Consultation in Corona Period-122

Consultation in Corona Period-122



Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"जैसे ही वह बहता हुआ पानी देखता है उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है।


 वह चीखने चिल्लाने लग जाता है और जब तक उसे बहते हुए पानी वाले स्थान से दूर न किया जाए तब तक उसकी हालत ऐसी बनी हुई रहती है। 


उसके बाद वह गहरी नींद में चला जाता है और कई घंटों तक बिना सुध बुध के सोए रहता है। उठने के बाद फिर जोर जोर से चिल्लाने लग जाता है और कहता है कि मुझे ऐसे स्थान पर क्यों लेकर गए?


बहता हुआ पानी मतलब नल से बहता हुआ पानी और नदी में बहता हुआ पानी, किसी भी तरह से बहता हुआ पानी उसे विचलित कर देता है।


 एक बार हम उसे नदी के पास तो ले जाने से बच सकते हैं अर्थात नदी के बहते पानी से उसे बचा सकते हैं पर घर में नल का उपयोग कैसे बन्द किया जाए? 


दिन-ब-दिन उसकी स्थिति बहुत बिगड़ती जा रही है। हमने देश भर के मनोचिकित्सालयों में उसकी जांच कराई। सभी चिकित्सकों ने उसे तरह-तरह की दवाएं दी।


 इससे यह हुआ कि वह दिन में अधिक देर तक सोने लगा। उसकी सक्रियता बहुत कम हो गई पर जब भी वह जागता है और बहते हुए पानी को देखता है तो फिर उसकी स्थिति वैसी की वैसी हो जाती है। 


फिर उस समय उसकी दवाई काम नहीं करती हैं और हमें उसे जानवरों की तरह काबू में करना पड़ता है। फिर एक जगह बांधकर छोड़ देना होता है।


 ऐसा पिछले 5 सालों से हो रहा है। अपने बेटे के साथ रोज रोज ऐसी हरकत करना मुझे मानसिक रूप से कमजोर बना रहा है।


 इस वजह से मुझे हृदय की समस्या हो गई है और मेरी दवा चल रही है। अब मैं कम ही उसे काबू करने के लिए खड़ा होता हूँ। मेरे दो और बेटे हैं जो यह काम करते हैं। 


दुनिया भर के चिकित्सकों ने एक बात बार-बार पूछी कि क्या बचपन में इसके साथ किसी तरह का बड़ा हादसा हुआ था विशेषकर पानी के साथ?


 कभी डूबने से बचा था या कभी तैरते तैरते लंबी दूरी तक बह गया था पर ऐसा कुछ भी इसके साथ नहीं हुआ था।


 शुरू में इसे अनिद्रा की शिकायत थी। वह रात भर जागा करता था। उसकी पत्नी की शिकायत पर हमने उसकी दवा शुरू की पर धीरे-धीरे उसकी हालत बिगड़ती गई।


 आखिर थक हार कर उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई। महाराष्ट्र के जिन वैद्य से हम अभी उसकी चिकित्सा करा रहे हैं वे कहते हैं कि पत्नी के जाने के गम में उसकी ऐसी हालत हुई है।


 पर हमें ऐसा नहीं लगता है क्योंकि पत्नी बीच बीच में आ जाती है पर फिर भी उसकी हालत में किसी भी तरह का सुधार नहीं होता है। 


हम उसे बड़ी उम्मीद से रांची लेकर गए थे। वहां के चिकित्सकों ने बताया कि यह अनुवांशिक समस्या है। संभवत: गर्भावस्था के समय इसकी मां को किसी तरह की गंभीर बीमारी हुई होगी या तेज बुखार आया होगा उसके कारण से यह समस्या हो रही है।


 पर हमें इस बात पर कम ही विश्वास है क्योंकि अगर यह समस्या होती तो बचपन से होती। युवावस्था में अचानक से यह कैसे शुरू हो गई?


 हम एक सघन बस्ती में रहते थे। जहां इसकी हालत देखकर लोग बहुत परेशान हो जाते थे और हमें बददुआएं देने लग जाते थे। 


वे बार-बार कहते थे कि हम इसे पागलखाने भेज दें ताकि मोहल्ले में पूरी तरह से शांति रहे और हम भी अच्छे से जीवन जी सके पर हम अपने बेटे को पागलखाने भेजने के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं थे।


 इसलिए हमने एक शांत कॉलोनी में अपना घर ले लिया है और अब घर का कोहराम दूर दूर तक सुनाई नहीं देता है।


 हमने ज्योतिषियों की भी सहायता ली और उन्होंने तरह-तरह के रत्न पहनने के लिए दिए। उन्होंने कहा कि एक-दो वर्ष में समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी क्योंकि यह ग्रहों की दशा के कारण हो रहा है पर उस समय अवधि के बीतने के बाद भी उसकी समस्या जस की तस है। 


हमने गोमूत्र पर आधारित चिकित्सा का भी सहारा लिया और उसके बाद हम धर्मशाला के एक प्रसिद्ध अस्पताल में भी गए। सबने हमें ढेर सारी दवाएं दी पर यह नहीं बताया कि यह समस्या किस कारण से हो रही है। 


बहुत से लोगों ने सलाह दी कि हम तांत्रिकों की सहायता ले पर मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूँ और मुझे इस तरह के अंधविश्वास में किसी भी तरह से भरोसा नहीं है।


 मेरी पत्नी के कहने पर मैं उसे मध्यप्रदेश के एक तांत्रिक के पास लेकर गया। तांत्रिक ने उसे एक हफ़्ते तक अपने पास रखा। बाद में जब मैं अपने बेटे से फिर से मिला तो उसके शरीर में चोट के बहुत सारे निशान थे और वहां के लोगों ने मुझे बताया कि तांत्रिक की प्रताड़ना से तंग आकर उसने आत्महत्या करने की कोशिश की। 


हमने सोचा कि इससे अच्छा तो वह हमारे घर में है। कम से कम हमारी नजरों के सामने है और हमसे जो बन पड़ रहा है हम कर रहे हैं।


 हमने आपके बारे में बहुत पढ़ा है इसलिए आपसे अपॉइंटमेंट लिया है। हमें आपसे बड़ी उम्मीद है। 


हमें यह मालूम है कि आप चिकित्सक नहीं है पर आप ने भारतीय जड़ी बूटियों पर गहन शोध किया है इसलिए हमें विश्वास है कि आप अपने अनुभव के आधार पर हमारी मदद कर पाएंगे।" 


मध्य भारत के एक छोटे से शहर से इन सज्जन ने फोन किया और अपनी समस्या के बारे में विस्तार से बताया।


 मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 


मैंने 100 प्रश्नों की एक प्रश्नावली उन्हें भेजी और कहा कि इस प्रश्नावली को आप और आपकी पत्नी मिलकर भरें। इसमें आप जल्दीबाजी न करें और जितना विस्तार से आप उत्तर दे सकते हैं उत्तर देने का प्रयास करें। 


आपके उत्तर बहुत महत्वपूर्ण होंगे और आगे इसकी कैसे मदद की जाए इस दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने मेरी बात ध्यान से सुनी और फिर इस प्रश्नावली को भरकर वापस भेजने में 1 सप्ताह का समय लिया। 


मैंने प्रश्नावली का गहनता से अध्ययन किया फिर जब उन्होंने फिर से फोन किया तो मैंने उनसे कहा कि क्या यह संभव है कि आप अभी अपने बेटे को जो दवाएं दे रहे हैं उन्हें पूरी तरह से 1 हफ्ते तक बंद कर दें। 


उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि उसकी हालत रोज बिगड़ जाती है। यदि हम दवा को बंद कर देंगे तो उसको काबू करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।


 मैंने उनसे कहा कि इसका समाधान मेरे पास है। मैं आपको एक विशेष तरह की बूटी दे रहा हूँ। आप इसे आपातकालीन परिस्थिति परिस्थितियों के लिए रखें। 


जब भी वह उग्र अवस्था में आ जाए तो आप उसे यह बूटी सूंघा दे। कुछ क्षणों में वह पूरी तरह से शांत हो जाएगा। 


इसके साथ ही मैं आपको एक और बूटी दे रहा हूँ जिसे आप उसके सिरहाने में रखें विशेषकर रात को सोते समय। उसकी गंध पूरे कमरे में फैल जाएगी और उसे बहुत अच्छी नींद आएगी। 


यह किसी तरह का स्थाई इलाज नहीं है बल्कि मुझे यह पता करना है कि यह समस्या कहीं किसी तरह की दवा के कारण तो नहीं हो रही है। 


उन्होंने घर वालों से बात की और फिर मुझे फोन किया कि वे इस बात के लिए तैयार है। उन्होंने अपने छोटे बेटे को रायपुर भेजा जिसने मुझसे बूटियाँ एकत्र कर ली। 


एक हफ्ते बाद उनका फोन आया कि एक बार भी आपके द्वारा दी गई बूटी का प्रयोग नहीं करना पड़ा यानी कि 1 हफ्ते में उसकी स्थिति में बिल्कुल भी बिगाड़ नहीं हुआ। सब कुछ नियंत्रण में रहा। 


उन्होंने एक अच्छी खबर यह भी दी कि अब वह बहते हुए पानी को देख कर बहुत कम प्रतिक्रिया करता है। वह रात को अच्छे से सोने लगा है और उसका पेट भी अच्छे से साफ होने लगा है। उसकी भूख बहुत बढ़ गई है। 


इस बार जब उसकी पत्नी आई तो उसने उससे बहुत अच्छे से बात की और उससे अनुरोध किया कि वह उसे किसी भी तरह से भविष्य में नहीं सताएगा इसलिए अगर उसका मन हो तो वह घर में आकर रह सकती है। 


उसने परिवार बढ़ाने को लेकर भी अपनी पत्नी से बात की। 


सारी जानकारी एकत्र करने के बाद मैंने उनसे कहा कि यदि संभव हो तो आप मेरी यात्रा का प्रबंध करें और मेरे साथ महाराष्ट्र के उस वैद्य से मिलने चलें। 


उन्होंने सारी तैयारी कर ली फिर मुझे लेने के लिए रायपुर आ गए। 2 दिनों की लंबी यात्रा करके हम महाराष्ट्र के एक सुदूर गांव में पहुंचे जहां वैद्य अपनी सेवाएं देते थे। 


हमें पहुंचते-पहुंचते बहुत रात हो गई। जब वैद्य जी को पता चला कि हम लोग इतनी दूर से आए हैं और मैं वैज्ञानिक हूँ तो उन्होंने अपने घर में ठहरने के लिए मुझे आमंत्रित किया। 


हमने देखा कि उनका घर बहुत बड़ा नहीं है और हमारे वहां ठहरने से उनका पूरा घर प्रभावित होता इसलिए हमने यह फैसला किया कि हम गाड़ी में ही एक रात गुजार लेंगे। 


उन्होंने बहुत अनुरोध किया। हमने उनका मान रखते हुए उनके द्वारा परोसा गया भोजन ग्रहण किया पर सोने के लिए अपनी गाड़ी का ही उपयोग किया। 


चाहे कितनी भी बड़ी और अच्छी गाड़ी हो गाड़ी में सोना मुझे किसी भी तरह से जमता नहीं है फिर भी जैसे तैसे रात कटी। सुबह-सुबह हल्का सा शोर सुनाई दिया।


 आंखें खुली तो देखा कि कुछ लोग वैद्य के साथ वैद्य जी के घर के सामने जमा है और उनसे कुछ निर्देश ले रहे हैं। 


जब मैं गाड़ी से बाहर निकला और उनसे मिला तो पता चला कि ये वैद्य जी के आदमी है जो कि जंगल जा रहे हैं जड़ी बूटियों को एकत्र करने के लिए। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं इनके साथ जा सकता हूँ तो उन्होंने कहा कि आप जरूर जाइए। इस में ज्यादा समय नहीं लगेगा। ये 1 घंटे के अंदर वापस आ जाएंगे। 


मैं उनके साथ निकल पड़ा। वैद्य जी के घर के पास घना जंगल था और बहुत सारे पुराने वृक्ष जंगल में थे पर वृक्षों की हालत ठीक नहीं थी।


 मेरे साथ चल रहे लोगों ने बताया कि इन वैद्य की तरह यहां पर दो-तीन वैद्य और भी हैं जो कि इन वृक्षों की छालों का प्रयोग करते हैं। इनकी प्रसिद्धि दुनिया भर में है। इसलिए दुनियाभर से लोग इनके पास आते हैं। 


इतने सारे लोगों को दवा देने के लिए लगातार बहुत अधिक मात्रा में छाल की आवश्यकता पड़ती है और आप तो जानते ही हैं कि छाल को बहुत अधिक मात्रा में एकत्र किया जाए तो इससे वृक्षों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। 


जब इन वैद्यों की पिछली पीढ़ी के लोग थे तो वे छाल को एकत्रित करने के लिए दूर जंगलों में जाया करते थे और वृक्षों को इस तरह से चयनित करते थे कि उनके जीवन पर किसी भी तरह का बुरा असर न पड़े।


 पर ये नई पीढ़ी के वैद्य इस बात को समझते नहीं है और यही कारण है कि ये पूरे वृक्ष जो आप देख रहे हैं सभी के सभी छाल विहीन होकर बीमार हो गए हैं।


 जो लोग बहुत पहले से इन वैद्यों के पास आते रहे हैं वे कहते हैं कि वैद्यों द्वारा दी जा रही दवा में अब उतना असर नहीं होता है जितना कि वरिष्ठ वैद्यों की दवा से होता था। इसका एक कारण बीमार वृक्षों से छालों का एकत्रण भी है। 


एक जगह पर हम रुके और फिर दो-तीन लोग महुआ के पुराने पेड़ के ऊपर चढ़ गए। महुआ के पेड़ के ऊपर उगने वाले महुआ के बांदे को उन्होंने एकत्रित किया और फिर नीचे आकर उसे संभाल कर रख लिया। 


साथ चल रहे लोगों ने बताया कि वैद्य जी मानसिक रोगों की चिकित्सा के लिए महुआ के बांदे का प्रयोग करते हैं। यह बहुत दुर्लभ होता है और इसीलिए इसकी तलाश में हमें दूर दूर जाना पड़ता है।  


एक डेढ़ घंटे में हम लोग वापस आ गए। वापस लौट कर हमने नाश्ता किया तब तक वैद्य जी के घर के सामने सैकड़ों लोगों की भीड़ लग चुकी थी। हमारा नंबर कल से ही लगा हुआ था इसलिए सबसे पहले हमें अवसर मिला उनसे मिलने के लिए।


 मैंने उनसे कहा कि हम आपके पास दवा लेने नहीं आए हैं बस यह जानने आए हैं कि क्या आप महुआ के बांदे का प्रयोग इनके बेटे की दवा में कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि जितने भी मानसिक रोगी होते हैं उनकी चिकित्सा के लिए मैं महुआ के बांदे का ही प्रयोग करता हूँ। 


उन्होंने यह भी बताया कि महुआ का बांदा बहुत दुर्लभ होता है और उसका प्रयोग अधिकतर तांत्रिक करते हैं इसलिए बहुत सारे लोग मुझे वैद्य न मानकर तांत्रिक भी मानते हैं पर मैं पीढ़ियों से वैद्य ही हूँ। 


आपको तो पता ही होगा कि महुआ का बांदा कितना उपयोगी है। उसका कितना अधिक औषधीय महत्व है। 


मैंने उनकी बातों पर सहमति व्यक्त की और उन्हें बताया कि महुआ का बांदा जीवित रहने के लिए महुआ के रस का उपयोग करता है इसलिए यह बहुत जरूरी है कि जिस समय महुआ वृक्ष से बांदा एकत्र किया जा रहा है वह पूरी तरह से स्वस्थ हो। 


मैं जिन लोगों के साथ आज सुबह जंगल गया था उन्होंने बताया कि यहां पर महुआ के स्वस्थ वृक्ष एक भी नहीं है। सभी बीमार वृक्ष है। इनकी छाल का आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्रण किया गया है। 


जब ऐसे वृक्षों से एकत्र किए गए बांदे का प्रयोग किसी भी नुस्खे में किया जाता है तो बहुत तरह के मानसिक विकार दिखने लग जाते हैं। 


छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक इस बारे में विस्तार से जानकारी रखते हैं और वे साफ शब्दों में बताते हैं कि बहते हुए पानी को देखकर पागलपन की स्थिति बनने का एक कारण महुआ के दोषपूर्ण बांदे का प्रयोग भी है।


इसलिए क्षमा मांगते हुए मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आप इतने वर्षों से जो इस दोषपूर्ण बांदा का प्रयोग कर रहे हैं उससे आपने न जाने कितने लोगों को पागल बना दिया है। 


आपने अनिद्रा के लिए इनके बेटे की चिकित्सा शुरू की पर आपके नुस्खे के कारण इसे दूसरे तरह के लक्षण उत्पन्न हो गए जिससे इसका जीवन पूरी तरह से नर्क बन गया।


 कोई समझ ही नहीं पाया कि इनकी समस्या का कारण क्या है और ये दर-दर भटकते रहे ताकि समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाए। 


उन्हें एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि यह वैद्य जी द्वारा दी जा रही दवा के कारण हो रहा है। 


वैद्य जी पहले तो बहुत नाराज हुए फिर पर्दे के पीछे से हमारी सारी बातें सुन रही उनकी पत्नी ने उन्हें अंदर बुलाया। फिर पत्नी को लेकर वे बाहर आए।


 उनकी पत्नी ने बताया कि इस तरह की ढेरों शिकायतें मैंने पहले भी इनसे की है कि आपकी दवा लेने के बाद लोगों की मानसिक स्थिति बिगड़ जा रही है पर इन्होंने डांट डपट कर मुझे चुप कर दिया और बार-बार कहा कि शहर के लोग दोषपूर्ण चीजों का सेवन करते हैं इसलिए उन्हें मानसिक परेशानी हो जाती है। 


ऐसा उनकी दवा के कारण नहीं हो रहा है। फिर उन्होंने यह भी कहा कि यह फार्मूला तो हमारे घर में पीढ़ियों से प्रयोग हो रहा है। यदि इससे कोई पागल होता तो पीढ़ियों से होता रहता और हमारे पूर्वजों ने इसका प्रयोग उसी समय बंद कर दिया होता।


 मैंने कहा कि आपकी बात सही है पर मुझे इस बात का पक्का यकीन है कि वे ऐसे वृक्षों से बांदा का एकत्रण करते होंगे जो कि पूरी तरह से स्वस्थ होंगे। 


काफी देर की चर्चा के बाद वैद्य जी ने इस बात को मान लिया और कहा कि आगे से वे इस बात का ध्यान रखेंगे। 


उन्होंने बताया कि वे अपने पास आने वाले सभी मरीजों के पते सुरक्षित रखते हैं। जिन लोगों को पिछले 10 सालों में या उससे अधिक समय में ये नुस्खे उन्होंने दिए होंगे उनसे वे क्षमा मांगेंगे।


 उन्होंने मजबूरी बताई कि इसके अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं है। तब मैंने उनको बताया कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक महुआ के बांदे का दोष दूर करने के लिए एक विशेष प्रकार के नुस्खे का प्रयोग करते हैं। इसकी जानकारी मैं आपको दे रहा हूँ। 


आप यदि प्रभावित लोगों को इस नुस्खे को देंगे तो 6 से 7 महीने में उनकी स्थिति सामान्य हो जाएगी। 


उन्होंने और उनकी पत्नी ने मुझे धन्यवाद ज्ञापित किया।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)