Consultation in Corona Period-126

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"कलेक्टर साहब आपसे बात करना चाहते हैं। वे कुछ ही पलों में आपको फोन लगाएंगे। आप उस फोन को अटेंड कर लीजिएगा।"


 घर के बाहर खड़े सफेद वर्दी में कलेक्टर के अर्दली ने मुझसे यह कहा। थोड़ी देर बाद जब एक फोन बजा और मैंने फोन उठाया तो दूसरी ओर कलेक्टर साहब थे। 


उन्होंने कहा कि वे 1 घंटे बाद मुझसे घर आकर मिलना चाहते हैं। 


"क्या आपके पास समय है?" उन्होंने पूछा। 


मैंने उनसे कहा कि 1 घंटे बाद तो मेरे पास गुजरात से कुछ लोग आने वाले हैं। यदि बहुत अधिक इमरजेंसी हो तो मैं उन्हें मना कर सकता हूँ। यह कह सकता हूँ कि आप शाम का समय ले लें।  


कलेक्टर साहब ने कहा कि इसे इमरजेंसी ही माने और यदि यह संभव है तो आप उनसे कह दे कि वे शाम को आपसे मिल लें।


 1 घंटे बाद जब कलेक्टर साहब घर आये तो उनके हाथ में ढेर सारी रिपोर्ट थे और उन्होंने बताया है कि आज रात एक बजे उत्तरी अमेरिका के एक राजनयिक आपसे मिलने आएंगे। 


ये रिपोर्ट उनके स्वास्थ से संबंधित है। उनकी तबीयत बहुत खराब है। 


आपसे हम उम्मीद करते हैं कि उनके आने की खबर आप किसी को भी नहीं बताएंगे और रात को एक बजे जब वे आएंगे तो किसी भी तरह का शोर-शराबा नहीं करेंगे।


 उन्होंने खुलासा किया कि उत्तरी अमेरिका के राजनयिक पिछले कुछ महीनों से दक्षिण एशिया में तैनात थे और उन पर जानलेवा हमला किया गया है। इस हमले में किसी तरह के रेडिएशन का प्रयोग किया गया है जिससे उनकी हालत बहुत बिगड़ गई है। 


आधुनिक चिकित्सा तो कहती है कि उनका बचना बहुत मुश्किल है। कनाडा के विशेषज्ञों द्वारा आपका नाम लिए जाने पर वहां की सरकार ने राजनयिक महोदय को यहां भेजकर चिकित्सा करवाने की सुविधा उपलब्ध कराई है। 


आप निसंकोच होकर अपनी फीस के बारे में बता सकते हैं। 


मुझे यह भी बताया गया है कि रात को राजनयिक महोदय के साथ एक या दो लोग ही आएंगे। कोई तामझाम नहीं होगा।


 पुलिस की कोई गाड़ी साथ में नहीं होगी। रात का समय इसलिए चुना गया है क्योंकि उस समय पूरा रायपुर सो रहा होता है और सब कुछ सुगमता से हो सकता है। 


उन्होंने बताया कि आपके लिए एक विशेष तरह का प्रोटेक्टिव सूट भेजा जाएगा। इसे पहनकर आप उनसे बात करेंगे। वे भी एक तरह का प्रोटेक्टिव सूट पहने रहेंगे और उसके साथ ही आपसे चर्चा करेंगे।


 मैंने कलेक्टर साहब से कहा कि मुझे रिपोर्ट को पढ़ने में कुछ घंटों का समय लगेगा। उसके बाद ही मैं बता पाऊंगा कि उस समय मुझे किस तरह की तैयारी की आवश्यकता होगी। 


कलेक्टर साहब ने पूछा कि आपके घर में कौन-कौन रहते हैं? मैंने कहा कि मेरे बूढ़े माता-पिता मेरे साथ रहते हैं। 


उन्होंने कहा कि यदि संभव हो तो उन्हें कुछ समय के लिए घर से दूर कर दिया जाए ताकि उनके स्वास्थ्य पर किसी तरह का विपरीत असर न पड़े।


 यदि यह संभव नहीं है तो मैं उनके लिए भी प्रोटेक्टिव सूट का इंतजाम करता हूँ।


 मैंने उन्हें बताया कि अभी माता-पिता घर पर नहीं है। वे मुंबई गए हुए हैं और उन्हें वापस आने में कम से कम 15 दिनों का समय लगेगा। मेरा घर पूरी तरह से खाली है। 


उन्हें यह जानकारी बहुत अच्छी लगी। 


उन्होंने कहा कि दोपहर दो बजे वे एक बार फिर से मुझसे मिलने आएंगे और सारी तैयारियों का जायजा लेंगे। 


जब मैंने उन राजनयिक महोदय की रिपोर्ट पढ़ी तो मुझे लगा कि मामला बहुत अधिक गंभीर है। मैंने कुछ आरंभिक परीक्षण करने का मन बनाया और जड़ी बूटियों को एकत्र करने में लग गया। 


दोपहर में जब कलेक्टर साहब फिर से आये तो मैंने उन्हें बताया कि मुझे राजनयिक महोदय के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाना है और 15 मिनट के बाद देखना है कि उनके शरीर के विभिन्न अंगों में किस प्रकार की प्रतिक्रिया हो रही है।


 उसी के आधार पर मैं बता पाऊंगा कि उनके स्रोत कितने खुले हुए हैं और उनकी कितनी जीवनी शक्ति बाकी है। 


इस आधार पर यह निश्चय हो सकेगा कि उन्हें किस तरह की दवा दी जानी है और उनके बचने की कितनी आशा है।


 इस परीक्षण के बिना मैं कुछ भी नहीं बता पाऊंगा।


 मैंने उन्हें यह भी कहा कि प्रोटेक्टिव सूट के साथ में यह परीक्षण बहुत कठिन होगा क्योंकि मुझे लगातार उनके शरीर के अलग-अलग अंगों को देखना होगा और उनमें हो रही प्रतिक्रियाओं की जांच करनी होगी। 


कलेक्टर साहब ने कहा कि यह तो विकट समस्या है। यदि आप उन अंगों के नाम बता सके तो हम उन अंगों के हिस्से को खोल देंगे ताकि आप वहां प्रतिक्रिया देख सकें। पूरे शरीर को खोल पाना तो संभव नहीं है।


 मैंने कहा कि इससे परीक्षण में कुछ बाधा पहुंचेगी पर परिस्थिति को देखते हुए ऐसा किया जा सकता है। 


उन्होंने कहा कि मुझे उन सभी जड़ी बूटियों के नाम बताने होंगे और उनके सैंपल उनके सुरक्षा अधिकारियों को देने होंगे यह सुनिश्चित करने के लिए ये जड़ी बूटियां किसी तरह से जहरीली तो नहीं है।


 मैंने कहा कि इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है और मैंने जड़ी बूटियों के सैंपल कलेक्टर साहब को दे दिए। 


तय हुआ कि रात को ठीक एक बजे राजनयिक महोदय कुछ लोगों के साथ मुझसे मिलने आएंगे। मुझे स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि इस घटना की जानकारी किसी को नहीं देनी है। उनके लिए चाय का प्रबंध नहीं करना है और न ही नाश्ते का। 


विशेष आवभगत की जरूरत नहीं है। समय बहुत कम है। बस आपको अपना काम करना है। 


जब रात एक बजे राजनयिक महोदय की गाड़ी आई तो मैंने जड़ी बूटियों का घोल तैयार कर लिया था और उनके आते ही मैंने उनके तलवों में जड़ी बूटियों के उस घोल को लगा दिया और उनके शरीर में आने वाली प्रतिक्रियाओं का इंतजार करता रहा। 


राजनयिक महोदय को देखकर ही लगता था कि उनकी हालत बहुत खराब है और मैंने अपने जीवन में इतने गंभीर मरीज बहुत कम ही देखे थे। 


सुबह कलेक्टर साहब के मिलने के तुरंत बाद से ही मैंने विशेष दवाओं का प्रयोग करना शुरू कर दिया था ताकि मैं किसी भी तरह से रेडिएशन के बुरे प्रभाव से बचा रहा हूँ। 


प्रोटेक्टिव सूट अपनी विशेष भूमिका निभा रहा था और शरीर को भी बचाना जरूरी था। परीक्षण ज्यादा आशाजनक नहीं रहा।


 परीक्षण हो जाने के बाद उनके पैर धुलवाए गए। उनको फिर से पूरी तरह से सूट पहना दिया गया। उन्होंने भारतीय मुद्रा में नमस्कार किया और फिर वे गाड़ी में बैठ गए। 


रात एक बजे आसमान में हवाई जहाज की आवाज गूंजती रही। यह मेरे लिए अप्रत्याशित था। मैंने तुरन्त ही कलेक्टर साहब से पूछा कि क्या हवाई जहाज का इस तरह मंडराना इस घटना से संबंधित है तो उन्होंने कहा कि नहीं।


 रात में तो वीआईपी मूवमेंट होता रहता है। यह वैसे ही हवाई जहाज की आवाज है। 


फिर थोड़ी देर बाद बोले कि आपका अनुमान सही है। इस जहाज का इन राजनयिक महोदय की सुरक्षा से विशेष संबंध है।


 कलेक्टर साहब ने कहा कि वे कल मुझसे फिर से संपर्क करेंगे ताकि इन राजनयिक महोदय के लिए जिन दवाओं का सुझाव मैं दूँ उनका प्रबंध कर उन्हें उत्तरी अमेरिका भिजवाया जा सके। 


उस दिन जब कलेक्टर साहब आए तो मैंने उन्हें बताया कि समस्या इतनी अधिक गंभीर है कि मेरे पास कोई विशेष तरह की दवा नहीं है। मैं फंक्शनल फूड का प्रयोग करना चाहता हूँ। 


मैंने उन्हें बताया कि उन्हें राजनयिक के लिए 52 किस्म के देसी चावल भेजने होंगे जिन का प्रयोग लता पलाश की पत्तियों के साथ उन्हें 52 सप्ताह तक करना है।


पर सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि बहुत कम समय में 52 किस्म के इन देसी चावल को इकट्ठा करना टेढ़ी खीर है। 


कलेक्टर साहब ने कहा कि यह बिल्कुल भी मुश्किल काम नहीं है। मैं अभी कृषि अधिकारियों की एक मीटिंग लेता हूँ और स्थानीय विश्वविद्यालय से भी बात करता हूँ। 52 किस्म के देसी चावल मिलने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। 


वे वापस लौट गए। उन्होंने संभवत: सभी अधिकारियों को बुलाकर इन चावलों की बारे में जानकारी मांगी और शाम तक उनका निराशा भरा फोन आया कि इनमें से एक भी किस्म के चावल के बारे में स्थानीय अधिकारियों को किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। विश्वविद्यालय के पास भी यह जानकारी नहीं है। 


मैंने उनसे कहा कि आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। 


आप यदि मेरी यात्रा का प्रबंध करें तो मैं 7 दिनों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में जाना चाहता हूँ। जहां से मैं इन 52 किस्म के देसी चावल को किसानों और पारम्परिक चिकित्सकों से एकत्र कर सकूं। इनका एक ही स्थान पर मिलना बहुत मुश्किल है। 


जिन पारंपरिक चिकित्सक से मुझे इन 52 प्रकार के देसी चावलों के बारे में जानकारी मिली है वे अब इस दुनिया में नहीं है अन्यथा उनके पास ही एक ही स्थान पर इन सभी की उपलब्धता हो जाती। 


कलेक्टर साहब ने यात्रा का प्रबंध कर दिया और यह सूचित किया कि लता पलाश की पहचान हो गई है और लता पलाश की पत्तियों को उत्तरी अमेरिका भेजने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। 


उन्होंने यह भी बताया कि उत्तरी अमेरिका के राजनयिक महोदय के जो चिकित्सक उनके साथ भारत आए हैं वे फोन पर मुझसे बात करेंगे और इस विशेष चिकित्सा के बारे में चर्चा करेंगे। 


उनसे बहुत देर तक चर्चा होती रही और अंततः उनके चिकित्सक पूरी तरह से संतुष्ट हो गए। किसी तरह के ड्रग इंटरेक्शन की गुंजाइश नहीं थी क्योंकि उन्हें किसी भी तरह की दवा नहीं दी जा रही थी। 


उनके चिकित्सक हाथ खड़ा कर चुके थे और उनको लगता था कि राजनयिक महोदय कुछ हफ्तों के मेहमान है। 


52 किस्म के देसी चावल के उपयोग का ज्ञान मुझे एक पारंपरिक चिकित्सक के पिता से मिला था जिनके बारे में कहा जाता था कि नागासाकी में जो बम गिराया गया था उससे प्रभावित कुछ लोगों ने भारत आकर जब उनसे संपर्क किया था तब उनके शरीर में होने वाली समस्याओं को उन पारंपरिक चिकित्सक ने इन्हीं 52 किस्म के चावलों की सहायता से ठीक किया था।


 इस दुनिया से जाते वक्त उन्होंने अपना पूरा ज्ञान अपने बेटे को दिया था जिनसे यह गुप्त ज्ञान मुझे मिला था। मैंने अपने डेटाबेस में इस ज्ञान को उसके मूल रूप में ही संरक्षित कर लिया था पर मुझे इसके इस्तेमाल की जरूरत कभी नहीं पड़ी थी। 


मुझे लगता था कि अगर कोई ऐसा केस मेरे पास आएगा तो मैं उसे तुरंत ही पारंपरिक चिकित्सक के बेटे के पास भेज दूंगा और मुझे विशेष प्रयास करने की जरूरत नहीं होगी पर मुझे यह मालूम था कि यह विशेष ज्ञान है और कभी न कभी दुनिया को इसकी जरूरत पड़ेगी।


 मेरी यात्रा के 2 दिनों के अंदर ही मुझे 10 प्रकार के देसी चावल मिल गए पर शेष 42 प्रकार के देसी चावल को ढूंढने में 2 महीनों का समय लग गया इसलिए हमने 10 प्रकार के देसी चावल 10 हफ्तों के लिए पहले उनके पास भेज दिए और उनसे अनुरोध किया कि किसी भी प्रकार का सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ने पर वे तुरंत मुझे सूचित करें ताकि आगे की चिकित्सा की दिशा तय हो सके।


 52 हफ्तों के उपचार के खत्म होने तक उनकी स्थिति में काफी सुधार हो गया था इसलिए यह तय किया गया कि अब 2 महीनों तक किसी भी प्रकार के चावल का उपयोग नहीं किया जाए।


 उसके बाद फिर से 52 हफ्तों तक इन्हीं चावलों को इसी क्रम में उपयोग किया जाए। 


जब 2 महीनों तक किसी भी प्रकार का देसी चावल उन्हें नहीं दिया गया तो उनका शरीर अपने बूते पर समस्या से लड़ता रहा। 2 महीने बाद जब 52 हफ्तों के लिए फिर से चावल का प्रयोग शुरू हुआ तो शरीर में एक नई तरह की ऊर्जा दिखी जिसने इस समस्या का पूरी तरह से समाधान कर दिया। 


इसके बाद मैंने उनके लिए 84 हफ्तों के लिए दूसरे किस्म के देसी चावल का प्रबंध किया। इस तरह वे दीर्घकालीन चिकित्सा से पूरी तरह से दुरुस्त हो गए और अपनी सरकार को फिर से अपनी सेवाएं देने लगे। 


मुझे कहा गया कि इस पूरे मामले को गोपनीय ही रखा जाए। उन्होंने मेरी फीस दी पर कहा कि वे सार्वजनिक तौर पर मेरा सम्मान नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह बहुत ही अधिक गोपनीय मामला है। 


उन्होंने अपनी सूची में मेरा नाम शामिल कर लिया और कहा कि भविष्य में जब भी ऐसा कोई केस आएगा तो हम बिना किसी देरी के आपसे संपर्क करेंगे। 


यह घटना 10 से 12 वर्ष पुरानी है।


 आज इस कोरोनावायरस काल में वे राजनयिक महोदय पूरी तरह से तंदुरुस्त हैं और मजाक में मुझसे कहते रहते हैं कि मुझे इस कोरोना काल में विशेष भूमिका निभानी थी इसलिए आपने मुझे नया जीवन दिया।


 यह सच भी है कि उन्हें इस समय तक जीवित रहना था क्योंकि इस कठिन समय में वे अपने देश के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और अपने देश को इस महामारी से पूरी तरह से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। 


शांत बैठकर इस पूरी घटना को समझने में इसी बात का एहसास होता है कि यह एक तरह की अद्भुत घटना थी जिसमें माध्यम की तरह मुझे अहम भूमिका निभाने का अवसर मिला।


सर्वाधिकार सुरक्षित

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