Consultation in Corona Period-227
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"हमने आपको हर्बल चाय का जो सैंपल भेजा था आशा है आपने उसका पूरा परीक्षण कर लिया होगा और अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली होगी। अब आपसे अनुरोध है कि आप जल्दी ही समय निकालकर हमारे शोधकर्ताओं के बीच प्रस्तुत हो और बताएं कि आपके इस फार्मूले के बारे में क्या विचार हैं? क्या डायबिटीज के लिए यह हर्बल चाय कारगर सिद्ध होगी या इसमें किसी तरह के सुधार की जरूरत है?" मुंबई की एक बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनी के डायरेक्टर ने मुझसे फोन पर कहा। मैंने उनसे कहा कि मैं अगले हफ्ते ही मुंबई आने को तैयार हूं और मुझे दिन भर का समय चाहिए ताकि मैं आपके शोधकर्ताओं को सारी बातें अच्छे से समझा सकूं और अपनी रिपोर्ट उन्हें दे सकूं। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और जल्दी ही मैं नियत समय में उनके ऑफिस पहुंच गया।
उनकी टीम ने 36 घटकों का प्रयोग करके एक फार्मूला बनाया था जिसके बारे में उनका दावा था कि इसका प्रयोग करने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है और लंबे समय तक लगातार प्रयोग डायबिटीज को पूरी तरह से समाप्त करने में कारगर है। उनके अनुसार यह एक क्रांतिकारी खोज थी। इसमें पारंपरिक जड़ी बूटियों का प्रयोग किया गया था पर यह फार्मूला कहीं भी वर्णित नहीं है। न ही आधुनिक विज्ञान के साहित्य में और न ही पारंपरिक विज्ञान के साहित्य में। यह उनकी अपनी खोज थी। उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल भी कर लिए थे और उसके बाद ही वे दावा कर रहे थे कि यह डायबिटीज के लिए कारगर है। उनके शोधकर्ताओं ने कंपनी के डायरेक्टर से अनुरोध किया कि एक बार मुझे यह फॉर्मूला दिखाया जाए ताकि मैं अपने विचार व्यक्त कर सकूं और यदि किसी तरह की कोई समस्या इस फार्मूले के साथ है तो उसे दूर किया जा सके इसीलिए मुझे मुंबई बुलाया गया था।
मैंने इस फार्मूले के बारे में अपने विचार रखते हुए उन्हें बताया कि यह फार्मूला नर्वस सिस्टम के लिए बहुत घातक है इसीलिए इस फार्मूले के पैकेट के ऊपर साफ साफ शब्दों में इस बात की वैधानिक चेतावनी देनी होगी कि यदि नर्वस सिस्टम के किसी के रोग से प्रभावित व्यक्ति इस चाय का प्रयोग करते हैं तो उन्हें अपने चिकित्सक से सलाह ले लेनी चाहिए। मैंने उन्हें खुलासा करते हुए बताया कि आपने इस चाय में चित्रक का प्रयोग किया है और जब इस चित्रक की चाय में उपस्थित रक्तचंदन से प्रतिक्रिया होती है तो कई प्रकार के नर्वस सिस्टम के रोग हो सकते हैं। पारंपरिक नुस्खों में इस तरह के मनमाने प्रयोग नहीं किए जाते हैं। आपने चित्रक का शोधन पारंपरिक विधियों से किया है परंतु फिर भी उसका प्रभाव पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि आपको चित्रक को इस नुस्खे में शामिल करना ही नहीं चाहिए था पर अगर आपने किया है तो फिर आपको पूरी तरह से शोधित चित्रक का प्रयोग बहुत कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इस वनस्पति का प्रयोग बहुत संभलकर किया जाता है और ऐसे उत्पादों में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है जो कि बिना किसी डॉक्टरी अनुमोदन के बाजार में पहुंचने वाले हैं।
मैंने उन्हें बताया कि आपने चाय में कार्तिक झुमका का भी प्रयोग किया है। उसकी भी चित्रक से विपरीत प्रतिक्रिया होती है और जब आपकी चाय को माइग्रेन से प्रभावित कोई व्यक्ति उपयोग करेगा तो उसकी समस्या कई गुना अधिक बढ़ जाएगी।
उनके शोधकर्ता मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुनते रहे। उनके अंदर चल रहे विचारों को महसूस किया जा सकता था। वे काफी बेचैन थे क्योंकि उन्होंने इस फार्मूले पर बरसों से मेहनत की थी और अब वे अंतिम अवस्था में थे पर इन सब बातों को सुनकर उन्हें लगने लगा था कि अब फार्मूले को बाजार में आने में पांच और सालों का समय लग सकता है।
मैंने उन्हें आगे बताया कि इस फार्मूले का प्रयोग माहवारी के समय महिलाओं को नहीं करना चाहिए। यह भी आपको साफ-साफ बताना होगा क्योंकि यदि महिलाएं उन दिनों में इसका प्रयोग करेंगी तो उनकी समस्या कई गुना अधिक बढ़ जाएगी। इस बार भी चित्रक ही दोषी है क्योंकि चित्रक की कटेरी नामक वनस्पति से विपरित प्रतिक्रिया होती है जिसे कि आपने डायबिटीज के लिए उपयोगी इस चाय में एक अहम घटक के रूप में डाला है। आप इनमें से एक घटक को अगर चाय से निकाल देंगे तो महिलाओं को होने वाली समस्याएं पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी और यह चाय उनके लिए सुरक्षित हो जाएगी।
जिन लोगों को कब्जियत की शिकायत है उनके लिए भी यह चाय अभिशाप हो सकती है क्योंकि आपने इस चाय में न केवल मंजिष्ठ का प्रयोग किया है बल्कि रक्त चंदन और ब्राह्मी का भी एक साथ प्रयोग किया है। अगर चाहे तो आप इस फार्मूले में कई और वनस्पतियां मिला सकते हैं जिससे इस फार्मूले का यह दोष पूरी तरह से ठीक हो सकता है। ऐसा कहकर मैंने अपनी बात पूरी की। अब उनके विचार व्यक्त करने की बारी थी।
उनमें से कुछ शोधकर्ताओं ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल में उन्होंने कब्जियत की समस्या को नोट किया था पर इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।
उन्होंने बताया कि नर्वस सिस्टम के रोगों से प्रभावित व्यक्तियों पर उन्होंने शोध नहीं किया है पर अब जरूरत है कि इस फार्मूले को उन लोगों पर भी आजमा कर देखा जाए और उनको हो रही स्वास्थ समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए।
कंपनी के डायरेक्टर साहब ने बताया कि इस फार्मूले में चित्रक का प्रयोग इसीलिए किया गया है क्योंकि बाजार में उपलब्ध बहुत से डायबिटीज के फार्मूले में विशेषकर डायबिटीज के लिए उपयोगी चाय में चित्रक का प्रयोग किया गया है इसलिए उन्होंने सोचा कि यह प्रयोग सुरक्षित होगा और इसे सभी तरह के लोग इस्तेमाल कर सकते होंगे।
मैंने उन्हें बताया कि बाजार में बहुत से गलत फॉर्मूलेशन उपलब्ध है जो कि पारंपरिक फॉर्मूलेशन में थोड़े बहुत फेरबदल करके बनाए गए हैं। पारंपरिक फॉर्मूलेशन में सभी घटकों की विशेष भूमिका होती है और एक तरह से वे आपस में पूरी तरह से संतुलित रहते हैं पर उस आधार पर जब दो-तीन नई जड़ी बूटियां मिलाकर नया फॉर्मूलेशन बना दिया जाता है तो यह संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है। फॉर्मूलेशन की जब मार्केटिंग की जाती है तो उसके अलग-अलग घटकों के औषधीय गुणों के बारे में बताया जाता है और कहा जाता है कि यह फार्मूला बेहद सटीक है पर उन घटकों की आपस में होने वाली प्रतिक्रिया के बारे में किसी भी तरह की बात नहीं की जाती है। यही कारण है कि बाजार में बिकने वाले बहुत सारे नुस्खे घातक होते हैं और लोग नाना प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त होते रहते हैं। उन्हें लगता है कि यह हर्बल उत्पाद है इसलिए इससे किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं होगा। यह उनकी गलतफहमी मात्र है।
हर्बल ड्रग इंटरेक्शन के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस पर बहुत गहनता से शोध नहीं हुए हैं। यही कारण है कि वे एजेंसियां जो कि इन दवाओं का लाइसेंस प्रदान करती है उनके विशेषज्ञों को भी इस बारे में जानकारी नहीं है।
मैंने उनके फार्मूले का एक और दोष बताते हुए उनसे कहा कि इसमें आपने चित्रक के साथ में खस का प्रयोग किया है। इससे यह संभावना है कि जो भी व्यक्ति इस चाय का उपयोग 4 से 5 महीने लगातार करेगा उसके बाल झड़ने लगेंगे। फिर दोबारा नहीं आएँगे। आपको खस की मात्रा कम करनी होगी। इससे यह फार्मूला इस दोष से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगा।
अपनी बात पूरी कर के और उनके प्रश्नों का जवाब देकर मैं वापस अपने होटल में आ गया और वापसी की तैयारी करने लगा।
शाम को एक बार फिर मुझे ऑफिस में बुलाया गया और डायरेक्टर साहब ने मुझसे कहा कि भले ही आपने कड़े शब्दों का प्रयोग किया पर यह जरूरी था क्योंकि यदि एक बार यह फार्मूला बाजार में चला जाता और लोगों को इस तरह की परेशानी होने लग जाती तो लोग कंपनी पर केस कर देते और लोगों को हानि पहुंचाने का आरोप हम पर लग जाता। लोगों को मुआवजा देते देते हमारी कंपनी दिवालिया हो जाती। उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्दी ही मुझे फिर से आमंत्रित करेंगे और कोशिश करेंगे कि मैं हर महीने आकर इस फार्मूले में किए जा रहे सुधारों का अवलोकन कर सकूँ ताकि आगे से किसी भी प्रकार की गलती न हो।
इस तरह भारत के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान ने एक और गलत फार्मूले को बाजार में आने से रोक दिया और उन्हें राह दिखाई कि वे कैसे इस फार्मूले में सुधार कर सकते हैं।
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