Consultation in Corona Period-127
Consultation in Corona Period-127
Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"बिजनेस मीटिंग के दौरान अचानक से हमारे पिताजी मूर्तिवत हो जाते हैं और कुछ समय तक एक स्थान पर चुपचाप बैठे रहते हैं।
उसके बाद उन्हें सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ता है और ऑक्सीजन लगाना पड़ता है।
उसके बाद वे सामान्य स्थिति में आते हैं और फिर देर तक सोते रहते हैं। यदि उन्हें बीच में उठा दिया जाए तो उनकी स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है और उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती करना होता है।
ऐसे लक्षण कुछ महीनों से आ रहे हैं। सारा बिजनेस पिताजी संभालते हैं और हम उनके दस लड़के उनके बिजनेस में मदद करते हैं।
घर में पिताजी प्रमुख है। सारे फैसले वही करते हैं पर अब जब उनकी हालत बिगड़ने लगी है तो हम सब बहुत चिंतित हो गए हैं।
पहली बार जब ऐसा हुआ तो हम उन्हें दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में लेकर गए। वहां उनकी सभी तरह से जांच हुई तो यह पाया गया कि उनको किसी भी तरह की कोई बड़ी समस्या नहीं है।
उन्हें न तो डायबिटीज है, न ब्लड प्रेशर की समस्या है और न ही थायराइड का कोई रोग है।
वे नियमित योगाभ्यास करते हैं। नपा-तुला भोजन करते हैं। रात को जल्दी सो जाते हैं और बड़े ही धार्मिक व्यक्ति हैं।
उन्होंने बिजनेस को कभी भी गंभीर रूप से नहीं लिया अर्थात बिजनेस को ऑफिस तक ही रखा और कभी घर लेकर नहीं आए।
हाल ही में उन्होंने एक छोटा सा विमान खरीदा है। जब भी उन्हें मौका मिलता है वे विमान में सवार होकर पहाड़ी स्थानों की ओर रवाना हो जाते हैं। यह उनके बेड़े का सातवां विमान है।
उन्हें हिमालय की गोद में रहना अच्छा लगता है पर बिजनेस के सिलसिले में उन्हें मुंबई में रहना पड़ता है और जितना जल्दी संभव हो वे यहां से निकल जाना चाहते हैं।
दिल्ली में जांच कराने के बाद फिर से जब अटैक आया तो हम सीधे उन्हें अमेरिका लेकर गए। वहां सभी तरह के टेस्ट हुए फिर भी चिकित्सक यह समझ नहीं पाए कि अचानक से इस तरह के लक्षण क्यों आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा किसी अनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है। उन्होंने बढ़ती उम्र को भी एक वजह बताई। उन्हें तरह-तरह की दवाईयां दी गई पर पिताजी ने इन तमाम दवाओं को लेने से इनकार कर दिया क्योंकि इनसे किसी भी तरह का लाभ नहीं हो रहा था और दवा देने वाले यह नहीं जानते थे कि ऐसे लक्षण क्यों आ रहे हैं यानी सब कुछ हवा में हो रहा था।
वे जब वापस लौटे तो उनके दस बेटों ने दसों किस्म के वैद्यों की सेवा लेनी शुरू की और उनके सामने दवाओं का अंबार लग गया।
इससे उन्हें बहुत सारी नई तकलीफ होने लगी जैसे कि उन्हें कब्जियत की शिकायत हो गई।रातों की नींद चली गई।
उन्होंने यह जान लिया है कि यह सब नई दवाओं के कारण हो रहा है जो मूल समस्या का समाधान तो नहीं कर रही हैं बल्कि नई समस्याएं खड़ी कर रही हैं। उन्होंने दवाएं बहुत कम कर दी।
उनके बेटे लगातार उनके पीछे पड़े रहे पर फिर भी उन्होंने पहले वाली जीवन पद्धति को ही स्वीकार किया।
उन्होंने आपके मेडिसिनल राइस शोध के बारे में इंटरनेट पर पढ़ा और फिर हमसे कहा कि हम आपसे संपर्क करें और उनके लिए उपयुक्त देसी चावल का प्रबंध करें। इसलिए हमने आपसे संपर्क किया है।
हम आपको सारी रिपोर्ट भेज रहे हैं और जब भी आप कहेंगे हम आपके लिए विमान भेज देंगे। आप यहां आकर किसी भी तरह का परीक्षण करना चाहे तो आप कर सकते हैं।"
उत्तर भारत के एक बिजनेस टायकून के घर से यह फोन आया तो मैंने उनसे कहा कि इस कोरोनावायरस काल में यात्रा करना संभव नहीं होगा। चाहे वह निजी विमान से क्यों न हो।
यदि संभव हो तो आप अपने पिताजी को लेकर आ जाएं ताकि मैं उनके पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों के लेप लगाकर इस समस्या का मूल कारण जानने की कोशिश कर पाऊं।
पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाने का विज्ञान मैंने देश के पारंपरिक चिकित्सकों से सीखा है जो कि आधुनिक सुख-सुविधाओं से दूर है और किसी भी रोग की पहचान वे इसी पद्धति से करते हैं।
उनके बड़े बेटे ने फोन पर मुझसे परामर्श के लिए समय लिया और फिर बताया कि अगले हफ्ते वे अपने पिताजी को लेकर मेरे पास आ जाएंगे।
जब वे रायपुर आये और मैंने गहनता से परीक्षण किया तो स्थिति कुछ-कुछ स्पष्ट होने लगी। समस्या का कारण पता चल गया था पर उसे बता पाना इतना सरल नहीं था।
मैंने उनसे वह वीडियो मंगाया जिसमें यह दिख रहा था कि कैसे उन्हें अटैक होता है और कितनी देर तक वह जारी रहता है।
उस वीडियो में यह दिख रहा था कि वे एक बिजनेस मीटिंग में बैठे हुए हैं और किसी गंभीर विषय पर लंबी चर्चा हो रही है। इस बीच चाय आती है और कुछ बिस्किट भी परोसे जाते हैं।
चाय की चुस्की लेते ही पिताजी की तबीयत बिगड़ जाती है और तुरंत ही डॉक्टरों की टीम उन्हें घेर लेती है।
वीडियो में साफ दिखता है कि उन्हें सांस लेने में बहुत अधिक तकलीफ होती है। उन्हें ऑक्सीजन लगाया जाता है और लगातार उनकी देखभाल की जाती है।
वीडियो में से यह भी साफ दिखता है कि उनकी चिकित्सा कर रहे हैं चिकित्सक बहुत अधिक तनाव में होते हैं। उनके चेहरे बताते हैं कि किसी भी समय उनके मरीज की हालत बहुत अधिक गंभीर हो सकती है।
वे तरह-तरह के प्रयास करते हैं और बड़ी मुश्किल से उनकी स्थिति पर काबू कर पाते हैं।
वीडियो में चिकित्सकों के तनाव और उनके माथे से लगातार रिसते पसीने को साफ देखा जा सकता है।
मैंने उनके बेटे से कहा कि आप वापस जाएं। अपने परिवार को एकत्र करें और यदि पूरा परिवार मेरी बात जानना चाहे तो मैं इस समस्या का कारण उन सबके सामने बता सकता हूं।
बड़े बेटे ने जोर दिया कि आप मुझे ही समस्या बताएं। परिवार के बाकी लोग इसमें ज्यादा रुचि नहीं रखते हैं।
उनके पिताजी मेरी बात सुन रहे थे और उन्होंने कहा कि आप यह बात परिवार के सामने ही रखें। मेरे इस बेटे के सामने न रखें।
मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि आप इस बारे में अधिक न सुने तो अच्छा होगा। आपका परिवार सुने तो ज्यादा अच्छा रहेगा फिर आपको आपकी पत्नी सरल शब्दों में इस समस्या के बारे में बता देगी।
वे इस बात के लिए तैयार हो गए और वापस लौटते ही उनका परिवार एक बड़े से कमरे में एकत्र हो गया और उन्होंने मुझे फोन किया।
मैंने उन्हें बताया कि उन्हें यह समस्या दो प्रकार की वनस्पतियों के इंटरेक्शन के कारण हो रही है। इनमें से एक वनस्पति हुलहुल है और दूसरी वनस्पति है भेदन कंद।
आश्चर्य की बात यह है कि वे जिन भी दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं उन दवाओं में ये दोनों जड़ी बूटियां नहीं है। वे जिन विभिन्न भोजन सामग्रियों का प्रयोग कर रहे हैं उनमें भी इन बूटियों का कोई नामोनिशान नहीं है।
वास्तव में ये दोनों जड़ी बूटियां साथ में कभी भी नहीं दी जाती है और जब कभी भी दी जाती है तो इसका एकमात्र उद्देश्य होता है किसी की हत्या करना।
यह एक तेज विष है जो बहुत कम समय में किसी की जान ले सकता है बिना किसी तरह का सबूत छोड़े।
प्रोफेशनल किलर इसका प्रयोग करते हैं और अक्सर तांत्रिक भी इसकी सहायता से अपने दुश्मनों को खत्म करते हैं।
यह सुनकर आप चौकेंगे तो अवश्य पर यह सत्य है कि कोई पिताजी को मारना चाहता है।
मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप तुरंत पुलिस में इसकी रिपोर्ट करें और मेरे द्वारा बताई गई बातों को उन्हें समझाएं और यदि आवश्यक हो तो मुझसे बात कराएं।
आपने जो वीडियो मेरे पास भेजा है उसे देखकर तो यही लगता है कि यदि ये दोनों बूटियां उन्हें 4 से 5 बार और दी गई तो उनकी जान नहीं बचेगी।
मैंने उन्हें यह बात इसलिए नहीं बताई कि उन्हें मानसिक आघात लग सकता है और वह बहुत ज्यादा सदमे में आ सकते हैं इसलिए माता जी आपसे अनुरोध है कि आप सरल शब्दों में अपने पति को इस बारे में बताएं और अभी से सतर्क हो जाएं।
मेरी बात अभी चल ही रही थी कि वहां से फोन काट दिया गया। मैं इंतजार करता रहा कि फिर से फोन आएगा पर किसी भी तरह का कोई फोन नहीं आया। यह अजीब सा कदम था।
इसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। परिवार के किसी भी सदस्य ने फिर मुझसे कई हफ्तों तक बात नहीं की।
अक्सर जब मैं ऐसा खुलासा करता हूं तो परिवार के सदस्य सतर्क हो जाते हैं। तुरंत ही जहर के स्त्रोत को खोजने लग जाते हैं और जल्दी ही पुलिस की सहायता से इसके लिए दोषी व्यक्ति को पकड़वा देते हैं।
बड़े उद्योगपति घरानों में ऐसा अक्सर होता रहता है। भले ही बाहर से वे सुखी नजर आते हैं पर अंदर से वे बहुत तनावपूर्ण जीवन जीते रहते हैं।
उन्हें हमेशा इस बात का डर रहता है कि कोई उनकी जान न ले ले और यह डर बेमानी नहीं होता है क्योंकि अक्सर उनको मारने के प्रयास किए जाते हैं।
सारा खेल संपत्ति का होता है।
कुछ समय बाद मैंने इस पूरे मामले को भुला दिया और लगातार नए मामले सुलझाने के कारण यह मेरे स्मृति पटल से पूरी तरह से हट गया।
2 महीनों बाद मुझे एक पुलिस अधिकारी का फोन आया कि एक हत्या के सिलसिले में हम आपसे परामर्श लेना चाहते हैं। जब उन्होंने फीस जमा की ओर यह बताना शुरू किया कि उन उद्योगपति महोदय की अब मृत्यु हो चुकी है तो अचानक ही सारा मामला मेरे सामने फिर से आ गया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब घर के नौकर से विस्तार से पूछताछ की गई तो उसने आपके फोन के बारे में बताया। उसने भी यह फोन सुना था।
उसने पुलिस को बताया था कि मेरा फोन बीच में काट दिया गया था। उसके बाद परिवार में बहुत अधिक झगड़ा हुआ। सब एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे पर कोई भी पुलिस जांच के लिए तैयार नहीं था।
नौकर ने बताया कि उसे सभी पर शक था पर ज्यादा शक उनकी पत्नी पर था जिन्होंने सब कुछ जानते हुए भी उन्हें इस बारे में नहीं बताया और सतर्क रहने को नहीं कहा।
उनकी बिजनेस मीटिंग पहले की तरह जारी रही और तीन बार और अटक आने के बाद उनकी मृत्यु हो गई। इस मृत्यु को सामान्य मृत्यु बताया गया और उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
एक महीने बाद जब नौकर ने मेरे फोन की पूरी रिकॉर्डिंग उनकी विदेश में बसी बेटी को सुनाई तो उन्होंने भारत आकर पुलिस केस किया।
पुलिस अधिकारी महोदय ने कहा कि आप इस केस की अहम कड़ी हैं। आपको पहले से ही मालूम था कि ऐसा होने वाला है इसलिए आपकी मदद बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
हमें आप यह बताएं कि जिन दो बूटियों का नाम आपने लिया था ये बूटियां वे किस रूप में ले रहे होंगे। हमने सभी तरह की पड़ताल की पर हमें इन दोनों बूटियों का कोई स्रोत नहीं मिला।
मैंने उन पुलिस अधिकारी से कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उन्हें बताया कि 2 साल पहले कोलकाता में एक ऐसा ही मामला आया था जिसमें एक परिवार के 8 सदस्यों की जहर देकर हत्या कर दी गई थी। सभी को यह विष भोजन में दिया गया था और यह विष उनके खानसामा ने भोजन में मिला कर दिया था।
उसने सबसे बड़ी गलती यह की थी कि उसने एक साथ सभी को यह विष दे दिया था। इससे पुलिस को पूरी तरह से शक हो गया है कि यह हत्या का मामला है।
मैंने इस मामले को सुलझाया था और पुलिस अधिकारियों से कहा था कि इसमें प्रयोग किए गए जहर के बारे में वे अपने लोगों को विस्तार से बताएं ताकि भारत में कहीं भी ऐसा केस हो तो इस पर भी ध्यान दिया जा सके।
मैंने पुलिस अधिकारी से कहा कि वे और भी वीडियो भेजें जिसमें उनको जब अटैक हो रहा है उस समय के दृश्य दिखाई पड़ रहे हों।
जो वीडियो मुझे भेजा गया था उससे मुझे लग रहा था कि जैसे कि चाय में इस जहर को मिला कर दिया गया होगा।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमें भी चाय पर शक था पर जब हमने इसकी विस्तार से जांच की तो पता चला कि उन्हें जो चाय दी जाती थी उसी चाय को सभी लोग पीते थे। इसलिए चाय के माध्यम से जहर उनके शरीर में नहीं पहुंचता होगा।
मैंने एक बार फिर से पूरे मामले की जांच पड़ताल की। उनके द्वारा प्रयोग की जा रही है खाने की सामग्रियों पर विशेष ध्यान दिया।
उस नौकर से भी बात की जिसने कि उनकी बिटिया को इस बारे में खबर दी थी और जो पुलिस को पूरी तरह से मदद कर रहा था।
जब उद्योगपति महोदय छोटे बच्चे थे तब से वह नौकर उनके साथ था और एक तरह से पूरी तरह स्वामीभक्त नौकर था।
बातों ही बातों में नौकर ने बताया कि उन्हें कोकोनट बिस्किट बहुत पसंद थे। घर में ही इसे विशेष रूप से तैयार करवाते थे।
बिजनेस मीटिंग में भी उनके लिए यह बिस्किट विशेष तौर पर आता था।
वे सब से कहते थे कि वे सभी इस बिस्किट का प्रयोग करें। यह बहुत स्वादिष्ट है और सेहत के लिए बहुत ही लाभप्रद है।
जब दूसरे लोग इस बिस्किट का स्वाद लेने की कोशिश करते थे तो उनका बड़ा बेटा मना कर देता था और मेहमानों के लिए अलग से बिस्किट की व्यवस्था करता था।
जब मैंने यह सामान्य सी घटना पुलिस अधिकारी को बताई तो उनके कान खड़े हो गए। अपने लंबे अनुभव से वे जान गए कि इसमें बड़े बेटे की कोई न कोई भूमिका थी।
सबसे पहले तो उन्होंने बिस्किट की जांच की फिर मुझे बताया कि फोरेंसिक विशेषज्ञों ने बिस्किट के ऊपर डाले गए नारियल के चूरे में जहर के अंश प्राप्त कर लिए हैं और अब हमारा पूरा ध्यान बड़े बेटे की ओर है।
हम उनके घर के पूरे सीसीटीवी फुटेज निकाल रहे हैं। हमें पता चला है कि बिस्किट का निर्माण पूरी तरह से बड़े बेटे के मार्गदर्शन में होता था।
हमने फुटेज में यह भी देखा कि वह नारियल का चूर्ण बिस्किट के ऊपर डालता है। हमने उसे मिलावट करते हुए तो नहीं देखा पर हमने यह पता किया कि यह नारियल का चूर्ण वह खुद तैयार करता है और इसे तैयार करते समय भी उसकी हालत खराब हो जाती है।
उसे ठीक वैसे ही लक्षण आते थे जैसे कि बिस्किट का प्रयोग करने के बाद उसके पिताजी को आते थे पर ये लक्षण इतने अधिक उग्र नहीं होते हैं कि उसकी हालत बिगड़ जाए।
मैंने उन पुलिस अधिकारी महोदय को धन्यवाद दिया और उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की।
इस तरह सभी के सहयोग से एक जटिल मामले का समाधान पूरी तरह से हो गया।
सर्वाधिकार सुरक्षित
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