Consultation in Corona Period-123

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"आपको याद होगा हम सात मित्रों ने आप से 10 साल पहले परामर्श का समय लिया था। 


हम सभी को हार्ट ब्लॉकेज की समस्या थी। हम एक धार्मिक संस्थान से जुड़े हुए थे और वहां के धर्मगुरु ने हमसे कहा कि रायपुर में एक वैज्ञानिक हैं जो कि देश के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डाक्यूमेंटेशन कर रहे हैं और आप सब लोगों को एक बार ऑपरेशन से पहले उनसे जाकर मिलना चाहिए। 


गुरुजी की सलाह पर हम सब आपसे मिलने रायपुर आए थे। आपने हमें बताया कि आप चिकित्सक नहीं है और आप किसी तरह की दवा नहीं देते हैं।


 आपने बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक के पास हम सब को भेजा था। आप अक्सर अपने लेख में लिखा करते थे कि ये पारंपरिक चिकित्सक किसी भी प्रकार से फीस नहीं लेते हैं और यह बहुत ही सस्ती चिकित्सा पद्धति है पर जब हम बस्तर पहुंचे तो पारम्परिक चिकित्सक ने हमसे बहुत अधिक पैसे मांगे और कहा कि महीने में एक दिन आपको आना पड़ेगा दवा लेने के लिए। 


मैं आपको शहर ले जाने के लिए दवा नहीं दे सकता। 


यह हम सब के लिए कठिन बात थी पर उन्होंने बड़े दावे से कहा कि यदि उनकी दवाओं का 6 महीने तक प्रयोग किया जाए तो इस ऑपरेशन को हमेशा के लिए टाला जा सकता है। 


यद्यपि उनकी फीस बहुत अधिक थी पर इतनी भी अधिक नहीं थी कि हम उसे नहीं दे पाते इसलिए हम सब ने फैसला किया कि हम में से एक व्यक्ति चिकित्सक से मिलने आता रहेगा और सब के लिए दवा ले जाता रहेगा।


 कुछ समय तक यह क्रम चलता रहा फिर सभी अपने कार्यों में व्यस्त हो गए। मेरे मित्रों ने तो बड़ी नियमितता का पालन करते हुए 6 महीने तक लगातार बिना किसी व्यवधान के पारंपरिक चिकित्सक से दवा ली। 


मैंने थोड़ी सी चतुराई का परिचय दिया और दो बार आने के बाद तीसरी बार मैंने पारंपरिक चिकित्सक के सहायक को कुछ पैसे दिए और पूछा कि पारंपरिक चिकित्सक कौन सी दवा देते हैं?


 उसने बताया कि पारंपरिक चिकित्सक दो तरह के मेडिसिनल राइस का प्रयोग करते हैं और इसके साथ में त्रिफला का प्रयोग करते हैं। 


बस फिर क्या था मैंने शहर जाकर मेडिसिनल राइस के नाम पर एक राइस खरीद लिया और उसके साथ एक प्रसिद्ध कंपनी के त्रिफला का प्रयोग करने लगा। 


यह मेरा दुर्भाग्य ही था कि मेरी दो बार बायपास सर्जरी हुई और अब तीसरी बाईपास सर्जरी की तैयारी है। मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूँ। 


मेरे सभी मित्रजनों ने उन पारंपरिक चिकित्सक से दवा ली। वे अभी तक किसी भी ऑपरेशन से पूरी तरह से बचे हुए हैं। 


इसका अर्थ यही था कि पारंपरिक चिकित्सक के सहायक ने जो जानकारी मुझे दी थी वह सही नहीं थी। 


जरा सी मेहनत से बचने के लिए मैंने उसकी बात मान ली और उसका परिणाम मैं अब झेल रहा हूँ। अभी के कठिन समय में जब मैंने फिर से उन पारंपरिक चिकित्सक से संपर्क किया तो मुझे पता चला कि वे दुनिया में नहीं है।


उनके बेटे ने बताया कि रायपुर में पंकज अवधिया है जिन्होंने उनके ज्ञान के बारे में विस्तार से लिखा है। आप उनसे जाकर मिले।


 मैं तो आपको पहले से जानता हूँ। इसलिए मैंने बिना देरी किए आपसे मिलने की योजना बनाई और आनन-फानन में सीधे ही रायपुर आ गया। अब आपसे मदद की उम्मीद है।" 


 मुंबई से आए एक युवक की बातें सुनकर मैंने उससे कहा कि मैं उसकी मदद करूंगा।


 उसकी सारी रिपोर्ट पढ़ने के बाद मुझे लगा कि उसकी हालत ठीक नहीं है। मैंने उसे विस्तार से बताया कि पारंपरिक चिकित्सक जिन दो मेडिसिनल राइस का प्रयोग करते हैं वे दुर्लभ है। 


देश भर में कहीं इसकी खेती नहीं होती है। पारंपरिक चिकित्सक को पूर्वजों से ये धान मिले हैं और लगातार वे इसकी खेती करते हैं। 


खेती का उद्देश्य यही है कि वे इस धान का अपनी चिकित्सा में प्रयोग कर सकें। पूरी दुनिया में हजारों की संख्या में मेडिसिनल राइस हैं पर एक भी राइस दूसरे राइस से औषधीय गुणों में मिलता जुलता नहीं है। 


सबकी अपनी अनोखे मेडिसिनल गुण है और यह एक सागर की तरह है जिसके बारे में दुनिया बहुत कम जानती है। 


यदि आपको कोई मेडिसिनल राइस का प्रयोग करने को कहे और आप कहीं कोई दूसरा मेडिसनल राइस लेकर आ जाएं और कहे कि हमने मेडिसनल राइस का तो प्रयोग किया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ तो यह सही तरीका नहीं है। गलती आपकी ही मानी जाएगी।


 हमारे देश के पारंपरिक चिकित्सक त्रिफला को अलग- अलग तरीके से बनाते हैं। यदि आप व्यवसायिक आयुर्वेद की बात करें तो वहां जो त्रिफला उपलब्ध होता है उसमें हर्रा, बहेड़ा और आँवला को बराबर मात्रा में प्रयोग किया जाता है पर देश की पारंपरिक चिकित्सा में इन घटकों को 3:2:1 के अनुपात में उपयोग किया जाता है। 


3 भाग आँवला भी हो सकता है, हर्रा भी और बहेड़ा भी। फिर पारंपरिक चिकित्सक इन तीनों घटकों को बहुत पुराने जाने पहचाने वृक्षों से एकत्र करते हैं। 


एकत्र करने से पहले 1 महीने तक वे विशेष औषधीय सत्वों से वृक्षों को सिंचित करते रहते हैं ताकि उनके औषधीय गुणों में विशेष रूप से वृद्धि हो जाए। 


वे जमीन में पड़े हुए फलों को एकत्रित नहीं करते हैं बल्कि पेड़ से एक लकड़ी के यंत्र की सहायता से फलों को एकत्रित करते हैं ताकि फलों की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार से कमी न आए। 


व्यवसायिक आयुर्वेद में ऐसा नहीं होता है। न तो वे स्वस्थ वृक्षों से घटकों को एकत्र करते हैं और न ही इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जमीन में गिरे हुए फलों को एकत्रित नहीं करना है। 


व्यवसायिक आयुर्वेद में यह संभव भी नहीं है पर जब पारंपरिक चिकित्सक अपनी दवा के लिए इन घटकों को एकत्र करते हैं तो पूरी सावधानी बरतते हैं और यही कारण है कि पारंपरिक चिकित्सकों की वही दवा जादू की तरह असर करती है जो कि बाजार में मिलने वाली उन्हीं घटकों वाली दवा के समान होती है।


 आपको भले ही उनके सहायक ने कहा कि वे त्रिफला का प्रयोग करते हैं पर मैं आपको बताना चाहता हूँ कि वे त्रिफला का प्रयोग नहीं करते हैं।


 वे एक विशेष प्रकार के फार्मूले का उपयोग करते हैं जिसमें 400 से अधिक प्रकार की जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है। यह एक जटिल फार्मूला है और इसे बनाने में कई वर्षों का समय लग जाता है। 


वे जिन जड़ी बूटियों का प्रयोग करते हैं वे सभी छत्तीसगढ़ में नहीं मिलती हैं। उन्हें बहुत सारी जड़ी बूटियों के लिए हिमालय पर निर्भर रहना पड़ता है।


 वे हिमालय जाकर इन्हें एकत्र नहीं करते हैं बल्कि हिमालय से आने वाले जड़ी-बूटी विक्रेता से इन्हें खरीदते हैं जिससे कि यह फार्मूला बहुत ज्यादा महंगा हो जाता है। 


इस फार्मूले की लागत ही आपसे वसूली जाती है। पारंपरिक चिकित्सक अपना पारिश्रमिक नहीं लेते हैं। आप यदि अपनी इच्छा से उन्हें कुछ देना चाहे तो वे अवश्य इसे ले लेते हैं।


 बहुत साल पहले लंदन के एक प्रोफेसर आए थे और उन्होंने पारंपरिक चिकित्सक से इस फार्मूले के बारे में जानने के लिए बहुत अधिक दबाव बनाया था।


 वे अपने साथ में स्थानीय वन अधिकारियों को लेकर गए थे ताकि दबाव में किसी भी प्रकार की कमी न रहे पर पारंपरिक चिकित्सक ने साफ कह दिया कि यह उनके पूर्वजों का नुस्खा है और वे किसी को दबाव में इसके बारे में नहीं बताएंगे। 


थक हार कर लंदन के प्रोफेसर फार्मूला लेकर वापस चले गए और वहां अपनी प्रयोगशाला में इसके घटकों को जानने का प्रयास करने लगे। 


5 साल की कड़ी मेहनत के बाद भी केवल 200 घटकों की पहचान कर पाए। उसके बाद उन्होंने हार मान ली। 


जब इस 200 घटक वाले नुस्खे का प्रयोग उन्होंने अपने मरीजों के ऊपर किया तो उन्हें बहुत बुरे परिणाम मिले। उन्होंने अपने शोध पत्र में यह साफ-साफ लिखा कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सक जब सैकड़ों घटकों का प्रयोग करते हैं तो उनमें आपस में बहुत अधिक संतुलन होता है। 


यह छत्तीसगढ़ का समृद्ध पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान है और इसकी थाह मिलना बहुत मुश्किल है।


 मैंने उस युवक को आगे बताया कि जब मैं बस्तर के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा था तब मैंने बस्तर के इन पारंपरिक चिकित्सक को कोंकण क्षेत्र से एकत्र किए गए 1000 फार्मूले दिए जो कि कैंसर के अंतिम अवस्था में काम आते थे। 


उन्होंने इच्छा प्रकट की कि वे उन पारंपरिक चिकित्सक से मिलना चाहते हैं जो कि इन फार्मूलों को प्रयोग करते हैं और उनके साथ रहकर इन फ़ार्मूलेशन्स का उपयोग जानना चाहते हैं।


 तब मैंने उनसे कहा कि वे मेरे साथ कोंकण चलें और 15 दिन कोंकण के पारंपरिक चिकित्सक के साथ बितायें।


 कोंकण के पारंपरिक चिकित्सक ने किसी भी प्रकार की आनाकानी नहीं की और छत्तीसगढ़ के मेहमान का तहे दिल से स्वागत किया। 


बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक गए तो 15 दिन के लिए गए थे पर वहां वे 2 साल तक रुके। छत्तीसगढ़ का ज्ञान कोंकण को मिला और कोंकण का ज्ञान छत्तीसगढ़ को। 


इस तरह दोनों पारंपरिक चिकित्सक नए ज्ञान से पूरी तरह से परिपूर्ण हो गए। 


मैने उस युवक को आगे बताया कि बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक अब जीवित नहीं है और आपको उनकी उस दवा की जरूरत है।


 मैं आपको सलाह दूंगा कि आप उन पारंपरिक चिकित्सक से मिले जिनको उन्होंने यह विद्या दी है। यह बात सही है कि उन्होंने इस फार्मूले के बारे में पूरी की पूरी जानकारी मुझे भी दी है पर मैं आपको फिर से बता देना चाहता हूँ कि मैं चिकित्सक नहीं हूँ, मैं एक वैज्ञानिक हूँ इसलिए बेहतर होगा कि आप चिकित्सक की सहायता से अपनी समस्या का समाधान करवाएं। 


मैंने उसे कोंकण के पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया और कहा कि इस बार वह पहले वाली गलती नहीं करेगा तो शायद उसको इस सर्जरी की आवश्यकता न हो। 


 उसने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित 

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