तरह से मैग्निशियम नहीं बढ़ रहा है तो उसकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।
चिकित्सक ने बड़े गौर से मेरी बात सुनी। बीच-बीच वे इंटरनेट पर कुछ खोजते रहे फिर उसके बाद उन्होंने कहा कि वे मेरी बात से सहमत है और उन्होंने उन सज्जन से कहा कि वे मेरी बातों पर अमल करें और उनकी बिटिया को दी जा रही सभी दवाओं को पूरी तरह से बंद कर दें।
उन सज्जन ने मुझसे कहा कि वे 15 दिनों तक देखेंगे और फिर उसके बाद बताएंगे कि मेरा अनुमोदन किस हद तक सही है। जल्दी ही उनका फोन आया कि अब बिटिया की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। काजू का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है और ब्रेन टॉनिक का भी। मैंने उन सज्जन से कहा कि अब किसी भी तरह के फंक्शनल फूड की आवश्यकता बिटिया को नहीं है। अब धीरे-धीरे बिटिया फिर से वैसी ही हो जाएगी जैसे कि वह पहले थी।
यह अच्छी बात है कि आपने मुझसे समय रहते संपर्क कर लिया और मुझे अपने परीक्षणों के माध्यम से मैग्निशियम ओवरडोज़ का पता चल गया अन्यथा बिटिया की जान पर भी बन आ सकती थी क्योंकि मैग्नीशियम की अधिक मात्रा होने पर हृदय काम करना बंद भी कर सकता था।
बाद में उनके चिकित्सक से भी बात हुई। उन्होंने भी मुझे धन्यवाद ज्ञापित किया और शुभकामनाएं दी।
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