Consultation in Corona Period-118
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"पिछले 15 सालों से लगातार फिजियोथैरेपी चल रही है, दवाई चल रही है पर फिर भी पिताजी के Frozen Shoulder में किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं हो रहा है।
हम उन्हें इस समस्या का समाधान खोजने के लिए अमेरिका लेकर गए। उसके बाद पूरे यूरोप की यात्रा की और आखिर में ऑस्ट्रेलिया भी गए पर सभी चिकित्सकों ने कहा कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं है और उन्हें इसके साथ ही जीना होगा।
सारी जगहों से निराश होने के बाद भी हमने प्रयास करना नहीं छोड़ा। 2 वर्ष पूर्व हम बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक के पास गए तो उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि यह अंग विशेष की समस्या नहीं है बल्कि पूरे शरीर की समस्या है इसलिए अंग विशेष की विशेष देखभाल करने से इसका समाधान नहीं होगा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि फ्रोजन शोल्डर का नियंत्रण दिमाग करता है और यदि दिमाग को तंदुरुस्त कर दिया जाए तो और दूसरी समस्याओं के साथ इस समस्या का भी समाधान मिल सकता है।
उन्होंने बड़ी गहरी बात की थी। यह बात हमें किसी चिकित्सक ने नहीं कहीं। मैं एक बार फिर से कहना चाहूंगा कि दुनिया भर के किसी चिकित्सक ने नहीं।
सब यही कोशिश करते रहे कि कैसे भी प्रभावित कंधे में किसी तरह का मूवमेंट आ जाए। इसके लिए वे तेल का इस्तेमाल करते रहे। फिजियोथेरेपी की विभिन्न विधियों का प्रयोग करते रहे।
कुछ चिकित्सकों ने कहा कि सुन्न कर देने वाली दवा का प्रयोग करके कंधों को फिर से अपनी वास्तविक स्थिति में ले आया जाए पर किसी ने यह नहीं कहा कि इसका संबंध दिमाग से है।
पारंपरिक चिकित्सक की बात सुनकर हमें यह महसूस हुआ कि हमें शुरू से ही उनकी चिकित्सा लेनी चाहिए थी। खैर, हमने देर न करते हुए उनसे चिकित्सा शुरू की।
शुरू में तो किसी भी तरह का फायदा नहीं दिखाई दिया। धीरे-धीरे पिताजी की स्थिति में सुधार होने लगा पर यह सुधार एक सीमा तक आकर रुक गया।
इस बीच हमने इंटरनेट पर आपके बारे में पढ़ा और आपके Frozen Shoulder पर लिखे गए लेखों को जाना।
आपने अपने लेखों में वही बात कही थी जो कि पारंपरिक चिकित्सक कह रहे थे इसलिए हमने फैसला किया है कि हम आपसे मिलेंगे और इस बारे में अपने द्वारा किए गए प्रयासों की विस्तार से चर्चा करेंगे।"
मुंबई के एक सज्जन का जब यह संदेश मेरे पास आया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
जब मैंने उनकी सारी रिपोर्ट पढ़ी तो उन्हें बहुत धन्यवाद दिया जो उन्होंने अपने पिताजी के लिए किया।
आज के जमाने में कम ही लोग ऐसा करते हैं।
मैंने उनसे पूछा कि वे बस्तर के किस पारंपरिक चिकित्सक से चिकित्सा करवा रहे हैं?
जब उन्होंने उस पारंपरिक चिकित्सक का नाम बताया तो मैंने कहा कि मैं उन पारंपरिक चिकित्सक के पिता जी को जानता हूं और उनके साथ मैंने कई वर्ष बिताए हैं। मैंने उनके पारंपरिक ज्ञान का विस्तार से दस्तावेजीकरण किया है।
जब मैंने उन पारंपरिक चिकित्सक से बात की तो उन्होंने बताया कि वे बला नामक वनस्पति पर आधारित एक फार्मूले का प्रयोग कर रहे हैं जो कि इस समस्या में विशेष रूप से उपयोगी है।
उन्होंने मुझे पहचानते हुए फार्मूले के बारे में विस्तार से बताया। जब मैंने उनसे अनुरोध किया कि क्या मैं इसमें कुछ सुधार का सुझाव सकता हूं तो वे एकदम तैयार हो गए।
उन्होंने याद करते हुए कहा कि जब मैं छोटा था तब आप अक्सर पिताजी से मिलने आया करते थे और हमारे लिए ढेर सारी चॉकलेट लेकर आते थे। उस समय आप बहुत ज्यादा मोटे हुआ करते थे। अब तो आपकी काया ही पूरी तरह से बदल गई है।
मैंने उन पारंपरिक चिकित्सक से कहा कि आपके पिताजी का एक फार्मूला मेरे डेटाबेस में है। उसमें बला के साथ में बलराज नामक वनस्पति का प्रयोग किया जाता था।
आपके पिताजी Frozen Shoulder की चिकित्सा में विशेष रूप से पारंगत माने जाते थे और उनके पास दुनियाभर के प्रभावित आया करते थे।
दुनियाभर के बहुत से चिकित्सक भी मरीज का रूप लेकर इस उम्मीद में आपके पिताजी के पास आ जाया करते थे कि उनसे किसी भी प्रकार से वह गुप्त फार्मूला निकलवा सके पर आपके पिताजी बहुत सतर्क रहते थे।
उन्होंने कभी भी अपने फार्मूले के बारे में किसी भी विदेशी को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी।
पारंपरिक चिकित्सक ने बताया कि यह फार्मूला उन्होंने उन्हें भी नहीं बताया और बिना किसी को बताए इस संसार से विदा हो गए। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि यह फार्मूला मेरे डेटाबेस में मूल रूप में सुरक्षित है।
क्योंकि यह फार्मूला उनके परिवार की अमानत थी इसलिए मैंने तुरंत ही इसे उनके बेटे को दे दिया।
पारंपरिक चिकित्सक ने धन्यवाद किया और फिर मेरे पास आए सज्जन के पिताजी की का उपचार करना शुरू किया। यह फार्मूला बेहद कारगर था और इससे सज्जन के पिताजी को तेजी से लाभ होने लगा।
कुछ महीनों बाद जब उन्होंने फिर से मुझसे मिलने की योजना बनाई तो मैंने उनसे कहा कि इस बार जब आप आएं तो पारंपरिक चिकित्सक को भी अपने साथ लेकर आ जाएं ताकि मैं उनके फार्मूले को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उचित सलाह दे सकूं।
जब पारंपरिक चिकित्सक मेरे घर पधारे तो मैंने उनसे कहा कि आप इस फार्मूले में बलराज के साथ में तेजराज का भी प्रयोग करें। इससे यह फार्मूला बहुत अधिक प्रभावी हो जाएगा और सज्जन के पिताजी के ठीक होने की रफ्तार बढ़ जाएगी।
पारंपरिक चिकित्सक ने कहा कि पहले उनके इलाके में तेजराज मिलता था पर अब व्यापारियों द्वारा इसे एकत्र किए जाने के कारण यह बहुत दुर्लभ हो गया है।
उन्होंने मजबूरी बताई कि वे अपना रोज का काम छोड़कर दूर जंगल में इसे एकत्र करने नहीं जा सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
मेरे परिचित के एक पारंपरिक चिकित्सक उन स्थानों के बारे में जानकारी रखते हैं जहां यह वनस्पति बहुतायत में उगती है। मैं उनसे कहूंगा कि आप अपने किसी चेले को बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक के पास भेज दें।
मुझे विश्वास है कि वे इस बात के लिए तुरंत तैयार हो जाएंगे।
फार्मूले में तेजराज के जुड़ जाने के बाद यह फार्मूला और अधिक मजबूत हो गया। सज्जन के पिताजी पूरी तरह से ठीक होने लगे।
कुछ महीनों बाद उन्होंने फोन करके बताया कि अब पारंपरिक चिकित्सक ने दवा को पूरी तरह से बंद कर दिया है और पिताजी की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो गया है। यह एक अच्छी खबर थी।
मैंने उनसे कहा कि जब पारंपरिक चिकित्सा में इस फार्मूले का उपयोग बंद कर दिया जाता है तो कुछ वर्षों में यह संभावना होती है कि यह समस्या फिर से उभर जाए।
इसलिए इस फार्मूले का उपयोग बंद करने के बाद लंबे समय तक वरुण मूसली नामक एक वनस्पति का प्रयोग करने की परंपरा है।
तेजराज की तरह यह भी एक दुर्लभ वनस्पति है। मैं आपके पारंपरिक चिकित्सक से कहूंगा कि वे इसका प्रयोग आपके पिताजी के ऊपर करें।
जब मैंने बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी वरुण मूसली का नाम नहीं सुना है।
उन्होंने पूछा कि क्या इसके स्थान पर सफेद मूसली का प्रयोग किया जा सकता है तो मैंने उन्हें बताया कि वरुण मूसली सफेद मूसली से कई हजार गुना अधिक प्रभावी मानी जाती है।
मैंने उन्हें यह भी बताया कि उड़ीसा के कई पारंपरिक चिकित्सकों ने इस दुर्लभ वनस्पति को संरक्षित करके रखा हुआ है।
इसके बाद मैंने उन पारंपरिक चिकित्सकों की सहायता से उड़ीसा के जंगलों से उस दुर्लभ वनस्पति को एकत्र किया और उसे अपने सहायकों की सहायता से बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक तक पहुंचा दिया।
इस तरह लंबे संघर्ष के बाद सज्जन के पिताजी की समस्या पूरी तरह से ठीक हो गई।
उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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