Consultation in Corona Period-207
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"डॉक्टरों ने बताया है कि मेरी समस्या का मूल कारण टाइप वन डायबिटीज है जिसके कारण मुझे इंसुलिन आजीवन लेना होगा और अब इस स्थिति से उबरा नहीं जा सकता है। मुझे यह समस्या पिछले 5 सालों से है। मैंने तरह-तरह के उपचार करवाएं पर मुझे बताया गया कि टाइप टू डायबिटीज के लिए बहुत सारे उपाय उपलब्ध है और पूरी दुनिया में लोग तरह-तरह की औषधीयों का प्रयोग करते हैं पर टाइप वन डायबिटीज के लिए सिर्फ यही एक विकल्प है जिससे बचा नहीं जा सकता है। मैं अमेरिका से लेकर यूरोप तक गया और फिर मैंने एशिया के डॉक्टरों को भी दिखाया पर सब ने बताया कि टाइप वन डायबिटीज की किसी भी प्रकार से कारगर चिकित्सा नहीं है। बस इसे मैनेज किया जा सकता है।
मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं एक बड़े देश की सीक्रेट सर्विस में काम करता हूं। मुझे कुछ साल पाकिस्तान की जेल में बिताने पड़े जहां मुझे तरह-तरह की यातनाएं दी। उनकी यातनाओं को तो मैंने सहन कर लिया पर वहां मुझ पर कई तरह के प्रयोग किए गए। मुझे एक विशेष तरह की वनस्पति का रस लंबे समय तक दिया गया, यह बता कर कि यह एक टॉनिक है और इससे मेरा स्वास्थ ठीक रहेगा पर मुझे लगता है कि इसी वनस्पति के कारण मेरे बीटा सेल नष्ट हो गए और मुझे टाइप वन डायबिटीज की समस्या हो गई। क्योंकि उससे पहले मेरा स्वास्थ पूरी तरह से ठीक था और मुझे किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी। जब मैं यह बात अपने चिकित्सकों को बताता हूं तो वे इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं कि किसी वनस्पति के प्रयोग से ऐसा हो सकता है। यदि उनमें से कुछ मान भी जाते हैं तो वे उस वनस्पति का नाम पूछते हैं पर मैं तो उसके बारे में कुछ भी नहीं जानता हूं। हां, अगर कोई मुझे वह वनस्पति दिखाएं तो मैं उसे पहचान अवश्य सकता हूं। आशंका है कि इस वनस्पति से मेरी समस्या हुई होगी पर मैं भी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूं। आप अक्सर अपने लेखों में लिखते हैं कि यदि अपने स्वास्थ के बारे में विस्तृत जानकारी भले ही वह हमें मामूली क्यों न लगती हो यदि आपको बताएं तो आप रोगों की पहचान कर लेते हैं और बिना किसी दवा के उसका समाधान भी कर देते हैं।
आपको इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं होगी कि 20 वर्षों पहले जब आपने प्लास्टिक को खाने वाले कीड़े की खोज की थी तब अपने देश की ओर से मैंने आपकी जासूसी की थी और 2 साल तक साए की तरह आपके पीछे लगा रहा। बाद में एजेंसी का मकसद पूरा हो गया और फिर मुझे दूसरे कार्य में लगा दिया गया। जब मैंने इंटरनेट पर आपके बारे में पढ़ा और हमारे संस्थान के डायरेक्टर ने कहा कि एक बार आपसे मिलकर समस्या का समाधान पूछ लेना चाहिए तो फिर मैंने भारत आने का निश्चय किया। आपको मुझसे जिस भी प्रकार की जानकारी चाहिए मैं देने को तैयार हूं।" पड़ोसी देश से आए एक सज्जन ने मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उनके पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर परीक्षण किया और इस परीक्षण से आने वाली प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा। उनका कहना सही था कि किसी वनस्पति के कारण ही उन्हें यह समस्या हो रही थी। परीक्षण इस बात की पुष्टि तो कर रहा था पर वह यह नहीं पता पा रहा था कि किस वनस्पति के कारण ऐसा हुआ है। जब मैंने अपना डेटाबेस खंगाला तो मुझे हजारों ऐसी वनस्पतियों के बारे में जानकारी मिली जिनके अनुचित प्रयोग से टाइप वन डायबिटीज की समस्या हो सकती है। इनमें से बहुत सारी वनस्पतियों का प्रयोग प्रयोगशाला में किया जाता है।
प्रयोगशाला जीवों में डायबिटीज के लक्षण उत्पन्न करने के लिए।
उस वनस्पति को खोजना एक बहुत बड़ा चैलेंज था जिसका प्रयोग पाकिस्तान की जेल में सज्जन के ऊपर किया गया था। इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि कितने लंबे समय तक इसका प्रयोग किया गया और कौन सी दूसरी जड़ी बूटियां साथ में मिलाई गई। मात्रा के बारे में भी ठीक-ठाक जानकारी नहीं थी। उन सज्जन ने यह बताया है कि उनके साथ तीन और लोगों को यह दवा दी गई जो कि अब इस संसार में नहीं है। उस दवा को लेने के एक हफ्ते बाद ही उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु को स्वाभाविक मृत्यु बताया गया जबकि हमें मालूम था कि इस दवा के प्रयोग के कारण ही मृत्यु हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इस दवा के अलावा और भी दूसरी दवाएं दी जा रही थी। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी।
मेरे पास पूरे अफगानिस्तान में पाई जाने वाली वनस्पतियों के बारे में विस्तार से जानकारी है। उन वनस्पतियों के चित्र भी हैं और बहुत सारी वनस्पतियों के वीडियो भी। मैंने उन्हें एक-एक करके सभी चित्रों को देखने को कहा। उन्होंने 2000 चित्र देखने के बाद कहा कि इनमें से एक भी ऐसी वनस्पति नहीं है जिसका प्रयोग उनके ऊपर किया गया है। आखिर तीस हजारवे चित्र तक पहुंचते-पहुंचते समस्या का समाधान दिखने लगा। उन्होंने एक वनस्पति की ओर इशारा किया।
जब मैंने उसका वैज्ञानिक नाम देखा तो वह सचमुच खतरनाक बूटी थी पर उसका नाम उस सूची में उपलब्ध नहीं था जिसके कारण टाइप वन डायबिटीज की समस्या होती है। जब मैंने इंटरनेट खंगाला तब भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली। न ही इसके जहरीले प्रभाव के बारे में और न ही इसके औषधीय गुणों के बारे में। जितने भी रिजल्ट मिल रहे थे वह मेरे ही द्वारा लिखे गए लेखों के रिजल्ट थे। वनस्पति भारत में नहीं पाई जाती है इसलिए उसे एकत्र कर किसी तरह का परीक्षण करना भी संभव नहीं था।
अचानक ही मुझे एक अमेरिकी वनस्पति वैज्ञानिक की याद आई जो कि 15-20 सालों पहले मुझे मिले थे और उन्होंने मुझे एक पुस्तक भेंट की थी अफगानिस्तान की जड़ी बूटियों के बारे में। जब मैंने उस पुस्तक को देखा तो मुझे इस वनस्पति के बारे में विस्तार से जानकारी मिल गई। अब राह आसान हो गई थी।
मैंने एक बार फिर से उनका परीक्षण किया दूसरी तरह की जड़ी बूटियों की सहायता से और फिर शरीर में आने वाली प्रतिक्रियाओं को लक्षणों से मिलाने की कोशिश की जो कि उस जहरीली वनस्पति को लंबे समय तक उपयोग करने से आते हैं। उनमें से काफी लक्षण मिलते-जुलते थे। इस आधार पर मैंने अपने डेटाबेस को खंगाला जिसमें इस तरह के लक्षण वाली वनस्पतियों की विषाक्तता को खत्म करने वाले फॉर्मूला की जानकारी थी।
मुझे 25 तरह के फॉर्मूलेशन मिले पर वे सभी जटिल फॉर्मूलेशन थे जिन्हें बनाने में कम से कम 2 सालों का समय लगता है। इतने समय तक शायद वे सज्जन नहीं रुक पाते इसलिए एक सरल फॉर्मूलेशन खोजा गया जिसमें कि मेडिसिनल राइस का प्रयोग किया गया था। इसमें 40 से अधिक प्रकार के मेडिसनल राइस का प्रयोग करना था 4 महीनों तक। इनमें से ज्यादातर मेडिसनल राइस तो मेरे पास उपलब्ध थे पर कुछ मेडिसनल राइस ऐसे थे जो कि नेपाल और बांग्लादेश में पाए जाते हैं, भारत में नहीं होते हैं। मैंने उन सज्जन को अपनी समस्या बताई तो उन्होंने बताया कि इसमें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है। उन के बहुत सारे संपर्क सूत्र इन देशों में है और आप यदि सही स्थान और सही व्यक्ति बताएं तो वे जल्दी से ही इन मेडिसिनल राइस को एकत्र कर ला सकते हैं। उनकी बात सही निकली और उनके प्रयास से 1 हफ्ते के अंदर ही सारे मेडिसिनल राइस मेरे पास एकत्र हो गए। मैंने उन्हें प्रयोग की पूरी विधि समझा दी और उनसे कहा कि वे बीच-बीच में मुझसे संपर्क करते रहें। यदि उन्हें लाभ हो तो भी और लाभ न हो तो भी। उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए।
उनकी टाइप वन डायबिटीज की समस्या को पूरी तरह से खत्म होने में 1 साल का समय लग गया पर उसके बाद यह समस्या पूरी तरह से सुलझ गई।
मैंने उनसे कहा कि अब वे मेडिसिनल राइस का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें और दूसरे प्रकार के मेडिसिनल राइस का प्रयोग करें ताकि उन्हें फिर से यह समस्या न हो।
हाल ही में जब मैंने इंटरनेट पर इस वनस्पति की एक तस्वीर देखी तो है चौंक पड़ा। इस तस्वीर से संबंधित लेख में यह बताया गया था कि घातक रासायनिक हथियार के रूप में इस वनस्पति के प्रयोग की अपार संभावनाएं हैं।
यह लेख उसी देश के वैज्ञानिक ने लिखा था जिस देश में इन सज्जन को यह दवा दी गई थी।
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