Consultation in Corona Period-134

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मेरे 17 वर्षीय बेटे के दोस्तों ने उसका जीना हराम कर दिया है। वे इतना अधिक मजाक उड़ाते हैं कि मेरे बेटे ने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की।" 

उत्तर भारत के एक सज्जन मुझे अपनी समस्या बता रहे थे। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 

आप विस्तार से पूरी बात मुझे बताएं। उन्होंने बताया कि उनका 17 वर्षीय बेटा हिमाचल प्रदेश के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है। समस्या की शुरुआत उस समय हुई जब वह 14 वर्ष का था। 

मुझे बोर्डिंग स्कूल से लगातार यह सूचना आने लगी कि लड़के की तबीयत बार-बार बिगड़ रही है। उसे तेज बुखार हो जाता है और मिर्गी जैसे लक्षण आते हैं।

 वहाँ के डॉक्टरों ने जब उसकी पूरी तरह से जांच की तो वे कुछ ज्यादा नहीं बता पाए। उन्होंने कहा कि यह मिर्गी की समस्या नहीं है पर मिर्गी जैसे लक्षण आ रहे हैं। 

जब हम अपने बेटे से मिलने बोर्डिंग स्कूल पहुंचे तो हमने पाया कि वह बहुत अधिक कमजोर है। हम एक महीने की छुट्टी में उसे बाहर लेकर आ गए और देशभर के चिकित्सकों से उसकी जांच करवाई पर उसकी समस्या का किसी भी तरह से समाधान नहीं हुआ।

 उसे बहुत सारी बलवर्धक दवाएं दी गई जिसके परिणाम स्वरुप वह बहुत ज्यादा मोटा हो गया पर बार-बार बीमार पड़ने और मिर्गी जैसे लक्षण आने की समस्या किसी भी तरह से ठीक नहीं हुई। 

मेरे एक दोस्त अमेरिका में डॉक्टर हैं। वे भारतीय मूल के हैं। जब मैंने उन्हें इस समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि वे लड़के से खुलकर बात करना चाहते हैं। 

जब मेरे लड़के ने मेरे मित्र से खुलकर बात की तो उसने बताया कि हर बार सेक्स करने के बाद उसे ऐसे लक्षण आते हैं। यह बात उसने भारतीय चिकित्सकों को और हमें कभी भी नहीं बताई थी पर मेरे अमेरिकी मित्र बहुत गहरा ज्ञान रखते थे। 

उन्होंने झट से इस बीमारी को पहचान लिया और कहा कि यह  Postorgasmic illness syndrome (POIS) नामक बीमारी है और यह लाइलाज नहीं है। 

उन्होंने कई तरह की दवाएं उसे दी। 

इससे कुछ ही महीनों में उसकी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया पर बोर्डिंग स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि वह मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो गया है और उसका अब पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता है। 

उन्होंने कहा कि उम्र की वजह से ऐसा हो सकता है और उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं। 

सेक्स के बाद बुखार जैसे लक्षण आने की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाने के बाद हमने उसे बड़े प्यार से समझाया कि वह अभी इस ओर बिल्कुल भी ध्यान न दें। 

एक बार अपनी शिक्षा खत्म कर ले फिर हम जल्दी ही उसका विवाह कर देंगे पर उसने हमसे इस बारे में बात करना बिल्कुल भी पसंद नहीं किया। हमने भी उस पर ज्यादा जोर नहीं दिया। 

उसकी चिकित्सा लगातार चलती रही और हम अपने अमेरिकी मित्र के संपर्क में लगातार बने रहे। 

जब वह 17 वर्ष का हुआ तो उसे एक नई समस्या का सामना करना पड़ा। उसने हमें इस बारे में बिल्कुल भी कुछ नहीं बताया। 

जब उसने पहली बार आत्महत्या करने की कोशिश की तो हम दौड़े-दौड़े स्कूल पहुंचे।

 उसके साथियों ने हमें बताया कि उसमें बहुत अधिक शारीरिक परिवर्तन आ रहे हैं और पुरुष होते हुए भी स्त्रियों जैसे उसके ब्रेस्ट विकसित हो रहे हैं। 

इसी कारण उसके साथी उसे बहुत ताना मारते थे और उसका बहुत मजाक उड़ाते थे। 

वह सबसे अलग रहने लगा था। फिर एक दिन तंग आकर उसने आत्महत्या करने की कोशिश की।

 शिक्षकों को जब यह बात पता चली और स्कूल के डॉक्टर ने जब उसकी जांच की तो उन्होंने उसे आश्वासन दिया है कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।

 ऐसा हार्मोन की गड़बड़ी के कारण अक्सर हो जाता है और समय के साथ यह पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। 

उन्होंने उसके साथियों को बहुत डांट लगाई और इस बात की भी धमकी दी कि अगर कोई उसे परेशान करेगा तो उस पर बहुत अधिक कड़ी कार्रवाई की जाएगी और संभव हुआ तो उसे स्कूल से भी निकाल दिया जाएगा।

 हमारे बेटे ने इस बारे में हमें कुछ नहीं बताया। जब हम उससे मिलने गए तो बस रोता रहा। हमने अपने अमेरिकी मित्र से फिर से संपर्क किया तो उन्होंने बेटे से फिर से विस्तार से बात की और बताया कि बेटा बहुत ज्यादा डिप्रेशन में है। 

अपने साथियों के कारण बहुत परेशान है इसलिए अच्छा होगा कि उसे बोर्डिंग स्कूल से निकाल कर हम अपने पास रखें ताकि उसकी अच्छे से देखभाल कर सकें।

 उन्होंने बीमारी को Gynecomastia के रूप में पहचाना और कहा कि यह समस्या उतनी गंभीर नहीं है जितने कि लग रही है।

 उन्होंने कुछ दवाएं बदली और आश्वासन दिया है कि इससे उसकी यह समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। 

हम उसे अपने साथ रखने लगे। वह गुमसुम रहने लगा और दोस्तों से पूरी तरह से कट गया।

 नए स्कूल में भी वह बैकबेंचर्स बनकर रह गया। उसके ब्रेस्ट का बढ़ना लगातार जारी रहा और अब वे कपड़ों से भी छुपाए नहीं छुपते थे। 

जब हमने अपने अमेरिकी मित्र को यह बताया कि आपकी दवा से किसी भी तरह का लाभ नहीं हो रहा है तो उन्होंने कहा कि अब सर्जरी ही इसका एक विकल्प है पर वे इतनी कम उम्र में सर्जरी कराने के पक्ष में नहीं थे। 

उन्होंने सिंगापुर में कैंसर पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया था। वहाँ किसी वक्ता ने आपके कार्यों के बारे में व्याख्यान प्रस्तुत किया। उस व्याख्यान के आधार पर हमारे अमेरिकी मित्र ने कहा कि भारत में एक विशेषज्ञ हैं जिनसे आप मिलकर इस बारे में जानकारी एकत्र कर सकते हैं।

 उन्होंने यह भी बताया कि ये विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है बल्कि एक शोधकर्ता है और उनके पास जड़ी बूटियों का खजाना है।

 हो सकता है कि उनके पास कोई ऐसी जड़ी बूटी हो जिनका प्रयोग करने से आपकी बेटे की समस्या का समाधान हो जाए। 

अपने अमेरिकी मित्र की बात मानकर हमने आपसे संपर्क करने का फैसला किया।

यह कहकर उन्होंने अपनी बात पूरी की।

 मैंने उनकी सारी रिपोर्ट देखी फिर उन दवाओं के बारे में भी जाना जो कि उनका बेटा लंबे समय से ले रहा था। उसमें से एक दवा पर मेरा ध्यान विशेष रूप से केंद्रित रहा। 

जब अगली बार उन्होंने संपर्क किया तो मैंने उनसे पूछा कि क्या यह संभव है कि मैं आपके अमेरिकी मित्र से फोन पर बात कर सकूं तो उन्होंने कहा कि यह संभव है और उन्हें आपसे बात करने में खुशी होगी। 

जब मेरी अमेरिकन डॉक्टर से बात हुई तो मैंने उन्हें कहा कि मुझे लगता है कि समस्या का मूल कारण आपके द्वारा पिछले कई सालों से लगातार दी जा रही benzodiazepines समूह की दवा है। 

इस दवा का सीरियस साइड इफेक्ट इनके बेटे को हो रहा है और इसके कारण ही इसके ब्रेस्ट में वृद्धि हो रही है।

 मेरी बात सुनकर अमेरिकी डॉक्टर ने कहा कि ऐसा तो वे पहली बार सुन रहे हैं। उन्होंने इतने सारे मामले देखे हैं पर कभी भी किसी ने उन्हें यह नहीं बताया कि इस दवा का इतना अधिक सीरियस साइड इफेक्ट हो सकता है। 

वे इस बात पर अड़े रहे कि समस्या का मूल कारण कुछ और है न कि यह दवा है। काफी समझाने के बाद जब वे नहीं माने तो मैंने उनसे अनुरोध किया कि आप दवा को पूरी तरह बंद करने की बजाय कुछ समय तक उसका प्रयोग रोक कर देख ले। मुझे लगता है कि उनके बेटे की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। 

उन्होंने कहा कि यह दवा उस लड़के पर विशेष रूप से काम कर रही है और यदि इसका प्रयोग कुछ समय के लिए भी रोका गया तो POIS के लक्षण फिर से उभरने लगेंगे और लड़के की तबीयत खराब होने लगेगी। उन्होंने अपनी मजबूरी बताई कि उनके पास इस दवा का कोई विकल्प नहीं है इसलिए उनका मानना है कि इस दवा को बंद नहीं करना चाहिए। 

उन्होंने मुझसे अनुरोध किया कि मैं कुछ जड़ी बूटियां अपने खजाने से उस लड़के को दूं ताकि उसकी समस्या का हल निकल सके। 

मैंने उनसे यही कहा कि जब मुझे मालूम है कि यह समस्या क्यों हो रही है तो मेरा यह कर्तव्य है कि मैं इस समस्या के कारण को पूरी तरह से खत्म करूं। यहां नई दवाओं की भूमिका नहीं है। 

बिना किसी अंतिम निर्णय के हमारी बात आधे में ही खत्म हो गई। उस लड़के के पिता को जब मैंने यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि वे अपने अमेरिकी मित्र के साथ जाना पसंद करेंगे। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।

 इस घटना के कुछ साल बाद मुझे दिल्ली के एक प्रसिद्ध शोध संस्थान से एक संदेश आया कि उनके पास एक 20 वर्षीय युवक का मेल ब्रेस्ट कैंसर का मामला है। क्या आप इस मामले में हमारी कुछ मदद कर पाएंगे? 

मेरे हां कहने पर उन्होंने जब सारी रिपोर्ट भेजी तो मैंने संस्थान के डायरेक्टर से कहा कि यह केस मेरे पास कुछ साल पहले आ चुका है और उसी समय मैंने उस समय इस केस को देख रहे अमेरिकी चिकित्सक से कहा था कि वे benzodiazepine दवा का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें।

 उन्हें यह भी चेताया था कि इसका लगातार प्रयोग करने से कैंसर जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं और लड़के की जान पर भी बन आ सकती है। 

मैंने शोध संस्थान के डायरेक्टर से पूछा कि क्या वह लड़का अभी भी इस दवा का प्रयोग कर रहा है तो उन्होंने बताया कि वह पिछले 5 सालों से इस दवा का लगातार प्रयोग कर रहा है।

 मैंने उन्हें विस्तार से पूरी जानकारी दी और उनसे फिर से अनुरोध किया कि आप इस दवा का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें। मुझे उम्मीद है कि 1 महीने के अंदर बहुत अधिक परिवर्तन दिखेंगे। 

अभी कैंसर शुरुआती अवस्था में है और यह दवा के कारण हो रहा कैंसर है इसलिए दवा का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर देने से अपने आप ही ठीक हो जाएगा। उन्होंने वही बात दोहराई जो कि अमेरिकी चिकित्सक दोहरा रहे थे कि यदि इस दवा को बंद कर दिया जाए तो उसके POIS के लक्षण फिर से उभरने लग जाएंगे। 

मैंने उनसे कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा में देसी चावल पर आधारित एक नुस्खा है जिसका प्रयोग यदि वह लड़का करे तो उसे उस दवा को बंद कर देने के बाद भी POIS के लक्षण नहीं आएंगे। 

आप यदि चाहे तो मैं इस देसी चावल की व्यवस्था आपके लिए कर सकता हूं। इसका प्रयोग बहुत सरल है और भोजन के रूप में ही इस चावल का प्रयोग करना है। 

वे इस बात के लिए तैयार हो गए और इस चावल का प्रयोग जल्दी ही उस लड़के ने करना शुरू कर दिया। benzodiazepine नामक दवा पूरी तरह से बंद हो गई।

 एक हफ्ते बाद ही शोध संस्थान के डायरेक्टर का संदेश आया कि लड़के की स्थिति में काफी सुधार हो रहा है। उसकी सक्रियता बढ़ गई है। वह संसार के विषयों में फिर से विशेष रूचि लेने लग गया है। 

उसे पूरी तरह से ठीक होने में 5 महीनों का समय लगा जबकि उसके ब्रेस्ट को सामान्य आकार में आने में 8 महीनों का समय लगा। 

इस तरह बिना किसी दवा के और बिना किसी सर्जरी के उसकी इस विकट समस्या का समाधान भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान की मदद से हो गया।


 सभी ने राहत की सांस ली। 


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