Consultation in Corona Period-138
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"अमेरिका में जब मैंने अपने शरीर की पूरी जांच करवाई तो उन्हें वे 11 रेड लाइन symptoms मिले जिनके आधार पर मुझे बताया गया कि यह Lupus ही है।
11 लक्षणों के लिए मैं अलग-अलग प्रकार की दवाओं का प्रयोग लंबे समय से कर रहा था और Lupus से लड़ते हुए मुझे 5 साल से अधिक का समय हो गया।
आप यह समझ जायें कि 11 लक्षणों के लिए मैं 33 से अधिक दवाओं का प्रयोग करता रहा और तरह-तरह की भोजन सामग्रियां भी लेता रहा।
जिसने जो बताया मैंने उसका प्रयोग किया। मैंने चीनी औषधियों का प्रयोग किया। भारतीय औषधियों को तो मैं बहुत पहले से ले ही रहा था पर एक मर्ज ठीक होता था तो दूसरा मर्ज पकड़ लेता था इसलिए मैंने निश्चय किया कि पहले मैं लंदन जाकर अपनी पूरी जांच करा लूंगा और उनसे बीमारी का नाम जानने की कोशिश करूंगा ताकि उसके बाद फिर मैं पूरी तरह से उस बीमारी का सही इलाज करवा सकूं।
क्योंकि मैं खुद एक डॉक्टर हूं इसलिए मैंने बहुत अधिक दवाओं का प्रयोग न करने का निर्णय लिया। जब लंदन के चिकित्सक कुछ खास नहीं बता पाये और उन्होंने भी कई तरह की दवाएं दे दी तब मैंने अमेरिका का रुख किया।
वहाँ एक वरिष्ठ चिकित्सक से मिला जिन्होंने मुझसे बात करते ही मुझे बता दिया कि यह ऑटोइम्यून डिजीज है और इसका कोई इलाज नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं जो भी उपाय अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों के कर रहा हूं बस वही एक रास्ता है जिससे इस रोग को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
दुनिया भर में इस पर रिसर्च हो रहे हैं पर इसका पूरी तरह से इलाज अभी तक नहीं जाना जा सका है। आपको याद होगा कि मैं सबसे पहले आपसे 2005 में कोलकाता में मिला था जहां आप एक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में अतिथि व्याख्यान देने आए थे।
उसके बाद मैंने अपनी पत्नी की चिकित्सा के लिए आपसे संपर्क किया था और आपके आमंत्रण पर हम आर्मेनिया से रायपुर भी आए थे। मुझे उम्मीद है कि आपने मुझे पहचान लिया होगा।
मैं आपको अपने मित्र की तरह मानता हूं।
ऑटोइम्यून डिजीज पर आपका गहन शोध है और आपने कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इसी से प्रेरित होकर मैंने अमेरिकी डॉक्टर से मिलने के बाद आप से मिलने का मन बनाया।
यह सोच कर कि हो सकता है कि आपके पास इस लाइलाज रोग का कोई समाधान हो।" आर्मेनिया के मेरे डॉक्टर मित्र ने जब मुझे यह संदेश भेजा तो मुझे उनकी हालत बहुत अधिक चिंताजनक लगी।
मैंने उन्हें बताया कि मैं ड्रग इंटरेक्शन पर कार्य कर रहा हूं। आप इतनी सारी दवाई ले रहे हैं तो मैं आपको यह बता सकता हूं कि कहीं आपकी इस हालत और समस्याओं का कारण ये दवाइयां तो नहीं है या इनके बीच होने वाली आपसी प्रतिक्रिया तो नहीं है।
Lupus की चिकित्सा भारत के पारंपरिक चिकित्सक करते हैं पर वे इस बीमारी को दूसरे नाम से पुकारते हैं। उनकी डिक्शनरी में Lupus शब्द नहीं है।
वे मानते हैं कि लंबे समय तक इसका उपचार करने से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। मैंने इस पारंपरिक ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन किया है पर अभी इस ज्ञान को ऑनलाइन नहीं किया है।
उन्होंने मेरा धन्यवाद दिया और कहा कि अभी इस कोरोनावायरस के समय भारत आकर लंबे समय तक इलाज कराना संभव नहीं है।
वे मुझसे उम्मीद कर रहे थे कि मैं उन्हें कुछ दुर्लभ जड़ी बूटियों के बारे में बताऊंगा जिसका प्रयोग वे अपने इस लाइलाज रोग की चिकित्सा में करेंगे।
मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि वे मुझसे दवा की उम्मीद न करें। समाधान की उम्मीद कर सकते हैं।
वे इस बात के लिए तैयार हो गए।
उन्होंने बताया कि वे भारतीय औषधियों में त्रिफला का प्रयोग कर रहे हैं। त्रिफला का प्रयोग वे दूध के साथ करते हैं। उनके द्वारा प्रयोग किए जा रहे त्रिफला में सभी घटकों को बराबर मात्रा में डाला गया है।
वे एक वैद्य के माध्यम से त्रिफला का उपयोग कर रहे हैं। उन्हें ब्रांडेड उत्पादों में जरा भी भरोसा नहीं है। उनके वैद्य सभी घटकों को बाजार से खरीद लेते हैं फिर वे उसे आपस में बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं। इस चूर्ण का उपयोग मेरे डॉक्टर मित्र कर रहे थे।
एक दूसरे वैद्य से वे च्यवनप्राश लेकर उपयोग कर रहे थे। हिमाचल के तीसरे वैद्य से उन्होंने अश्वगंधा पर आधारित एक नुस्खा लिया था जो कि उनको इस रोग के कारण होने वाले जोड़ों के भयंकर दर्द से मुक्ति दिलाता था।
नर्वस सिस्टम की तकलीफों को दूर करने के लिए वे क्रौंच पर आधारित एक नुस्खा ले रहे थे। उन्होंने बताया कि यह नुस्खा उन्हें लंदन के एक भारतीय चिकित्सक दे रहे हैं जो कि आयुर्वेद में विश्वास करते हैं।
हृदय और श्वांस लेने की लगातार होने वाली समस्या के लिए वे चीनी औषधियों का प्रयोग कर रहे थे। इनमें कीड़ा जड़ी का प्रयोग मुख्य रूप से उनके द्वारा किया जा रहा था।
उन्हें पूरे शरीर में जो लाल चकत्ते हो रहे थे उसके लिए वे मेक्सिको के एक डॉक्टर से चिकित्सा ले रहे थे। ये डॉक्टर पारंपरिक चिकित्सा में माहिर थे और मैक्सिकन जड़ी बूटियों का प्रयोग करते थे।
वे मलेशिया की कई प्रकार की हर्बल चाय का उपयोग कर रहे थे जिसके बारे में दावा किया जाता रहा है कि ये Lupus के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
साथ ही थाईलैंड और बर्मा के कुछ जंगली फलों का उपयोग कर रहे थे जिसके बारे में उन्हें उन देशों के पारंपरिक चिकित्सकों ने बताया था।
उनकी पेशाब में प्रोटीन की मात्रा आवश्यकता से अधिक थी। इसके लिए वे आधुनिक दवा का प्रयोग कर रहे थे।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर का प्रॉब्लम है। इसके लिए उन्हें एक आधुनिक दवा लगातार लेनी पड़ती है। हाई ब्लड प्रेशर के लिए वे नेपाल के एक वैद्य से 5 तरह के वृक्षों से निकाली गई गोंद पर आधारित एक नुस्खे का प्रयोग भी कर रहे थे।
नई उर्जा के लिए वे रिशी मशरूम का प्रयोग कर रहे थे। खाने में उन्होंने तेल का उपयोग पूरी तरह से रोक दिया था और घी का उपयोग करते थे।
दूध से उन्होंने पूरी तरह से परहेज रखा हुआ था। उन्हें ऑर्गेनिक भोजन पर विश्वास था। वे नियमित रूप से व्यायाम करते थे और चिंता से बचने की कोशिश करते थे।
उन्हें नेचुरोपैथी पर बहुत विश्वास था और इस चिकित्सा पद्धति की सहायता से वे अपने पेट को हमेशा साफ रखते थे। इतनी सब सावधानी और दवाओं के बाद भी उनको Lupus रोग होना समझ में नहीं आ रहा था।
अमेरिकी डॉक्टर से मिलने के बाद वे इसलिए बहुत निराश थे क्योंकि उन्हें अपने रोग का नाम पता चल गया था पर यह भी पता चल गया था कि इसका किसी तरह से इलाज नहीं है। वे अपने आप को बहुत असहाय महसूस कर रहे थे।
मैंने उनकी सारी रिपोर्ट देखी और उनकी दवाओं के बीच होने वाली आपसी प्रतिक्रिया के बारे में अपने डेटाबेस को खंगाला। कुछ सूत्र हाथ लगे।
मैंने उनसे कहा कि वह ध्यान से सोच कर बताएं कि 5 साल पहले जब इस समस्या की शुरुआत होनी शुरू हुई थी तब से आप किन दवाओं का लगातार प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने उन दवाओं की सूची जब मेरे पास भेजी तो स्थिति स्पष्ट होने लगी।
मैंने उनसे कहा कि आप 20 दिनों तक नेपाल के वैद्य द्वारा दिए जा रहे वृक्षों की गोंद पर आधारित फार्मूले का प्रयोग करना रोक दें और फिर मुझे बताएं कि क्या स्थिति में किसी भी तरह का सुधार हुआ है या नहीं?
20 दिनों के बाद उन्होंने बताया कि उनकी स्थिति में काफी सुधार हो गया है। पर स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है।
उसके बाद मैंने उनसे कहा कि आप नेपाल के फार्मूले का प्रयोग फिर से शुरू कर दें पर इस बार आप हाई ब्लड प्रेशर की जो दवा ले रहे हैं उसे अपने चिकित्सक से कहकर बदलवा लें और फिर 20 दिनों के बाद मुझे फिर से बताएं।
अगली बार जब उन्होंने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि जैसे नेपाल के फार्मूले का प्रयोग बंद करने से लाभ हुआ था वैसे ही इस हाई ब्लड प्रेशर की दवा को बंद करने से लाभ हुआ पर दोनों में अगर तुलना की जाए तो अभी होने वाला लाभ अधिक है।
5 सालों के बाद में पहली बार बहुत अधिक सुकून महसूस कर रहा हूं।
यह एक अच्छी खबर थी। मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि आप हाई ब्लड प्रेशर के लिए Hydralazine नामक दवा का प्रयोग कर रहे हैं। उसके प्रयोग से बहुत से मामलों में Lupus जैसे लक्षण आने लग जाते हैं। इस दवा का प्रयोग बहुत संभाल कर किया जाता है और जब इस दवा को दिया जाता है तो चिकित्सक साफ शब्दों में उन भोजन सामग्रियों की या उन दवाओं की सूची मांग लेते हैं जिसका प्रयोग मरीज कर रहा होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी इस दवा का किसी दूसरी दवा से किसी भी प्रकार से रिएक्शन तो नहीं होगा।
सम्भवतः आपके आर्मेनिया के डॉक्टर मित्रों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया होगा।
इसी तरह नेपाल के वैद्य जिस दवा का प्रयोग करते हैं उसके के बारे में मैं 1990 से जानता हूं। इस नुस्खे का प्रयोग करने से भी बहुत से मरीजों में Lupus जैसे लक्षण आ जाते हैं।
मैंने नेपाल के उन वैद्य को बार-बार कहा कि आप इस फार्मूले में सुधार करें ताकि ऐसे लक्षण किसी को न आए। क्योंकि जब ऐसे लक्षण आते हैं तो मरीज सोचता है कि वे किसी दूसरे कारण से आए हैं न कि वृक्षों की गोंद से तैयार किए गए फार्मूले के कारण।
वह इस फार्मूले का प्रयोग लंबे समय तक करता रहता है और बेकार ही नर्क तुल्य कष्ट भोगता रहता है।
इस तरह दो तरह की दवाएं आपको लगातार लेनी पड़ रही थी अपनी विभिन्न समस्याओं के लिए और ये दोनों ही दवाएं अकेले-अकेले Lupus जैसे लक्षण पैदा करने के लिए बदनाम है।
दुर्भाग्य से इन दोनों दवाओं की आपस में भी घातक प्रतिक्रिया होती है और Lupus जैसे लक्षण बहुत अधिक बढ़ जाते हैं।
मुझे लगता है कि आपको Lupus तो है पर यह दवाइयों के कारण होने वाला Lupus है और यदि आप इन दोनों दवाओं का प्रयोग रोक देंगे तो आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे।
यानी कि आपके Lupus जैसे लक्षणों का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। वे एक नए उत्साह से भर गए और उन्होंने जल्दी इन दोनों दवाओं का प्रयोग करना रोक दिया।
उन्हें पूरी तरह से उबरने में कई महीनों का समय लगा। इसके बाद वे फिर से अमेरिकी डॉक्टर से मिलने गए।
डॉक्टर मित्र ने बताया कि अब उन्हें Lupus की समस्या नहीं है।
उन्हें इस बात का आश्चर्य हुआ कि आखिर कौन सी दवा से ये लक्षण पूरी तरह से खत्म हो गए?
मुझसे अनुमति लेकर जब मेरे डॉक्टर मित्र ने अमेरिकी चिकित्सक को सारा राज बताया तो उन्हें भी बहुत आश्चर्य हुआ।
उन्होंने मुझसे सीधे बात करने की इच्छा जताई और जब हमारी बात हुई तो उन्होंने अनुरोध किया कि उनके पास Lupus के ढेरों केस हैं।
यदि आप धीरे-धीरे इनका समाधान कर सके तो इन रोगियों के जीवन में बहुत सुधार आ सकता है।
मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी पूरी सहायता करूंगा।
आप एक-एक करके मुझे उन केसों को भेजते जाएं। उन्होंने धन्यवाद दिया।
इस तरह भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान के माध्यम से एक और लाइलाज माने जाने वाले रोग की चिकित्सा हुई बिना किसी दवा के और एक बड़ी सफलता मिली।
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