Consultation in Corona Period-226
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मैं पिछले कई सालों से हृदय की अनियमित धड़कन की समस्या से प्रभावित हूं और इसके लिए मैं अभी 17 से अधिक प्रकार की दवाओं का प्रयोग कर रही हूं पर इससे मुझे लाभ नहीं हो रहा है इसलिए मैंने आपसे परामर्श का समय लिया है। क्या आप ऐसे फंक्शनल फूड की जानकारी दे सकते हैं जिनका प्रयोग करने से मेरी इस समस्या का समाधान हो जाए।" पूर्वी भारत से एक प्रोफेसर साहिबा का जब यह संदेश आया तब मैंने उनसे कहा कि वे आने से पहले अपनी सारी रिपोर्ट भेजें और यह बताएं कि वे इस समय कौन-कौन सी दवाओं का प्रयोग कर रही है। जब उन्होंने रिपोर्ट भेजी और मैंने उस रिपोर्ट का अध्ययन किया तो मुझे उनकी हालत गंभीर लगी।
उनकी उम्र इतनी अधिक नहीं थी कि उन्हें इस तरह की तकलीफ होती। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद मैंने उनसे उनके खान-पान के बारे में जानकारी ली पर मुझे किसी भी तरह का कोई सुराग नहीं मिला। हां, ऐसे फंक्शनल फूड के बारे में जानकारी अवश्य हुई जिनका प्रयोग करके उनको राहत पहुंचाई जा सकती थी। मैंने उन्हें समय दे दिया और उनसे कहा कि वे कम से कम डेढ़ घंटे का समय लेकर मेरे पास आयें ताकि समस्या के मूल को जाना जा सके और एक बार समस्या के मूल का पता चल गया तो समस्या का अपने आप ही समाधान निकल जाएगा। हो सकता है कि किसी तरह के फंक्शनल फूड की आवश्यकता ही न हो। वे इस बात के लिए तैयार हो गई और नियत समय पर मुझसे मिलने रायपुर आ गई।
मैंने 10 तरह की वनस्पतियों की पत्तियों को तैयार करके रखा था। आते ही मैंने उनसे कहा कि आप अपना मुंह ठीक से साफ करें। उसके बाद उन्हें एक तरह की वनस्पति की पत्तियां दी और कहा कि इन्हें चबाकर बताएं आपको किस तरह का स्वाद आ रहा है। उन्होंने उस स्वाद के बारे में बताया तो मैंने उसे अपनी नोटबुक में लिख लिया। इस तरह एक तरह का परीक्षण पूरा हुआ। इसके बाद मैंने उन्हें 10 मिनट का इंतजार करने को कहा फिर मुंह साफ करके दूसरी वनस्पति की पत्तियों को चबाने के लिए कहा। इस तरह उन्होंने 10 तरह की वनस्पति की पत्तियों को चबाया और उनके स्वाद के बारे में मुझे बताया।
10 में से 5 पत्तियों को चबाने के बाद उन्होंने बताया कि इन पत्तियों में किसी भी प्रकार का स्वाद नहीं आ रहा है जबकि उन सभी पत्तियों में मीठा स्वाद था जबकि शेष पांच पत्तियों में उन्हें विपरीत स्वाद आ रहा था यानी जो कड़वी पत्तियां थी उनमें मीठा स्वाद आ रहा था और जो मीठी पत्तियां थी उनमें कड़वा स्वाद आ रहा था। ये परीक्षण इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि उन्हें विशेष प्रकार की वनस्पति की विषाक्तता की समस्या है जिसके कारण उन्हें हृदय की इस प्रकार की समस्याएं हो रही है।
मैंने उनसे कहा कि आपने अपने खानपान के बारे में मुझे विस्तार से जानकारी दी है पर यह नहीं बताया कि आप अधिक मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन कर रही है क्योंकि मेरे परीक्षण बता रहे हैं कि ये कैफ़ीन ओवरडोज के लक्षण है और हमें यह जानने की अब जरूरत है कि आपके शरीर में इतनी अधिक मात्रा में कैफीन किस माध्यम से पहुंच रहा है। मेरी बात सुनकर उन्होंने कहा कि उन्हें कॉफी का बहुत अधिक शौक है। वे 1 दिन में कभी-कभी तो 16 से अधिक कप कॉफी पी जाती है। उन्हें एक तरह का नशा है पर इस तरह के कॉफी के सेवन से उन्हें बहुत ज्यादा ऊर्जा मिलती है और वे कम समय में बहुत अधिक काम कर पाती है। मैंने उनसे कहा कि आपको किसी भी प्रकार के फंक्शनल फूड की आवश्यकता नहीं है। आप यदि इतनी अधिक मात्रा में कॉफी पीने की बजाय इस मात्रा को कम कर दें धीरे-धीरे करके तो आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा और आपको किसी भी दवा की जरूरत नहीं होगी। मैंने उनसे कहा कि आप अपनी कॉफी की मात्रा को एक चौथाई कर दीजिए। यही काफी होगा। उन्होंने ध्यानपूर्वक मेरी बात सुनी और फिर वापस लौट गई। कुछ समय बाद उन्होंने फोन करके बताया कि उनकी अब ह्रदय की समस्या का समाधान हो गया है और उन्हें सिर्फ तीन प्रकार की दवाई लेनी पड़ रही है। वह भी बहुत दिनों के अंतराल में। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अब कॉफी की मात्रा काफी कम कर दी है।
3 सालों के बाद उन्होंने फिर से संपर्क किया और कहा कि उन्हें अब अनिद्रा की शिकायत हो रही है और इस अनिद्रा की शिकायत के लिए उन्हें कई तरह की दवाओं का सेवन करना पड़ रहा है पर उसके बाद भी अच्छी नींद नहीं आ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि वे योगा कर रही हैं और तरह-तरह की मेडिटेशन तकनीकों का प्रयोग कर रही है फिर भी उनकी नींद की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। एक बार फिर से परामर्श का समय लेकर वे मुझसे मिलने आ गई और मैंने वही परीक्षण दोबारा किया। इस बार उन्होंने 7 तरह की वनस्पतियों की पत्तियों का स्वाद विपरीत बताया जबकि तीन तरह की वनस्पतियों की पत्तियों का स्वाद उन्हें वैसा ही महसूस हुआ जैसा कि वास्तव में उन पत्तियों का स्वाद था। यह परीक्षण भी उसी ओर इशारा कर रहा था और मैंने साफ शब्दों में उनसे पूछा कि आपने मुझसे भले ही कहा कि आपने कॉफी का प्रयोग पूरी तरह से कम कर दिया है पर मुझे लगता है कि अभी भी शरीर में कैफीन की मात्रा बहुत अधिक है। इस पर उन्होंने कहा कि हृदय रोग की समस्या का समाधान होने के बाद उन्होंने कॉफी का फिर से अधिक मात्रा में प्रयोग शुरू कर दिया पर इस बार उन्होंने होम्योपैथी का सहारा लिया।
उनके चिकित्सक ने उन्हें बताया है कि यदि कॉफी के एंटीडोट का प्रयोग होम्योपैथिक दवा के रूप में किया जाए तो कॉफी का असर बिल्कुल ही खत्म हो जाता है इसलिए उन्होंने फिर से कॉफी की मात्रा बढ़ा दी बिना किसी डर के और साथ में उस एंटीडोट का प्रयोग करने लगी। उन्होंने स्वीकार किया कि वे किसी भी हालत में कॉफी का सेवन नहीं रोक सकती है क्योंकि इससे ही उन्हें बहुत ऊर्जा मिलती है और इसी के कारण वे कम समय में अधिक शोध कर पाती हैं। बहुत कम उम्र में उन्होंने प्रोफेसर का पद पा लिया था और वे अपनी अथक मेहनत का श्रेय कॉफी को ही दे रही थी। मैंने उनसे कहा कि होम्योपैथी में बहुत सारी ऐसी दवाएं हैं जो कि कॉफी के असर को कम करती हैं पर मुझे नहीं लगता है कि यह दवा आप पर किसी तरह का अच्छा असर कर रही है क्योंकि अभी भी आप पर कैफीन ओवरडोज़ के लक्षण आ रहे हैं। आपकी अनिद्रा का कारण भी यही है और यदि आप अभी कॉफी का सेवन कम नहीं करेंगी तो आगे जाकर आपको बहुत विकट रोग हो सकते हैं जिनसे वापस निकल पाना बड़ा मुश्किल होगा। आपको किसी भी प्रकार की दवाइयां या फंक्शनल फूड की जरूरत नहीं है। उन्होंने मेरी बात को गौरपूर्वक सुना और मुझे आश्वस्त किया कि अब वे फिर से कॉफी पर नियंत्रण रखेंगी और उसके बाद भी यदि समस्या हुई तो मुझे बताएंगी।
4 साल के बाद उन्होंने फिर से संपर्क किया। इस बार उन्हें एक नई समस्या हो रही थी। उन्होंने बताया कि मेनोपॉज के बाद उनकी हड्डियां बहुत कमजोर हो गई है और ओस्टियोपोरोसिस की समस्या हो रही है। डॉक्टर कहते हैं कि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है और मेनोपॉज के बाद ओस्टियोपोरोसिस होना कोई नई बात नहीं है। मुझे बार-बार फ्रैक्चर हो जाते हैं और जो कि जल्दी से ठीक नहीं होते हैं। पहले दो बार आपने मेरी अच्छे से मदद की है इसलिए मैं आपसे फिर से परामर्श लेना चाहती हूं। इस बार मैंने उनका दूसरा तरह से परीक्षण किया। मैंने उनके पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाया और फिर उन लेपों की प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा। इस परीक्षण से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी हड्डियां सचमुच बहुत कमजोर हो गई थी पर इतनी अधिक कमजोरी मेनोपॉज के कारण नहीं आती है। इसके लिए कोई और कारण उत्तरदाई था। इसका पता लगाना जरूरी था। मैंने उन्हें हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कई तरह की हस्त मुद्राएं बताई और दो प्रकार के विशेष मेडिसिनल राइस दिए जिनका प्रयोग करने से हड्डियाँ काफी हद तक के मजबूत हो जाती हैं।
फिर उनका पहले वाला परीक्षण भी किया जिसमें पता चला कि उन्होंने आठ प्रकार की वनस्पतियों की पत्तियों का स्वाद सही बताया जबकि दो प्रकार की वनस्पतियों की पत्तियों का स्वाद विपरीत बताया। मैंने उनसे कहा कि अब आपने कॉफी का प्रयोग बहुत कम कर दिया है ऐसा परीक्षण से पता चलता है पर जिन पत्तियों का स्वाद आपने विपरीत बताया है उससे पता चलता है कि आप किसी और नशे वाली चीज का प्रयोग कर रही हैं। यह आप ही मुझे बता सकती है कि आपने कॉफी के विकल्प के रूप में किस चीज का प्रयोग करना शुरू किया है। या आप चाहे तो मैं परीक्षण कर इसे बता सकता हूं।
उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया है कि उन्होंने कॉफी के स्थान पर किसी दूसरे विकल्प का प्रयोग करना शुरू किया है। तब मैंने परीक्षण करने का निश्चय लिया और उन्हें पांच प्रकार की अलग वनस्पतियों की पत्तियों को चखने को कहा। जल्दी इस बात का खुलासा हो गया कि वे बहुत अधिक मात्रा में सुपारी का सेवन कर रही थी। जब मैंने उन्हें यह बात कही तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और कहा कि वे जब सुपारी का प्रयोग करती है तो उन्हें कॉफी की तलब नहीं लगती है। मैंने कहा कि सुपारी तो कॉफी से भी अधिक खतरनाक नशा है और आपको इससे परहेज करना चाहिए। इसी के कारण आपकी हड्डियां कमजोर हो रही है और आपको बेवजह ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो रही है। यदि आप इन दोनों पर नियंत्रण रख लेंगी तो फिर से आप नियमित जीवन जी सकती हैं। आपको बार-बार फ्रैक्चर होने की समस्या नहीं होगी। वे वापस लौट गई और फिर लंबे समय तक उनसे किसी प्रकार का संपर्क नहीं रहा।
2 सालों के बाद उनके किसी परिजन ने संपर्क किया और बताया कि प्रोफेसर साहिबा को हड्डियों का कैंसर हो गया है और वे बिस्तर पर हैं। जब उन्होंने फोन पर बात की तो बताया कि अब हड्डियों का कैंसर लाइलाज हो चुका है। उन्होंने स्वीकार किया कि गलती उन्हीं की है जो उन्होंने सुपारी और कॉफी का सेवन पूरी तरह से बंद नहीं किया और उन्हें लगता है कि इसी कारण उन्हें यह कैंसर हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी बहुत कष्टप्रद है और इसके विशेषज्ञ ज्यादा आशावान भी नहीं है कि उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान होगा। मैंने उनसे पूछा कि मैंने आपको हड्डियों के लिए कई तरह की हस्त मुद्राएं बताई थी। क्या आप उनका अभ्यास अभी भी कर रही हैं तब उन्होंने कहा कि कुछ दिनों तक इसका अभ्यास किया फिर उसके बाद आलस के कारण उन्होंने यह अभ्यास करना छोड़ दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि कैंसर के दर्द को खत्म करने के लिए अब उन्होंने फिर से अधिक मात्रा में कॉफी का प्रयोग करना शुरू कर दिया है जबकि सुपारी का प्रयोग अब कम हो गया है। मैंने उनसे पूछा कड़े शब्दों में कि आपको जीने की इच्छा है कि नहीं। अगर आपको जीने की इच्छा नहीं है तो आप कॉफी और सुपारी का सेवन फिर से जारी रख सकती हैं। मुझे किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं है पर आपने अगर मुझसे इसलिए संपर्क किया है कि आप लंबा जीवन जीना चाहती है बिना किसी कष्ट के तो मैं आपको स्पष्ट शब्दों में कहना चाहूंगा कि आप इन दोनों का प्रयोग अब पूरी तरह से रोक दें। आपकी तरह मुझे भी पूरा यकीन है कि इन्हीं दोनों के कारण आपको हड्डियों के कैंसर की समस्या हुई है और यदि आप 1 महीने तक भी इन दोनों का प्रयोग रोक दें तो आपकी हालत में बहुत तेजी से सुधार होगा। आप चाहें तो इन दोनों के प्रभाव को कम करने के लिए और इनकी लालसा को भी कम करने के लिए मैं आपको कुछ विशेष तरह के फंक्शनल फूड भिजवा सकता हूं। इनका प्रयोग आप कर सकती हैं।
प्रोफेसर साहिबा ने कहा कि मुझे जीने की इच्छा है इसीलिए मैंने आपसे संपर्क किया है। आप मुझे सारी सामग्री भेज दें और मैं आपको वचन देती हूं कि इस बार मैं न केवल कॉफी बल्कि सुपारी से भी पूरी तरह से दूर रहूंगी और 1 महीने बाद फिर से परीक्षण करवाऊंगी। अगली बार उनके कीमोथेरेपी विशेषज्ञ का फोन आया और उन्होंने बताया कि अब उनकी हालत में काफी सुधार है और वे कीमोथेरेपी का उपचार शुरू कर सकते हैं एक नए सिरे से। उनकी बातों में बहुत आत्मविश्वास था।
मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी और फिर प्रोफेसर साहिबा से भी फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक सुपारी और कॉफी का सेवन करने के बाद उनसे पूरी तरह से दूर रहना किसी तपस्या के समान था पर आपके द्वारा भेजी गई खाद्य सामग्री ने मेरी बहुत मदद की और अब मैं इन दोनों अभिशापों से पूरी तरह से मुक्त हूँ।
उन्हें हड्डी के कैंसर से पूरी तरह से उबरने में कई सालों का समय लगा पर यह अच्छी बात रही कि उन्हें एक नया जीवन मिला जो कि नशे से पूरी तरह से मुक्त था।
सबने राहत की सांस ली।
सर्वाधिकार सुरक्षित
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