Consultation in Corona Period-231
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"सिकल सेल एनीमिया पर हमें एक अंतरराष्ट्रीय पेटेंट मिला है। हम जिस फॉर्मूलेशन का प्रयोग करने वाले हैं उसके घटकों की हम अपने फार्म में खेती कर रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि आप समय निकालकर हमारे फार्म पर आयें और इस खेती के बारे में दिशा निर्देश दें। शुरुआत हमने 10 एकड़ से की है पर धीरे धीरे हम इसे 100 एकड़ तक बढ़ाना चाहते हैं। अभी यह पायलट प्रोजेक्ट है इसलिए आपके मार्गदर्शन की सख्त जरूरत है। हमने आपकी फीस जमा कर दी है और जिस दिन आप समय देंगे हमारी गाड़ी आपको लेने के लिए आ जाएगी एयरपोर्ट पर।" उत्तर भारत की एक जानी-मानी फार्मास्यूटिकल कंपनी के डायरेक्टर का जब यह संदेश आया तो मैंने उन्हें समय दे दिया और नियत समय पर मैं लंबी यात्रा करके उनके शहर पहुंच गया।
आरंभिक औपचारिकता के बाद वे मुझे अपने फार्म में लेकर गए जहां जड़ी-बूटियों की खेती हो रही थी। वे 10 एकड़ में सुदर्शन की खेती कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सिकल सेल एनीमिया के फार्मूले में इस वनस्पति की अहम भूमिका है और यह वनस्पति आसानी से बाजार में नहीं मिलती है इसलिए उन्होंने निश्चय किया है कि वे इसे अपने मार्गदर्शन में ही उगाएंगे और फिर अपने फॉर्मूलेशन में प्रयोग करेंगे। मैंने स्थल का मुआयना किया और उस आधार पर उनसे कई तरह के प्रश्न पूछे।
मैंने पूछा कि क्या सुदर्शन की खेती में आपको कीड़ों की समस्या होती है तब उन्होंने कहा कि सुदर्शन की खेती में कीड़े एक बड़ी समस्या है और हम उन्हें मैनेज करते करते परेशान हो जाते हैं। हमें रासायनिक आदानों का उपयोग नहीं करना है इसीलिए यह मुश्किल और बढ़ जाती है।
मैंने उनसे पूछा कि आपकी इस फसल में किस तरह के कीड़ों का आक्रमण हो रहा है, उसके बारे में मुझे विस्तार से वैज्ञानिक जानकारी दीजिए। जब मैंने उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कीड़ों की पहचान की तब मैंने उनसे पूछा कि आप अभी इन कीड़ों के प्रबंधन के लिए क्या उपाय करते हैं?
उन्होंने बताया कि वे नीम पर आधारित एक घोल का प्रयोग करते हैं जिसमें कि 15 प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा वे करंज पर आधारित एक और घोल का प्रयोग करते हैं जिसमें कि 10 प्रकार की वनस्पतियां होती है। वे इन घोल को एकांतर क्रम में उपयोग करते हैं ताकि कीड़ों में इनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न न हो और लंबे समय तक इन घोल का उपयोग किया जा सके। ऐसा कहकर उन्होंने उन घोल को बनाने की विधियों के बारे में विस्तार से बताया और उनके घटकों के बारे में भी। उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर मैंने उन्हें बताया कि यदि आप नीम के इस नुस्खे का प्रयोग करेंगे तो कीड़े तो बेशक नियंत्रण में आ जाएंगे पर इससे आप की फसल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। आपने बताया कि सुदर्शन का उपयोग आप केवल एक फॉर्मूलेशन में नहीं करेंगे बल्कि 18 किस्म के अलग-अलग फॉर्मूलेशन में करेंगे जो कि कई तरह के रोगों की चिकित्सा में काम आते हैं। यदि आप नीम से उपचारित सुदर्शन का प्रयोग बीटा ब्लॉकर्स के साथ करेंगे तो इसका उपयोग करने वाले लोगों में नाना प्रकार की स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं विशेषकर महिलाओं के मामले में। इसलिए यह जरूरी है कि आप इस घोल का प्रयोग न करें। फिर जब मैंने करंज के घोल का अध्ययन किया तब मैंने उसे भी दोषपूर्ण पाया। इस आधार पर मैंने उन्हें सुझाव दिया कि जब आप करंज के घोल का प्रयोग सुदर्शन की फसल पर करेंगे तो भी इसमें दूसरे प्रकार के विकार आ जाएंगे फिर आप इनका प्रयोग डायबिटीज की आधुनिक दवा के साथ नहीं कर पाएंगे यानी सुदर्शन की विपरीत प्रतिक्रिया डायबिटीज की आधुनिक दवाओं के साथ होगी। इससे आपके फॉर्मूलेशन का उपयोग करते समय बहुत सावधानी बरतनी होगी और लोग इसे कम उपयोग करना पसंद करेंगे क्योंकि आजकल डायबिटीज की आधुनिक दवाओं का प्रचलन बहुत बढ़ गया है और इस तरह का ड्रग इंटरेक्शन घातक हो सकता है।
मेरी बातों को सुनकर डायरेक्टर साहब ने कहा कि क्या इन दोनों घोल के अलावा आपके पास किसी और प्रकार के घोल की जानकारी है जिसका प्रयोग करने से कीड़ों पर नियंत्रण किया जा सकता है। मैंने उन्हें एक सरल उपाय बताया।
मैंने उन्हें निर्देशित किया कि वे अपनी फसल के चारों ओर कालमेघ और गेंदे के पौधे लगायें। इससे सुदर्शन की फसल में किसी भी तरह से कीटों का आक्रमण नहीं होगा और इन पौधों के कारण प्रक्षेत्र की सुंदरता भी बढ़ जाएगी। मैंने उन्हें एक छोटी सी फिल्म दिखाई जिसमें इस तरह के प्रयोग किए जाने पर मिली सफलता का उल्लेख किया गया था। मेरे दूसरे किसान भी इन उपायों को अपना रहे हैं और उन्हें अच्छी सफलता मिल रही है।
इस समस्या के समाधान के बाद मैंने उनसे पूछा कि सिकल सेल एनीमिया में सुदर्शन पर आधारित फॉर्मूलेशन का प्रयोग करने से क्या आपको अच्छी सफलता मिल रही है? क्या आप चाहते हैं कि सुदर्शन को और अधिक प्रभावी बनाया जाए खेती के माध्यम से जिससे कि फार्मूला और अधिक कारगर हो जाए? उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया और पूछा कि क्या यह संभव है तब मैंने उन्हें ट्रेडिशनल ऐलिलोपैथिक नॉलेज के बारे में बताया जिसका प्रयोग भारत के पारंपरिक चिकित्सक पीढ़ियों से करते आए हैं।
उस आधार पर मैंने उन्हें एक वानस्पतिक घोल के बारे में बताया जिसमें कि 15 प्रकार के पुराने वृक्षों की छाल का प्रयोग किया जाता है। इस घोल की सहायता से जब फसल को सिंचित किया जाता है तो उसकी गुणवत्ता कई गुना अधिक बढ़ जाती है। यह वानस्पतिक घोल सिकल सेल एनीमिया के लिए तैयार किए जा रहे सुदर्शन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मेरी बात से प्रभावित होकर उन्होंने तुरंत ही अपने वैज्ञानिक दल को कहा कि वे मेरे अनुमोदन पर अमल करें और इस विधि से तैयार सुदर्शन की गुणवत्ता की जांच करें।
उन्होंने आगे बताया कि कैंसर की चिकित्सा के लिए भी उन्होंने एक फॉर्मूलेशन विकसित किया है जिसमें कि सुदर्शन का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने देखा है कि सिस्प्लैटिन नामक कीमोथेरेपी की दवा के साथ इस फॉर्मूलेशन का प्रयोग करने से इस फॉर्मूलेशन का प्रभाव बहुत घट जाता है। क्या आप ऐसे कोई उपाय बता सकते हैं जिससे इस फार्मूलेशन के इस दोष को दूर किया जा सके?
मैंने उनके फार्मूले का विस्तार से अध्ययन किया फिर उन्हें बताया कि वे अपने फॉर्मूलेशन में सप्तम घटक के रूप में वायविंडग का प्रयोग कर रहे हैं। उसके स्थान पर वे तृतीय घटक के रूप में वायविंडग का प्रयोग करें तो यह फॉर्मूलेशन पूरी तरह से दोषमुक्त हो जाएगा और जब इसका प्रयोग कीमोथेरेपी की दवा के साथ किया जाएगा तब न केवल यह फॉर्मूलेशन कारगर रहेगा बल्कि उस दवा की कार्य क्षमता भी बढ़ जाएगी।
यह एक तरह का सिनर्जेटिक इफेक्ट होगा।
अंत में मैंने उन्हें यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सुदर्शन के पौधे को किसी भी पोषक तत्व की कमी न होने पाए क्योंकि यह पोषक तत्व के प्रति विशेष रूप से संवेदी है और पोषक तत्वों की थोड़ी भी कमी होने पर इसमें विकार उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण जिन फॉर्मूलेशंस में इनका प्रयोग किया जाता है वे भी दोषपूर्ण हो जाते हैं इसलिए संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग जरूरी है। इस विषय में बहुत सारे वैज्ञानिक अनुमोदन उपलब्ध है। इनका सही रूप में पालन किया जाना आवश्यक है।
डायरेक्टर महोदय और उनकी टीम ने मुझे धन्यवाद ज्ञापित किया। मैंने उनसे कहा कि आप जब भी मुझे बुलाएंगे मैं आ जाऊँगा और आपकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश करूंगा।
मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी और वापस लौट आया।
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