Consultation in Corona Period-211
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"शादी के 6 महीने बाद से ही मुझे किडनी की समस्या होने लगी। मैंने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए किडनी की पूरी तरह से जब जांच कराई तो पता चला कि उसमें एक प्रकार का ट्यूमर है जो कि बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। डॉक्टर यह बताने में असमर्थ थे कि यह कैंसर है या नहीं।
उनमें दुविधा की स्थिति थी पर उन्होंने कहा कि ट्यूमर को यदि कम किया जाए तो किडनी की स्थिति को सुधारा जा सकता है पर स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही थी और मुझे डायलिसिस के लिए जाना पड़ा। पहले तो बहुत दिनों के अंतराल में डायलिसिस के लिए जाना पड़ता था पर धीरे-धीरे यह अंतराल कम होता गया और हर टेस्ट के बाद यह पता चलता गया कि ट्यूमर का आकार बढ़ता जा रहा है। मेरी उम्र 25 वर्ष है और मैं उत्तरांचल की एक अध्यात्मिक संस्था से जुड़ा हुआ हूं। जब मैंने अपने गुरु जी को अपनी समस्या के बारे में बताया और कहा कि अब मेरी जान खतरे में पड़ गई है तो उन्होंने आपके बारे में बताया और कहा कि छत्तीसगढ़ में कोई वैज्ञानिक है जो कि लकड़ी से बना एक विशेष तरह का गिलास देते हैं। उस गिलास में पानी रखकर पीने से किडनी की बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि बहुत साल पहले वे आपसे मिलने रायपुर आए थे और इस तरह का गिलास लेकर गए थे। उन्होंने वह गिलास संभाल कर रखा हुआ है पर बताया कि इसकी क्षमता 1 या 2 महीने के बाद समाप्त हो जाती है। फिर नए गिलास का उपयोग करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि मैं आपसे जाकर मिलूं और उस गिलास को प्राप्त करूँ। उन्हें विश्वास है कि इससे किडनी की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा।" उत्तर भारत से आए एक युवक ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने कहा कि लकड़ी के जिस गिलास की बात तुम कर रहे हो वह मैं नहीं बनाता हूं बल्कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक बनाते हैं। पहले वे मरीज का पूरी तरह से परीक्षण करते हैं उसके बाद ही वे इस तरह के उपायों को करने को कहते हैं। यदि तुम चाहो तो मैं दक्ष पारंपरिक चिकित्सकों के पास तुम्हें भेज सकता हूं। उसने इच्छा जताई कि मैं ही उसे कुछ उपाय सुझाऊँ जिससे कि उसकी किडनी की समस्या का समाधान हो सके। मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारी मदद करूंगा। मैंने उसकी सारी रिपोर्ट देखी। उन रिपोर्टों में यह स्पष्ट नहीं था कि यह कैंसर है कि नहीं है। कई विशेषज्ञ इसे कैंसर कह रहे थे जबकि कुछ कह रहे थे कि यह जानलेवा नहीं है। ट्यूमर काफी बड़ा था। मैंने उसकी अनुमति मिलने के बाद उसके पैरों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर देखा तो मुझे कुछ विचित्र सी प्रतिक्रिया दिखाई दी। मैंने उसके द्वारा प्रयोग की जा रही दवाओं और खान पान के बारे में विस्तार से जानकारी ली पर उससे किसी भी तरह का कोई सुराग नहीं मिला। मैंने उससे कहा कि मैं चिकित्सक नहीं हूं इसलिए बेहतर होगा कि वह अपनी चिकित्सा कर रहे चिकित्सक से मेरी बात कराए ताकि मैं अपने विचार उन्हें बता सकूं और फिर वे निर्णय ले सके कि आगे किस तरह से बढ़ना है।
अपने शहर लौटकर जब उसने अपने चिकित्सक से बात कराई तो मैंने चिकित्सक से कहा कि मेरे द्वारा किए गए परीक्षण से ऐसा लगता है जैसे ये अकेसिया टॉक्सिसिटी के लक्षण है। वह किसी रुप में अकेसिया का प्रयोग नहीं कर रहा है फिर ऐसे लक्षण क्यों आ रहे हैं यह आश्चर्य का विषय है। यदि आपके पास ऐसी दवाएं हैं जो कि इस विषाक्तता को दूर कर सकती है तो उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा। उसके चिकित्सक बड़े ही सह्रदय थे। उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसी जानकारी नहीं है जिससे कि अकेसिया टॉक्सिसिटी को दूर किया जा सके। न ही उनके पास ऐसी दक्षता है जो अकेसिया टॉक्सिसिटी की पहचान कर सके। उन्होंने सुझाव दिया कि मुंबई के बड़े चिकित्सक से मिला जाए ताकि वे इस बारे में सही सुझाव दे सके।
मुंबई के बड़े चिकित्सक के पास उस युवक को भेजने से पहले मैंने उसके चिकित्सक से कहा कि आप एक बार लीवर का भी परीक्षण करा ले। मुझे लगता है कि ऐसा ही एक ट्यूमर लीवर में भी हो सकता है। जब उस युवक का फिर से परीक्षण किया गया तो पाया गया कि उसके लिवर में भी इसी तरह का एक ट्यूमर है पर अभी वह इतना गंभीर नहीं है कि किसी तरह की समस्या पैदा कर सके। उस युवक ने बिना किसी देरी के मुंबई के चिकित्सक से मिलने का निश्चय किया और मुंबई पहुंच कर मेरी बात उनसे करवाई। उन चिकित्सक ने भी कहा कि उन्हें अकेसिया टाक्सीसिटी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। न हीं उनके पास इसके परीक्षण की कोई वैज्ञानिक विधि उपलब्ध है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो स्टैंडर्ड प्रोसीजर है ट्यूमर को ठीक करने का उसे ही वे अपनाएंगे पर उन्होंने यह स्वीकार किया कि यदि यह अकेसिया टॉक्सिसिटी के कारण हो रहा है तो जरूरी यह है कि अकेसिया टॉक्सिसिटी को दूर किया जाए जिससे कि ट्यूमर का बढ़ना रुक जाए और इस युवक की स्वास्थ समस्याएं कुछ हद तक ठीक हो जाए। मैंने युवक से एक बार फिर से गहनता से पूछताछ करने का मन बनाया और उसे साफ शब्दों में बताया कि यह बबूल या उससे संबंधित वनस्पतियों के विष के कारण आने वाले लक्षण है। इसी से ही तुम्हारी किडनी में ट्यूमर हुआ है और किडनी की हालत ऐसी हो गई है। यदि तुम मुझे साफ-साफ और सही-सही जानकारी दो कि क्या तुम किसी रूप में बबूल या उससे संबंधित किसी वनस्पति का प्रयोग कर रहे हो तब उस युवक ने कहा कि वह लंबे समय से बबूल के विभिन्न भागों का प्रयोग करता रहा है। उसने इस जानकारी को महत्वपूर्ण नहीं समझा था इसलिए पहली बार मुलाकात के दौरान इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था।
उसने विस्तार से बताया कि शादी के एक साल पहले से उसे सेक्स की कुछ समस्याएं थी और इस आधार पर जब उसने इंटरनेट पर सर्च इंजन में इस समस्या को खोजा तो उसे पहले ही परिणाम के रूप में एक वेबसाइट दिखी जिसमें लिखा हुआ था कि यदि बबूल की गोंद, बबूल की कोमल पत्ती और बबूल की कच्ची फली का उपयोग किया जाए तो उसकी सेक्स की समस्या पूरी तरह से ठीक हो सकती है। उसने बिना किसी देरी के उस वेबसाइट में लिखी हुई जानकारी के अनुसार बबूल का प्रयोग करना शुरू कर दिया। बबूल की उपलब्धता उसके लिए समस्या नहीं थी क्योंकि उसके खेतों में बबूल उगता था। वह डेढ़ साल से यह प्रयोग कर रहा था। मैंने उससे पूछा कि जिस सेक्स की समस्या के लिए उसने इसका प्रयोग किया था क्या उस समस्या का समाधान हुआ? क्या उसने इसके प्रयोग से पहले किसी चिकित्सक से सलाह ली? किसी आयुर्वेद चिकित्सक या किसी वैद्य से? क्या किसी से यह पूछा कि कितनी मात्रा में इसका प्रयोग करना है और किन परिस्थितियों में इसका प्रयोग नहीं करना है या यह पूछा कि किन दवाओं के साथ इसका प्रयोग किया जा सकता है और किन दवाओं के साथ इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता? क्या यह जानने की कोशिश की कि इसके उपयोग से किसी तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं तब उस युवक ने कहा कि उसने केवल वेबसाइट में दी गई जानकारी पर ही विश्वास किया और उसे पूरा यकीन था कि सर्च इंजन में क्योंकि यह वेबसाइट सबसे ऊपर दिख रही थी इसलिए इसमें दी गई जानकारी किसी भी तरह से गलत नहीं हो सकती है। मैंने उसे समझाते हुए कहा कि सर्च इंजन अपना व्यापार करते हैं। आम लोगों की भलाई से उनका कोई वास्ता नहीं है। आप कुछ भी लिखिए और फिर पैसे दे दीजिए तो आप सर्च इंजन में सबसे ऊपर दिखने लगेंगे। यह व्यापार है। एक तरह का बाजार है जहां हर कोई आपको लूटने को तैयार है।
इंटरनेट से जुड़े हुए विद्वान इसलिए कहते हैं कि शुरू के 5 पन्नों को छोड़ने के बाद ही जो जानकारी किसी सर्च इंजन के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है वही सही होती है क्योंकि उसके लिए किसी तरह के पैसे नहीं दिए जाते हैं। मैंने उसे विस्तार से समझाते हुए कहा कि जब मैंने तुम्हारा परीक्षण किया था तब मुझे अकेसिया टॉक्सिसिटी के लक्षण दिखे। अब जब तुम बता रहे हो कि तुम बबूल के विभिन्न भागों का प्रयोग लंबे समय से कर रहे हो तो बहुत स्पष्ट रूप से यह समझ में आ रहा है कि यह अकेसिया विशेषकर अकेसिया निलोटिका टॉक्सिसिटी के लक्षण है। बबूल का कभी भी इस तरह से उपयोग नहीं किया जाता है। बहुत जरूरी होने पर जब बबूल का उपयोग इस तरह से किया जाता है तो उसके साथ और भी औषधियों का प्रयोग किया जाता है ताकि बबूल के दुष्प्रभाव को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। बबूल के प्रयोग का असर मुख्यता किडनी और लीवर में होता है और अधिकतर वही समस्या होती है जो कि तुम्हें हो रही है। लोग सोचते हैं कि किसी दूसरे कारण से या अनुवांशिक कारण से किडनी की समस्या हो रही है जबकि इस तरह की वनस्पतियों का प्रयोग करने से उनकी हालत खराब होती रहती है। वे इस तरह की वनस्पतियों का प्रयोग छोड़ते नहीं है और धीरे-धीरे उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है जो कि एक बहुत कठिन प्रक्रिया है। इससे जीवन बहुत कठिन हो जाता है और बहुत ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है।
मैंने उससे कहा कि वह तुरंत ही इसका प्रयोग करना रोक दें और साथ ही एक पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया जो कि ऐसे फार्मूले के बारे में जानते हैं जिसकी सहायता से बबूल के दुष्प्रभाव को लंबे समय में पर प्रभावी रूप से समाप्त किया जा सकता है। उस युवक ने धन्यवाद दिया और पारंपरिक चिकित्सक से मिलने चला गया।
इसके बाद हर महीने उसका फोन आता रहा और हर फोन में यह पता चलता रहा कि अब उसकी किडनी की हालत में सुधार हो रहा है। सबसे पहले ट्यूमर का तेजी से बढ़ना रुका उसके बाद फिर धीरे-धीरे उसका आकार कम होने लगा और जब उसने 6 महीने के बाद फिर से पूरी तरह से जांच कराई और मुंबई के उन चिकित्सक से मिला तो उन्होंने बताया कि अब ट्यूमर का आकार बहुत छोटा हो गया है। उसने मुझे बताया कि अब वह अपने दोस्तों को इस गलती के बारे में बता रहा है और उन्हें भी प्रेरित कर रहा है कि वे किसी चिकित्सक या वैद्य से मिलने के बाद ही इस तरह की वनस्पतियों का प्रयोग करें क्योंकि सारी जानकारियां इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है विशेषकर वनस्पतियों से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में।
मैंने उसे धन्यवाद दिया और उसे शुभकामनाएं प्रेषित की।
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